Tuesday, July 30, 2013

स्वाद भी, सेहत भी

स्वाद भी, सेहत भी

चॉकलेट का नाम सुनते ही किसके मुंह में पानी नहीं आ जाता है। क्या बच्चे और क्या बड़े, सभी चॉकलेट के दीवाने होते हैं। हर दिल अजीका इन चॉकलेट्स का रिश्ता सिर्फ जुबां से ही नहीं है, बल्कि आपके दिल से भी है। स्टडीका बताती हैं कि डार्क चॉकलेट्स से कई हैल्थ बैनिफिट्स हैं।

व्हाइट और डार्क

डार्क चॉकलेट का मेजर इंग्रीडिएंट कोको होता है। कोको गहरे रंग का और कड़वा होता है। कम दूध और चीनी वाली चॉकलेट डार्क चॉकलेट कहलाती है। व्हाइट चॉकलेट में कोको पाउडर का इस्तेमाल ही नहीं होता। दरअसल यह केवल कोको बटर होता है जिसमें चीनी मिला दी जाती है।

पसंदीदा चॉकलेट

हालांकि डार्क चॉकलेट सेहत के लिहाज से बहुत बेहतर है लेकिन चॉकलेटों के बाजार में सबसे ज्यादा मिल्क चॉकलेट को ही पसंद किया जाता है। डार्क चॉकलेट को दूसरे नंबर पर पसंद किया जाता है। उसके बाद लोग नट्स वाली चॉकलेट पसंद करते हैं। फिर आती हैं फलों वाली चॉकलेट्स।

सबसे मशहूर

आयरलैंड में प्रति व्यक्ति 11.9 किलो चॉकलेट सालाना खाई जाती है। दूसरे नंबर पर 10.8 किलो के साथ स्विट्जरलैंड है। इसके बाद ब्रिटेन, बैल्जियम और नॉर्वे का नंबर आता हैं। दुनिया भर में बैल्जियम की चॉकलेट मशहूर हैं। ये काफी महंगी भी होती हैं। एक किलो की कीमत 4,500 रुपये तक होती है।

हैल्थ बैनिफिट्स

  • कोको में एपिकाटेसीन मौजूद होता है, जो रक्त वाहिनियों को फैलाकर ब्लड फ्लो को सुचारू बनाता है और हार्ट को हैल्दी रखता है।
  • कोको डिमेंशिया और अल्कााइमर्स जैसे मानसिक रोगों में भी फायदेमंद हो सकता है।
  • डार्क चॉकलेट्स में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो शरीर को कोशिकाओं की रक्षा करते हैं और लंबे समय तक जवां दिखने में मददगार होते हैं।
  • कुछ स्टडीज़ बताती हैं कि डार्क चॉकलेट्स में मौजूद फ्लेवेनॉल्स हार्ट अटैक के रिस्क को 50 फीसदी कम कर सकते हैं। ये अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में मदद करती हैं और बुरे कोलेस्ट्रॉल को कम करती हैं। वहीं इनसे कोरोनरी डिजीज को 10 फीसदी और प्रिमैच्योर डैथ को 8 फीसदी तक कम किया जा सकता है।
  • एक रिसर्च यह भी बताती है कि डार्क चॉकलेट खाने के दो-तीन घंटे बाद ब्रेन का ब्लड सर्कुलेशन बढ़ जाता है।
  • बॉडी मेटाबॉलिक शुगर की हैल्प करके ये डिवेल्पिंग डायबिटीज के रिस्क को भी कम कर देती हैं।
  • लगातार थकान महसूस करने वालों को डार्क चॉकलेट फायदा पहुंचाती है। स्टडीका में पाया गया है कि यह न्यूरोट्रांसमीटर्स को रैगुलेट करती है और इससे नींद और मूड अच्छा रहता है।
  • डार्क चॉकलेट्स में मौजूद एपीकेटचिन नामक मिश्रण मांसपेशियों को उसी तरह से मजबूत बनाता है जैसे जॉगिंग या एक्सरसाइज करने से मांसपेशियां मजबूत होती हैं। इस मिश्रण के कारण शरीर को ताकत देने वाले माइटोकोंड्रिया की मात्रा बढ़ जाती है। इससे मांसपेशियों में ऑक्सीजन प्रवाहित करने वाली कोशिकाओं की संख्या बढ़ती है।

इन बातों का रखें ध्यान

  • कई चॉकलेट उत्पादक फ्लेवेनॉल्स को पहले ही चॉकलेट्स से रिमूव कर देते हैं, क्योंकि इसका टेस्ट कड़वा होता है और इस बारे में प्रॉडक्ट पर भी कोई रिटन इंफर्मेशन नहीं होती।
  • डार्क कलर होने भर से डार्क चॉकलेट नहीं बनती। यह कलर तो कोको सॉलिड्स की वजह से आता है, जबकि चॉकलेट में कोको की उतनी क्वॉन्टिटी नहीं होती।
  • चॉकलेट्स में खूब फैट होती है। चॉकलेट से मिलने वाली एनर्जी में 50 फीसदी फैट की वजह से होती है।
  • किसी भी चीज़ को एक सीमा में लिया जाए तो ही यह फायदेमंद होती है। अति हर चीज़ की बुरी होती है, फिर चाहे वो चॉकलेट ही क्यों न हो।

तो कैसी खाएं चॉकलेट

मिल्क चॉकलेट की बजाय डार्क चॉकलेट लेना फायदेमंद होता है। डार्क चॉकलेट का चयन करते वक्त उसके कोको कंटेंट पर ध्यान देना भी जरूरी है। हमेशा ज़्यादा कोको कंटेंट वाली चॉकलेट ही चुनें। एक्सपट्र्स की मानें तो, डार्क चॉकलेट भी वही आपको हैल्थ बैनिफिट्स देगी जिसमें कोको की मात्रा कम से कम 60 फीसदी हो। यही नहीं, जब इसमें 75-85 फीसदी कोको मौजूद होगा, तब यह ज्यादा इफैक्टिव होगी। खास बात यह है कि यदि चॉकलेट में कोको इस लैवल में मौजूद होगा, तो यह टेस्टी नहीं लगेगी।

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