Monday, September 23, 2013

...जब सताए गर्दन का दर्द

...जब सताए गर्दन का दर्द

दफ्तर में लगातार कम्प्यूटर पर घंटों झुककर काम करने, ऊंचे तकिए का प्रयोग करने, लेटकर व ज्यादा टीवी देखने, भारी वस्तु्ओं को उठाने, जोर से गर्दन को झटका देने या ज्यादा तनाव के कारण गर्दन में दर्द हो जाना एक आम समस्या है। हमें अक्सर इस समस्या का सामना करना पड़ता है। यह किसी भी उम्र वाले को और कभी भी हो सकता है। लेकिन यह दर्द हमारी दिनचर्या में शामिल हो जाए तो हमारे लिए बहुत कष्टदायी हो जाता है।

गर्दन में जरा-सी लोच आया कि दर्द शुरू। कई बार तो ऐसा होता है कि हम रात में सोते हैं और जैसे ही सुबह उठते हैं, हमें पता लगता है कि हमारे गर्दन में दर्द है। कभी-कभी तो गर्दन ऐसे अकड़ती है कि सीधी ही नहीं होती। जिस दिशा में अकड़ी होती है, अपनी गर्दन और सिर को भी उसी दिशा में रखना हमारी मजबूरी बन जाती है। गर्दन दर्द का सामान्य उपचार आप खुद भी कर सकते हैं, लेकिन यदि यह गंभीर रूप धारण कर ले तो डॉक्टर से जरूर कंसल्ट करें।
  • गर्दन दर्द की स्थिति में प्रभावित क्षेत्र पर अधिक ज़ोर पड़ने से दर्द बढ़ जाता है इसलिए तीव्र दर्द होने पर आराम करें।
  • गर्दन को घ़ड़ी की दिशा में हल्के-हल्के पांच या दस बार घुमाएं, फिर यही क्रिया विपरीत दिशा में करें। इसके बाद सिर को ऊपर-नीचे व दाएं-बाएं घुमाएं।
  • गर्दन में दर्द होने पर तेल से हलके-हलके मालिश करें या करवाएं। मालिश हमेशा ऊपर से नीचे यानी गर्दन से कंधे की ओर करें। मालिश के बाद गर्म पानी की थैली से सिकाई करें। सिकाई के बाद तुरंत खुली हवा में न जाएं, न ही कोई ठंडा पेय पिएं।
  • लेटकर टीवी न देखें, ज्यादा समय टीवी देखना हो तो बीच-बीच में उठकर टहल लें। पढ़ते व डेस्क वर्क करते समय भी ऐसा ही करें।
  • नर्म, पतला व कम ऊंचाई वाला तकिया प्रयोग करें और हार्ड बेड पर सोएं।
  • यदि आप गर्दन झुका कर काम करते हैं तो गर्दन झुका कर काम करना बंद कर दें। इससे दर्द में राहत मिलेगी।

Sunday, September 15, 2013

बाबा सोढल मंदिर: हर मुराद पूरी होती है यहां

बाबा सोढल मंदिर: हर मुराद पूरी होती है यहां

जालन्धर में श्री सिद्ध बाबा सोढल जी का मन्दिर और तालाब लगभग 200 वर्ष पुराना है। उससे पहले यहां चारों ओर घना जंगल होता था जिसमें एक संत जी की कुटिया और तालाब था। यह तालाब अब सूख चूका है, परन्तु उस समय पानी से भरा रहता था। संत जी भोले भंडारी के परम भक्त थे। जनमानस उनके पास अपनी समस्याओं के समाधान के लिए आया करते थे। चड्ढा परिवार की बहू जो उनकी भक्त थी, बुझी सी रहती।  एक दिन संत जी ने पूछा कि बेटी तू इतनी उदास क्यों रहती है? मुझे बता मैं भोले भंडारी से प्रार्थना करूंगा वो तुम्हारी समस्या का समाधान अवश्य करेंगे।

संत जी की बात सुनकर उन्होंने कहा कि मेरी कोई सन्तान नहीं है और सन्तानहीन स्त्री का जीवन नर्क भोगने के समान होता है। संत जी ने कुछ सोचा फिर बोले, बेटी तेरे भाग्य में तो सन्तान सुख है ही नहीं, मगर तुम भोले भंडारी पर विश्वास रखो वो तुम्हारी गोद अवश्य भरेंगे। संत जी ने  भोले भंडारी से प्रार्थना की कि चड्ढा परिवार की बहू को ऐसा पुत्र रत्न दो, जो संसार में आकर भक्ति व धर्म पर चलने का संदेश दे।

भोले भंडारी ने नाग देवता को चड्ढा परिवार की बहू की कोख से जन्म लेने का आदेश दिया। नौ महीने के उपरांत चड्ढा बिरादरी में बाबा सोढल जी का जन्म हुआ। जब यह बालक चार साल का था तब  एक दिन वह अपनी माता के साथ कपड़े धोने के लिए तालाब पर आया। वहां वह भूख से विचलित हो रहा था तथा मां से घर चल कर खाना बनाने को कहने लगा। मगर मां काम छोड़कर जाने के लिए तैयार नहीं थी। तब बालक ने कुछ देर इंतजार करके तालाब में छलांग लगा दी तथा आंखों से ओझल हो गया।

मां फफक-फफक कर रोने लगी, मां का रोना सुनकर बाबा सोढल नाग रूप में तालाब से बाहर आए तथा धर्म एवं भक्ति का संदेश दिया और कहा कि जो भी मुझे पूजेगा उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। ऐसा कहकर नाग देवता के रूप में बाबा सोढल फिर तालाब में समा गए।

बाबा के प्रति लोगों में अटूट श्रद्धा और विश्वास बन गया कालांतर में एक कच्ची दीवार में उनकी मूर्ति स्थापित की गई जिसको बाद में मंदिर का स्वरूप दे दिया गया। अनेक श्रद्धालुजन अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए मंदिर में आने लगे तथा यह सिद्ध स्थान के रूप में प्रसिद्ध हो गया। तालाब के चारों ओर पक्की सीढिय़ां बनी हुई हैं तथा मध्य में एक गोल चबूतरे के बीच शेष नाग का स्वरूप है।

भाद्रपद की अनन्त चतुर्दशी को यहां विशेष मेला लगता है। चड्ढा बिरादरी के जठेरे बाबा सोढल में हर धर्म व समुदाय के लोग नतमस्तक होते हैं। अपनी मन्नत की पूर्ति होने पर लोग बैंड-बाजों के साथ बाबा जी के दरबार में जाते है। बाबा जी को भेंट व 14 रोट का प्रसाद चढ़ाते हैं जिसमें से 7 रोट प्रसाद के रूप में वापिस मिल जाते हैं। उस प्रसाद को घर की बेटी तो खा सकती है परन्तु उसके पति व बच्चों को देना वर्जित है।

Friday, September 13, 2013

दीपिका संग ऑन स्क्रीन केमिस्ट्री को लक्की मानते हैं रणबीर

दीपिका संग ऑन स्क्रीन केमिस्ट्री को लक्की मानते हैं रणबीर

फिल्म :                        बेशर्म
लेखक व निर्देशक :       अभिनव कश्यप
निर्माता :                     हिमांशु मेहरा, संजीव गुप्ता, रिलायंस एंटरटेनमेंट
कहानी :                      अभिनव कश्यप, राजव बर्नवाल
संगीतकार :                 ललित पंडित
मुख्य कलाकार :          रणबीर कपूर,  पल्लवी शारदा, ऋषि कपूर, नीतू सिंह कपूर और शक्ति कपूर
रिलीज डेट :                2 अक्तूबर
आने वाली फिल्में :      ‘किल बिल’, ‘जग्गा जासूस’,  ‘बॉम्बे वेलवेट’, रॉय

‘ये जवानी है दीवानी’ में ‘बदतमीजी’ करने के बाद ‘बेशर्म’ बने रणबीर कपूर अपनी फिल्म की प्रोमोशन के लिए जालंधर में पंजाब केसरी के ऑफिस आए। ऋषि कपूर और नीतू सिंह के बेटे रणबीर पर एक तरफ तो अभिनय की विरासत को आगे बढ़ाने दबाव था, दूसरी ओर कपूर होने के नाते इंडस्ट्री की ढेर सारी अपेक्षाएं। फिल्मी बैकग्राउंड होने से उनका इस इंडस्ट्री में प्रवेश भले ही आसान रहा हो, लेकिन रणबीर कपूर ने अपनी फिल्मों से साबित किया है कि वो सिर्फ एक स्टार-पुत्र नहीं एक अच्छे अभिनेता भी हैं। अपनी लगन, मेहनत और अभिनय से रणबीर यूथ आइकॉन बन गए हैं। रणबीर ने हास्य, राजनीतिक थ्रिलर एवं ड्रामा हर प्रकार की फिल्मों में अभिनय किया है।

* आप दूसरी बार जालंधर आए हैं। शाहरुख भी अपनी फिल्म की प्रोमोशन के लिए दो बार जालंधर आए थे। उनका स्वर्गीय यश चोपड़ा जी के साथ जो रिश्ता है, उसके चलते वह उन्हें श्रद्धांजलि देने जालंधर आए थे। आपको जालंधर की क्या चीज खींच कर लाई?
- यहां लोग बहुत प्यार वाले हैं। हिंदी फिल्मों और अदाकारों के लिए उनमें क्रेज है। मैं खुद पंजाबी हूं और बचपन से ही अक्सर पंजाब आता रहा हूं। पंजाब मेरे लिए बहुत महत्व रखता है। पंजाब मेरे लिए मेरे दूसरे घर की तरह है। मेरी फिल्म 'बेशर्म' के सेकंड पार्ट की शूटिंग भी चंडीगढ़ में हुई है।

* आपके पड़दादा पाकिस्तान बनने के बाद माइग्रेट होकर पंजाब आए थे। वह जांलधर में रहे और उन्होंने यहां थिएटर भी किया। आपके घर का माहौल पंजाबी है, तो क्या आप भी घर पर पंजाबी बोलते हैं?
- मेरे पेरंट्स घर पर पंजाबी बोलते हैं। मेरे बहुत से दोस्त और रिश्तेदार पंजाबी हैं जो पंजाबी में ही बात करते हैं। पर चूंकि मेरा जन्म और मेरी परवरिश मुंबई में हुई है इसलिए मैं पंजाबी समझ लेता हूं, पर अच्छी तरह पंजाबी बोल नहीं पाता हूं। हालांकि अब मैं पंजाबी सीख रहा हूं।

* आपकी फिल्म का नाम बहुत अटपटा है- ‘बेशर्म’। ऐसा क्यों?
- किसी भी काम को करने के लिए पॉज़िटिव एटिट्यूट का होना बहुत ज़रूरी होता है। मेरा यह मानना है कि आप जो भी काम करो उसके लिए अपने मन की बात सुनो। गलत काम करने का कोई भी सही तरीका नहीं होता। यह फिल्म मेरे लिए बहुत ही खास है क्योंकि इसमें मेरे साथ मेरे पेरंट्स ऋषि कपूर और नीतू सिंह के साथ पहली बार काम कर रहे हैं।

* रॉकेट सिंह में आपको सरदार की भूमिका में बहुत पसंद किया गया था, आजकल पंजाबी फिल्मों में कई बॉलीवुड कलाकार काम कर रहे हैं। क्या हम इंतकार करें कि आपको किसी पंजाबी फिल्म में सरदार का रोल निभाते हुए देख पाएंगे?
- पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री आजकल बूम पर है। मैं पंजाबी फिल्म में काम करने का इच्छुक हूं अगर मुझे बढिय़ा कहानी मिलती है तो। अगर कहानी अच्छी हो तो भाषा कभी रुकावट नहीं बनती है। सरदार का रोल करने में मुझे मज़ा आएगा। जब मैंने ‘रॉकेट सिंह’ में काम किया था, तब मैं खासतौर पर अमृतसर गोल्डन टैंपल में माथा टेकने गया था और रात को वहीं रुका था। तब मैंने बहुत नज़दीक से सिख आध्यात्म को जाना था।

* कौन-सी पंजाबी फिल्म और पंजाबी हीरो व हीरोइन का काम आपको पसंद है?
- पहले पंजाब में ज्यादातर हिंदी फिल्में ही देखी जाती थीं, पर अब यहां बहुत अच्छी पंजाबी फिल्में बन रही हैं। पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री बहुत बढिय़ा काम कर रही है। ‘जट्ट एंड जूलियट’ बहुत बढ़िया पंजाबी फिल्म थी। हरभजन मान, जिमी शेरगिल और नीरू बाजवा मेरे पसंदीदा पंजाबी कलाकार हैं।

* ‘दबंग’ और ‘चुलबुल पांडे’ को क्रिएट करने वाले ‘बेशर्म’ के निर्देशक अभिनव कश्यप ने आपकी बेहद तारीफ की है। उन्होंने तो यहां तक कहा है कि आप सलमान खान से कहीं बेहतर एक्टर हैं और बहुत ही मेहनती भी हैं? अपनी तारीफ सुनकर आपको कैसा लगता है?
- तारीफ सुनकर यकीनन अच्छा लगता है, लेकिन सलमान खान, शाहरुख खान, आमिर खान फिल्म इंडस्ट्री के मजबूत स्तंभ हैं। उनसे मेरी तुलना नहीं की जा सकती है। मैं अभी सिर्फ छह साल से ही बॉलीवुड में हूं जबकि उन्होंने कई बेहतरीन फिल्में दी हैं और उनका एक्सपीरिएंस भी बहुत ज्यादा है। यह अभिनव जी की दरियादिली है कि वो मेरे बारे में ऐसा कह रहे हैं। मेरे ख्याल से काफी समय तक साथ काम करने से निर्देशक और कलाकार के बीच एक अच्छी अंडरस्टैंडिंग और रिस्पेक्ट कायम हो जाती है, जिससे फिल्म आसानी से पूरी हो जाती है।  (मुस्कुराते हुए) अभी मेरी फिल्में अच्छा बिजनस कर रही हैं इसलिए आप ऐसा कह रहे हैं। अगर मेरी फिल्म अगले हफ्ते फ्लॉप हो गई तो आप भी मेरी तारीफ करना बंद कर देंगे।

* आप स्टारडम के साथ अपनी सामाजिक जिम्मेदारियां भी बखूबी निभाते हैं। अंडर प्रविलेज्ड बच्चों के लिए फंड जुटाने में भी मदद करते हैं और गर्ल चाइल्ड एम्पावरमेंट को स्पोर्ट करते हैं। देश को आप जैसे युवाओं की बहुत जरूरत है जो बिना स्वार्थ के लोगों की भलाई के लिए काम करें, क्या ‘राजनीति’ के समर प्रताप को भविष्य में राजनीति में आते हुए देखेंगे?
- मुझे फिल्मों से बेहद प्यार है। मैं फिल्मों में ही काम करना जारी रखना चाहता हूं। राजनीति में आने का मेरा कोई इरादा नहीं है। मुझ से जितना बन पड़ता  है, मैं एनजीओ के लिए काम करता हूं और करता रहूंगा।

* दीपिका पादुकोण ने हाल ही में हॉलीवुड की फिल्म साइन की है। क्या आप भी जेम्स बॉन्ड जैसा कोई किरदार हॉलीवुड फिल्मों में निभाना चाहेंगे?
- दीपिका बहुत ही टेलेंटिड हीरोइन है। वह यह सब डिज़र्व करती है। लेकिन मुझे अपनी जड़ों के साथ जुड़े रहना पसंद है। मैं हॉलीवुड की फिल्मों में काम करने का कतई इच्छुक नहीं हूं। बॉलीवुड में ही अपनी पारी जारी रखना चाहता हूं।

* रियल्टी शो ‘झलक दिखला जा’ में आपकी मां नीतू सिंह ने कहा था कि बेशर्म ऋषि हैं नाकि रणबीर। क्या एक ओवर प्रोटैक्टिव मां होने के नाते उन्होंने ऐसा कहा था?
- नहीं, ऐसा नहीं है। मैं कैमरे के सामने बेशर्म हूं, पर जैसे ही कैमरा बंद हो जाता है मैं बिलकुल बदल जाता हूं। असल जिंदगी में मैं बहुत शर्मीला इंसान हूं।

* ट्विटर पर अमिताभ बच्चन के 62 लाख और शाहरुख खां के करीब 50 लाख फॉलोयर्स हैं। लेकिन आप ट्विटर पर नहीं हैं, क्यों?
- मैं बहुत शर्मीले स्वभाव का हूं। मुझे नहीं पसंद कि मैं अपनी सभी बातें ट्विटर पर शेयर करूं। वैसे भी आजकल टीवी पर और फिल्म प्रोमोशन के दौरान हम अपने फैंस को मिल लेते हैं।

* आपके बहुत से फैंस हैं। आप अपने किसी ऐसे क्रेज़ी फैन के बारे में बताएं, जो बेहद खास हो?
- मेरे सभी फैंस मेरे लिए बेहद खास हैं। पिछली बार जब मैं लवली यूनिवर्सिटी आया था, तो वहां यूथ का क्रेज़ देखकर बहुत अच्छा लगा था। अपने फैंस और उनका क्रेज़ देखकर और ज्यादा मेहनत करने की इच्छा होती है ताकि उनकी उम्मीदों पर खरा उतर सकूं।

* सुनने में आया है कि आप चेन स्मोकर हैं, क्या यह सच है?
- (हंसते हुए) चेन का तो पता नहीं, पर स्मोक मैं करता हूं। (सीरियस होते हुए) हालांकि मैं अब इसे छोडऩे की कोशिश कर रहा हूं। एक बार पहले भी कोशिश की थी और तीन दिन तक मैंने सिगरेट को टच भी नहीं किया था, लेकिन यह जानते हुए भी कि सिगरेट सबसे गंदी आदत है, मैं आज तक इसे छोड़ नहीं पाया हूं। 28 सितंबर को मेरा जन्मदिन है। मैंने अब वादा किया है कि उस दिन से स्कोमिंग क्विट कर दूंगा। सिगरेट से होंठ काले हो जाते हैं, स्किन पर रिंकल्स आ जाते हैं और सेहत पर भी बहुत बुरा असर पड़ता है। इसलिए मैं तो सबसे अनुरोध करूंगा कि इससे दूर ही रहें।

* 'कॉफी विद करण' में आपने कहा था कि आप अपने पिता जी का टेम्परामेंट बदलना चाहते हैं, क्या  आपको कभी गुस्सा नहीं आता?
- नहीं, मुझे कभी गुस्सा नहीं आता, मेरी आज तक कभी किसी से कोई लड़ाई भी नहीं हुई है। न मैंने कभी किसी को पीटा है और न ही किसी से मार ही खाई है। मैं अपनी मम्मी जैसा कूल नेचर का हूं जबकि पापा बहुत ज्यादा गुस्से वाले हैं।
 
* आप सलमान, आमिर और शाहरुख में से किसे सबसे स्टार मानते हैं?
- अमिताभ बच्चन के बाद ये सभी स्टार्स बड़े हैं। इनमें से कौन ज्यादा बड़ा है यह बता पाना बहुत मुश्किल है। मेरी नज़र में ये सभी महान कलाकार हैं।
 
* कैटरीना कैफ और दीपिका पादुकोण में से आप किसे ज्यादा टैलेंटिड हीरोइन मानते हैं?
- दोनों बहुत अच्छा काम कर रही हैं और बॉलीवुड में टॉप पर हैं।
* आपकी कैमिस्ट्री किसके साथ ज्यादा बढिय़ा है, कैटरीना कैफ या दीपिका पादुकोण?

- मेरी हालिया फिल्म ‘ये जवानी है दिवानी’ दीपिका के साथ थी और यह बेहद सफल भी रही है। इसलिए मैं मानता हूं कि दीपिका के साथ मेरी कैमिस्ट्री बैस्ट है।

Wednesday, September 11, 2013

यूएन स्टडी: एशिया में पुरुष क्यों करते हैं बलात्कार

यूएन स्टडी: एशिया में पुरुष क्यों करते हैं बलात्कार

बलात्कार के दोषी ऐसी घृणित हरकत क्यों करते हैं? यह जानने के लिए छह एशिया-पेसिफिक देशों में सर्वे करवाया गया कि वहां बलात्कार और सेक्सुअल हिंसा किस हद तक है। इस सर्वे के आंकड़े बेहद खौफनाक थे।  जिन पुरुषों का इंटरव्यू लिया गया उनमें से एक-चौथाई ने यह स्वीकार किया कि उन्होंने किसी महिला या लड़की के साथ रेप किया है। मेडिकल जर्नल द लांसेट ग्लोबल हेल्थ में छपी इस रिपोर्ट में इस बात पर भी रोशनी डाली गई है कि जिन पुरुषों ने रेप किया उनके सामाजिक-आर्थिक हालात क्या थे।

संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न एजेंसियों ने सर्वेक्षण के लिए जनवरी 2011 से दिसंबर 2012 के बीच एशिया के नौ स्थानों पर 10178 पुरूषों से उनके जीवन के बारे में सवाल किए। उन्होंने इन छह देशों से जानकारी एकत्रित की: बांग्लादेश, चीन, कम्बोडिया, इंडोनेशिया, पपुआ न्यू गिन्नी और श्रीलंका।

बलात्कार कितना व्यापक है?
प्रश्नावली में ‘रेप’ शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया  था क्योंकि अध्ययनकत्र्ताओं का मानना था कि किसी औरत के साथ जबरदस्ती सेक्स को अधिकतर आदमी रेप नहीं मानते हैं। इसकी बजाय सर्वे में शामिल पुरुषों से पूछा गया कि क्या उन्होंने किसी ऐसी महिला को सेक्स के लिए मजबूर किया है जो उनकी बीवी या गर्लफ्रेंड नहीं थी और जब उसकी सेक्स की इच्छा भी नहीं थी। और क्या उन्होंने किसी ऐसी महिला के साथ सेक्स किया है जिसने बहुत ज्यादा शराब पी रखी थी या ड्रग लिए हुए थे और वह इस हाल में नहीं थी कि वह सेक्स के लिए अपनी मर्जी बता सकती।

एशिया के विभिन्न हिस्सों में दस में से एक व्यक्ति ने ऐसी महिला के साथ बलात्कार करने की बात स्वीकार की है जो उसकी साथी नहीं थी और गहन संबंधों में तो बलात्कार का आंकड़ा इससे कहीं अधिक है। बेहद करीबी संबंधों में बलात्कार सर्वाधिक सामान्य बात है जहां एक तिहाई पुरूषों ने अपनी पत्नी या प्रेमिका के साथ बलात्कार की बात स्वीकार की है।

यह है वो आंकड़ा जिन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी पार्टनर या नॉन पार्टनर से रेप किया:


बांग्लादेश 11%
कम्बोडिया  20.8%
चीन 22.7%
इंडोनेशिया 31.9%
पपुआ न्यू गिनी 60.7%
औसत 24%

सर्वेक्षण में पाया गया कि अधिकतर देशों में हर पांच में से एक पुरुष बलात्कार का दोषी है, हालांकि पपुआ न्यू गिनी में यह अनुपात आधे से भी अधिक है। इनमें भी नॉन पार्टनर की बजाय पत्नियों के बलात्कार का चलन इन देशों में ज्यादा है।

कब किया पहली बार बलात्कार?
जिन पुरुषों ने नॉन-पार्टनर्स का रेप किया उनमें से आधे से अधिक ने स्वीकार किया कि उन्होंने किशोरावस्था में इसकी शुरुआत की थी। पहली बार जुर्म करने वालों में से अधिकतर की उम्र 15 से 19 साल के बीच थी।

15 साल या कम उम्र 14.8%
15-19 साल 42.7%
20-29 साल 35.2%
30-39 साल 4.4%
40 साल से ज्यादा 2.9%

अपराध दोहराने की कितनी संभावना है?
काफी ज्यादा। लगभग आधे प्रतिवादियों ने कहा कि उन्होंने अलग-अलग महिलाओं से उनकी मर्जी के बगैर संभोग किया है। जब उनसे पूछा गया कि वे कितनी महिलाओं से रेप कर चुके हैं तो उनका जवाब था:

एक महिला के साथ 55.4%
2-3 महिलाओं के साथ 28.3%
4-10 महिलाओं के साथ 12%
10 या उससे ज्यादा 4.2%

सर्वेक्षण के दायरे में आए करीब एक तिहाई पुरूषों ने एक बार बलात्कार किए जाने की बात स्वीकार की है। जिन्होंने बलात्कार की बात स्वीकार की उनमें से आधे से कम ने कहा कि उन्होंने ऐसा एक से अधिक बार किया।

उन्होंने रेप क्यों किया?
पुरूषों को लगता है कि बिना मर्जी के भी महिला के साथ संसर्ग करना उनका अधिकार है। दूसरा सामान्य कारण यह था कि बलात्कार को वे मनोरंजन का साधन मानते हैं, मजे के लिए करते हैं या क्योंकि वे बोर हो चुके हैं। कुछ पुरूषों ने इसलिए बलात्कार किया क्योंकि वे महिला को सजा देना चाहते थे या वे उससे खफा थे।


शराब पीने के बाद 27%
सजा देने के लिए 37.9%
मनोरंजन के लिए 58.7%
सेक्स को अधिकार मानते हैं 73.3%

रेप के क्या परिणाम हैं?
जेल की सजा बहुत कम पुरुषों को हुई। एक-चौथाई से भी कम बलात्कार के दोषियों को जेल की सजा हुई। आधे से कुछ ही अधिक यानी 55 फीसदी दोषियों को अपराध बोध हुआ। स्टडी में पाया गया:

55.2 ने कहा कि उन्हें अपराध बोध हुआ।
35.7 ने कहा कि उन्हें दोस्तों या परिवार ने सजा दी।
32.5 ने कहा कि वे गिरफ्तार हुए।
22.9 ने कहा कि वे जेल भेजे गए।  
   

बलात्कार का अपराध दोहराने वालों की पृष्ठभूमि क्या थी?
सर्वेक्षण में यह बात भी सामने आयी कि जिन पुरूषों ने खुद बचपन में हिंसा झेली, विशेष रूप से बचपन में यौन प्रताडऩा सही या जिन्हें बचपन में नजरअंदाज किया गया, उनके बलात्कार में शामिल होने की आशंका अधिक थी। सर्वे में यह भी पाया गया कि जो पुरुष गरीब थे या जिन्होंने हाई स्कूल तक शिक्षा हासिल नहीं की थी वे इस संगीन अपराध में शामिल हुए।


हाई स्कूल से कम शिक्षित 50%
कभी शादी या सहवास नहीं किया 74.8%
बचपन में यौन प्रताडऩा सही 60.5%
पिता की गैरमौजूदगी 43.1%

Monday, September 9, 2013

स्वास्थ्यवर्धक खजूर

स्वास्थ्यवर्धक खजूर

खजूर में पौष्टिक तत्व काफी मात्रा में होते हैं जिनकी हमारे शरीर को आवश्यकता होती है। खजूर में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, फाइबर, मैग्नीशियम, पोटैशियम, फास्फोरस, सेलीनियम, विटामिन ए, विटामिन बी5, विटामिन बी3, कॉपर, एंटी ऑक्सीडेंट और पोषण प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। शरीर को एक दिन में 20-35 ग्राम डाइटरी फाइबर की जरूरत होती है, जो खजूर खाने से पूरी हो जाती है।

ये हैं फायदे

खजूर के सेवन से गठिया रोग, पेट संबंधी समस्याएं, कब्जियत, कमर दर्द, हार्ट डिजीज़ और थकावट जैसी कई समस्याएं आसानी से दूर होती हैं।
   
  • कैल्श्यिम, से भरपूर खजूर के सेवन से हड्डियां मजबूत होती हैं।
  • रक्ताल्पता में इसका नियमित सेवन लाभकारी है। खजूर में मौजूद आयरन खून में हीमोग्लोबिन बढ़ता है।
  • इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
  • मैगनेशियम के कारण खजूर ऊर्जा और शक्ति प्रदान करता है। दूध में खजूर उबाल कर बच्चों को  देने से उन्हें शारीरिक व मानसिक पोषण मिलता है, शरीर सुदृढ़ बनता है।
  • खजूर आंतों के हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करता है, साथ ही ऐसे जीवाणुओं को जन्म देता है जो आंतों को शक्तिशाली और अधिक सक्रिय बनाते हैं।
  • खजूर वात, पित्त व कफ इन तीनों दोषों का शामक है।
  • खजूर का सेवन सुंदरता में भी वृद्धि करता है। यह बालों को लम्बा, घना और मुलायम बनाता है। त्वचा का रंग साफ करता है।
  • खजूर में फ्लोरीन नामक मिनरल होता है जिसके कारण यह दांत का दर्द और उसकी सडऩ को दूर कर सकता है।
  • छुहारे व खजूर दिल को शक्ति प्रदान करते हैं, दिल को मजबूत बनाते हैं। इसमें कोलेस्ट्रॉल और फैट बिल्कुल नहीं होता। रात को खजूर भिगोकर सुबह दूध या घी के साथ खाने से मस्तिष्क व हृदय की पेशियों को ताकत मिलती है।
  • डायबिटीज़ के पेशंट्स भी प्रतिदिन 1-2 खजूर का सेवन कर सकते हैं। इससे ब्लड शुगर नहीं बढ़ती। इसके सेवन से ग्लुकोज और फ्रुक्टोज के रूप में नैसर्गिक शुगर हमारे शरीर को मिलती है।
  • यदि लो ब्लड प्रैशर हो तो 3-4 खजूरों को गर्म पानी में धोकर गुठली निकाल दें। इन्हें गाय के दूध के साथ उबाल लें। इस दूध को सुबह-शाम पीएं। कुछ ही दिनों में लो ब्लड प्रैशर से छुटकारा मिल जाएगा।
  • भूख बढ़ाने के लिए खजूर का गूदा निकाल कर दूध में पकाएं। उसे थोड़ी देर पकने के बाद ठंडा करके पीस लें। यह दूध बहुत पौष्टिक होता है। इससे भूख बढ़ती है और खाना भी पच जाता है।
  • कब्ज की पेरशानी है तो रात को सोने से पहले कुछ खजूर पानी में भिगो दें और सुबह उन्हें खा लें या मसलकर इनका शरबत बना लें। फिर इसमें और पानी डालकर गुनगुना गर्म करें। खाली पेट चाय की तरह पी जाएं। कब्ज की समस्या दूर हो जाएगी।
  • जो बच्चे रात को सोते हुए बिस्तर गीला करते हों, उन्हें दो छुहारे रात्रि में भिगोकर सुबह दूध में उबाल के दें, यकीनन फायदा होगा।
  • सर्दी−जुकाम से परेशान रहते हैं तो एक गिलास दूध में पांच दाने खजूर डालें। पांच दाने काली मिर्च, एक दाना इलायची और उसे अच्छी तरह उबाल कर उसमें एक चम्मच घी डाल कर रात में पी लें। सर्दी-जुकाम बिल्कुल ठीक हो जाएगा। या खजूर को एक गिलास दूध में उबाल कर खा लें फिर ऊपर से वही दूध पीकर मुंह ढंककर सो जाएं।
  • दमा की शिकायत है तो दो-दो छुहारे सुबह-शाम चबा-चबा कर खाएं। इससे कफ व सर्दी से मुक्ति मिलती है। खजूर के सेवन से दमे के रोगियों के फेफड़ों से बलगम आसानी से निकल जाता है।
  • छुहारे खाने से मासिक धर्म खुलकर आता है और कमर दर्द में भी लाभ होता है। 
  • खजूर उत्तम वीर्यवर्धक है। गाय के घी अथवा बकरी के दूध के साथ लेने से शुक्राणुओं की वृद्धि होती है।
  • अगर शीघ्रपतन की समस्या से परेशान हैं तो तीन महीने तक छुहारे का सेवन आपको समस्या से मुक्ति दिला देगा। इसके लिए प्रात: खाली पेट दो छुहारे टोपी समेत दो सप्ताह तक खूब चबा-चबाकर खाएं। तीसरे सप्ताह में तीन छुहारे खाएं और चौथे सप्ताह से 12वें सप्ताह तक चार-चार छुहारों का रोज सेवन करें। इस समस्या से मुक्ति मिल जाएगी ।

सावधानी

आजकल खजूर रासायनिक पदार्थों के द्वारा सुखाया जाता है। ये रसायन शरीर के लिए हानिकारक होते हैं। इसलिए इस्तेमाल करने से पहले खजूर को अच्छी तरह धो कर सुखा लें।
यों तो सर्दियों में खजूर का सेवन सबसे ठीक रहता है फिर भी गर्मियों में सूखे खजूरों को भिगोकर खाया जा सकता है। जिस पानी में ये भिगोए गए हों उसे पेय के रूप में लेना उत्तम होता है। भीगा खजूर गर्मी नहीं करता उसे गाय के कच्चे दूध के साथ लिया जा सकता है। परन्तु ध्यान रखें कि इस दूध का सेवन भोजन के साथ न करें अन्यथा अभीष्ट लाभ नहीं मिला पाता।

Friday, September 6, 2013

इम्यूनिटी बढ़ाएं प्रोटेक्टिव फूड्स

इम्यूनिटी बढ़ाएं प्रोटेक्टिव फूड्स

फल, सब्ज़ियां, दालें, गेहूं, नट्स और ऑयल सीड्स हमें तंदुरुस्त रहने में मदद करते हैं, इम्यूनिटी बढ़ाते हैं और रोगों के संक्रमण से मुक्ति दिलाते हैं। इन्हें ‘प्रोटेक्टिव फूड्स’ के नाम से जाना जाता है...


आंवला: आंवला विटामिन-सी से भरपूर होता है। यह अच्छा कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने में मदद करता है, ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रखता है और हार्ट डिसीज़ से बचाव करता है।

संतरा: इसमें विटामिन ए और सी पाए जाते हैं। यह ब्रेस्ट कैंसर, पेट के कैंसर और पैक्रियाज़ के कैंसर से बचाने में मददगार है। अस्थमा के मरीज़ के लिए यह काफी लाभकारी है।

तरबूज़: इसमें मौजूद  लिकोपिन नामक एंटी-ऑक्सिडेंट की हेल्प से आपका शरीर रेडिकल फ्री रहता है। नहीं तो इन रेडिकल्स की वजह से कैंसर होने का खतरा रहता है। तरबूज़ से बॉडी को प्रोटीन व फैट भी मिलता है। इसके बीजों में प्रोटीन, मिनरल्स और एसेंशियल फैट्टी एसिड्स की भरपूर मात्रा होती है। इसके बीज ब्लडप्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। इसके बीजों से निकले सफेद दूध को सूप, सब्ज़ी या ग्रेवी में डालकर इस्तेमाल करने से दिल के रोगों से बचाव होता है।

केला: केला एसिडिटी और अल्सर को दूर करने में मददगार होता है। यह पोटाशियम का बढिय़ा स्रोत है।

पपीता: पपीता शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और पेट की विभिन्न बीमारियों से बचाता है।

हरी पत्तेदार सब्ज़ियां: इनमें खनिज पदार्थ जैसे विटामिन ए, बी, सी, के और  कैल्शियम, मेग्नीशियम, आयरन, प्रोटीन व फाइबर पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है।

बंदगोभी और फूलगोभी: ये दोनों सब्ज़ियां  विटामिंस, आयरन, सल्फर और फाइबर का अच्छा ज़रिया हैं। ये हमें फेफड़ों के कैंसर से बचाती हैं।

गाजर: यह बीटा-कैरोटीन व विटामिन ए का अच्छा स्रोत है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती हैं और फेफड़ों व मुंह के कैंसर से भी रक्षा करता है।

अदरक: यह पाचन क्रिया में बहुत मददगार है और गैस की समस्या से बचाता है। गठिया में सूजन होने पर अदरक का सेवन बहुत लाभकारी है। 

लहसुन: यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है, ट्यूमर बनने से रोकता है। यह एंटीऑकसीडेंट है, यानी फ्री रेडिकल्स को बनने से रोकता है। घाव भरने में भी यह मददगार है।

चूकंदर: चूकंदर में बीटेन नामक पदार्थ पाया जाता है, जो खून, जिगर और आंतों के लिए लाभकारी है। फैट को पचाने में भी यह मददगार है। यह होमोसीसटीन के लैवल को खून में बढऩे से रोकता है, जो हार्ट के लिए घातक है।

हल्दी: हल्दी में सरक्यूमिंस नामक पदार्थ पाए जाते हैं, जो कैंसर को रोकते हैं। यह बुरे कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मददगार है। इंफैक्शन, सूजन या घाव पर लगाने से यह उस जगह किटाणु व जीवाणु को पनपने से रोकती है और घाव जल्दी भरने में मदद करती है।

मेथी दाना: इसमें 50 फीसदी फाइबर होता है। यह कोलेस्ट्रॉल और ट्राईगलिस्राइड की मात्रा कम करता है, जिससे हार्ट डिसीज़ होने का खतरा कम होता है। डायबिटीज़ के रोगियों के लिए भी यह काफी फायदेमंद है, क्योंकि इसमें एल्कालॉयड नामक पदार्थ पाया जाता है, जो खून में ग्लूकोज़ की मात्रा को घटाता है।

तिल: शाकाहारी लोगों के लिए यह एक मात्र ओमेगा-3 फैटी एसिड्स का स्रोत है। 

नट्स: नट्स विटामिन-इ और सिलेनियम का अभिन्न स्रोत हैं। ये हार्ट डिसीज़ से भी बचाते हैं। इसमें एसैंशियल फैट्टी एसिड्स भी पाए जाते हैं।

प्याज़: यह कंजैशन क्लीयर करने में मददगार है और पेट में ज्यादा म्यूकस बनने से रोकता है।

मसाले: धनिया, अजवाइन और जीरा पेट की परेशानियों और बदहज्मी से बचाता है। दांत के दर्द में लौंग लाभकारी होता है। सौंफ पेट दर्द में लाभकारी है। दालचीनी ज्यादा ब्लड क्लॉटिंग को रोकती है और इंसुलिन बनाने में मदद करती है। 

यहां पूजा करने से शनिदेव की काली छाया नहीं सताती

यहां पूजा करने से शनिदेव की काली छाया नहीं सताती


कोकिलावन शनि सिद्धपीठ पर्यटकों की आस्था का केंद्र है। कोकिलावन शनि सिद्धपीठ भारत में उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद में स्थित है। कोसी से लगभग छ: किलोमीटर दूर पश्चिम में बरसाना के पास और नन्द गांव से सटा हुआ यह पवित्र स्थान भगवान शनि देव को समर्पित है। कोकिलावन धाम का यह सुन्दर परिसर लगभग २० एकड में फैला है। इसमें श्री शनि देव मंदिर, श्री देव बिहारी मंदिर, श्री गोकुलेश्वर महादेव मंदिर , श्री गिरिराज मंदिर, श्री बाबा बनखंडी मंदिर प्रमुख हैं। यहां दो प्राचीन सरोवर और गोऊ शाला भी हैं।

हर शनिवार लाखों श्रद्धालु कोकिलावन धाम की "ॐ शं शनिश्चराय नम:" और जय शनि देव का उच्चारण करते हुए परिक्रमा करते हैं। परिक्रमा मार्ग लगभग साढ़े तीन किलोमीटर लम्बा है जिसे साधारण गति से लगभग चालीस मिनट में पूरा किया जा सकता है। पिछले कई हजार वर्षों से यह पीठ आज भी ज्यों का त्यों हैं और आज भी यहां चमत्कार घटित होते रहते हैं। मान्यता है कि शनिधाम कोकिला वन में बने सूर्य कुंड में स्नान के बाद शनिदेव के दर्शन करने वाले को शनिदेव की काली छाया नहीं सताती।

जीवन में किसी भी तरह की कठिनाई हो या शनि ग्रह का प्रकोप है, लेकिन यहां जाकर लोग भय‍मुक्त हो जाते हैं। मान्यता अनुसार भक्त को तत्काल लाभ मिलता है। जनश्रुति है कि उक्त स्थान पर जाकर ही लोग शनि के दंड से बच सकते हैं, किसी अन्य स्थान पर नहीं।  इसके बारे में पौराणिक मान्यता है कि यहां शनिदेव के रूप में भगवान कृष्ण विद्यमान रहते हैं।

कोकिला वन का पौराणिक महत्व है। कोकिला वन शनिदेव मंदिर के महंत बताते हैं कि द्वापर युग में जब भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन की इच्छा शनिदेव के मन में हुई। उन्होंने भगवान से नंदगांव में दर्शन पाने के लिए इजाजत मांगी। शनिदेव का भयंकर रूप देखकर नंदगांववासियों में भय की आशंका के चलते भगवान ने उन्हें नंदगांव आने की इजाजत नहीं दी। श्रीकृष्ण की आज्ञा से शनिदेव ने इस स्थान पर उनके दर्शन कोयल का रूप लेकर किए थे। इसी कारण यह स्थान कोकिला वन कहलाया।

मान्यता है कि जो इस वन की परिक्रमा करके शनिदेव की पूजा करेगा वही कृष्ण की कृपा पाएगा और उस पर से शनिदेव का प्रकोप भी हट जाएगा। इसके बारे में पौराणिक मान्यता है कि यहां शनिदेव के रूप में भगवान कृष्ण विद्यमान रहते हैं। बृज प्रदेश के निवासियों के अनुसार श्री कृष्ण ने जब शनि देव को दर्शन दिया था तब आशीर्वाद भी दिया था कि यह कोकिलावन उनका है,और जो कोकिलावन की परिक्रमा करेगा, शनिदेव की पूजा अर्चना करेगा, वह मेरे साथ ही शनिदेव की कृपा भी प्राप्त कर सकेगा। जो भी भक्त इस शनि सिद्ध पीठ के दर्शन, पूजा पाठ का अन्तर्मुखी होकर सद्भावना से विश्वास करेगा, वह भी शनि की अमोघ कृपा प्राप्त करेगा, किसी भी उपद्रव से ग्रस्त नही होगा I