Saturday, May 11, 2013

डायमंड इज फॉरएवर

 डायमंड इज फॉरएवर


हीरे को महिलाओं का बेस्ट फ्रेंड कहा जाता है। डायमंड ज्यूलरी इन्वेस्टमेंट के साथ-साथ स्टाइल स्टेटमेंट भी है। डायमंड्स पहनते ही युवतियों का हुस्न दमक उठता है...



पिछले कुछ अर्से से ज्यूलरी  के ट्रेंड में तेजी से बदलाव आया है। प्रेशियस ज्यूलरी में गोल्ड का एकाधिकार कम होता जा रहा है। अब लोग डायमंड ज्यूलरी को भी तवज्जो देने लगे हैं। ‘जौहरी ही जानता है हीरे की कद्र’ या ‘आदमी क्या है, बस यह समझो हीरा है हीरा’ आदि हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में बोले जाने वाले कुछ ऐसे वाक्य हैं, जिनसे आप हीरे की अहमियत का अनुमान लगा सकती हैं। तभी तो कहते हैं कि डायमंड इका फॉरएवर।

कलिनन, कोहिनूर, आरलाफ, अकबर शाह, ग्रेट मुगल, रीजेंट, डडले, स्टार ऑफ द साऊथ आदि हीरे के कुछ ऐसे नाम हैं जिन्होंने संसार भर में प्रसिद्धि हासिल की है। भारत, दक्षिण अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका हीरे के सबसे बड़े उत्पादक देश हैं। संसार भर में हीरे के उत्पादन का 97 प्रतिशत भाग यहीं से प्राप्त होता है। मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में भुजगावन क्षेत्र से हीरे की सर्वाधिक मात्रा में प्राप्ति होती है, जो भारत में प्राप्त होने वाली इसकी मात्रा का 95 प्रतिशत है।

इटालियन डिजाइंस
मार्कीट में विभिन्न ब्रांड्स की डायमंड ज्यूलरी की हैवी और सिम्पल दोनों लुक में बड़ी रेंज मौजूद है। आजकल अनकट डायमंड, जिसे पोलकिया कहते हैं, चलन में है। इसे 24 कैरेट सोने या कुंदन में बनाया जाता है। यह आपके एक अलग ही अंदाज को बयां करेगी। राऊंड, पीयर, स्कवेयर, ओवल और एमेराल्ड के अलावा हार्ट शेप्ड डायमंड ज्यूलरी ने भी महिलाओं में अपनी धाक बनाई हुई है। कुछ इटालियन डिजाइंस भी ट्रेंड में हैं जिन्हें 18 कैरेट सोने और डायमंड में बनाया जाता है। इनमें  ज्योमेट्रिकल शेप में डायमंड जड़े होते हैं। व्हाइट गोल्ड के अलावा, येलो, पिंक और लाइम ग्रीन गोल्ड में भी शानदार ज्यूलरी बन रही है।

अफोर्डेबल रेंज
ऐसा माना जाता है कि अपनी जिंदगी में हीरे के आभूषण पहनना लगभग हर स्त्री की चाहत होती है। इसी को मद्देनजर रखते हुए नाजुक-सी दिखने वाली डायमंड ज्यूलरी अफोर्डेबल रेंज में भी उपलब्ध है। आप 3,000-5,000 रुपए में डायमंड नोज़ पिन या पेंडेंट खरीद सकती हैं। डायमंड ब्रेसलेट की कीमत 30,000 हजार रुपए और डायमंड  सेट की कीमत 50,000 रुपए से शुरू होती है। कॉलेज गोइंग गर्ल्स डायमंड ज्यूलरी की इस अफोर्डेबल रेंज को खरीदने को बेताब नजर आती हैं, हालांकि जो लोग महंगी ज्यूलरी खरीद सकते हैं वे बड़े हीरों से जड़े गहने पसंद करते हैं।

माइक्रो डायमंड ज्यूलरी
आजकल कई धातुओं को मिला कर ज्यूलरी बनाने का चलन है, जिसमें सफेद सोना, गुलाबी सोना यहां तक कि तांबे को मिला कर बनाई गई ज्यूलरी भी चलन में है। सोना, प्लेटिनम और चांदी तीनों के साथ ही डायमंड खूब जंचता है। डायमंड  के साथ अन्य धातुओं को मिलाकर बनाए गए गहने भी पसंद किए जा रहे हैं। आजकल माइक्रो सेटिंग ज्यूलरी भी खूब चलन में है। इसमें चूरा अर्थात् बारीक हीरे जड़े जाते हैं। यह इकोनॉमी वर्ग की खास पसंद है। जाहिर है कि इनकी तुलना कीमती हीरों से तो नहीं हो सकती लेकिन इनके जरिए आप हीरा पहनने का सपना तो पूरा कर ही सकती हैं।

बेस्ट गिफ्ट
डायमंड में तरमनियां सेट, नेकलेस सेट, पेंडेंट सेट व लांग सेट सहित कई तरह के सेट ट्रेंड में हैं। बड़े पेंडेंट सेट्स का क्रेज़ अभी भी कायम है। विभिन्न टी.वी. सीरियलों में पहनी जाने वाली डायमंड ज्यूलरी के डिज़ाइन भी महिलाओं को आकर्षित करते हैं। अवार्ड फंक्शंस में जानी-मानी हस्तियों द्वारा पहनी गई डायमंड ज्यूलरी से भी महिलाएं खूब प्रभावित होती हैं। गिफ्ट में लोग हीरे की अंगूठी देना सबसे  ज्यादा पसंद करते हैं। डायमंड की ज्यूलरी में 80 प्रतिशत वापसी की गारंटी होने के कारण भी इन्वेंस्टमेंट को ध्यान में रख कर ज्यूलरी खरीदने वाली महिलाओं में इसका रुझान बढ़ा है।

स्टाइल स्टेटमेंट
डायमंड ज्यूलरी सुंदरता के साथ-साथ आपकी पर्सनेलिटी को भी निखारती है। इसे इंडियन या फैशनेबल वेस्टर्न किसी भी तरह की ड्रेस के साथ पहना जा सकता है। डायमंड ज्यूलरी खास मौकों पर भी आपको नोटिसेबल बनाती है और डेली यूज में भी कूल लुक देती है।

पुरुष भी हुए क्रेजी
हीरे के लिए महिलाओं की ललक तो जगजाहिर रही है लेकिन अब पुरुषों में भी इसका क्रे़ज़ बढ़ता जा रहा है। पहले ज्यादातर पुरुष जहां सोने की अंगूठी, चेन आदि ही पहनते थे, पर अब बदलते दौर में वे घडिय़ों, कफलिंक्स, टाई पिंस, कुर्ता बटन, ईयररिंग्स, मोबाइल, कोट के बटनों और पेन में भी हीरे का प्रयोग धड़ल्ले से कर रहे हैं। हालांकि इसकी मांग अभी भी महिलाओं के हीरे के आभूषणों के मुकाबले बेहद कम है।

खुद बनें डिजाइनर
आजकल महिलाएं ऐसी ज्यूलरी पसंद कर रही हैं, जो उनके बजट में तो फिट बैठे ही, डिजाइनर भी हो। इसके लिए वे खुद ही अपनी क्रिएटिविटी का इस्तेमाल करके ज्यूलरी डिजाइन कर रही हैं। अगर आपको भी मार्कीट में उपलब्ध ज्यूलरी पसंद न आ रही हो, तो अपने मनमाफिक डिजाइन बनवाने के लिए आप ज्यूलर के स्टॉक में मौजूद ज्यूलरी आइटमों में फेरबदल करवा कर अपनी पसंद की ज्यूलरी पहन कर चहक सकती हैं। आप मैगजीन में छपी तस्वीर को दिखा कर भी वैसा ही डिजाइन बनवा सकती हैं। जरूरत और पसंद के अनुसार  ज्यूलरी डिजाइन करवाना और बनवाना अपनेपन का अहसास जगाता है और जब लोग इसकी तारीफ करते हैं, तो आपका मन भी खुश हो जाता है।

तभी बनता है बेशकीमती

खान से पत्थर के रूप में निकले हीरे को नग का रूप प्राप्त करने तक चार प्रमुख क्रियाओं से गुजरना पड़ता है, वे हैं क्लीवेज, कटिंग, पॉलिशिंग और सेटिंग। इस सबके लिए इसे कुशल कारीगरों के हाथों में से गुजरना पड़ता है, जो काट-तराश कर इसको बेशकीमती बना देते हैं। हीरे को कैरेट में मापा जाता है, एक कैरेट की माप 0.200 ग्राम यानी 200 मिलीग्राम के बराबर मानी गई है। हीरे की चार प्रमुख किस्में हैं- विशिष्ट, बोर्ट, बेल्स और कार्बनेडो। इनमें सिर्फ विशिष्ट ही उत्तम, पूर्ण स्फटिक, पारदर्शी और बेशकीमती होता है, जो आभूषणों में जड़ने के काम आती है। शेष का उपयोग उद्योग-धंधों में ही होता है।

हीरे की परख
हीरे की परख उसकी चमक पर निर्भर होती है। देश में सोने की तरह हीरे की ज्यूलरी के लिए शुद्धता के मानक नहीं हैं और खरीदारों को भी हीरे की परख नहीं है, जिसके चलते अधिकतर डायमंड ज्यूलरी अमानक स्तर की है। हालांकि लैब में हीरे की क्वालिटी को आसानी से परखा जा सकता है। हमें इसका पता तब चलता है जब हम इसे बेचने के लिए दूसरी जगह जाते हैं। दुनिया में हीरे की ज्यूलरी की शुद्धता के दो ही प्रमाण पत्र सर्वमान्य हैं। ये जैमोलॉजिकल इंस्टीच्यूट ऑफ अमेरिका (जी.आई.ए.) और इंटरनेशनल जैमोलॉजिकल इंस्टीच्यूट (आई.जी.आई.) द्वारा जारी होते हैं।

ऐसा नहीं होता
आपने फिल्मों या धारावाहिकों में सुना होगा कि हीरे को चाटने पर इंसान की मृत्यु हो जाती है लेकिन यह महज एक  भ्रांति है। इसका वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं है।

—मीनाक्षी गांधी

Friday, May 10, 2013

मां ही मेरी प्रेरणा है: नेहा धूपिया

नेहा धूपिया का नाम लेते ही आंखों के सामने एकदम से हॉट बाला का चेहरा घूम जाता है, लेकिन इस पूर्व मिस इंडिया ने पिछले कुछ समय से हॉट लुक से तौबा कर कॉमेडियन का अंदाज अपना लिया है। आजकल वह ऑफबीट और रीजनल फिल्मों समेत छोटे पर्दे पर अपनी एक्टिंग और ग्लैमर के जलवे बिखेर रही हैं...

पूर्व मिस इंडिया नेहा धूपिया ने मॉडलिंग से एक्टिंग की तरफ रूख किया जिनमें उन्हें एक अभिनेत्री के तौर पर काफी सराहा गया। उन्होंने बॉलीवुड में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। चाहे कला फिल्में हों, व्यवसायिक हों या रीजनल फिल्में हों, हर तरह के किरदार निभा कर नेहा धूपिया ने अपने आपको सशक्त अभिनेत्री साबित किया है। मॉडलिंग से बॉलीवुड तक का सफर आत्मविश्वास के साथ तय करने वाली नेहा धूपिया विवादों और असफलताओं के बावजूद भी दर्शकों में अपनी लोकप्रियता बनाए रखने में कामयाब रही हैं।
नेहा धूपिया ने हिन्दी फिल्मों में अपनी पारी की शुरूआत एक्शन फिल्म ‘कयामत’ के साथ की। ‘कयामत’ में नेहा ने कुछ बेहद बोल्ड दृश्य और बेहतरीन एक्टिंग करके दर्शकों को अपनी ओर खींचा। इसके बाद उनकी फिल्म आई ‘जूली’, जिसमें उन्होंने हालात से जूझती वेश्या की भूमिका निभायी। इस फिल्म से उनके नाम के साथ बोल्ड और सैक्सी एक्ट्रैस का टैग लग गया। साथ ही नेहा ने यह कहकर सनसनी मचा दी थी कि हिन्दी फिल्मों में शाहरूख खान बिकता है या फिर सेक्स। पर समय के साथ फिल्मों को लेकर दर्शकों की बदलती पसंद के मद्देनजर नेहा ने धीरे-धीरे ऑफबीट फिल्मों की ओर रूख करना शुरू किया। उन्होंने छोटे बजट की कई अर्थपूर्ण फिल्मों में काम किया। डायरैक्टर नवनीत सिंह के निर्देशन में बनी फिल्म ‘रंगीले’ के जरिए नेहा धूपिया पंजाबी सिनेमा जगत में अपना पहला कदम रखने जा रही हैं।
27 अगस्त, 1980 को जन्मी नेहा धूपिया पंजाबी सिख परिवार से है। उनके पिता कमांडर संदीप धूपिया भारतीय जल सेना में कार्यरत थे। उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई दिल्ली के आर्मी पब्लिक स्कूल से पूरी की। इतिहास में स्नातक की डिग्री उन्होंने दिल्ली के ही जीसस एंड मेरी कॉलेज से प्राप्त की। नेहा ने अपने एक्टिंग कॅरियर की शुरूआत स्टेज से की। वह शुरूआत में ‘यूफोरिया’ नामक एक म्यूजिक बैंड में काम करती थीं। इसके साथ ही उन्होंने कई विज्ञापनों में भी काम किया। साल 2002 में उन्होंने फेमिना मिस इंडिया में हिस्सा लिया और प्रथम स्थान हासिल किया। इस प्रतियोगिता में उन्हें ‘फेमिना मिस इंडिया यूनिवर्स’ के खिताब से नवाजा गया। नेहा को मिस इंडिया का खिताब मिलने के बाद से ही हिंदी फिल्मों के प्रस्ताव मिलने लगे थे।

मां हैं रोल मॉडल
नेहा अपनी मां से बेहद प्रभावित हैं। नेहा के लिए उनकी मां की अहमियत दुनिया में सबसे अधिक है। नेहा की मां उनके लिए सबसे बड़ी प्रेरणा और पथप्रदर्शक हैं। वह अपनी कामयाबी का सारा श्रेय अपनी मां को ही देती हैं। मां का नाम सुनकर नेहा के चेहरे पर एक खूबसूरत मुस्कान बिखर जाती है। जब हमने नेहा और उनकी मां के साथ उनके रिश्तों के बारे में पूछा, तो उन्होंने बताया कि उनकी मां उनके लिए सबसे ज्यादा अहम हैं। वह कहती हैं कि मैं दुनिया के किसी भी देश में होऊं लेकिन आत्मिक सुकून अपनी मां के साथ ही मिलता है। मां के साथ अपने रिश्तों को शेयर करते हुए उन्होंने झटपट से अपने फोन से अपने माता-पिता और अपनी कुछ तस्वीरें हमें मेल कर दीं।
जब उनसे पूछा गया कि दुनिया में किसे वह सबसे अच्छी दोस्त मानती हैं तो भी उन्होंने अपनी मां का ही नाम लिया। नेहा कहती हैं, ‘मेरी मम्मी मेरी बैस्ट फ्रैंड भी है। मैं कोई भी बात मम्मी से छुपाती नहीं हूं। मैं अपनी हर बात मम्मी के साथ शेयर करती हूं। मदर्स डे का मेरी लाइफ में काफी इंपोर्टेंट है। मैं हर साल मदर्स डे सेलिब्रेट करती हूं। इस बार भी मैंने मम्मी के लिए कुछ सरप्राइज प्लान किया है, जिसे मैं अभी आपको नहीं बता सकती।’
नेहा कहती हैं कि मां ने उन्हें हर परिस्थिति में खुश रहना सिखाया है। हर गम को हंसते-हंसते सहना सिखाया है। मां को सबसे बढिय़ा कुक मानने वाली नेहा अक्सर अपनी मां के बनाए खाने को बेहद मिस करती हैं। नेहा बताती हैं कि मां के हाथों का बना सादा सा खाना भी बेहद टेस्टी लगता है क्योंकि उसमें उनका प्यार भी होता है। वह कहती हैं कि जब भी उन्हें समय मिलता है तो तुरंत दिल्ली का रुख करती हैं ताकि अपने माता-पिता के साथ समय बिता सकें।

अरेंज्ड मैरिज की  ख्वाहिश
बिंदास बयानों के लिए पहचानी जाने वाली नेहा धूपिया  शादी के बारे में भी अपनी बिंदास राय रखती हैं। नेहा का कहना है कि वह शादी में पूरा यकीन रखती हैं, हालांकि वह लिव-इन संबंधों को भी गलत नहीं मानती। लेकिन नेहा अपनी खुद की जिंदगी में ऐसे रिश्तों को स्वीकार भी नहीं करतीं। नेहा कहती हैं, ‘चूंकि यह रिश्ता महिला-पुरुष की आपसी सहमति से बनता है, इसलिए इसमें कुछ भी गलत नहीं है। मेरे कई दोस्त लिव-इन रिलेशंस में हैं और वे शादीशुदा जोड़ों से ज्यादा खुश हैं। पर मैं शादी के बंधन में ही विश्वास करती हूं। यही कारण है कि आज तक मेरा किसी के साथ लिव-इन रिलेशन नहीं रहा।  हालांकि अभी फिलहाल मैं शादी के मूड में नहीं हूं, पर चाहती हूं कि जब भी मेरी शादी हो, मेरे माता-पिता की पसंद और मर्जी से ही हो। मैं अरेंज्ड मैरिज करवाना ही पसंद करूंगी जैसे कि मेरे माता-पिता की हुई थी। मेरे पैरंट्स को मैं अपना आइडियल कपल मानती हूं।’ इसके साथ ही नेहा कहती हैं कि वह सादगी भरे माहौल और रीतिरिवाजों के साथ शादी करना पसंद करेंगी।

नेहा का स्टाइल स्टेटमेंट
नेहा कहती हैं कि उन्हें सनग्लासेज और फुटवियर इतने पसंद हैं कि उनके पास इनकी कितनी जोडिय़ां हैं, यह उन्हें खुद नहीं मालूम। उन्हें खुले स्लीपर्स से लेकर घुटने तक हाई हील बूट पसंद हैं और उनके कलेक्शन में सभी डिजाइन के लेटेस्ट फुटवियर हैं। उनका मानना है कि फुटवियर व्यक्ति के मूड को दर्शाते हैं और सनग्लासेज आपके व्यक्तित्व में चार चांद लगा देते हैं। अलग-अलग तरह के सनग्लासेज अलग-अलग लुक देते हैं और इससे आपका स्टाइल भी बदलता रहता है। नेहा कभी भी अपनी ड्रैस से मैचिंग फुटवियर नहीं पहनती हैं। उनका मानना है कि ड्रैस की रंग से अलग फुटवियर लोगों की नजर में आते हैं और इससे उनका स्टाइल स्टेटमेंट भी पता चल जाता है।

कॅरियर से संतुष्ट हूं
फिल्मों में अलग-अलग तरह की भूमिका अदा कर चुकीं नेहा कहती हैं कि फिल्म इंडस्ट्री में मेरा कोई गॉडफादर नहीं है जो बताए कि यह करना है और यह नहीं। यही कारण है कि मैंने अपने कॅरियर में बहुत सी गलतियां की हैं जिनके कारण मेरा फिल्मी सफर आज से बेहतर हो सकता था। नेहा कहती हैं, ‘मेरे पास बहुत से मौके थे लेकिन मैंने उनको ठुकरा दिया क्योंकि मैं उन फिल्मों में काम नहीं करना चाहती थीं। मैं ईश्वर नहीं हूं और हर बात पर सही नहीं हो सकती।’ लेकिन नेहा को इन सब का अफसोस नहीं है। वह कहती है, ‘मैं अपने कॅरियर से बिलकुल संतुष्ट हूं। मुझे फिल्मों में काम करते कई साल हो गए। मैंने अलग-अलग किस्म के किरदार किए हैं। व्यवसायिक और लीक से हटकर हर किस्म की फिल्में की हैं। लेकिन साथ ही आगे भी, लगातार अच्छा काम करना चाहती हूं।’

बोल्ड किरदार निभाना मुश्किल
अपने कॅरियर के शुरूआत में ही कुछ बेहद बोल्ड फिल्मों के कारण नेहा धूपिया की पहचान भले ही बोल्ड किरदारों के लिए रही हो लेकिन वह पर्दे पर बोल्ड सीन करने से डरती हैं। उनका कहना है कि पर्दे पर बोल्ड सीन देना कोई आसान काम नहीं है। यही कारण है कि उन्होंने ‘जूली’ के सीक्वेल में काम करने से मना कर दिया है क्योंकि उसमें भी उनकी भूमिका बेहद बोल्ड थी और वह एक्पोका करने वाले रोल नहीं करना चाहती हैं। 

आइटम नंबर की तमन्ना
कई गीतों पर अपना जलवा बिखेर चुकी नेहा की तमन्ना है फिल्म में आइटम नंबर करने की। नेहा ने बताया कि  अब जबकि सभी बड़ी हीरोइनें आइटम नंबर कर रही हैं, तो उनकी भी यह इच्छा है, इसलिए भविष्य में जब भी उन्हें कोई अच्छा आइटम नंबर ऑफर होगा, तो वह इसे जरूर स्वीकार करेंगी।

कॉमेडी रोल है पसंदीदा
अभिनय की हास्य शैली को पसंद करने वाली नेहा धूपिया फिलहाल कलर्स चैनल के हास्य कार्यक्रम ‘नौटंकी: द कॉमेडी थियेटर’ में व्यस्त हैं। नेहा ने बताया कि उन्हें कॉमेडी रोल करना पसंद है, लेकिन साथ ही यह भी स्वीकार किया कि हास्य अभिनय करना मुश्किल काम है। इसी के चलते उन्होंने ‘क्या कूल हैं हम’ समेत कुछ कॉमेडी फिल्मों में काम किया और अपनी कॉमिक टाइमिंग से दर्शकों को प्रभावित किया।

किसी से प्रतिस्पर्धा नहीं
नेहा स्वीकार करती हैं कि बॉलीवुड में उनसे अच्छी कई अभिनेत्रियां हैं। लेकिन साथ ही उनका यह भी कहना है कि किसी भी अभिनेत्री से उनकी प्रतिस्पर्धा नहीं है। नेहा कहती हैं कि फिलहाल उन्हें जिस तरह की फिल्मों के प्रस्ताव मिल रहे हैं, वह उससे बेहद खुश और उत्साहित हैं। नेहा शबाना आजमी को अपना रोल मॉडल मानती हैं और उनकी चाहत शबाना जैसा बनने की है। इसके अलावा नेहा, काजोल और हॉलीवुड अभिनेत्री मेरिल स्ट्रीप की भी दीवानी हैं।
-मीनाक्षी गांधी

मदर्स डे: भगवान का दूसरा नाम ‘मां’

‘उसको नहीं देखा हमने कभी, पर उसकी जरूरत क्या होगी, 
ए मां तेरी सूरत से अलग भगवान की मूरत क्या होगी’

सच, भगवान का दूसरा नाम मां ही है। मां ईश्वर तुल्य है। कहते हैं ईश्वर सभी जगह उपस्थित नहीं रह सकता इसीलिए उसने धरती पर मां को भेजा जो हर मुश्किल की घड़ी में हमारे साथ रहती है। ऐसी ही माताओं को समर्पित है मदर्स डे। ‘मदर्स डे’ यानी मां को थैंक्स कहने का दिन। हालांकि मां के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए एकमात्र दिन काफी नहीं है...


कहते हैं व्यक्तित्व में संपूर्णता विरले ही मिलती है, लेकिन मां का व्यक्तित्व हमेशा ही संपूर्ण होता है। किसी ने सच ही कहा है कि मां के कदमों तले जन्नत होती है। संतान की खुशी और उसका सुख ही मां के लिए उसका संसार होता है। मां हमारे मन की बात बिन बोले जान जाती है। जब हम तकलीफ में होते हैं, तो दर्द उसे महसूस होता है और जब हमारे चेहरे पर मुस्कान आती है, तो मां का रोम-रोम खिल उठता है। मां वह सुरक्षित आशियाना है, जिसके आंचल में छिपकर हर इंसान जीवन भर रहना चाहता है।

मदर्स डे हमारी संस्कृति का हिस्सा तो नहीं है क्योंकि हमारे यहां तो मां को वो जगह दी जाती रही है जो भगवान से भी ऊपर है और मां को किसी खास दिन से बांधा नहीं जा सकता है। लेकिन हमारे देश में भी पश्चिमी देशों का असर बढ़ता जा रहा है और युवा बेहद भागदौड़ वाली जिंदगी जी रहे हैं, जिसमें उन्हें रिश्तो को संभालने और संवारने का समय नहीं मिल पाता है। मां से दूर रहना आज बहुत से लोगों के लिए एक मजबूरी बन गई है लेकिन इसका अर्थ यह कतई नहीं होता कि कोई बच्चा अपनी मां के प्रेम को नजरअंदाज कर दे। इसलिए कम से कम इसी बहाने अपनी मां के लिए आज का दिन बच्चे खास बना सकते हैं। रविवार को ‘मदर्स डे’ है। मां के प्रति अपनी भावनाएं व्यक्त करने का इससे बेहतर अवसर और क्या हो सकता है। यह दिन मां के स्नेह भरे अहसास को हमारे रोम-रोम में भर देता है।

मदर्स डे यानी एक ऐसा दिन जब मां को यह अहसास कराया जाए कि हम उनसे कितना प्यार करते हैं। मदर्स डे पर आपने भी यकीनन अपनी मां के लिए कुछ स्पैशल प्लान किया होगा, अगर नहीं किया, तो अभी कर लें। मांएं अक्सर बच्चों को कुछ न कुछ सरप्राइज देती रहती हैं। इस बार आप मदर्स डे के दिन अपनी मां को कोई ऐसा सरप्राइज गिफ्ट दें जो उनके प्रति आपकी भावनाओं को अभिवयक्त करे। यूं तो उपहार कई रूपों व आकार-प्रकारों में हो सकते हैं, लेकिन यदि उपहारों पर भावनाएं व्यक्त की गई हों तो ये किसी अनमोल धरोहर से कम नहीं होते। हालांकि मां को सिर्फ गहरा प्यार, सम्मान ही चाहिए होता है, लेकिन आपका प्यार भरा तोहफा उन्हें यकीनन खुशी ही देगा। मां को ऐसा उपहार दिया जाए, जो आपके उनके प्रति लगाव का अहसास करवा सके, एक ऐसा उपहार जिसे कभी भुलाया ना जा सके।

स्पैशल ट्रीटमेंट दें
आज उन्हें किसी रानी-महारानी जैसे फील करवाएं। वह जो भी चाहें या कहें उसे बस तुरंत कर दो। ऐसा न हो कि उन्हें किसी काम के लिए आपको दूसरी बार बोलना पड़े। आज आप उनसे कोई भी शिकायत न करें। सारा दिन चेहरे पर मुस्कान बनाए रखें और मां को स्पैशल ट्रीटमेंट देते रहें। मां को उनकी पसंद चीजों जैसे परफ्यूम, साड़ी, सूट, गोल्ड या डायमंड ज्यूलरी, मनपसंद चॉकलेट्स, फूल इत्यादि से सजी बास्केट भी गिफ्ट कर सकते हैं।

खुद खिलाएं खाना
अगर आपकी मां वर्किंग हैं तो उन्हें संडे को ऑफिस नहीं जाना होगा, इसलिए उन्हें थोड़ा देर तक सोने दें और किचन व घर के कामों से उन्हें पूरी तरह आराम दे दें। मदर्स डे पर आप मां को किचन में न जाने दें। अगर आपको अपनी मां की मनपसंद डिश पता है, तो इस दिन आप उन्हें इसे बनाकर अपने हाथों से खिला सकते हैं, जैसे बचपन में मां आपको खिलाया करती थीं। अगर खाना बनाना नहीं आता, तो कहीं किसी रेस्तरां में ले जाकर भी आप उनको उनकी पसंद की लजीज डिशेज टेस्ट करवा सकते हैं।

पूरा दिन साथ बिताएं
मां के साथ आज पूरा दिन बिताएं और ढेर सारी बातें करें। अपने बचपन की कुछ मीठी यादें उनके साथ ताजा करें। सभी भावनात्मक क्षणों को फिर से महसूस करें। बचपन में मां के साथ जो इनडोर गेम्स खेलते थे, आज वो दोबारा वैसे ही चीटिंग करते हुए खेलो। उनसे उनके बचपन की कुछ ऐसी बातें बताने को कहें जो उन्हें आज भी रोमांचित करती हैं। आपके साथ अपने बचपन की बातें शेयर करके वो भी अपने बचपन की खूबसूरत दुनिया में खो जाएंगी। ऐसे में उनके चेहरे पर जो खुशी की चमक होगी, वह आपके लिए मदर्स डे का बेहतरीन गिफ्ट होगी।

डे आऊट प्लान करें
जो माएं सारा दिन घर पर ही रहती हैं, इस स्पैशल दिन उन्हें बाहर ले जाएं। उनके फेवरिट सैलून में स्पा की अपॉयंटमेंट ले सकते हैं। वहां आप बता दें कि आपकी मां को खूब पैंपर करें। मां को लंच पर ले जाएं और वहां उनकी खास सहेलियों को भी इन्वाइट करें। आप उन्हें शॉपिंग पर भी ले जा सकते हैं। फिल्म देखने का प्रोग्राम भी उन्हें अच्छा लगेगा।

लिख कर करें प्यार का इजहार
एक खत में लिखें कि आप अपनी मां से इतना प्यार क्यों करते हैं और साथ ही मां के अहसास को ब्यां करें। उन्हें दुनिया की सबसे खुशकिस्मत मां बताते हुए उन बातों का जिक्र भी जरूर करें जिनके लिए आप उनके शुक्रगुजार हैं। मां के प्रति अपनी भावनाओं का इजहार करके आप अपनी कृतज्ञता का इज़हार कर सकते हैं , जो हर मां के लिए उससे बच्चे की ओर से स्पैशल गिफ्ट होगा। कोटेशंस व संदेश लिखे गए ग्रीटिंग कार्ड्स और उनकी तस्वीरों वाले मग भी गिफ्ट कर सकते हैं। आप अपनी और मां की कुछ सुंदर यादों को एक सीडी की शक्ल में गिफ्ट कर सकते हैं। आप अपनी मां की पसंद की फिल्म की सीडी भी गिफ्ट कर सकती हैं। उनकी मनपसंद गानों को एक सीडी में रिकॉर्ड करके भी उन्हें गीतों का तोहफा दे सकते हैं। आप अपनी और मां की कुछ चुनिंदा तस्वीरों का कोलार्ज बनाकर भी मां को एक ममताभरा तोहफा दे सकते हैं।

अपने बच्चों को भी साथ ले जाएं
शादीशुदा लड़कियां शादी के बाद अपनी मां को ही सबसे ज्यादा मिस करती हैं। मां की याद अक्सर उन्हें रूला जाती है। अगर आप भी शादीशुदा हैं तो मदर्स डे पर अपने बेटे या बेटी को भी साथ लेकर जाएं, ताकि नाती/नातिन का सुख भी उन्हें मिल सके। मां के चेहरे पर खुशी देखकर आपको बहुत अच्छा लगेगा। अगर मां के पास जाना संभव न हो तो फोन पर मां से बात कर लें या वीडियो चैट कर लें।

मां के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए एक दिवस नहीं एक सदी भी कम है। जिस तरह मां की ममता और प्यार असीमित व नि:स्वार्थ होता है, वैसे ही अगर हम भी बिना स्वार्थ के उन्हें आदर देंगे, उनके सुख-दुख में साथ देंगे, तो ही अपना जीवन सार्थक बना सकते हैं। हर पल को मां के लिए अहम बनाएं। उन्हें हर पल यह अहसास दिलाएं कि वह हमारे जीवन में बेहद सम्माननीय हैं। किसी ने कहा है ना कि सारे सागर की स्याही बना ली जाए और सारी धरती को कागज मान कर लिखा जाए तब भी मां की महिमा नहीं लिखी जा सकती।
- मीनाक्षी गांधी

Friday, May 3, 2013

हॉटैस्ट फैशन वियर खादी की साड़ी

हॉटैस्ट फैशन वियर
खादी की साड़ी

खादी यानी स्वदेशी। खादी यानी भारतीयता की पहचान।
खादी की साड़ी आज कल हॉटैस्ट फैशन वियर है और स्टेटस सिंबल बनती जा रही है। यह  छह गज की साड़ी आर्ट वर्क की तरह है, जो ट्रैडिशनल तो है पर मॉडर्न भी है। यहां तक कि इंटलैक्चुअल दिखने की चाहत में आम लड़कियां भी खादी की साड़ी पहने इतरा रही हैं...

टैक्नीकली हम कितनी भी तरक्की कर लें, पर हाथ से बनी चीज का महत्व कभी कम नहीं हो सकता। यही हाल टैक्सटाइल्स का भी है। ट्रैडिशनल टैक्सटाइल अब स्टेट्स सिंबल बनता जा रहा है। फैशन की दुनिया में अगर फैब्रिक्स की बात करें तो खादी की अपनी अलग जगह है। फैशन डिजाइनरों ने खादी को काफी स्टाइलिश कर दिया है। खादी ने अपना रंग-रूप तो बदला है, लेकिन उसके चाहने वालों में कमी नहीं आई है। खादी की शुरूआत तो अंग्रेजों की नीतियों का विरोध करने के लिए हुई थी लेकिन आज यह एक फैशन ट्रैंड बन चुकी है। हथकरघे से बने वस्त्र अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी अपनी चमक बिखेर रहे हैं।

भारतीय संस्कृति में सादगी व सुंदरता की प्रतीक साडिय़ां आज फैशन स्टेटमेंट बन गई हैं, जिसे हॉट और ग्लैमरस लुक पाने के लिए भी पहना जाता है। आज भले ही डैनिम और वैस्टर्न ड्रैसेज का दौर हो, लेकिन खादी की साड़ी बड़ा ट्रैंड बनती जा रही है। खादी की साड़ी हर फैशन पसंद महिला की वार्डरोब का अहम हिस्सा बन चुकी है। साड़ी एक ऐसा परिधान है जो हर उम्र व कद-काठी की महिला पर फबता है। इसे पहनने के अंदाज से मोटे से पतला व पतले से मोटा लगा जा सकता है। इसमें हर महिला की खूबसूरती में चार चांद लग जाते हैं। इसी के चलते आधुनिक फैशनपरस्त महिलाएं भी अपनी वार्डरोब में परिवर्तन कर रही हैं और आधुनिक पोशाकों के साथ-साथ साडिय़ों को भी इसमें सजा रही है। कुछ महिलाएं खादी की साड़ी पहनने को अपनी परंपरा और पर्यावरण से जुडऩा मानती हैं, तो कुछ इसके क्लासिक लुक की तारीफ करती नहीं थकतीं।
 
डिजाइनर हुआ हैंडलूम
यूं तो एलिगेंट और इंडियन लुक के लिए खादी हमेशा ही प्रिफर की जाती रही है, लेकिन हैंडलूम बाजार ने अपने महत्व को बरकरार रखने के लिए काफी मेहनत भी की है। यही कारण है कि खादी का जादू आज भी कायम है। खादी अब डिजाइनर हो चुकी है। खादी की बढ़ती लोकप्रियता का ही कमाल है कि देशभर के फैशन डिजाइनर हैंडलूम में नए एक्सपेरिमेंट्स कर रहे हैं, खादी के नए-नए कलैक्शंस लान्च कर रहे हैं। डिजाइनरों ने फिर से इसे फैशन में ला दिया है और इसी के चलते खादी की साड़ी फैशन वर्ल्ड में अपना असर दिखाने लगी है।
वार्डरोब का अहम हिस्सा
कहते हैं कि अगर किसी महिला की वार्डरोब में साड़ी नहीं तो समझो वह अभी अधूरा है। खादी की ढेरों किस्में आने से खादी की साड़ी और खादी से बने परिधान अब महिलाओं की पहली पसंद बनते जा रहे हैं। हर फैशन पसंद महिला खादी की साड़ी को अपनी वॉर्डरोब में शामिल कर रही है। हैंडलूम साडिय़ों को न सिर्फ क्लासी, बल्कि एलीगेंट और स्टेटस सिंबल भी माना जाता है।
 
फिगर फ्रैंडली साड़ी
सुरुचिपूर्ण ड्रैस पहनना एक टाइमलैस टेस्ट है। हैंडलूम का नाम लेते ही मोटे कपड़ों की तस्वीर कोहन में उभरती थी और आमतौर पर यंग गल्र्स को लगता था कि हैंडलूम की साडिय़ों को पहनने के बाद वे मोटी लगेंगी। लेकिन ऐसा नहीं है। हैंडलूम साडिय़ों में ढेरों वैरायटी और डिजाइंस उपलब्ध हैं। इनमें हल्का फैब्रिक इस्तेमाल किया जाता है और ये सभी फिगर फ्रैंडली हैं।
 
एलीट क्लास की पसंद
खादी की साडिय़ों का क्रेज महिलाओं और लड़कियों में बहुत अधिक है। एलीट क्लास में खादी की साडिय़ों को हमेशा ही बेहद पसंद किया जाता रहा है। अब आधुनिक फैशनपरस्त लड़कियां भी खादी की साड़ी की ओर आकर्षित हो रही हैं। इसे पहनकर भारतीय महिलाएं अपनी परंपराओं को सहेजने के साथ-साथ कुछ अलग दिखाई देने में भी सक्षम हुई हैं। जो गल्र्स सोशलाइट या इंटलैक्चुअल इलीट क्लास में अपनी पहचान बनाना चाहती हैं, खादी की साड़ी पहनने को खूब तवज्जो देती हैं।
 
दिखेंगी सबसे जुदा
अगर आप किसी पार्टी में सबसे डिफरेंट और एलिगेंट लुक में दिखना दिखना चाहती हैं, तो हैंडलूम की साड़ी से बेहतर कुछ नहीं हो सकता। खास मौकों पर खादी की साड़ी बेहद ग्रेसफुल लुक देती है। किसी भी पार्टी में चमकीली-चटक रंग वाली साडिय़ां पहने महिलाओं के बीच खादी की साड़ी आपको भीड़ से अलग दिखाती है। आपको चाहे सादगी पसंद हो या आप स्टाइलिश महिला हों, हैंडलूम में हर टेस्ट के अनुसार साड़ी उपलब्ध होती है।
 
बेहतरीन डिजाइनिंग के लिए
खादी की साडिय़ों के लिए आप अपने शहर के शोरूम में जा सकती हैं, लेकिन अगर आपको कुछ खास डिजाइन खरीदना हो तो हैंडलूम एक्सपो या एक्जीबिशंस में जरूर जाएं। यहां बुनकर डायरैक्ट आते हैं, इसलिए यहां मिलने वाली साडिय़ों की डिजाइनिंग भी काफी हटकर होती है। इसके अलावा शोरूम की अपेक्षा यहां खादी की साड़ी में आपको काफी रीजनेबल रेट में एंटीक डिजाइन और हैंड वर्क पैटन्र्स भी मिल जाएंगे। 
 
युवाओं का स्टाइल मंत्र
खादी और हाथ से बुने डिजाइंस आज का स्टाइल मंत्र बन गए हैं। खादी जितनी स्टाइलिश है, उतनी ही आरामदायक भी। खादी स्किन फ्रैंडली है और बेहद कम्फर्टेबल भी। खादी हल्की बुनी होने के कारण ठंडी रहती है। खादी के बने कपड़े गर्मी और सर्दी दोनों ही मौसम के अनुकूल होते हैं। गर्मी के मौसम में ये पसीने को सोख लेते हैं। इसे पहनने के बाद आप स्टाइलिश दिखने के साथ-साथ कंफर्ट भी महसूस करती हैं। इसके चलते भी युवा वर्ग खादी को खासी तवज्जो देने लगा है।
 
अलग फैब्रिक बेस
साड़ी में वैरायटी का कोई अंत नहीं है। खादी की साडिय़ों में क्रेप, कॉटन, जॉर्जेट, नैट, सिल्क-कॉटन और सिल्क फैब्रिक का बेस पसंद किया जाता है। साथ ही इन साडिय़ों पर किए वर्क और जहां यह वर्क किया जाता है, वहां के नाम से ये साडिय़ां मशहूर होती हैं। जैसे कांचीपुरम में पाए जाने वाले सिल्क की बनी साड़ी कांचीपुरम कहलाती है। मध्यप्रदेश की चंदेरी और माहेश्वरी आदि जगहों की साडिय़ां भी इसी नाम से जानी जाती हैं। 
 
कलर्स में भी एक्सपेरिमेंट
खादी के परंपरागत अवतार में सुंदरता और स्टाइल पर अधिक जोर नहीं दिया गया, यहां तक कि कपड़े को डाई भी नहीं किया जाता था। पर अब खादी की साडिय़ों के कलर्स में भी एक्सपेरिमेंट्स हो रहे हैं। टीनएजर्स से लेकर युवाओं में इकोफ्रैंडली होने के बढ़ते क्रेज के चलते भी खादी फैशन का पैमाना बनकर उभर रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि खादी में ईको फ्रैंडली कलर्स का उपयोग किया जाता है। खादी के आकर्षण को बढ़ावा देने के मद्देनजर कपड़े की डाई के लिए अच्छे ऑर्गेनिक रंगों के इस्तेमाल से लेकर मुलायम और एक समान फिनिशिंग पर ध्यान दिया जा रहा है। खादी की साड़ी अब बेहतरीन डिजाइंस के साथ-साथ कंट्रास और लाइट व पेस्टल कलर्स में भी उपलब्ध हो रही है, जिससे ये डीसेंट व फैशनेबल दोनों ही लुक देती है।
-मीनाक्षी गांधी
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जादुई गोली की भयानक मार

 जादुई गोली की भयानक मार

दर्द से राहत पाने के लिए अक्सर हम पेनकिलर्स का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन दर्द में तुरंत राहत देने वाली इन जादुई गोलियों की मार बड़ी भयानक होती है। आप पेन किलर का मनमाना प्रयोग कर रहे हैं तो मानकर चलिए आप एक बड़े दर्द को न्यौता दे रहे हैं। इसलिए आइंदा इन्हें लेने से पहले इसके फायदे-नुकसान पर भी गौर कर लें...

दर्द होने पर हम बिना सोचे-समझे तुरंत पेनकिलर ले लेते हैं लेकिन यह नहीं सोचते कि इसके दुष्प्रभाव खतरनाक हो सकते हैं। दर्दनिवारक दवा के इस्तेमाल से दर्द में तात्कालिक लाभ तो मिल जाता है लेकिन इसका शरीर पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और मूल कारण उसी तरह से बरकरार रहता है।

रासायनिक बनावट के आधार पर कई तरह की पेनकिलर्स बाजार में उपलब्ध हैं। कुछ पेनकिलर्स नशीली नहीं होतीं, यानी उनको लेने से हम उनके आदी नहीं होते। लेकिन कुछ ऐसी पेनकिलर्स भी हैं, जिनका लगातार सेवन करने से दिमाग व शरीर इन पर निर्भर करने लगते हैं और हम उनके गुलाम बन जाते हैं। दोनों तरह की पेनकिलर्स खतरनाक हो सकती हैं, अगर इनका सेवन डक्टर की सलाह के बगैर किया जाए या डाक्टरी सलाह से कहीं अधिक समय के लिए किया जाए।

पेनकिलर्स के बार-बार सेवन करने से व्यक्ति इनका आदी हो जाता है। नतीजा यह होता है कि एक साधारण दर्द को ठीक करते-करते व्यक्ति इन गोलियों के एडिक्शन की खतरनाक बीमारी के चंगुल में फंस जाता है। कुछ समय तक लगातार पेनकिलर्स लेने के पश्चात अगर इन्हें एकदम बंद कर दिया जाए, तो भी सेहत संबंधी कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं, जैसे सारे शरीर में असहनीय दर्द, घबराहट, बेचैनी, गुस्सा, दस्त, लगातार छींकें आना, नींद न आना, आंखों और नाक से पानी निकलना इत्यादि।

क्या हैं इसके नुक्सान?

लोग तुरंत राहत के लिए घर में रखी पेनकिलर का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन यह तुरंत राहत के साथ अन्य कई बीमारियों को भी तेजी से बढ़ावा दे रही है। पेनकिलर्स का ज्यादा इस्तेमाल दर्द की दवा बनने के बजाय किसी बड़ी बीमारी का कारण बन सकता है। कुछ लोग जरूरत से अधिक मात्रा में दर्द निवारक दवाइयों का सेवन करने लगते हैं। ऐसे में स्थिति सुधरने की जगह और खराब होती जाती है। इसके साइड इफैक्ट इतने ज्यादा हैं कि लगातार इसका इस्तेमाल घातक साबित हो सकता है। हाई ब्लड प्रैशर- ब्लड प्रैशर बढऩे का खतरा रहता है, जो हृदयाघात तथा अन्य समस्याओं का कारण बनता है।

गैसट्राइटिस (पेट में सूजन)- पेन किलर यानी दर्द निवारक दवा पेट के अल्सर की बड़ी वजह बन रही है। पेट के अंदर जख्म बनना, उनसे खून का रिसाव, कयादा एसिड बनना, छाती में जलन जैसी परेशानियां हो जाती हैं। इनके चलते पेट में दर्द, खट्टे डकार, उल्टियां जैसे लक्षण पैदा हो जाते हैं।

जिगर की सूजन- जिगर (लिवर) के सैल्स का खत्म होना, इसके चलते भूख का कम होना, खाना हकाम न कर पाना जैसी परेशानियां।

किडनी प्रॉब्लम्स- पेनकिलर्स किडनी को बहुत नुक्सान पहुंचाती हैं। जिंदगी  में एक हजार से कयादा पेनकिलर्स खाने से किडनी खराब हो सकती है। किडनी के सैल्स को नुक्सान पहुंचता है, जिससे धीरे-धीरे किडनी का फंक्शन कमजोर होता जाता है। इसे एनलजैसिक नैफरोपैथी कहा जाता है।

ब्लड डिस्क्रेसिया- कुछ पेनकिलर्स से खून की रचना में बदलाव आने लगते हैं, जिसे ब्लड डिस्क्रेसिया कहा जाता है। यह जानलेवा भी साबित हो सकता है।

दमा पर असर- कुछ पेनकिलर्स दमा भी बढ़ा सकती हैं।

मानसिक रोग- मानसिक रोग हो जाते हैं, जैसे मन की उदासी, याददाशत  कमजोर  होना, वहम व शक की बीमारी। कई बार कन्फ्यूकान और भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है।

सिर दर्द और माइग्रेन- दर्दनिवारक गोलियां सिरदर्द और माइग्रेन की समस्या से निजात दिलाने की जगह चीजों को और खराब कर देती हैं।

क्या सावधानी बरतें?
जहां तक संभव हो, बिना डॉक्टर की सलाह के पेनकिलर्स न लें और न ही इनकी ओवरडोका ही लें। डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही किसी दवा का इस्तेमाल करना चाहिए। पेनकिलर्स तब ही लें, जब बेहद कारूरी हो। थोड़ा-सा दर्द होने पर मैडीसन लेने की आदत को छोड़ दें। पेनकिलर्स से बचने के लिए दर्द वाले हिस्से पर ठंडी या गर्म सिकाई की जा सकती है। पेनकिलर के स्प्रे या जैल से भी दर्द में राहत मिल जाती है। सिर दर्द में बाम लगाएं। दर्द अगर गैस की वजह से है, तो गैस का चूर्ण ले लें।
♦ ब्लड प्रैशर, डायबिटीका, किडनी और दिल के मरीजो को डॉक्टर की सलाह के बगैर कभी कोई भी पेनकिलर अपनी मर्जी से नहीं लेनी चाहिए।
♦  पेनकिलर्स खाली पेट बिलकुल न लें। नॉन नारकोटिक्स पेनकिलर्स खाली पेट लेने से किडनी, लिवर और पेट को नुक्सान पहुंच सकती हैं।
♦  पेनकिलर लेने के कारण अगर पेट दर्द होता है, तो सबसे पहले उस पेनकिलर का इस्तेमाल बंद कर दें और डॉक्टर से सलाह लें।
♦  पेनकिलर्स जब भी खानी हो, इसे हमेशा पानी से ही लें।

क्या है डॉक्टर की सलाह?
♦  अगर किसी व्यक्ति को पेनकिलर्स लेने की लत लग जाए, तो उसे मनोचिकित्सक के पास ले जाएं।
♦  मरीका को दवाओं के कोर्स के कारिए नशामुक्त किया जाता है। इस कोर्स को बिना अस्पताल में दाखिल हुए भी लिया जा सकता है।
♦  मरीका को दोबारा नशे का सेवन करने से हटाने के लिए कुछ दवाएं देनी पड़ती हैं और साथ ही काऊंसलिंग के लिए भी जाना पड़ता है।
♦  नशे के सेवन से हुए नुक्सानों को ठीक करने के लिए 4-6 महीने तक दवा लेनी पड़ती है।
♦  इसलिए अगली बार पेनकिलर खाने से पहले सोचें। साथ ही डॉक्टरी सलाह के बगैर भी पेनकिलर न खाएं।

- मीनाक्षी गांधी

http://epaper.punjabkesari.in/magazine/fullstory/30036802_327479

क्या है एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स की सच्चाई?

क्या है एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स की सच्चाई?

विवाह के समय पवित्र अग्नि के फेरे लेते हुए नवदंपति सात जन्मों तक साथ निभाने की शपथ लेते हैं, लेकिन फिर भी कुछ विवाहित महिला एवं पुरुष एक्सट्रा मैरिटल अफेयर्स में रुचि लेने लगते हैं। लेकिन क्या यह स्वतंत्रता के नाम पर स्वच्छंदता या उच्छृंखलता नहीं है...

पहली नजर में तो एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर बहुत रोमांटिक लगते हैं। इसे एक ऐसा रिश्ता माना जाता है जिससे एक उबाऊ वैवाहिक जीवन को नया जीवनदान मिलता है। विवाहित पुरुष या स्त्री की किसी दूसरे से भेंट होती है, सामने वाले की कोई अदा अच्छी लगती है और उसके लिए चाहत पैदा हो जाती है। यही चाहत एक दिन प्यार बन जाती है और फिर गुपचुप अफेयर शुरू हो जाता है। जल्दी ही वे इस निष्कर्ष पर भी पहुंच जाते हैं कि यही व्यक्ति उनका सच्चा प्यार है। इन मामलों में कई बार यह अफेयर गुपचुप तरीके से चलता रहता है तो कई बार वे उसी के साथ रहने का फैसला कर लेते हैं। जब अफेयर उन दो व्यक्तियों के बीच हो, जो पहले से ही विवाहित हों और उसके बावजूद भी एक-दूसरे के प्रेम में गिरफ्तार हो जाएं, तो मामला और भी अधिक जटिल हो जाता है।

क्यों बनते हैं ये रिश्ते?
शादीशुदा होने के बावजूद अगर कोई व्यक्ति एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर में दिलचस्पी लेता है और किसी दूसरे के प्रेम में पड़ जाता है, तो इसके लिए कई कारण जिम्मेदार हैं। आम तौर पर लोग एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर में वह सब कुछ पाने की कोशिश में रहते हैं जिनकी उनकी शादीशुदा जिंदगी में कमी रहती है।

घरेलू समस्याएं : कुछ लोग रोज-रोज की किच-किच और घरेलू परेशानियों की वजह से होने वाले तनाव को बर्दाश्त नहीं कर पाते। वे तनाव को दूर करने और मानसिक शांति पाने के लिए अपने लिए बाहर प्यार की तलाश कर रहे होते हैं।

पार्टनर की आदतें: कुछ लोग अपने साथी को जलाने के लिए या उसकी किसी आदत से तंग आकर बाहर अपने लिए प्यार खोजने लगते हैं। अगर पति या पत्नी में से कोई एक बहुत अधिक शक करता है या बात-बात पर गुस्सा होने लगता है या गुस्से में ङ्क्षहसक हो जाता है तो ऐसे में दोनों के बीच भावनात्मक लगाव खत्म हो जाता है और रिश्तों में दूरियां पनपने लगती हैं। कुछ लोग तो अपने पार्टनर से प्यार करना ही बंद कर चुके होते हैं।

भावनात्मक लगाव : जब एक महिला और पुरुष भावनात्मक स्तर पर करीब आने लगते हैं, तो निकटता बढ़ जाने के कारण रूमानी संबंधों का भी उदय होने लगता है। महिलाओं के बारे में कहा जाता है कि जब उन्हें सामने वाले से भावनात्मक लगाव मिलता है तब वे उस व्यक्ति से आकर्षित होती हैं।

सच्चे प्रेम का अनुभव :
कई बार शादी के बावजूद पति या पत्नी के लिए किसी प्रकार की कोई भावना नहीं होती, अपने पार्टनर से प्यार नहीं होता और वे जबरदस्ती रिश्ता निभा रहे होते हैं। ऐसे में अगर शादी के बाद किसी अन्य व्यक्ति के लिए दिल में प्रेम जाग उठे तो विवाहित संबंध का निर्वाह करना कठिन हो जाता है।

बदलाव की जरूरत :
कुछ लोग रूटीन से जल्दी ही ऊब जाते हैं। उनके लिए एक व्यक्ति के साथ रहना बहुत बोरिंग होता है और उन्हें बदलाव चाहिए होता है। लाइफ में एक्साइटमैंट बनाए रखने, नए अनुभव लेने और रिलेशनशिप को रोमांचक बनाने की यही चाहत उन्हें नया पार्टनर खोजने की जरूरत महसूस करवाती है।

बोरिंग सैक्स लाइफ:
आम तौर पर पति या पत्नी के साथ सैक्स लाइफ एंज्वाय न कर पाने के कारण लोग एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर की ओर आकर्षित होते हैं।  दरअसल लंबा समय साथ बिताने के बाद पति-पत्नी के संबंधों में नीरसता और एकरसता आने लगती है। रोमांस में गर्माहट कम होने पर लोग बोरिंग सैक्स लाइफ से ऊब जाते हैं और बाहर की तरफ रुख करने लगते हैं। अक्सर पुरुष बच्चा पैदा होने के बाद इस तरह का धोखा करते हैं। उन्हें तब सैक्स की चाहत होती है और उनकी पार्टनर इस चाहत को पूरा करने में असफल रहती हैं।

क्या हैं इसके साइड इफैक्ट्स?
विश्वास की कमी: एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स की शुरूआत धोखे से होती है, इसलिए इस रिश्ते में विश्वास पनपना मुश्किल होता है। सच यह है कि धोखा देने वाले पर कोई विश्वास नहीं करता, न वह जो उसे प्यार करता है और न वह जिसे वह प्यार करता है। दोनों में से कोई भी अपने पार्टनर से धोखा करने के अपराध बोध से बाहर नहीं आ पाता है। दूसरा, मन में यह तनाव बना रहता है कि अगर आपका नया साथी आपके लिए अपने पति या पत्नी को छोड़ सकता है तो क्या कल वह किसी और के लिए आपको भी नहीं छोड़ देगा? अंदर ही अंदर अपने टूटे परिवार का अफसोस भी सताता रहता है।
सामाजिक स्वीकार्यता नहीं: कुछ लोग सोचते हैं कि शादी के बाद ऐसे मामलों में सब कुछ ठीक हो जाता है, लेकिन हकीकत में ऐसा हो नहीं पाता। आम तौर पर आस-पड़ोस के लोग, रिश्तेदार और यहां तक कि दोस्त भी इस नए रिश्ते को स्वीकार नहीं कर पाते क्योंकि इस तरह की शादी से कई लोग प्रभावित होते हैं। जिस तरह अपनों का दिल तोड़ कर वे एक-दूसरे को अपनाते हैं, समाज उसे स्वीकार नहीं कर पाता।
बोरियत यहां भी होती है: हकीकत यह है कि हर शादी एक वक्त के बाद रूटीन हो जाती है। शादी के कुछ समय बाद वे दोनों एक-दूसरे को उतना समय नहीं दे पाते जितना अफेयर या शादी के शुरूआती दिनों में दे पाते थे। एक-दूसरे के नखरे उठाना भी बंद कर देते हैं। पहले जिस अदा पर फिदा होकर रिश्ता बनाया था, अब वही असहनीय हो जाती है। हालात बदतर होते चले जाते हैं और उसके बाद शुरू हो जाती है खिटपिट। एक स्थिति ऐसी भी आती है जब दोनों एक-दूसरे की शक्ल तक देखना पसंद नहीं करते।
बच्चों पर बुरा असर: एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर होने पर पूरे परिवार को भावनात्मक आघात से रू-ब-रू होना पड़ता है। सबसे ज्यादा बुरा असर बच्चों पर पड़ता है क्योंकि जब भी किसी कपल का रिश्ता टूटने की कगार पर होता है तो सबसे ज्यादा परेशान बच्चे ही होते हैं। बाल मनोविश्लेषकों का मानना है कि जब बच्चों को उनके माता या पिता के एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के बारे में पता चलता है तो वे शारीरिक व मानसिक दोनों ही रूप में बेचैन हो जाते हैं। उनका मासूम और नासमझ मन यही सोचता है कि कहीं उनके माता-पिता उन्हें अकेला तो नहीं छोड़ देंगे।


स्वीकार करें या अस्वीकार?
अगर विवाह के बाद आप किसी अन्य के प्रति आकर्षित होते हैं तो निश्चित तौर पर आप अपने पार्टनर के साथ विश्वासघात कर रहे हैं। इससे भी बड़ी गलती आप तब करते हैं जब अपने विवाहित रिश्ते को तोड़ कर अपने नए संबंध को विवाह में तबदील करते हैं। बेहतर होगा ऐसा करने से पहले सोचें कि आप किसी के पति या पत्नी हैं, किसी के माता-पिता हैं, उनके प्रति आपकी कुछ जिम्मेदारियां हैं।
आम तौर पर बिना किसी अपराधबोध के तब तक एक्स्ट्रा  मैरिटल रिलेशन बने रहते हैं जब तक सब कुछ सेफ चलता है यानी घरेलू स्तर पर कोई असर नहीं पड़ता। एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर चाहे मन को सुकून देने के लिए हो या सैक्सुअल प्लैज़र के लिए, आखिर में सब अपने ही घर लौटते हैं।
कारण कुछ भी हो लेकिन इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता कि आज भी हमारे समाज में एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर को कोई सम्मानजनक स्थान नहीं दिया जाता। कुछ लोग चाहे यह दलील दें कि हर उस शख्स से शादी तो नहीं कर सकते जिस-जिस से आप प्यार करते हैं, लेकिन पति-पत्नी के रिश्तों में मर्यादा बहुत जरूरी है।
                                                                                                                                                           —मीनाक्षी गांधी, जालंधर
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Thursday, May 2, 2013

‘मैं पापा की बेटी हूं’

‘मैं पापा की बेटी हूं’

बच्चों का पेरैंट्स के लिए लगाव होता ही है पर जब यह लगाव एक पेरैंट के साथ ज्यादा हो, तो कई बार दूसरे पेरैंट को दिक्कत हो सकती है। हालांकि इसके लिए कहीं न कहीं वही दोषी होता है। छोटे बच्चों से अक्सर पूछा जाता है कि वह मम्मी का बच्चा है या पापा का तब बेटी कहती है ‘मैं पापा की बेटी हूं’ और कभी-कभार बेटा कहते है ‘मैं मम्मी का बेटा हूं।’ कई बार बच्चे अपने फायदे के लिए एक पेरैंट के साथ ज्यादा अटैचमैंट बना लेते हैं। कई एक पेरैंट का उपेक्षात्मक  रवैया भी इसका कारण हो सकता है।

♦  बच्चे को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए ऐसे तरीके न अपनाएं, जिनसे बच्चे को गलत संदेश जाए। पेरैंट्स को आपस में बातचीत करके तय करना चाहिए कि बच्चे के लिए क्या सही है और क्या गलत, न कि एक-दूसरे को गलत कहना चाहिए।
♦  यदि बच्चे की डिमांड सही हो, तो दोनों पेरैंट्स मिलकर उसे पूरा करें। इससे बच्चे को यह मैसेज जाता है कि वे दोनों ही उसे बहुत प्यार करते हैं।
♦  जब एक पेरैंट बच्चे को किसी बात से रोकता है, तो दूसरे को भी वही करना चाहिए। इससे बच्चा महसूस करता है कि वह जो कर रहा है, वह गलत है।
♦ बच्चे से पढ़ाई, खेल, मनोरंजन, कार्टून की बात करें। हमेशा पढऩे पर ही जोर न दें। केवल पढऩे से ही बच्चे की डिवैल्पमैंट नहीं हो सकती।
♦   बच्चों के सामने फैमिली प्रॉब्लम डिसकस न करें। बच्चे पेरैंट्स को देख कर व्यवहार सीखते हैं। आपकी बातों से वे परिवार के अन्य सदस्यों के बारे में इम्प्रैशन बना लेते हैं।
♦  अपने व्यवहार और घर के माहौल पर जरूर नजऱ डालें। बच्चे के सामने वाद-विवाद से बचें क्योंकि यदि घर कलह का माहौल होगा, तो कई बार बच्चा हमदर्दी के चलते एक पेरैंट के कयादा नकादीक हो जाता है।
♦  पेरैंट्स बच्चों का मनोभाव समझें। कई बार डर के कारण बच्चे किसी एक पेरैंट से सवाल करते घबराते हैं। ऐसे तनावपूर्ण वातावरण में वे अपने प्रिय पेरैंट के पास राहत तलाशते हैं।
♦  बच्चा घर पर कयादा सीखता है। इसलिए घर का माहौल हैल्दी रखें और अपना व्यवहार पॉजीटिव। उसे उपदेश नहीं, सलाह दें।
♦  पेरैंट्स बच्चों के लिए रोल मॉडल बनें। जैसी अपेक्षाएं वे बच्चों से रखते हैं, उन्हें भी वैसा ही व्यवहार आपस में और बच्चों के साथ करना चाहिए।
♦  बच्चों में तुलना न करें, खास कर जिन परिवारों में लड़का और लड़की दोनों हैं, ताकि लड़की के मन में इंफीरियारिटी काम्प्लैक्स न आए।
♦  दोस्तों से मिलने, साथ घूमने पर नकार हो, पाबंदी नहीं।
♦  अक्सर ग्रैंड पेरैंट्स बच्चों को प्रोटैक्ट करते हैं। वे चाहते हैं कि बच्चों की हर जिद पूरी हो, लेकिन यदि पेरैंट्स बच्चे को किसी बात के लिए रोक रहे हैं, तो वे यह जान लें कि वे ऐसा बच्चे के फायदे के लिए ही कर रहे हैं।

बच्चों के साथ प्यार भरा व्यवहार करें। उनके मन में यह कभी न आए कि माता या पिता में से कोई एक उनसे प्यार नहीं करता। यदि फिर भी बच्चा अपनी अटैचमैंट किसी एक के साथ दिखाए, तो भी घबराने की कारूरत नहीं है। बच्चे जब बड़े हो जाते हैं, तब उनका व्यवहार दोनों के साथ बराबर हो जाता है।
- मीनाक्षी गांधी
 http://epaper.punjabkesari.in/magazine/fullstory/133168484_327484

प्रैग्नैंसी में भी खूबसूरती रहे बरकरार

 प्रैग्नैंसी में भी खूबसूरती रहे बरकरार

एक महिला के जीवन में प्रेग्नेंसी से खूबसूरत अहसास और कोई नहीं होता। यह आपकी जिंदगी का सबसे खूबसूरत  दौर है। इसलिए आप इसे इंजॉय जरूर करें और इसलिए हमेशा खुश रहने की कोशिश भी करें और साथ ही अपनी खूबसूरती की भी हिफाजत करें...

प्रैग्नैंसी  के नौ महीने एक ऐसा मुश्किल दौर होता है जब हर महिला के मन में यह दुविधा बनी रहती है कि वह इस दौरान ब्यूटी ट्रीटमैंट लें या नहीं। उन्हें हरदम यही डर सताता रहता है कि कहीं अपनी खूबसूरती बनाए रखने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सौंदर्य प्रसाधनों से उनके होने वाले शिशु को कोई नुक्सान तो नहीं पहुंचेगा।  प्रैग्नैंसी और ब्यूटी से जुड़े कई मिथक हैं, जिन्हें दूर करना बहुत जरूरी है।

फेशियल
कुछ महिलाओं का मानना है कि प्रैग्नैंसी  में स्किन बेहद सैंसिटिव हो जाती है, इसलिए इस दौरान फेशियल नहीं करवाना चाहिए लेकिन प्रैग्नैंसी के दौरान भी चेहरे के रंग-रूप को निखारने के लिए फेशियल कराने में कोई नुक्सान नहीं है। महीने में एक बार फेशियल करवाएं। इससे स्किन क्लीन दिखेगी और ग्लो करेगी लेकिन अगर आप चाहती हैं कि आपकी स्किन को सभी न्यूट्रिशंस मिलें, तो बेहतर होगा कि फेशियल में इस्तेमाल होने वाली क्रीम अच्छी कंपनी की होनी चाहिए। आपके नॉर्मल प्रोडक्ट्स जरूरी नहीं कि प्रैग्नैंसी के दौरान भी आपको सूट करें। इसलिए प्रैग्नैंसी में अपनी स्किन को सूट करने वाले प्रोडक्ट्स फाइंड करें।

हेयर कलर

आपने कई बुजुर्गों को कहते सुना होगा कि अगर प्रैग्नैंट हैं, तो हेयर कलर इस्तेमाल न करें। अगर आप बालों को कलर करवाती हैं, तो प्रैग्नैंसी  में भी आप हेयर कलर इस्तेमाल कर सकती हैं और इसका असर बच्चे की ग्रोथ पर नहीं पड़ता लेकिन प्रैग्नैंसी  में हेयर कलर कराने में विशेष सावधानी बरतें। यदि आपको इससे एलर्जी की शिकायत हो तो इस दौरान हेयर कलर न कराएं। वैसे बेहतर तो यही रहेगा यदि आप इस दौरान कैमिकल रहित हेयर कलर का इस्तेमाल करें। हेयर कलर इस्तेमाल करने से पहले अपने फिजिशियन की राय जरूर ले लें। दरअसल, वह आपको सही हेयर कलर के बारे में गाइड कर देंगी।

अरोमा थैरेपी
मिथक है कि प्रैग्नैंसी में मसाज करवाने से दर्द बढ़ सकता है लेकिन यह सही नहीं है। मसाज से थकान और बॉडी पेन दोनों से राहत मिलती है।  प्रैग्नैंसी  के दौरान स्किन पर काफी प्रैशर होता है खासकर पेट और उसके आसपास का हिस्सा। किसी जैल या सॉफ्ट क्रीम से नाभि के आसपास मसाज करें। इससे स्किन से प्रैशर रिलीज होगा और स्ट्रैच माक्र्स से भी बचाव होगा। प्रैग्नैंसी  के दौरान अरोमा थैरेपी लेने से कोई नुक्सान नहीं है। प्रैग्नैंसी  के दौरान भी मसाज करवाई जा सकती है। आप केरला आयुर्वेदिक मसाज भी करवा सकती हैं, लेकिन मसाज करवाते समय इस बात का विशेष ख्याल रखें कि मसाज हेतु ताकत व दबाव का बहुत कम इस्तेमाल किया जाए अर्थात हल्के हाथों से मसाज की जाए। आप स्पा में जाकर अपनी पसंद का बॉडी रैप भी ले सकती हैं। इससे आप रिलैक्स हो जाएंगी। गर्मियों के लिए चॉकलेट या जिंजर रैप अच्छे माने जाते हैं।

मैनीक्योर-पैडीक्योर
प्रैग्नैंसी  में अमूमन पैरों में दर्द और सूजन हो जाती  है। इसलिए जब भी ज्यादा  थकान महसूस करें तब आप मैनीक्योर और पैडीक्योर करवा सकती हैं। इससे थकान और दर्द से राहत मिलेगी। आप चाहें तो स्पा मैनीक्योर-पैडीक्योर भी करवा सकती हैं। इसमें आम मैनीक्योर-पैडीक्योर की तरह फाइलिंग, स्क्रबिंग और डैड क्यूटिकल्स को हटाने के अलावा पैरों और हाथों के लिए मास्क स्क्रब और स्प्रे भी दिया जाता है।
 
स्ट्रैच मार्क्स से बचाव

प्रैग्नैंसी के बाद कमर और पेट पर स्ट्रैच मार्क्स पड़ जाते हैं। स्ट्रैच मार्क्स का कारण है उन टिश्यू का फट जाना जो त्वचा को  खिंचने में मदद करते हैं। कई बार हार्मोनल इंबैलेंस की वजह से भी स्ट्रैच मार्क्स होने लगते हैं। कई महिलाओं को वातावरण में आए बदलावों के चलते रिएक्शन के रूप में स्ट्रैच मार्क्स होते हैं। जिन महिलाओं की त्वचा रूखी व बेजान होती है, उन्हें स्ट्रैच मार्क्स होने के चांसेज ज्यादा होते हैं। इसलिए ऐसी डाइट का सेवन करें जिसमें विटामिन ई और विटामिन सी भरपूर मात्रा में हों क्योंकि ये कोशिका निर्माण की प्रक्रिया को तेज करते हैं। स्ट्रैच मार्क्स वाले हिस्से में हर रोज विटामिन ई युक्त तेल से अच्छी तरह मसाज करें। अगर इन सब उपायों और इलाज के बावजूद भी आपके स्ट्रैच मार्क्स ठीक नहीं हो रहे हों तो आप लेजर ट्रीटमैंट करवा सकती हैं, मगर इससे पहले डॉक्टर्र से कंसल्ट जरूर करें।

अपनाएं ये टिप्स
♦ प्रैग्नैंसी में स्किन सैल्स में बदलाव की वजह से जरूरी है कि स्किन को नॉर्मल से ज्यादा नरिश और मॉइश्चराइज करें। इससे स्किन को हैल्दी रखा जा सकता है। रैगुलर स्किन केयर रूटीन को फॉलो करें। रोजाना सुबह चेहरा धोने के बाद हल्का-सा मॉइश्चराजर लगाएं, फिर मेकअप करें। रात को सोने से पहले मेकअप साफ करना कभी न भूलें। जब भी चेहरा धोएं तो अच्छे मॉइश्चराइजिंग बॉडी लोशन का इस्तेमाल करें। इससे ड्राई इफैक्ट से बचाव होगा।
♦ स्किन के नैचुरल ऑयल को प्रोटैक्ट करने के लिए परफ्यूम्ड सोप का इस्तेमाल अवॉइड करें। साबुन स्किन से नैचुरल ऑयल चुरा लेता है। इसकी बजाय क्लींजर यूज करें, जो डीप क्लीजिंग करें। यह जरूरी ऑयल्स को मेंटेन रखता है, जिससे आपकी स्किन ग्लोइंग बनी रहती है।
♦  प्रैग्नैंसी के वक्त कई महिलाओं की स्किन काफी ऑयली हो जाती है। इसके लिए हाई क्वालिटी का फेशियल क्लींजर का इस्तेमाल करें।
♦  फेस की स्किन बहुत डैलीकेट होती है इसलिए इसे रगड़ कर कभी साफ न करें। रब करने से हाइपर-पिग्मैंटेशन हो सकता है। पोंछते समय भी हल्के हाथ से पोंछें।
♦  प्रैग्नैंसी के दौरान स्किन पिग्मैंटेशन में बदलाव हो जाता है जिसकी वजह से सनबर्न और टैनिंग आसानी से हो जाता है। यूवी (अल्ट्रा वॉयलैट) फिल्टर वाले प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें। अपने चेहरे, बांहों, हाथों और पैरों का खास ख्याल रखें।
♦  पानी के कॉन्टैक्ट में ज्यादा समय तक न रहें। पानी स्किन को डिहाइड्रेट कर देता है, जिससे स्किन डल लगने लगती है। इसलिए नहाने में ज्यादा वक्त न लगाएं।
♦  प्रैग्नैंसी के दौरान कई बार ज्यादा लंबे बालों की केयर करनी मुश्किल हो जाती है। लंबे बालों के खराब होने का चांस ज्यादा होता है, जैसे बालों का सफेद होना, झडऩा या फिर उनका दोमुंहा होना। इसलिए बालों की सही ग्रोथ के लिए इनकी ट्रिमिंग कराती रहें।
♦  अच्छा खान-पान भी आपकी लुक्स को प्रभावित करता है। चूंकि प्रैग्नैंसी  के शुरूआती दौर में नॉजिया की समस्या ज्यादा होती है। इसलिए जो पसंद हो वही खाएं। हर दो घंटे के अंतराल पर थोड़ा-थोड़ा खाएं। बाहर की चीजें खाने से बचें। प्रैग्नैंसी  के दूसरे चरण में अपने खान-पान में प्रोटीन युक्त चीजों जैसे दाल, पनीर, अंडा और हरी सब्जियों की मात्रा बढ़ा दें।
♦  डॉक्टर द्वारा बताई गई सभी दवाएं एक निश्चित स्थान पर रखें। सिर दर्द और जुकाम जैसी समस्याओं के लिए खुद ही कोई दवा न लें। कोई भी दवा लेने से पहले डॉक्टर से कंसल्ट जरूर करें।
♦  अगर आप जॉब करती हैं तो लगातार एक ही मुद्रा में न बैठें। दो-तीन घंटे के अंतराल पर अपनी सीट से उठ कर थोड़ी देर के लिए टहलें।
♦  हैल्थ और चाइल्ड केयर से जुड़ी अच्छी किताबें पढ़ें। मनपसंद म्यूजिक सुनें। इससे मन प्रसन्न रहता है और यही खुशी के भाव चेहरे पर झलकते हैं।

ये हैं फायदे
► प्रैग्नैंसी के दौरान स्त्री का एक्टिव  रहना न केवल मां और बच्चे दोनों की सेहत के लिए अच्छा होता है, बल्कि इससे डिलीवरी में भी आसानी होती है। 
► प्रैग्नैंसी  के दौरान अगर आप खुश और एक्टिव रहेंगी तो नॉजिया, थकान और पैरों के दर्द जैसी समस्याओं की ओर आपका ध्यान नहीं जाएगा। इससे आपको तनावमुक्त रहने में मदद मिलेगी।
- मीनाक्षी गांधी
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