Friday, December 27, 2013

जुदा होकर भी ना भूले, यह दोस्ती की जीत है

जुदा होकर भी ना भूले, यह दोस्ती की जीत है

दोस्ती सच्ची प्रीत है; जुदाई जिसकी रीत है; जुदा होकर भी ना भूले; यह दोस्ती की जीत है। इस बात को गूगल की भारत-पाक विभाजन के दौरान बिछड़े दो दोस्तों की कहानी पर आधारित ऑनलाइन पोस्ट ने साबित कर दिया है। यह विभाजन सिर्फ दो मुल्कों की सीमा का ही नहीं था, बल्कि यह वहां रहने वाले लोगों की भावनाओं का भी था। 


इस पोस्ट में दिखाया गया है कि बचपन के दो दोस्त जो कि रोजाना शाम को बाग में पतंग उड़ाते थे और फिर झझरिया चुरा कर खाते थे, एक दिन अचानक बंटवारे के चलते जुदा हो गए। एक भारत आ गया तो दूसरे को पाकिस्तान में ही रहना पड़। कई साल बीत जाने पर भी बचपन की वो यादें आज भी उन्हें वैसे ही गुदगुदाती हैं। बचपन के दोस्त की तस्वीर देखकर बूढ़ी आंखों में एक चमक आ जाती है, जैसे दोस्त को मिलने, उसे देखने की हसरत हो इन आंखों में।

मुंबई से आई अपनी पोती को अपने बचपन के दोस्त युसूफ के किस्से ऐसे सुनाते हैं, जैसे कोई बुजुर्ग सालों का सहेजा अपना खजाना अपने बच्चों को सौंपता है। दोस्त के लिए दादा की खुशी को देखते हुए वह पोती कैसे गूगल की मदद से उनके बचपन के दोस्त से उनकी मुलाकात करवाती है, यह इस विज्ञापन के माध्यम से बेहद भावुक ढंग से फिल्माया गया है।

विभाजन का दर्द कितना भयानक था यह वो ही शख्स जान सकता है जिसने इसे सहा है, जिसे इस बंटवारे में अपना घर बार छोड़ना पड़ा, अपने बचपन के दोस्तों से अलग होना पड़ा, लेकिन इस दर्द को तीन मिनट की फिल्म में इतने भावुक अंदाज में फिल्माया गया है कि देखने वालों की आंखों से भी आंसू बहने लगते हैं। जो शायद बरसों से बिछुड़े दो दोस्तों के मिलने की खुशी में होते हैं या फिर उस प्यार के लिए निकलते हैं जो बरसों बाद आज भी उनके दिलों में वैसे ही जिंदा है, या जिस दोस्ती के लिए जिसे दो मुल्कों की सीमाएं बांध नहीं सकीं, जिसे दो मुल्कों का बंटवारा बांट नहीं सका।

शनिवार को क्यों की जाती है पीपल की पूजा

शनिवार को क्यों की जाती है पीपल की पूजा?

शनिवार को पीपल पर जल व तेल चढ़ाना, दीप जलाना, पूजा करना या परिक्रमा करना अति शुभ होता है। इससे ईश्वर जल्दी ही प्रसन्न हो जाते हैं और भक्त की इच्छापूर्ति करते हैं। इस मान्यता के पीछे एक पौराणिक कथा है।

समुद्र मंथन के वक्त लक्ष्मी जी से पहले उनकी बडी बहन अलक्ष्मी (ज्येष्ठा या दरिद्रा) का आगमन हुआ। लक्ष्मी जी ने श्री विष्णु से विवाह कर लिया। अलक्ष्मी जी लक्ष्मी जी से नाराज हो गई। उनको मनाने के लिए श्री विष्णु ने अलक्ष्मी को अपने प्रिय वृक्ष पीपल में रहने को कहा और उनको वचन दिया कि," मैं और लक्ष्मी जी प्रत्येक शनिवार तुमसे मिलने पीपल वृक्ष पर आया करेंगे।"

शनिवार को श्री विष्णु और लक्ष्मी जी पीपल वृक्ष के तने में निवास करते हैं इसलिए शनिवार को पीपल वृक्ष की पूजा, दीपदान, जल व तेल चढाने और परिक्रमा लगाने से पुण्य की प्राप्त होती है और लक्ष्मी नारायण भगवान व शनिदेव की प्रसन्नता होती है जिससे कष्ट कम होते हैं और धन-धान्य की वृद्धि होती है।

ऐसे करें शनिदेव को प्रसन्न

ऐसे करें शनिदेव को प्रसन्न


पौराणिक मान्यता है कि शनिदेव का जन्म अमावस्या तिथि की ही शुभ घड़ी में हुआ था। इसलिए हिन्दू पंचांग के हर माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर शनि भक्ति बड़ी संकटमोचक होती है। खासतौर पर उन लोगों के लिए जो शनि ढैय्या, साढ़े साती, महादशा या कुण्डली में बने शनि के बुरे असर दु:ख, दारिद्र, कष्ट, संताप, संकट से जूझ रहे हों।  शनि का शुभ प्रभाव अध्यात्म, राजनीति और कानून संबंधी विषयों में दक्ष बनाता है।

शास्त्रों पर गौर करें तो शनिदेव का चरित्र मात्र क्रूर या पीड़ादायी ही नहीं, बल्कि मुकद्दर संवारने वाले देवता के रूप में भी प्रकट होता है। शनिदेव कर्म व फल के स्वामी हैं। हिंदू धर्म ग्रंथों में शनिदेव को न्यायाधीश कहा गया है अर्थात अच्छे कर्म करने वाले को अच्छा तथा बुरे कर्म करने वाले को इसका दंड देने के लिए शनिदेव सदैव तत्पर रहते हैं। इसका निर्णय भी शनिदेव अन्य सभी देवों से जल्दी व त्वरित गति से करते हैं। यही कारण है कि गलत काम करने से लोग शनिदेव से डरते हैं।

कहते हैं शनि की कृपा राजा को रंक और रंक को राजा बना सकती है। लेकिन शनि देव इंसान के कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं। शनि की अनुकंपा पानी हो तो अपना कर्म सुधारें, आपका जीवन अपने आप सुधर जायेगा। शनिदेव दुखदायक नहीं, सुखदायक हैं। अच्छा करने वालों की सुरक्षा भी शनिदेव करते हैं। शनिदेव का व्रत एवं पूजन करने से वह प्रसन्न हो जाते हैं। शनि देव की प्रसन्नता के बाद व्यक्ति को परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है और शनि की दशा के समय उनके भक्तों को कष्ट की अनुभूति नहीं होती है।

  • शनि मन्त्र ॐ शनैश्वराय नम का जाप करें।

  • शनिवार को पीपल पर जल व तेल चढ़ाना, दीप जलाना, पूजा करना या परिक्रमा करना अति शुभ होता है। इससे शनिदेव जल्दी ही प्रसन्न हो जाते हैं और भक्त की इच्छापूर्ति करते हैं।

  • प्रत्येक शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करने तथा शनिदेव के दर्शन कर तेल चढ़ाने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं।

  • शनिदेव को शांत करने के लिए दान का विधान है। शनि की प्रसन्नता के लिए काले रंग की वस्तुएं जैसे काला कपड़ा, काले तिल,  काली उड़द, लोहा, काले वस्त्र, काले कंबल, छाता का दान या चढ़ावा शुभ होता है।

  • शनिवार को अखंड नारियल नदी में प्रवाहित करने से शांति मिलती है। 

  • शनिदेव के मंदिर के बाहर पुराने जूते और वस्त्रों का त्याग करना भी फायदा देता है।

  • तेल से बने परांठे पर कोई मीठा पदार्थ रखकर गाय के बछड़े को खिलाएं। यह छोटा और बहुत ही कारगर उपाय है। 

  • किसी कुत्ते को तेल चुपड़ी हुई रोटी खिलाएं। कुत्ता शनिदेव का वाहन है और जो लोग कुत्ते को खाना खिलाते हैं उनसे शनि अति प्रसन्न होते हैं।

  • काली चींटियों को गु़ड़ एवं आटा खिलाएं।

  • शनिवार या शनिश्चरी अमावस्या के दिन सूर्यास्त के समय जो भोजन बने उसे पत्तल में लेकर उस पर काले तिल डालकर पीपल की पूजा करें और नैवेद्य लगाएं। यह भोजन काली गाय या काले कुत्ते को खिला दें।

  • काले रंग का वस्त्र धारण करें।

  • शनिदेव का व्रत रखने से भी शनि प्रसन्न होते हैं। अगर व्रत न कर सकें तो मांसाहार व मदिरापान नहीं करना चाहिए और संयमपूर्वक प्रभु स्मरण करना चाहिए।

  • शनि को अनुकूल करने के लिये नीलम रत्न धारण करना प्रभावी माना गया है।

  • काले घोड़े की नाल का छल्ला मध्यमा अंगुली में धारण करें।

Tuesday, December 24, 2013

सांता आया, खुशियां लाया

सांता आया, खुशियां लाया


सांता क्लॉज़ क्रिसमस से जुड़ा एक लोकप्रिय पौराणिक परंतु कल्पित पात्र हैं। सांता क्लॉज़ को सेंट निकोलस , फादर क्रिसमस, क्रिस क्रिंगल, और "सांता" के नाम से जाना जाता है। सांता क्लॉज़ को आम तौर पर एक मोटे, हंसमुख सफ़ेद दाढ़ी वाले आदमी के रूप में चित्रित किया जाता है, जो सफ़ेद कॉलर और कफ़ वाला लाल कोट पहनता है, इसके साथ वह चमड़े की काली बेल्ट और बूट पहनता है। माना जाता है कि फादर क्रिसमस का पात्र ब्रिटेन में 17 वीं शताब्दी में लोकप्रिय था। उनकी तस्वीरें उसी समय से मौजूद हैं। इन तस्वीरों में उन्हें एक हंसमुख, दाढ़ी वाले व्यक्ति के रूप में दिखाया गया, जिसने एक लम्बी, हरी, पूरे अस्तर वाली पोशाक पहनी है।

सांता की आधुनिक छवि संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में 19 वीं सदी में लोकप्रिय हुई। इस छवि को लोकप्रिय बनाने में एक अमेरिकी कार्टूनिस्ट थॉमस नास्ट ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। 1863 में, नास्ट के द्वारा बनायी गयी सांता की एक तस्वीर हार्पर'स वीकली में प्रकाशित की गयी।  नास्ट की तस्वीरों के एक रंगीन संग्रह को 1869 में प्रकाशित किया गया, इसमें जोर्ज पी. वेबस्टर के द्वारा लिखी गयी एक कविता "सांता क्लॉज़ एंड हिस वर्क्स" भी थी। इसमें लिखा गया की सांता क्लॉज़ का घर "उत्तरी ध्रुव के पास, बर्फ में था"। यह कहानी 1870 के दशक तक काफी प्रसिद्ध हो गयी। गानों, रेडियो, टेलिविज़न, बच्चों की किताबों और फिल्मों के माध्यम से इस छवि को बनाये रखा गया है।

सांता क्लॉज़ की छवियां बाद में और अधिक लोकप्रिय हो गयीं जब हेद्दन संदब्लोम ने 1930 में कोका-कोला कम्पनी के क्रिसमस विज्ञापन के लिए उनका चित्रण किया। इस छवि की लोकप्रियता ने कुछ शहरी कथाओं को जन्म दिया कि सांता क्लॉज़ की खोज कोका कोला कंपनी के द्वारा की गयी है या यह कि सांता लाल और सफ़ेद रंग के कपड़े पहनता है क्योंकि इन रंगों का उपयोग कोका कोला ब्रांड को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है। हालांकि लाल और सफ़ेद रंग की पोशाक मूल रूप से थॉमस नास्ट के द्वारा दी गयी थी।

सांता का घर

अक्सर ऐसा कहा जाता है कि फादर क्रिसमस सांता क्लॉज़ फिनलैंड के लोपलैंड प्रान्त में कोरवातुन्तुरी के पहाड़ों में अपनी पत्नी श्रीमती क्लॉज़ के साथ रहते हैं। उनके साथ एक अनिर्दिष्ट परन्तु बड़ी संख्या में कल्पित बौने, और कम से कम आठ या नौ उड़ने वाले रेन्डियर रहते हैं। एक और लोककथा जो गीत "सांता क्लॉज़ इस कमिंग टू टाउन" में प्रचलित है, के अनुसार वह पूरी दुनिया के बच्चों की एक सूची बनाते हैं, उन्हें उनके व्यवहार ("शरारती" और "अच्छे") के अनुसार अलग अलग श्रेणियों में रखते हैं, और क्रिसमस की पूर्व संध्या वाली रात, दुनिया के सभी अच्छे लड़कों और लड़कियों को खिलौने, केंडी, और अन्य उपहार देते हैं, और कभी कभी शरारती बच्चों को कोयला देते हैं। इस काम के लिए वह अपने एक बौने की सहायता लेते हैं जो वर्कशॉप में उनके लिए खिलौने बनाता है।

कौन थे सांता

चर्च के इतिहास और लोक कथाओं से उपहार देने वाले पात्रों विशेष रूप से सेंट निकोलस और सिंटरक्लास के चित्रण को ब्रिटिश पात्र फादर क्रिसमस के साथ मिला दिय गया है, जिससे एक नया पात्र सामने आया है जिसे ब्रिटेन और अमेरिका के लोगों के द्वारा सांता क्लॉज़ के नाम से जाना जाता है। सेंट निकोलस चौथी सदी के एक ग्रीक ईसाई बिशप थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन ईसाई धर्म के लिए समर्पित कर दिया। निकोलस गरीब लोगों को उदार दिल से उपहार देने के लिए प्रसिद्द थे। उनका उद्देश्य था कि क्रिसमस और नववर्ष के दिन गरीब-अमीर सभी प्रसन्न रहें।  उनकी सद्भावना और दयालुता के किस्से लंबे अर्से तक कथा-कहानियों के रूप में चलते रहे। उन्होंने एक पवित्र ईसाई की तीन बेटियों के लिए दहेज़ दिया, ताकि उन्हें वेश्या बनने से रोका जा सके। एक कथा के अनुसार उन्होंने कोंस्टेटाइन प्रथम के स्वप्न में आकर तीन सैनिक अधिकारियों को मृत्यु दंड से बचाया था। सत्रहवीं सदी तक इस दयालु का नाम संत निकोलस के स्थान पर सांता क्लॉज हो गया। यूरोप में (विशेष रूप से नीदरलैंड्स, बेल्जियम, ऑस्ट्रिया और जर्मनी में) उन्हें आज भी ईसाई धर्म की पोशाक में एक दाढ़ी वाले बिशप के रूप में दर्शाया जाता है।

सांता, बच्चे और उपहार

क्रिसमस को अक्सर बच्चों के लिए तोहफे लाने के साथ जोड़ा जाता है। इसलिए बच्चों में इस पर्व को लेकर काफी उत्साह देखा जाता है। सांता क्लॉज़ बच्‍चों को प्‍यार करता है। माना जाता है कि क्रिसमस की रात सफेद रंग की बड़ी-बड़ी दाढ़ी-मूंछों वाले सांता क्लॉज रेंडियर पर चढ़कर किसी बर्फीले जगह से आते हैं यानी क्रिसमस फादर स्वर्ग से उतरकर चिमनियों के रास्ते घरों में प्रवेश करके सभी अच्छे बच्चों के लिए  उपहार छोड़ जाते हैं।

दुनिया भर के बच्चे सांता क्लॉज़ से उपहार पाने की उम्मीद में, उससे जुडी कई रस्में पूरी करते हैं। कुछ रस्में क्रिसमस के कुछ दिन या सप्ताह पहले पूरी की जाती हैं, जबकि कई अन्य रस्मों को क्रिसमस की पूर्व संध्या पर ही पूरा किया जाता है जैसे सांता के लिए विशेष नाश्ता बनाना। कुछ रस्में सदियों पुरानी हैं जैसे मोजा लटकाना, ताकि वह उपहारों से भर जाये। कुछ अन्य रस्में आधुनिक प्रकार की हैं जैसे क्रिसमस की पूर्व संध्या पर रात के आकाश में सांता की गाड़ी का नोराड के द्वारा पता लगाया जाना।

सांता को पत्र

सांता क्लॉज़ के लिए पत्र लिखना कई सालों से बच्चों में क्रिसमस की एक परम्परा रही है। इन पत्रों में बच्चे अक्सर खिलौनों की इच्छा जाहिर करते हैं और अच्छा व्यवहार करने का वादा करते हैं। मैक्सिको और अन्य लैटिन अमेरिकी देशों में, मेल के अलावा बच्चे कभी कभी अपने पत्र को एक छोटे से हीलियम के गुब्बारे में लपेट देते हैं, उसे हवा में छोड़ देते हैं। उन्हें लगता है कि जादू से यह पत्र सांता के पास पहुंच जाएगा। ब्रिटेन में कुछ लोगों में यह परंपरा है कि क्रिसमस के पत्रों को आग में जला दिया जाता है. ऐसा माना जाता है कि ये पत्र जादू से उत्तरी ध्रुव तक पहुंच जायेंगे. हालांकि इस प्रथा को सामान्य पोस्टल सेवा के उपयोग की तुलना में कम प्रभावी पाया गया है, और यह परंपरा आधुनिक समय में समाप्त होती जा रही है।

जीवन की निरंतरता का प्रतीक क्रिसमस ट्री

जीवन की निरंतरता का प्रतीक क्रिसमस ट्री

क्रिसमस के मौके पर क्रिसमस ट्री का विशेष महत्व है। क्रिसमस की पूर्व संध्या पर क्रिसमस ट्री दुल्हन की तरह सजाया जाता है। इस पर बिजली के रंगबिरंगे बल्ब जगमगाते रहते हैं। खूबसूरत फूल भी इसको महकाते हैं। इसे मिठाइयों, केक, रिबन और कलरफुल कागज लगाकर सजाया जाता है। लोग इस सदाबहार पेड़ को जीवन की निरंतरता का प्रतीक मानते हैं। उनका विश्वास है कि क्रिसमस ट्री को घरों में सजाने से बुरी आत्माएं दूर रहती हैं। अमेरिका के अरबपति क्रिसमस ट्री की विशेष सज्जा के लिए कीमती आभूषणों का प्रयोग करते हैं। हीरे-मोती से जड़े  आभूषण इसकी पतली-पतली टहनियों में पिरोए जाते हैं। बाद में इन आभूषणों को गरीबों में बांट दिया जाता है।

मॉडर्न क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा जर्मनी में शुरू हुई। उस समय एडम और ईव के नाटक में स्टेज पर फर के पेड़ लगाए जाते थे। इस पर सेब लटके होते थे और स्टेज पर एक पिरामिड भी रखा जाता था। इस पिरामिड को हरे पत्तों और मबत्तियों से सजाया जाता था और सबसे ऊपर एक सितारा लगाया जाता था। बाद में 16वीं शताब्दी में फर का पेड़ और पिरामिड एक हो गए और इसका नाम हो गया क्रिसमस ट्री। उसके बाद जर्मनी के लोगों ने 24 दिसंबर को फर के पेड़ से अपने घर की सजावट करनी शुरू कर दी।

क्रिसमस ट्री को घर-घर पहुंचाने में मार्टिन लूथर का भी काफी हाथ रहा। कहते हैं कि क्रिसमस के दिन जब लूथर अपने घर लौट रहे थे, तब उन्हें आसमान में टिमटिमाते हुए तारे बहुत खूबसूरत लगे, जो पेड़ों पर लगे होने का आभास दे रहे थे। उन्हें यह दृश्य इतना भाया कि वह पेड़ की डाल तोड़कर घर ले जाए और उसे तारों से सजा दिया।

18वीं शताब्दी तक क्रिसमस ट्री बेहद पॉप्युलर हो चुका था। इंग्लैंड में 1841 में राजकुमार पिंटो एलबर्ट ने विंजर कासल में क्रिसमस ट्री को सजावाया था, जिसे नार्वे की महारीनी ने प्रिंस को उपहार स्वरूप दिया था। उसने पेड़ के ऊपर एक देवता की दोनों भुजाएं फैलाए हुए मूर्ति भी लगवाई, जिसे काफी सराहा गया। क्रिसमस ट्री पर प्रतिमा लगाने की शुरुआत तभी से हुई। 19वीं शताब्दी तक क्रिसमस ट्री उत्तरी अमेरिका तक जा पहुंचा और वहां से कुछ ही दिनों में इसने पूरी दुनिया में अपनी जगह बना ली। 

क्रिसमस ट्री की उत्पत्ति को लेकर कई किवदंतियां हैं। क्रिसमस ट्री की कथा है कि जब महापुरुष ईसा का जन्म हुआ तो उनके माता-पिता को बधाई देने आए देवताओं ने एक सदाबहार फर को सितारों से सजाया। कहा जाता है कि उसी दिन से हर साल सदाबहार फर के पेड़ को 'क्रिसमस ट्री' प्रतीक के रूप में सजाया जाता है। 

क्रिसमस ट्री लगाने की शुरुआत ब्रिटेन के संत बोनीफस ने सातवीं शताब्दी में की। उन्होंने त्रियक परमेश्वर पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा की प्रतीकात्मकता दर्शाने के लिये त्रिकोणीय लकड़ी को लोगों के सामने रखा। यह लकड़ी फर वृक्ष की थी। ऐसा माना जाता है कि संत बोनिफेस इंग्लैंड को छोड़कर जर्मनी चले गए। जहां उनका उद्देश्य जर्मन लोगों को ईसा मसीह का संदेश सुनाना था। इस दौरान उन्होंने पाया कि कुछ लोग ईश्वर को संतुष्ट करने हेतु ओक वृक्ष के नीचे एक छोटे बालक की बलि दे रहे थे। गुस्से में आकर संत बोनिफेस ने वह ओक वृक्ष कट‍वा डाला और उसकी जगह फर का नया पौधा लगवाया, जिसे संत बोनिफेस ने प्रभु यीशु मसीह के जन्म का प्रतीक माना और उनके अनुयायियों ने उस पौधे को मोमबत्तियों से सजाया। तभी से क्रिसमस पर क्रिसमस ट्री सजाने की परंपरा चली आ रही है।

इसके अलावा इससे जुड़ी एक और कहानी मशहूर है, वह यह कि एक बार क्रिसमस पूर्व की संध्या में कड़ाके की ठंड में एक छोटा बालक घूमते हुए खो जाता है। ठंड से बचने के लिए वह आसरे की तलाश करता है, तभी उसको एक झोपड़ी दिखाई देती है। उस झोपड़ी में एक लकड़हारा अपने परिवार के साथ आग ताप रहा होता है। लड़का इस उम्मीद के साथ दरवाजा खटखटाता है कि उसे यहां आसरा मिल जाएगा। लकड़हारा दरवाजा खोलता है और उस बालक को वहां खड़ा पाता है। उस बालक को ठंड में ठिठुरता देख लकड़हारा उसे अंदर बुला लेता है। उसकी बीवी उस बच्चे की सेवा करती है। उसे नहला कर, खाना खिलाकर अपने सबसे छोटे बेटे के साथ उसे सुला देती है। दरअसल, वह बच्चा एक फरिश्ता था। जब सुबह हुई, तो उस लड़के ने जंगल में लगे हुए फर के पेड़ से एक तिनका निकाला और लकड़हारे को दे दिया। बालक ने लकड़हारे से कहा कि वह इसे जमीन में दबा दे। अगले साल क्रिसमस पर इस पेड़ में फल आएंगे। लकड़हारे ने वैसा ही किया। एक साल बाद वह पेड़ पर सोने के सेब और चांदी के अखरोट से भर गया। यह था वो क्रिसमस ट्री, जिसे आज भी हम सभी सजाते हैं।

कहा जाता है, यूरोप में  पहले ‘यूल’ नामक पर्व मनाया जाता था, जो अब बड़ा दिन के उत्सव में घुल मिल गया है। इस त्योहार में पेड़ों को खूब सजाया जाता था। सम्भवत: इसी से क्रिसमस ट्री की प्रथा चल पड़ी।

कुछ लोगों का कहना है कि ईसा पूर्व से ही क्रिसमस ट्री की परम्परा कायम थी। सदाबहार फर वृक्ष के ईसा पूर्व भी पवित्र माना जाता था। मिस्र के लोग शरद ऋतु में सबसे छोटे दिन का त्योहार मनाते थे। इसदिन वे खजूर के पत्ते अपने घरों में लाते थे, जो जीवन का मृत्यु पर विजय का प्रतीक था। रोम के निवासी शनि त्योहार के दिन हरे पेड़ की शाखाओं को हाथ में लेकर ऊपर उठाते थे और त्योहार में शामिल होते थे।

आया खुशियों का त्यौहार ‘क्रिसमस’


आया खुशियों का त्यौहार ‘क्रिसमस’ 

क्रिसमस शब्‍द का जन्‍म क्राईस्‍टेस माइसे अथवा ‘क्राइस्‍टस् मास’ शब्‍द से हुआ है। क्रिसमस या बड़ा दिन प्रभु के पुत्र ईसा मसीह या यीशु के जन्म की खुशी में पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है और आमतौर पर इस दिन लगभग पूरी दुनिया में छुट्टी रहती है। यूं तो 25 दिसंबर को यीशु का जन्मदिन होने का कोई तथ्यपूर्ण प्रमाण उपलब्ध नहीं है, लेकिन समूची दुनिया इसी तिथि को यह रोमन पर्व सदियों से मनाती चली आ रही है। ऐसा अनुमान है कि पहला क्रिसमस रोम में 336 ईस्वी में मनाया गया था।

परम्परागत रूप से क्रिसमस 12 दिन तक चलने वाला उत्सव है। प्रभु ईसा मसीह का जन्मदिन संपूर्ण विश्व में 
सभी समुदाय के लोग अपनी-अपनी परंपराओं एवं रीति-रिवाजों के अनुसार श्रद्धा, भक्ति, निष्ठा और उल्लास के साथ एक धर्मनिरपेक्ष, सांस्कृतिक उत्सव के रूप मे मनाते हैं। क्रिसमस की पूर्व संध्या यानि 24 दिसंबर को ही इससे जुड़े समारोह शुरु हो जाते हैं। गिरजाघरों को बिजली की लडिय़ों से आकर्षक ढंग से सजाया जाता है। यहां यीशु के जन्म से संबंधित झांकियां तैयार की जाती हैं। कैरोल (Carols) गाए जाते हैं।

क्रिसमस की पूर्व रात्रि, गि‍‍‍‍रिजाघरों में रात्रिकालीन प्रार्थना सभा की जाती है जो रात के 12 बजे तक चलती है क्योंकि 24 दिसंबर की आधी रात यीशु का जन्म होना माना जाता है। ठीक 12 बजे लोग अपने प्रियजनों को क्रिसमस की बधाइयां देते हैं, खुशियां मनाते हैं और एक-दूसरे को उपहार देते हैं। अगले दिन धूमधाम से त्योहार मनाया जाता है। क्रिसमस की सुबह गि‍‍‍‍रिजाघरों में विशेष प्रार्थना सभा होती है। क्रिसमस के दौरान प्रभु की प्रशंसा में लोग कैरोल गाते हैं। वे प्‍यार व भाई चारे का संदेश देते हुए घर-घर जाते हैं। क्रिसमस का विशेष व्यंजन केक है, केक बिना क्रिसमस अधूरा होता है। भगवान यीशु मसीह के जन्मोत्सव को सेलीब्रेट करने के लिए क्रिसमस केक भी गिरिजाघरों में सजाए जाते हैं।

व्यापक रूप से स्वीकार्य एक ईसाई पौराणिक कथा के अनुसार, प्रभु ने मेरी नामक एक कुंवारी लड़की के पास गैब्रियल नामक देवदूत को भेजा, जिसने मेरी को बताया कि वह प्रभु के पुत्र को जन्म देगी तथा बच्चे का नाम जीसस रखा जाएगा। वह बच्चा बड़ा होकर राजा बनेगा और उसके राज्य की कोई सीमा नहीं होगी।

देवदूत गैब्रियल, एक भक्त जोसफ के पास भी गया और उसे बताया कि मेरी एक बच्चे को जन्म देगी, तथा उसे (जोसफ को) मेरी की देखभाल करनी चाहिए। जिस रात जीसस का जन्म हुआ, उस समय नियमों के अनुसार अपने नाम पंजीकृत कराने के लिए मेरी और जोसफ बेथलेहम जाने के रास्ते में थे। उन्‍होंने एक अस्‍तबल में शरण ली, जहां मैरी ने आधी रात को जीसस को जन्‍म दिया तथा उसे एक नांद में लिटा दिया। इस प्रकार प्रभु के पुत्र जीसस का जन्‍म हुआ।

सच्चाई, ईमानदारी की राह पर चलने और दीन-दुखियों की भलाई की सीख देने वाले ईसा मसीह के विचार उस समय के क्रूर शासक पर नागवार गुजऱे और उसने प्रभु-पुत्र को सूली पर टांगकर हथेलियों में कीलें ठोंक दीं। इस यातना से यीशु के शरीर से प्राण निकल गए, मगर कुछ दिन बाद वह फिर जीवित हो उठे। ईसा के दोबारा ज़िन्दा हो जाने की खुशी में ईस्टर मनाया जाता है।


Friday, December 20, 2013

ऐसा करने से शनि का कोप शांत होता है

ऐसा करने से शनि का कोप शांत होता है

सूर्य पुत्र शनि देव का नाम सुनकर लोग सहम से जाते हैं। शनि की टेढ़ी चाल से किसे डर नहीं लगता, उनके क्रोध से देवता भी थर-थर कांपते हैं, कहते हैं शनि की कृपा राजा को रंक और रंक को राजा बना सकती है। लेकिन  शनि देव इंसान के कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं। शनिदेव का व्रत एवं पूजन करने से वह प्रसन्न हो जाते हैं। शनि देव की प्रसन्नता के बाद व्यक्ति को परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है और शनि की दशा के समय उनके भक्तों को कष्ट की अनुभूति नहीं होती है।

* शनिवार के दिन  शनि देव को नीले लाजवंती का फूल, तिल, तेल, गु़ड़ अर्पण करें।

* पीपल में जल दें और पीपल की जड़ पर तिल या सरसों के तेल का दीपक जलाएं।

* शनि मन्त्र ॐ शनैश्वराय नम: का जाप करें।

* काली चींटियों को गु़ड़ एवं आटा खिलाएं।

* किसी कुत्ते को तेल चुपड़ी हुई रोटी खिलाएं। कुत्ता शनिदेव का वाहन है और जो लोग कुत्ते को खाना खिलाते हैं उनसे शनि अति प्रसन्न होते हैं।

* तिल और उड़द से बने पकवान शनिदेव को भोग लगाएं। शनिवार को साबुत उडद किसी भिखारी को दान करें या कौए को खिलाएं।

* काले रंग का वस्त्र धारण करें।

* शनिवार के दिन शनि भगवान का व्रत रखें। शनि चालीसा का पाठ, शनि मंत्रों का जाप एवं हनुमान चालीसा का पाठ करें।

* शनि की शांति के लिए नीलम भी पहन सकते हैं। काले घोड़े की नाल का छल्ला मध्यमा अंगुली में धारण करें।

* शनिवार को शनि ग्रह की वस्तुओं का दान करें, शनि ग्रह की वस्तुएं हैं –काला उड़द,चमड़े का जूता, नमक, सरसों तेल, तेल, नीलम, काले तिल, लोहे से बनी वस्तुएं, काला कपड़ा आदि।

Saturday, December 7, 2013

भाजपा में मतभेद हैं, पर मनभेद नहीं: विनीत जोशी

 भाजपा में मतभेद हैं, पर मनभेद नहीं: विनीत जोशी

भाजपा के नौजवान नेता और पंजाब सरकार के असिस्टेंट मीडिया एडवाइजर विनीत जोशी से आगामी लोकसभा चुनावों में भाजपा अकालीदल गठबंधन की  कारगुजारी, पार्टी में बढ़ती गुटबंदी, शहरियों पर बढ़े टैक्सों, पार्टी में महिलाओं की स्थिति पर मीनाक्षी गांधी ने उनसे बात की...

अगले साल लोकसभा के चुनाव हैं, आपके मुताबिक लोकसभा चुनाव में अकाली-भाजपा गठबंधन की क्या कारगुजारी रहेगी? इन चुनावों में पंजाब में कितनी लोकसभा सीटें हासिल करने में कामयाब रहेंगे?
— हमने विधानसभा चुनावों में भी सभी दांवों को गलत साबित कर दिया था और पूरे बहुमत के साथ दोबारा सरकार बनाई है। इस बार हमें पूरी उम्मीद है कि हम लोकसभा की सभी 13 सीटों पर विजयी रहेंगे। हमने विकास के काफी काम किए हैं, जनता हमें वोट जरूर देगी।

पंजाब की एक ही लोकसभा सीट भाजपा के पास है अमृतसर की... यहां नवजोत सिंह सिद्धु की सुखबीर बादल से नहीं बन रही। ऐसे में शहर के विकास के काम रुके पड़े हैं। शहरी वोटर जो आपका परम्पराग वोकबैंक है, वो आपको वोट क्यों देगा?
— सिद्धु जी की लड़ाई विकास को लेकर नहीं है। उनकी लड़ाई सांसद कोष को लेकर थी। वो भी अब सुलझ चुकी है।

जालंधर में मेयर और सीनियर डिप्टी मेयर में एक साल में पांच छह बार लड़ाई हो गई है और वो भी विकास को लेकर नहीं, आपसी अहम को लेकर. अभी भी वे एक दूसरे से खफा चल रहे हैं ऐसे में शहर का विकास कैसे होगा... सड़कें टूटी पड़ी हैं, जगह जगह कूड़े के ढेर लगे हैं... लोग नाराज हैं आपकी पार्टी से... नेताओं में भी गुटबाजी चल रही है...
— पार्टी में गुटबाजी नहीं है। मतभेद हैं पर मनभेद नहीं हैं। हमारी पार्टी में सभी वर्गों और तबकों के लोग हैं, ऐसे में विचारों की भिन्नता लाज़मी ही है। लेकिन इसके बावजूद सभी लोग मिलकर पार्टी और लोगों के हित के लिए काम कर रहे हैं।

अकाली भाजपा सरकार की कारगुजारी से भाजपा के वोटर बेहद हताश हैं। क्या आप सिर्फ 
नरेंद्र मोदी के नाम पर जीतने की उम्मीद कर रहे हैं?
— मोदी जी का नाम तो है ही, पर साथ ही हमारा काम भी है। पंजाब में हमारे मंत्री और विधायक लगातार लोगों की सेवा में लगे हए हैं। पहले भी वोटर ने हमें हमारे काम के लिए हमें वोट दिए और अब भी उम्मीद है कि वो हमें ही चुनेंगे।

शहरी वोटर को आपने टैक्सों के बोझ के नीचे इस कदर दबा दिया है कि उसका सांस तक ले पाना मुश्किल हो रहा है। प्रॉपर्टी टैक्स से लोग परेशान हैं। शहर में लोगों को मूलभूत सुविधाएं तो मिल नहीं पा रहीं, ऐसे में टैक्सों का लगातार बढ़ता बोझ... आप सरकार में रहकर जिन शहरियों के हितों को अनदेखा कर रहे हैं क्या उनसे वोट पाने की उम्मीद आपको करनी चाहिए?
— हमारा वोटर शहरी भी है और ग्रामीण भी। पंजाब में हम 23 सीटों से चुनाव लड़ते हैं, इनमें से कुछेक सीटें ही ऐसी हैं जहां शहर वोटर ज्यादा है। बाकी पर ग्रामीण वोटर बहुसंख्या में हैं। यह आरोप सही नहीं है कि हम शहरी वोटर की अनदेखी कर रहे हैं। लोगों का पैसा लोगों के ही विकास पर खर्च होगा।

सुखबीर बादल कहते हैं कि पंजाब में बिजली सरप्लस हो जाएगी, पर अभी भी कट्स लगने बंद नहीं हुए हैं... मौजूदा इंडस्ट्री को देने के लिए सरकार के पास बिजली नहीं है, इंडस्ट्री राज्य से बाहर पलायन कर रही है। ऐसे में नई इंडस्ट्री राज्य में कैसे आ पाएगी और इंडस्ट्री की तरक्की के बगैर राज्य की उन्नति कैसे होगी?
— पंजाब में दिसंबर तक बिजली का आपूर्ति बढ़ जाएगी। इस बार गर्मियों में बिजली का कोई कट नहीं लगेगा। उद्योगों को राहत देने के लिए कई उपाय किए गए हैं। इसी के चलते कई बड़े उद्योगिक घराने पंजाब में नए उद्योग लगा रहे हैं। उनके यहां आने से राज्य का राजस्व भी बढ़ेगा और लोगों को रोजगार भी मिलेगा।

स्टील इंडस्ट्री पंजाब सरकार द्वारा पांच फीसदी एंट्री टैक्स लगाए जाने से नाराज है। पड़ोसी राज्य हरियाणा और यूपी में एक फीसदी एंट्री टैक्स है ऐसे में पंजाब की इंडस्ट्री इनके साथ प्रतिस्पर्धा कैसे कर पाएगी? 
— ई ट्रिप या एडवांस टैक्स कोई नया टैक्स नहीं है बल्कि टैक्स प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए ये कदम उठाए गए हैं। ई ट्रिप लागू होने के बाद कारोबार में किसी तरह का नुकसान नहीं हो रहा। ई ट्रिप तो आनलाइन व्यवस्था है जिसके तहत व्यापारी ने अपने बेचे गए सामान की जानकारी देनी है। यह आसान है। एडवांस टैक्स, प्रापर्टी टैक्स और प्लाट रेगुलराइजेशन से आने वाली आमदनी से शहरी विकास किया जाएगा।

भाजपा लोकसभा और विधानसभा चुनावों में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण की बात तो करती है, लेकिन कभी भी महिलाओं को संगठन और चुनावों में उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया। क्या आपको नहीं लगता कि पंजाब के मौजूदा मंत्रिमंडल में किसी महिला को भी जगह दी जानी चाहिए थी?
— हम चाहते हैं कि महिलाएं राजनीति में आगे आएं। संगठन में हर स्तर पर महिलाओं को पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया जा रहा है। यह सिर्फ भाजपा ही है जिसमें महिलाओं को संगठन में 33 फीसदी सीटें दी गई हैं।

क्या इस बार तीन में से एक सीट पर किसी महिला को टिकट दिया जाएगा? 
— जो भी डिसर्विंग कैंडिडेट होगा, टिकट उसे ही मिलेगी। अगर कोई महिला उम्मीदवार मिल जाए, तो टिकट उसे भी दिया जा सकता है।

क्या आपको नहीं लगता कि आपकी पार्टी के वरिष्ठ नेता महिलाओं को उचित सम्मान नहीं दे पाते। तहलका मामले को ही लें...एक महिला को हक दिलवाने के नाम पर दूसरी महिला के घर के बाहर प्रदर्शन करना और वो भी तब जब उस पर कोई दोष ना हो? 
— विजय जॉली जी कई एनजीओ के साथ जुड़े हैं। उनकी ओर से उन्होंने विरोध दर्ज करवाया है। यह बीजेपी का नज़रिया नहीं है। खुद बीजेपी ने भी इसकी निंदा की है। जॉली जी ने भी अपनी इस हरकत पर माफी मांग ली है। वैसे यह भी सच है कि शोमा चौधरी लगातार बलात्कार कांड में फंसे तरुण तेजपाल को बचाने की कोशिश कर रही हैं।

http://www.punjabkesari.in/news/%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%AA%E0%A4%BE-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%AE%E0%A4%A4%E0%A4%AD%E0%A5%87%E0%A4%A6-%E0%A4%B9%E0%A5%88%E0%A4%82-%E0%A4%AA%E0%A4%B0-%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A4%AD%E0%A5%87%E0%A4%A6-%E0%A4%A8%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%82-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%80%E0%A4%A4-%E0%A4%9C%E0%A5%8B%E0%A4%B6%E0%A5%80-194531

Friday, November 1, 2013

विधि-विधान से ऐसे करें मां लक्ष्मी का पूजन

विधि-विधान से ऐसे करें मां लक्ष्मी का पूजन

दीवाली पर लक्ष्मी माता को प्रसन्न करने के लिए लक्ष्मी माता की पूजा की जाती है। लक्ष्मी आ जाने के बाद बुद्धि विचलित न हो इसके लिए लक्ष्मी के साथ गणपति भगवान की भी पूजा की जाती है। देवताओं के खजांची हैं भगवान कुबेर इसलिए दीपावली की रात में इनकी पूजा भी होती है। ऐसी मान्यता है कि माता लक्ष्मी भगवान विष्णु की पूजा के बिना प्रसन्न नहीं होती है। इसलिए विष्णु की भी पूजा होती है। दीपावली की रात मां काली और सरस्वती की भी पूजा लक्ष्मी जी के साथ होती है क्योंकि लक्ष्मी, काली और सरस्वती मिलकर आदि लक्ष्मी बन जाती हैं। इस दिन देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होने के बाद भक्त को कभी धन की कमी नहीं होती। भगवती महालक्ष्मी चल एवं अचल संपत्ति देने वाली हैं। दीपावली की रात लक्ष्मीजी के विधिवत पूजन से हमारे सभी दुख और कष्ट दूर होते हैं। लक्ष्मी पूजन की संक्षिप्त विधि निम्न प्रकार से है:

लक्ष्मी पूजन की सामग्री:

महालक्ष्मी पूजन में केशर, रोली, चावल, पान, सुपारी, फल, फूल, दूध, खील, बताशे, सिंदूर, सूखे, मेवे, मिठाई, दही, गंगाजल, धूप, अगरबत्ती, दीपक, रूई तथा कलावा नारियल और तांबे का कलश चाहिए। इसमें मां लक्ष्मी को कुछ वस्तुएं बेहद प्रिय हैं। उनका उपयोग करने से वह शीघ्र प्रसन्न होती हैं। इसलिए इनका उपयोग जरूर करें।
वस्त्र : लाल-गुलाबी या पीले रंग का रेशमी वस्त्र है।
पुष्प : कमल व गुलाब
फल : श्रीफल, सीताफल, बेर, अनार व सिंघाड़े
सुगंध : केवड़ा, गुलाब, चंदन के इत्र
अनाज : चावल तथा मिठाई में घर में बनी शुद्धता पूर्ण केसर की मिठाई या हलवा, शिरा का नैवेद्य
प्रकाश के लिए गाय का घी, मूंगफली या तिल्ली का तेल

पूजा की तैयारी:

एक चौकी पर माता लक्ष्मी और भगवान श्रीगणेश की मूर्तियां इस प्रकार रखें कि लक्ष्मी जी की दाईं दिशा में श्रीगणेश रहें और उनका मुख पूर्व दिशा की ओर रहे। कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखें। नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि नारियल का अग्रभाग दिखाई देता रहे व इसे कलश पर रखें। यह कलश वरुण का प्रतीक है। दो बड़े दीपकों में से एक में घी व दूसरे में तेल डालें। एक दीपक चौकी के दाईं ओर रखें व दूसरा मूर्तियों के चरणों में। एक छोटा दीपक गणेशजी के पास रखें।

मूर्तियों वाली चौकी के सामने छोटी चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछाएं। कलश की ओर एक मुट्ठी चावल से इस पर नवग्रह की प्रतीक नौ ढेरियां बनाएं। गणेशजी की ओर चावल की सोलह ढेरियां बनाएं। ये सोलह मातृका की प्रतीक हैं। नवग्रह व षोडश मातृका के बीच स्वस्तिक का चिह्न बनाएं। इसके बीच सुपारी रखें व चारों कोनों पर चावल की ढेरी। सबसे ऊपर बीचोंबीच ॐ लिखें। छोटी चौकी के सामने तीन थाली व जल भरकर कलश रखें।
थालियों की निम्नानुसार व्यवस्था करें
1. ग्यारह दीपक
2. खील, बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चन्दन का लेप, सिन्दूर, कुंकुम, सुपारी, पान
3. फूल, दुर्वा, चावल, लौंग, इलायची, केसर-कपूर, हल्दी-चूने का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती, एक दीपक।
इन थालियों के सामने यजमान बैठें। परिवार के सदस्य उनके बाईं ओर बैठें। कोई आगंतुक हो तो वह आपके या आपके परिवार के सदस्यों के पीछे बैठे।

पूजा की विधि


पवित्रिकरण:
सबसे पहले पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके खुद का तथा पूजन सामग्री का जल छिड़ककर पवित्रिकरण करें और साथ में मंत्र पढ़ें।

ॐ पवित्रः अपवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपिवा।
यः स्मरेत्‌ पुण्डरीकाक्षं स वाह्यभ्यन्तर शुचिः॥
पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग षिः सुतलं छन्दः कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥

आचमन:
ऊं केशवाय नम:, ऊं माधवाय नम:, ऊं नारायणाय नम:, फिर हाथ धोएं, पुन: आसन शुद्धि मंत्र बोलें-
ऊं पृथ्वी त्वयाधृता लोका देवि त्यवं विष्णुनाधृता।
त्वं च धारयमां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥
ऊँ महालक्ष्म्यै नम: मंत्र जप के साथ महालक्ष्मी के समक्ष आचमनी से जल अर्पित करें। शुद्धि और आचमन के बाद चंदन लगाना चाहिए। अनामिका उंगली से श्रीखंड चंदन लगाते हुए यह मंत्र बोलें
चन्‍दनस्‍य महत्‍पुण्‍यम् पवित्रं पापनाशनम्, आपदां हरते नित्‍यम् लक्ष्‍मी तिष्‍ठतु सर्वदा।

संकल्प:
संकल्प में पुष्प, फल, सुपारी, पान, चांदी का सिक्का, नारियल (पानी वाला), मिठाई, मेवा, आदि सभी सामग्री थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर संकल्प करें कि हे महालक्ष्मी मैं आपका पूजन कर रहा हूं।

गणपति पूजन:
किसी भी पूजा में सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा की जाती है। इसलिए आपको भी सबसे पहले गणेश जी की ही पूजा करनी चाहिए। हाथ में पुष्प लेकर गणपति का ध्यान करें-
गजाननम्भूतगणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्।
आवाहन: ऊं गं गणपतये इहागच्छ इह तिष्ठ।।
तना कहकर पात्र में अक्षत छोड़ें। पूजन के बाद गणेश जी को प्रसाद अर्पित करें।

नवग्रहों का पूजन:
हाथ में थोड़ा सा जल ले लीजिए और आह्वान व पूजन मंत्र बोलिए और पूजा सामग्री चढ़ाइए। फिर नवग्रहों का पूजन कीजिए। हाथ में चावल और फूल लेकर नवग्रह का ध्यान करें :-
ओम् ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी भानु: शशि भूमिसुतो बुधश्च।
गुरुश्च शुक्र: शनिराहुकेतव: सर्वे ग्रहा: शान्तिकरा भवन्तु।।
नवग्रह देवताभ्यो नम: आहवयामी स्थापयामि नम:।

षोडशमातृका पूजन:
इसके बाद भगवती षोडश मातृकाओं का पूजन किया जाता है। हाथ में गंध, अक्षत, पुष्प ले लीजिए। सोलह माताओं को नमस्कार कर लीजिए और पूजा सामग्री चढ़ा दीजिए। सोलह माताओं की पूजा के बाद मौली लेकर भगवान गणपति पर चढ़ाइए और फिर अपने हाथ में बंधवा लीजिए और तिलक लगा लीजिए। अब महालक्ष्मी की पूजा प्रारंभ कीजिए। गणेशजी, लक्ष्मीजी व अन्य देवी-देवताओं का विधिवत षोडशोपचार पूजन, श्री सूक्त, लक्ष्मी सूक्त व पुरुष सूक्त का पाठ करें और आरती उतारें। पूजा के उपरांत मिठाइयां, पकवान, खीर आदि का भोग लगाकर सबको प्रसाद बांटें।

कलश पूजन:
 ऊं कलशस्य मुखे विष्णु: कंठे रुद्र: समाश्रित: मूले त्वस्य स्थितो ब्रह्मा मध्ये मातृगणा: स्मृता:। इसके बाद तिजोरी या रुपए रखने के स्थान पर स्वास्तिक बनाएं और श्लोक पढ़ें- मंगलम भगवान विष्णु, मंगलम गरुड़ध्वज: मंगलम् पुंडरीकाक्ष: मंगलायतनो हरि:।

लक्ष्मी पूजन:
ॐ या सा पद्मासनस्था, विपुल-कटि-तटी, पद्म-दलायताक्षी।
गम्भीरावर्त-नाभिः, स्तन-भर-नमिता, शुभ्र-वस्त्रोत्तरीया।।
लक्ष्मी दिव्यैर्गजेन्द्रैः। मणि-गज-खचितैः, स्नापिता हेम-कुम्भैः।
नित्यं सा पद्म-हस्ता, मम वसतु गृहे, सर्व-मांगल्य-युक्ता।।
इसके बाद लक्ष्मी देवी की प्रतिष्ठा करें। हाथ में अक्षत लेकर बोलें
“ॐ भूर्भुवः स्वः महालक्ष्मी, इहागच्छ इह तिष्ठ,
एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम्।”
प्रतिष्ठा के बाद स्नान कराएं: ॐ मन्दाकिन्या समानीतैः, हेमाम्भोरुह-वासितैः स्नानं कुरुष्व देवेशि, सलिलं च सुगन्धिभिः।।
ॐ लक्ष्म्यै नमः।।
इदं रक्त चंदनम् लेपनम् से रक्त चंदन लगाएं।
इदं सिन्दूराभरणं से सिन्दूर लगाएं।
‘ॐ मन्दार-पारिजाताद्यैः, अनेकैः कुसुमैः शुभैः।
पूजयामि शिवे, भक्तया, कमलायै नमो नमः।।
ॐ लक्ष्म्यै नमः, पुष्पाणि समर्पयामि।’ इस मंत्र से पुष्प चढ़ाएं फिर माला पहनाएं। अब लक्ष्मी देवी को इदं रक्त वस्त्र समर्पयामि कहकर लाल वस्त्र पहनाएं। पूजन के बाद लक्ष्मी जी की आरती करना न भूलें। आरती के बाद प्रसाद का भोग लगाएं। इसी वक्त दीप का पूजन करें।

दीपक पूजन:
दीपक ज्ञान के प्रकाश का प्रतीक है। हृदय में भरे हुए अज्ञान और संसार में फैले हुए अंधकार का शमन करने वाला दीपक देवताओं की ज्योर्तिमय शक्ति का प्रतिनिधि है। इसे भगवान का तेजस्वी रूप मान कर पूजा जाना चाहिए। भावना करें कि सबके अंत:करण में सद्ज्ञान का प्रकाश उत्पन्न हो रहा है। बीच में एक बड़ा घृत दीपक और उसके चारों ओर ग्यारह, इक्कीस, अथवा इससे भी अधिक दीपक, अपनी पारिवारिक परंपरा के अनुसार तिल के तेल से प्रज्ज्वलित करके एक परात में रख कर आगे लिखे मंत्र से ध्यान करें। दीप पूजन करने के बाद पहले मंदिर में दीपदान करें और फिर घर में दीए सजाएं। दीवाली की रात लक्ष्मी जी के सामने घी का दीया पूरी रात जलना चाहिए।

मां वैभव लक्ष्मी की आरती


ऊँ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता.
तुमको निशदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥ ऊँ जय लक्ष्मी माता

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता.
सूर्य चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥ ऊँ जय लक्ष्मी माता

दुर्गा रुप निरंजनि, सुख-सम्पत्ति दाता.
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्घि-सिद्घि धन पाता॥ ऊँ जय लक्ष्मी माता

तुम पाताल निवासिनी, तुम ही शुभदाता.
कर्म प्रभाव प्रकाशिनि, भवनिधि की त्राता॥ ऊँ जय लक्ष्मी माता

जिस घर में तुम रहती, सब सद्गुण आता.
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥ ऊँ जय लक्ष्मी माता

तुम बिन यज्ञ न होवे, वस्त्र न कोई पाता.
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता॥ ऊँ जय लक्ष्मी माता

शुभ-गुण मंदिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता.
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥ ऊँ जय लक्ष्मी माता

श्री महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई नर गाता.
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता ॥ ऊँ जय लक्ष्मी माता

Thursday, October 31, 2013

हर रंग की अपनी जुबां

 हर रंग की अपनी जुबां

रंगों का हमारी जिंदगी से बेहद गहरा संबंध है। रंग हमारी विचारधारा व व्यक्तित्व को भी प्रभावित करते हैं। दीवारों के रंग आपके मूड को तय करते हैं। कुछ अपवादों को छोड़कर अकसर हम उन्हीं रंगों की ओर आकर्षित होते हैं, जिन्हें हम अधिक पसंद करते हैं। आजकल लोग कमरों की दीवारों पर दो या दो से अधिक रंगों के लुक को अपना रहे हैं। कमरे की एक दीवार पर ऑरेंज तो दूसरी पर ब्लू और तीसरी अन्य रंगों से पुतवाने के प्रति रुचि ले रहे हैं। यदि दो रंगों का इस्तेमाल किया है तो वे अलग प्रभाव डालते हैं।

याद रखें कमरे में तीन से ज्यादा रंग कभी इस्तेमाल नहीं करने चाहिए वरना उसमें भटकाव का अहसास होगा। रंगों को दो भागों में बांटा जा सकता है। एक होते हैं गहरे और गर्म, दूसरे होते हैं शीतल या हल्के। गरम रंग ऊष्मा प्रदान करते हैं और हल्के रंग शांति। रंगों का गहरा या हल्का होना कमरे या घर के तापमान को भी प्रभावित कर सकता है। घर के आकार और कमरों के स्थान को देखकर रंग पसंद करना जरूरी है। कमरे का समूचा प्रभाव रंग के वजन पर निर्भर करता है।

हल्के रंगों का वजन हल्का होता है, जबकि गहरे रंग बहुत भारी होते हैं यानी गहरे रंग जगह घेरते हैं और हल्के रंग जगह बनाते हैं। हल्के रंग कमरे का आकार बड़ा होने का फील देते हैं जबकि डार्क कलर कमरे का आकार छोटा होने का अहसास कराते हैं। अगर आप चाहती हैं कि कमरा बड़ा दिखाई दे तो इसके लिए हल्के रंग का प्रयोग करें और अगर जगह बहुत बड़ी है उसको छोटा दिखाना है तो गहरे रंगों का प्रयोग करें। छत के लिए रंगों का चयन उसकी ऊंचाई को ध्यान में रख कर करना चाहिए। कमरे की ऊंचाई कम हो तो हल्के रंगों का प्रयोग सही रहता है। कमरे की दीवारें सफेद हैं तो कमरे की छत को दूसरा रंग दिया जा सकता है।

हर रंग कुछ कहता है

जानकार मानते हैं कि हर रंग हर कमरे पर फिट नही बैठता इसीलिए कुछ रंगों को तो बडी सूझबूझ से ही इस्तेमाल करना चाहिए। रंगों का मनोविज्ञान और रंगों की भाषा को यदि हम गहराई से पढऩे की कोशिश करेंगे तो हम पाएंगे कि हर रंग हमसे कुछ कहता है। हरे रंग को शांत, लाल को उत्तेजक और पीले रंग को दिमागी गतिविधियां बढाने वाला माना जाता है।

सफेद: सफेद रंग सुख समृद्धि तथा शांति का प्रतीक है यह मानसिक शांन्ति प्रदान करता है। किचन के लिए यह रंग सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

काला: काला, ग्रे, बादली आदि रंग नकारात्मक प्रभाव छोडते हैं। अत: घर की दिवारों पर इनका प्रयोग यथा संभव कम करना चाहिए।

चटख लाल: लाल को गतिशील, ताकतवर और उत्तेजक रंग माना जाता है। लाल रंग रक्तचाप को बढ़ाने वाला रंग कहा जाता है, जबकि नीले रंग का प्रभाव इससे ठीक उलटा होता है।

नारंगी: यह रंग लाल और पीले रंग के समन्वय से बनता है। यह रंग हमारे मन में भावनाओं और ऊर्जा का संचार करता है। इस रंग के प्रभाव से जगह थोड़ी संकरी लगती है परंतु यह रंग हमारे घर को एक पांरपरिक लुक देता है। दीवारों पर सजा नारंगी रंग आपकी भूख को बढ़ाता है जबकि बैंगनी रंग आपकी भूख कम करता है।

गुलाबी: गुलाबी रंग हमें सुकून देता है तथा परिवारजनों में आत्मीयता बढ़ाता है। बेडरूम के लिए यह रंग बहुत ही अच्छा है। रसोईघर में, ड्राईंग रूम में, डायनिंग रूम और मेकअप रूम में गुलाबी रंग का अधिक प्रयोग करना चाहिए। पीला : यह रंग हमें गर्माहट का अहसास देता है। जिस कमरे में सूर्य की रोशनी कम आती हो, वहां दीवारों पर पीले रंग का प्रयोग करना चाहिए। पीला रंग सुकून व रोशनी देने वाला रंग है। ऑफिस में अक्सर पीला रंग इस्तेमाल किया जाता है ताकि लोगों को ऊर्जा का अहसास हो।

हरा: हरा रंग शांत और संतुलित माना जाता है। नीला : नीला रंग शांति और सुकून का परिचायक है। यह घर में आरामदायक माहौल पैदा करता है। बेड रूम में नीला रंग करवाएं या नीले रंग का बल्व लगाएं। नीला रंग अधिक शांतिमय निद्रा प्रदान करता है। विशेष कर अनिद्रा के रोगी के लिये तो यह वरदान स्वरूप है। यह रंग डिप्रेशन को दूर करने में भी मदद करता है।

बैंगनी: यह रंग धर्म और अध्यात्म का प्रतीक है। इसका हल्का शेड मन में ताजगी जगाता है।

वास्तु के अनुसार कैसा हो रंग?

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की हर वस्तु हमें पूरी तरह प्रभावित करती है। घर की दीवारों का रंग भी हमारे विचारों और कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है। हमारे घर का जैसा रंग होता है, उसी रंग के स्वभाव जैसा हमारा स्वभाव भी हो जाता है। इसी वजह से घर की दीवारों पर वास्तु के अनुसार बताए गए रंग ही रखना चाहिए।

  • भवन में उत्तर का भाग जल तत्व का माना जाता है। इसे धन यानी लक्ष्मी का स्थान भी कहा जाता है। अत: इस स्थान को अत्यंत पवित्र व स्वच्छ रखना चाहिए और इसकी साज-सजा में हरे रंग का प्रयोग किया जाना चाहिए।
  •   उत्तर-पूर्वी कक्ष, जिसे घर का सबसे पवित्र कक्ष माना जाता है, में सफेद या बैंगनी रंग का प्रयोग करना चाहिए। इसमें अन्य गाढ़े रंगों का प्रयोग कतई न करें। उत्तर पश्चिम कक्ष के लिए सफेद रंग को छोड़कर कोई भी रंग चुन सकते हैं। दक्षिण-पूर्वी कक्ष में पीले या नारंगी रंग का प्रयोग करना चाहिए, जबकि दक्षिण-पश्चिम कक्ष में भूरे, ऑफ व्हाइट या भूरा या पीला मिश्रित रंग प्रयोग करना चाहिए। यदि बेड दक्षिण-पूर्वी दिशा में हो, तो कमरे में हरे रंग का प्रयोग करें।
  •   अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए आपको अपने कमरे की उत्तरी दीवार पर हरा रंग करवाना चाहिए।
  •   आसमानी रंग जल तत्व को इंगित करता है। घर की उत्तरी दीवार को इस रंग से रंगवाना चाहिए।
  • घर की खिड़कियां और दरवाजे हमेशा गहरे रंगों से रंगवाएं। बेहतर होगा कि आप इन्हें डार्क ब्राउन रंग से पेंट करवाएं।
  • रंगों का भी रिश्तों पर खासा असर होता है। जहां तक संभव हो घर के अंदर की दीवारों पर हल्के रंगों जैसे हल्का गुलाबी, हल्का नीला, ब्राउनिश ग्रे या ग्रेइश येलो रंग का ही प्रयोग करें। ये रंग शांत, स्थिर और प्यार को बढ़ाने वाले हैं। इनसे व्यवहार में उग्रता नहीं आती।
  • जिन लोगों के एक ही घर में दो गृहस्वामी होते हैं उन्हें अपने घर की भीतरी दीवारों को दो रंगों से पुतवाना चाहिए।
  • घर के ड्राइंग रूम, ऑफिस आदि की दीवारों पर यदि आप पीला रंग करवाते हैं तो वास्तु के अनुसार यह शुभ होता है।
  • घर के बाहर की दीवारों को वेदरप्रूफ यानी मौसम से बेअसर रहने वाले रंग से पुतवा सकते हैं। घर के अंदर प्लास्टिक पेंट लगवा सकते हैं।

किस कमरे में करवाएं कौन-सा रंग?

बेडरूम: पिंक, लाइट ब्लू, क्रीम, येलो और लाइट ग्रीन कलर बेडरूम के लिए काफी अच्छा होता है। बेडरूम में रेड कलर का यूज बिल्कुल नहीं करना चाहिए. क्योंकि वह टेंशन देता है।

डायनिंग रूम: डायनिंग रूम में लाइट कलर काफी अच्छे माने जाते हैं। पिंक, लाइट ग्रीन, आसमानी, ऑरेंज, क्रीमी रंग ताजगी का अहसास कराते हैं।

गेस्ट रूम: गेस्ट रूम को हमेशा अलग-अलग विचार वाले लोग इस्तेमाल करते है. इसलिए गेस्ट रूम में हमेशा हल्के कलर का यूज करना चाहिए।

किचन: किचन में लाइट कलर ही यूज किए जाते हैं। किचन के लिए सफेद रंग सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। फिर भी आप येलो, पिंक, ऑरेंज कलर का यूज कर सकते है, हालांकि मॉड्यूलर किचन में कलर के लिए जगह बहुत नहीं मिलती है।

राशिनुसार दीवारों के रंग कैसे हों

अपनी राशि के अनुरूप रंग का चयन कर आप अपने मकान को पेंट करवा सकते हैं।


मेष: लाल, मेहरून, ईंट जैसा

वृषभ:
सफेद, चमकीला, हरा, बादामी

मिथुन :
गहरा हरा, गहरा नीला, पीच, फिरोजी

कर्क :
चांदी, सफेद, आसमानी, परपल

सिंह :
पीले रंग के हर शेड्स, जामुनी, नारंगी

कन्या :
गुलाबी, हल्का हरा, रामा ग्रीन, सी ग्रीन

तुला :
सफेद, बेबी पिंक, ब्राउन, मरीन ब्लू

वृश्चिक:
हल्का लाल, लाइट मेजेंटा, पिकॉक ब्लू

धनु :
लाइट येलो, हल्दी जैसा पीला, पीच

मकर :
ग्रे, डार्क ऑरेंज, ब्राऊन, लाइट ब्लू

कुंभ:
ब्लू के सभी शेड्स, खिलता पिंक, मेटल शेड

मीन :
ऑरेंज के सभी शेड्स, हल्का बैंगनी, डार्क बादामी

कुबेर के इस मंत्र के जप से बनते हैं धन प्राप्ति के योग

कुबेर के इस मंत्र के जप से बनते हैं धन प्राप्ति के योग

कुबेर धन के अधिपति हैं यानी कुबेर देव को धन का देवता माना जाता है। वह देवताओं के कोषाध्यक्ष हैं। पृथ्वीलोक की समस्त धन संपदा के भी एकमात्र वही स्वामी हैं। कुबेर भगवान शिव के भी परमप्रिय सेवक हैं। इनकी कृपा से किसी को भी धन प्राप्ति के योग बन जाते हैं। धन के अधिपति होने के कारण इन्हें मंत्र साधना द्वारा प्रसन्न करके आप भी अपार धन सम्पदा के मालिक बन सकते हैं।

कुबेर को प्रसन्न करने का सुप्रसिद्ध मंत्र इस प्रकार है-  ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय, धन धन्याधिपतये धन धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहाकुबेर मंत्र को दक्षिण की ओर मुख करके ही सिद्ध किया जाता है। यह देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर देव का अमोघ मंत्र है। इस मंत्र का तीन माह तक रोज 108 बार जप करें।

मंत्र का जप करते समय अपने सामने धनलक्ष्मी कौड़ी रखें। तीन माह के बाद प्रयोग पूरा होने पर इस कौड़ी को अपनी तिजोरी या लॉकर में रख दें। ऐसा करने पर कुबेर देव की कृपा से आपका लॉकर कभी खाली नहीं होगा। हमेशा उसमें धन भरा रहेगा।

कुबेर देव का अति दर्लभ मंत्र इस प्रकार है-  
मंत्र- ॐ श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम:।

मन को एकाग्र करके हनुमान चालीसा का पाठ करें। यदि हनुमान चालीसा का पूर्ण पाठ नहीं कर पा रहे हों तो इन पंक्तियों का पाठ करें-

जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कवि कोबिद कहि सके कहां ते।।


इन पंक्तियों के निरंतर जप से हनुमानजी को प्रसन्न होंगे ही साथ ही यम, कुबेर आदि देवी-देवताओं की कृपा भी प्राप्त होगी।

Tuesday, October 29, 2013

मेहरबानी नहीं तुम्हारा प्यार मांगा है: शाहरुख खान

 मेहरबानी नहीं तुम्हारा प्यार मांगा है: शाहरुख खान

शाहरुख खान और दीपिका पादुकोण अपनी फिल्म ‘चेन्नई एक्सप्रैस’ को बड़ी हिट बनाने के लिए उसकी प्रोमोशन के लिए जालंधर आए। फिल्म में कॉमेडी के साथ-साथ ज़बरदस्त एक्शन भी है।

यह पहला मौका है जब आप रोहित शेट्टी के साथ काम कर रहे हैं। रोहित इससे पहले ‘गोलमाल सीरिज’ की तीन फिल्में अजय देवगन के साथ कर चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने अजय देवगन की सुपरहिट फिल्में ‘सिंघम’ और ‘बोल बच्चन’ का निर्देशन भी किया। आपने इससे पहले रोहित के साथ काम क्यों नहीं किया?
शाहरुख खान: रोहित शैट्टी जिस तरह की फिल्में बनाते हैं, वो अपने आप में ही यूनीक हैं। उनमें एक्शन भी होता है और कॉमेडी भी। मैंने और भी कई दिग्गज डायरैक्टर्स के साथ काम किया है और भगवान की दया से वे फिल्में काफी हिट भी रही हैं। दरअसल, रोहित ने मुझे एक फिल्म की कहानी सुनाई, जो मुझे काफी अच्छी लगी और उसके बाद उन्होंने मुझे ‘चेन्नई एक्सप्रैस’ की कहानी मेरे सामने रख दी। यह भूमिका मुझे इतनी पसंद आई कि मैंने तुरंत हां कह दी। वह कागज पर फिल्म की कहानी और उसका प्रस्तुतिकरण कैसा हो, यह बहुत अच्छे तरीके से लिख लेते हैं। उससे कलाकारों को बहुत आसानी हो जाती है।

दीपिका के साथ आपकी यह दूसरी फिल्म है, आपको इस फिल्म में काम करते हुए दीपिका में क्या फर्क दिखाई दिया?
शाहरुख खान: दीपिका पहले से ज़्यादा परिपक्व हो गई हैं। मैंने दीपिका के साथ फिल्म चाहे पांच साल के बाद की है, पर इस बीच हमारी अच्छी दोस्ती रही। मैंने दीपिका की बहुत सी फिल्में देखी हैं जिनमें ‘ये जवानी है दीवानी’, ‘कॉकटेल’ और ‘लव आज कल’ में उनका काम काफी अच्छा लगा।

चेन्नई एक्सप्रैस में साउथ के सिनेमा का टेस्ट नजर आता है, इसकी कोई खास वजह? क्या बॉलीवुड अब साउथ सिनेमा से इंस्पायर होकर चल रहा है?
शाहरुख खान: ऐसा नहीं है। हां, वो अलग बात है कि इस फिल्म के अंदर आपको साउथ की झलकियां जरूर मिलेंगी। जैसे कि वहां का डांस तपनकुड्डु, दीपिका का ड्रैसअप और चेन्नई एक्सप्रैस की 99 फीसदी टीम साउथ की ही थी। फिल्म चेन्नई एक्सप्रैस क्रॉस कल्चल क यूनिकेशन के रूप में नकार आएगी।

फिल्म के एक गीत में रजनीकांत का पोस्टर दिखाया गया है। इसकी फिल्म में क्या प्रासंगिकता है?
शाहरुख खान: रजनीकांत एक बहुत ही महान नायक हैं। हमारी तुलना उनके साथ नहीं की जा सकती है, परंतु इस के जरिए चेन्नई एक्सप्रैस की टीम ने उन्हें ट्रिब्यूट दी है। हम चाहते तो थे कि रजनीकांत इस फिल्म में हमारे साथ होते, पर इतने बड़े कलाकार की डेट्स मिलना भी इतना आसान नहीं होता है।

फिल्म का नाम और टेस्ट साउथ को दर्शाता है जबकि आप इसकी प्रोमोशन के लिए पंजाब आए हैं। इसकी खास वजह क्या रही?
शाहरुख खान:  हंसते हुए, पंजाबी प्यार ही बहुत करते हैं, इसलिए पंजाब आना तो बनता था। (फिर थोड़ा भावुक होते हुए) पंजाब में अमृतसर में मैंने दो फिल्मों ‘वीर-जारा’ और ‘रब्ब ने बना दी जोड़ी’ की शूटिंग की थी। तब मुझे यहां प्यार और अपनापन मिला कि उसे आज भी नहीं भूल पाया हूं। मैं जालंधर से यश चोपड़ा जी के कारण भी जुड़ा हुआ हूं। मैं रास्ते में दीपिका के साथ इसी बारे में बात कर रहा था। तीसरा कारण है, फिल्म चेन्नई एक्सप्रैस का एक गीत भी पंजाब बेस्ड है जिसे हनी सिंह ने गाया है और मुझे कुछ समय पहले भी जालंधर की लवली प्रोफैशनल यूनिवर्सिटी से बुलावा आया था, पर तब किसी कारण मैं आ नहीं सका, पर इस बार यह मौका मैंने अपने हाथ से जाने नहीं दिया। मैंने सुना है कि यहां 32,000 से ज्यादा स्टूडैंट्स हैं और करीब 500 कोर्सिस हैं। जहां इतने सारे छात्र हों, वहां मुझे बुलाया जाए यह मेरी खुशकिस्मती है।

आपकी रूटीन कैसी रहती है?
शाहरुख खान: जब मैं मुंबई में होता हूं तो कोशिश रहती है कि बच्चों और परिवार के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिता सकूं। उनके साथ खेलने और मस्ती करने में समय बहुत अच्छा बीत जाता है। सुबह जल्दी उठ जाऊं तो बच्चों के स्कूल जाने से पहले उनके साथ ही नाश्ता करके शूटिंग पर निकल जाता हूं। सारा दिन खूब मेहनत करता हूं और रात को नौ-दस बजे तक घर वापस आकर नहाता हूं और फिर परिवार के साथ ही समय बीतता है।

47 की उम्र में भी इतने एक्टिव और स्मार्ट हैं। इसका क्या राज है?
शाहरुख खान: गलत बातें न तो सोचता हूं और न ही करता हूं। नैगेटिव चीजों से दूर ही रहता हूं। कम खाता हूं और अपने काम को खूब मेहनत से करता हूं। वैसे भी जब आप अपने काम को इंजॉय करते हैं तो उसे करने में मजा आता है। मैं भी अपना काम खूब इंजॉय करता हूं, तभी तो कंधे में दर्द के बावजूद भी अपने सारे सटंट्स मैंने खुद ही किए हैं। हालांकि मैं चाहता थो डुप्लीकेट की मदद ली जा सकती थी। जब यही एक्शन सीन मैं वीडियो में देखता था कि मुझे ऐसे करना है, तो कई बार मुझे लगता था कि मैं ऐसा नहीं कर पाऊंगा, पर रोहित की टीम इतनी अच्छी है कि 47 साल का होने के बावजूद मुझे ऐक्शन करने में कोई दिक्कत नहीं हुई।

फिल्म से जुड़ी कोई खास बात जो आपने काम करते हुए इंजॉय की?
शाहरुख खान: फिल्म की शूटिंग कई दुर्गम लोकेशंस पर हुई है। जहां क्रू के 200 सदस्यों के लिए खाने की व्यवस्था टेड़ी खीर साबित हो रही थी। फिल्म की काफी शूटिंग दूधसागर में हुई जहां लोकेशन पर ट्रेन के दृश्य लिए जाने थे। हमें लोकेशन पर सुबह 6 बजे ट्रेन को शूट करने पहुंचना पड़ता था। वहां ट्रेन सिर्फ पांच मिनट के लिए ही रुकती थी और इस दौरान इतने लोगों का खाना ट्रेन में रखना संभव नहीं था। तब दीपिका ने सजैस्ट किया कि बिस्किट रख लिए जाएं और हमने बिस्किट खाकर ही बिताए।

आप पंजाब में अपनी फिल्म की प्रोमोशन के लिए आते हैं, पंजाब से आपका लगाव भी है तो क्या समझा जाए कि आपको हम कभी पंजाबी फिल्म में भी देखेंगे?
शाहरुख खान: यशराज फिल्में पंजाबी स याचार पर ही आधारित होती थीं। कुछ दिन पहले मेरी सास पंजाबी फिल्म जट्ट एंड जूलियट 2 देख रही थीं। मुझे फिल्म इतनी अच्छी लगी कि मैंने भी उनके साथ पूरी फिल्म देखी। लेकिन फिलहाल मैं किसी पंजाबी फिल्म का हिस्सा नहीं हूं।

जनसंचार एवं पत्रकारिता के बच्चों को आप क्या संदेश देंगे?
शाहरुख खान: मैं खुद जनसंचार एवं पत्रकारिता का स्टूडैंट रहा हूं। अगर किसी भी काम को ईमानदारी से और पूरी मेहनत से किया जाए, तो उसमें सफलता जरूर मिलती है। हम सबको शॉर्ट कट्स पता होते हैं, लेकिन हम सबको यह भी पता होना चाहिए कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता।

दिवाली की हमजोली रंगोली

रंगोली से करें खुशियों का स्वागत

भारतीय संस्कृति में शुभ कामों एवं रंगोली का अनन्य संबंध है। होली हो या दीवाली, रंगोली के बिना अधूरी ही मानी जाती हैं। रंगोली संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है ’रंगों के द्वारा अभिव्यक्ति।’ रंगों से सजी रंगोली वास्तव में खुशियों की अभिव्यक्ति है...


रंगोली बनाना आज भले ही घर की सुन्दरता को बढ़ाने का एक जरिया हो, लेकिन गुजरे वक्त में खुशियों के स्वागत के लिए घर के दरवाजे या आंगन में इसे प्राकृतिक फूलों और रंगों से बनाया जाता था। घर के प्रवेशद्वार पर रंगोली बनाने की परंपरा भारत में सदियों से चली आ रही है। दिवाली पर मुख्य द्वार की देहरी पर आकर्षक रंगोली बनाने का रिवाज़ है। यदि घर के सामने खूबसूरत और रंग-बिरंगी रंगोली सजी हो तो मां लक्ष्‍मी सबसे पहले आपके ही घर पर पधारेंगी।

किंवदंतियों के अनुसार रंगोली का उद्भव भगवान ब्रह्मा के एक वचन से जोड़ा जाता है। इसके अनुसार एक राज्य के प्रमुख पुरोहित के पुत्र की मृत्यु से दुखी राजा व प्रजा ने भगवान ब्रह्मा से प्रार्थना की कि वह उसे जीवित कर दें। ब्रह्मा जी ने कहा कि यदि फर्श पर कच्चे रंगों से मुख्य पुरोहित के पुत्र की आकृति बनाई जाएगी तो वह उसमें प्राण डाल देंगे और ऐसा ही हुआ। इस मान्यता के अनुसार तब से ही आटे, चावल, प्राकृतिक रंगों एवं फूलों की पंखुड़ियों के द्वारा ब्रह्मा जी को धन्यवाद स्वरूप रंगोली बनाने की परंपरा आरम्भ हो गई।

वक्त बदला तो तरीका भी बदला है। आजकल रंगोली कई तरीकों से बनाई जाती है, इसमें कई तरह के इनोवेशन भी किए जा रहे हैं। कहीं फूलों से रंगोली बनाई जा रही है, कहीं पानी पर रंगोली बनाई जा रही है तो कहीं पारंपरिक ढंग से रंगोली बनाई जा रही है। आज रंगोली बनाने में बालू, फूल, चावल से लेकर अबीर तक का इस्तेमाल किया जाता हे। यही नहीं बल्कि बाजार में बनी बनाई कागज या प्लास्टिक की रंगोली भी मौजूद है। आइए, जाने के आज कौन-कौन सी रंगोली चलन में है और इसे कैसे बनाया जा सकता है। आप रंगोली चाहे जैसे बनाइये लेकिन उसके बीच में दिया सजाना बिल्‍कुल मत भूलियेगा वरना वह अधूरी रह जाएगी।

अगर आपको रंगोली बनानी नहीं आती तो उदास होने की कोई जरूरत नहीं है।  बाजार में रंगोली के रंगों के साथ - साथ विभिन्न प्रकार के डिजाइन भी उपलब्ध हैं , जिसकी मदद से चंद मिनटों में मन को लुभा लेने वाली रंगोली बनाई जा सकती है।

स्प्रे पेंट की रंगोली

बाजार में सभी रंगों के स्प्रे पेंट उपलब्ध हैं। आप कोई भी स्टेंसिल लेकर उसे चाहें तो मल्टी कलर स्प्रे पेंट से या फिर एक ही फैमिली के अलग-अलग रंगों से डिजाइन क्रिएट कर सकते हैं। इससे आप चुटकियों में बड़े से बड़ा डिजाइन बना सकती हैं।

क्ले की रंगोली

क्ले की रंगोली को किसी भी सतह पर उभारकर बनाया जाता है। इसमें पेपर मैश क्ले का यूज़ होता है। इससे फूल, पत्तियां या फिर किसी भी तरह का आकार बनाया जा सकता है। क्ले के काम के बाद इसे मनचाहे रंगों से पेंट कर सकते हैं।

फ्लोटिंग रंगोली

इस रंगोली को ओएचपी शीट पर बनाया जाता है। शीट को मनचाहे आकार में काट लें, फिर उस पर गिलटर और कुंदन व मोती से सजाएं। ये रंगोली पानी पर तैरती रहती है।

पानी पर रंगोली

घर छोटा है तो छोटे बाउल में पानी में रंगोली बना सकती हैं। पानी की रंगोली के लिए बाउल में पानी लें। पानी ठहर जाने पर इसमें चारकोल पाउडर बुरक दें। अब रंगोली के रंग बिखेरें। फूलों की पंखुडियों और फ्लोटेड कैंडल्स से इसे खूबसूरत बनाएं। पानी की सतह पर रंगों को रोकने के लिए चारकोल की जगह डिस्टेंपर या पिघले हुए मोम का भी प्रयोग किया जाता है।

फूलों की रंगोली

सिर्फ फूलों से भी रंगोली बना सकती हैं। आप चाहें तो फूलों की पंखुडियों का प्रयोग कर सकती हैं या छोटे व बड़े आकार के अलग अलग फूलों का भी इस्तेमाल कर सकती हैं। तो क्यों न इस दिवाली अपने घर-द्वार को रंगबिरंगी फूलों की डिजाइन से सजाएं और त्योहार का लुत्फ उठाएं।

सैंड की रंगोली

सैंड की मल्टी कलर रंगोली आप चाहें तो हाथ से या फिर स्टेंसिल से बना सकती हैं। चाहे तो कार्बन से फ्लोर पर डिज़ाइन ट्रेस करके भी यह रंगोली बना सकती हैं। इसमें आप ब्राइट कलर्स और कन्ट्रासट कलर्स का यूज़ कर सकती हैं। स्टे्ंसिल से यदि सैंड डालनी हो तो स्प्रे कलर्स का यूज़ करें और आउटलाइन बनाने के लिए व्हाइट सैंड को रंगोली पैन से भरें और किसी भी बड़ी रंगोली में डिटेल वर्क कर सकते हैं।

धनतेरस पर करें समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए पूजा ...

धनतेरस पर समृद्धि देते हैं कुबेर...

दीवाली का त्योहार पांच दिन तक चलता है। इसकी शुरुआत होती है धनतेरस से। दीवाली से दो दिन पहले से ही यानी धनतेरस से ही दीपामालाएं सजने लगती हैं। धनतेरस धन-सम्पत्ति और अच्छी स्वास्थ्य के लिए मनाया जाता है। देवताओं को अमर करने के लिए भगवान विष्णु धनवंतरि के अवतार इसी दिन समुद्र से अमृत का कलश लेकर निकले थे। कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन धनवंतरि का जन्म हुआ था इसलिए इस तिथि को धनतेरस के नाम से जाना जाता है। निरोग रहने के लिए धनवंतरि की पूजा की जाती है। धनतेरस पर धनवंतरि की पूजा करने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होकर दीपावली में धन-वर्षा करती हैं।

परम्परा

देवी लक्ष्मी की तरह ही भगवान धनवंतरि भी सागर मंथन से उत्पन्न हुए हैं। धनवंतरि जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथ में अमृत से भरा कलश था। इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है। धनतेरस के दिन सोने और चांदी के बर्तन, सिक्के और आभूषण खरीदने की परम्परा रही है। सोना सौंदर्य में वृद्धि तो करता ही है, मुश्किल घड़ी में संचित धन के रूप में भी काम आता है। कुछ लोग शगुन के रूप में सोने या चांदी के सिक्के भी खरीदते हैं। यह भी कहा जाता है कि इस दिन धन (वस्तु) खरीदने से उसमें 13 गुणा वृद्धि होती है। लोग इस दिन ही दीवाली की रात पूजा करने के लिए लक्ष्मी व गणेश जी की मूर्ति भी खरीदते हैं।

मान्यता

इस अवसर पर धनिया के बीज खरीद कर भी लोग घर में रखते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन सूखे धनिया के बीज खरीद कर घर में रखना भी परिवार की धन संपदा में वृद्धि करता है। दीवाली के बाद इन बीजों को लोग अपने बाग-बगीचों या खेतों में बोते हैं। ये बीज उन्नति व धन वृद्धि के प्रतीक होते हैं। बदलते दौर के साथ लोगों की पसंद और जरूरत भी बदली है। कुछ लोग धनतेरस के दिन विलासिता से भरपूर वस्तुएं खरीदते हैं तो कुछ जरूरत की वस्तुएं खरीद कर धनतेरस का पर्व मनाते हैं।

वैश्वीकरण के इस दौर में भी लोग अपनी परम्परा को नहीं भूले हैं और अपने सामथ्र्य के अनुसार यह पर्व मनाते हैं। धनतेरस के दिन वाहन खरीदने का फैशन सा बन गया है। लोग इस दिन लोग गाड़ी खरीदना शुभ मानते हैं। कुछ लोग मोबाइल, कम्प्यूटर और बिजली के उपकरण इत्यादि भी धनतेरस पर ही खरीदते हैं।

धनवंतरि की पूजा

धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरि की मूर्ति या चित्र साफ स्थान पर स्थापित करें और पूर्व की ओर मुखकर बैठ जाएं। उसके बाद भगवान धनवंतरि का आह्वान निम्न मंत्र से करें-

सत्यं च येन निरतं रोगं विधूतं,अन्वेषित च सविधिं आरोग्यमस्य।
गूढं निगूढं औषध्यरूपं, धनवंतरिं च सततं प्रणमामि नित्यं।।


इसके बाद पूजन स्थल पर चावल चढ़ाएं और आचमन के लिए जल छोड़े। भगवान धनवंतरि के चित्र पर गंध, अबीर, गुलाल पुष्प, रोली, आदि चढ़ाएं। चांदी के पात्र में खीर का नैवेद्य लगाएं। अब दोबारा आचमन के लिए जल छोड़ें। मुख शुद्धि के लिए पान, लौंग, सुपारी चढ़ाएं। धनवंतरि को वस्त्र (मौली) अर्पण करें। शंखपुष्पी, तुलसी, ब्राह्मी आदि पूजनीय औषधियां भी अर्पित करें।

रोगनाश की कामना के लिए इस मंत्र का जाप करें-
ऊँ रं रूद्र रोगनाशाय धन्वन्तर्ये फट्।।


अब भगवान धनवंतरि को श्रीफल व दक्षिणा चढ़ाएं। पूजन के अंत में कर्पूर आरती करें।

कुबेर की पूजा

धनतेरस पर आप धन के देवता कुबेर को प्रसन्न करके अपनी दरिद्रता दूर कर धनवान बन सकते हैं। धन के देवता कुबेर को प्रसन्न करने का यह सबसे अच्छा मौका है। यदि कुबेर आप पर प्रसन्न हो गए तो आप के जीवन में धन-वैभव की कोई कमी नहीं रहेगी। कुबेर को प्रसन्न करना बेहद आसान है। कुबेर की पूजा से मनुष्य की आंतरिक ऊर्जा जागृत होती है और धन अर्जन का मार्ग प्रशस्त होता है। धन-सम्पति की प्राप्ति हेतु घर के पूजास्थल में एक दीया जलाएं। समस्त धन सम्पदा और ऐश्वर्य के स्वामी कुबेर के लिए धनतेरस के दिन शाम को 13 दीप समर्पित किए जाते हैं। मंत्रो‘चार के द्वारा आप कुबेर को प्रसन्न कर सकते हैं। इसके लिए पारद कुबेर यंत्र के सामने मंत्रो‘चार करें। यह उपासना धनतेरस से लेकर दीवाली तक की जाती है। ऐसा करने से जीवन में किसी भी प्रकार का अभाव नहीं रहता, दरिद्रता का नाश होता है और व्यापार में वृद्धि होती है।  कुबेर भूगर्भ के स्वामी हैं।

ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्यादिपतये धनधान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा।।

यम की पूजा

माना जाता है कि धनतेरस की शाम जो व्यक्ति यम के नाम पर दक्षिण दिशा में दीया जलाकर रखता है उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है। इस मान्यता के अनुसार धनतेरस की शाम लोग आंगन में यम देवता के नाम पर दीप जलाकर रखते हैं और उनकी पूजा करके प्रार्थना करते हैं कि वह घर में प्रवेश नहीं करें और किसी को कष्ट नहीं पहुंचाएं। इस दिन लोग यम देवता के नाम पर व्रत भी रखते हैं।

लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए

लक्ष्मी जी की कृपा पाने के लिए अष्टदल कमल बनाकर कुबेर, लक्ष्मी एवं गणेश जी की स्थापना कर उपासना की जाती है। इस अनुष्ठान में पांच घी के दीपक जलाकर और कमल, गुलाब आदि पुष्पों से उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजन करना लाभप्रद होता है। इसके अलावा ओम् श्रीं श्रीयै नम: का जाप करना चाहिए।

कथा

धनतेरस की शाम घर के आंगन में दीप जलाने की प्रथा है। इस प्रथा के पीछे एक लोक कथा है, जिसके अनुसार किसी समय में एक राजा थे जिनका नाम हेम था। ईश्वर की कृपा से उन्हें पुत्र हुआ। ’योतिषियों ने जब बालक की कुंडली बनाई तो पता चला कि बालक के विवाह के ठीक चार दिन बाद उसकी अकाल मृत्यु हो जाएगी। राजा यह जानकर बहुत दुखी हुआ। उसने राजकुमार को ऐसी जगह भेज दिया जहां किसी स्त्री की परछाई भी न पड़े। दैवयोग से एक दिन एक राजकुमारी उधर से गुजरी और दोनों एक दूसरे को देखकर मोहित हो गए और उन्होंने गन्धर्व विवाह कर लिया।

विवाह के बाद विधि का विधान सामने आया और यमदूत उस राजकुमार के प्राण लेने आ पहुंचे। राजकुमारी मां लक्ष्मी की बड़ी भक्त थीं। उसको भी अपने पति पर आने वाली विपत्ति के बारे में पता चल गया। राजकुमारी ने चौथे दिन का इंतजार पूरी तैयारी के साथ किया। जिस रास्ते से सांप के आने की आशंका थी, उसने वहां सोने-चांदी के सिक्के और हीरे-जवाहरात आदि बिछा दिए। पूरे घर को रोशनी से जगमगा दिया गया, यानी सांप के आने के लिए कमरे में कोई रास्ता अंधेरा नहीं छोड़ा गया। इतना ही नहीं, राजकुमारी ने अपने पति को जगाए रखने के लिए उसे पहले कहानी सुनाई और फिर गीत गाने लगी।

इसी दौरान जब मृत्यु के देवता यमराज ने सांप का रूप धारण करके कमरे में प्रवेश करने की कोशिश की, तो रोशनी की वजह से उनकी आंखें चुंधिया गईं। इस कारण सांप दूसरा रास्ता खोजने लगा और रेंगते हुए उस जगह पहुंच गया, जहां सोने तथा चांदी के सिक्के रखे हुए थे। डसने का मौका न मिलता देख, विषधर भी वहीं कुंडली लगाकर बैठ गया और राजकुमारी के गाने सुनने लगा। इसी बीच सूर्य देव ने दस्तक दी यानी सुबह हो गई। यम देवता वापस जा चुके थे। इस तरह राजकुमारी ने अपनी पति को मौत के पंजे में पहुंचने से पहले ही छुड़ा लिया। यह घटना जिस दिन घटी थी, वह धनतेरस का दिन था, इसलिए इस दिन को ‘यम दीपदान’ भी कहते हैं।  इसी कारण धनतेरस की पूरी रात रोशनी की जाती है।

धनतेरस पर जब आप करें गोल्ड की शॉपिंग...

धनतेरस पर जब आप करें गोल्ड की शॉपिंग...

पूरे भारत में धनतेरस को शुभ दिन माना जाता है और इस दिन लोग सोने की खरीददारी को शुभ मानते हैं। अगर आप भी धनतेरस के शुभ अवसर पर गोल्ड ज्वेलरी खरीदने जा रही हैं तो आपको गोल्ड की क्वालिटी और प्योरिटी का ख्याल जरूर रखना चाहिए, वरना आप ठगी जा सकती हैं। गोल्ड की खरीदारी करते वक्त धोखाधड़ी और ठगी से बचने के लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा। इससे आसमान छूती महंगाई में आपको राहत भी मिलेगी और साथ ही आपकी जेब भी नहीं कटेगी। गोल्ड की शुद्धता जांचने के कई तरीके हैं। इनका ध्यान रखकर आप अच्छी क्वालिटी का गोल्ड सही कीमत पर खरीद सकती हैं...

कैरट रेटिंग चेक करें
गोल्ड की प्योरिटी कैरट में मापी जाती है। कैरट के मुताबिक ही गोल्ड का प्राइस भी तय होता है। प्योर गोल्ड 24 कैरट में आता है लेकिन चूंकि यह बेहद सॉफ्ट होता है इसलिए ज्वेलरी बनाने के लिए इसमें इसमें कुछ इम्प्योरिटी डाली जाती है। कई बार ज्वेलर 24 कैरट गोल्ड के ही पैसे लगा लेते हैं लेकिन याद रखें 22 कैरट गोल्ड के लिए रेट अलग होगा और 18 कैरट के लिए अलग। इसलिए ज्वेलरी खरीदते समय इस बात का पूरा ख्याल रखें कि आप कितने कैरट की गोल्ड ज्वेलरी ले रहे हैं और उसी के हिसाब से पेमेंट करें।

हॉलमार्क चेक कर लें
आप जो ज्वेलरी खरीद रही हैं, उसके कैरट की पक्की गारंटी के लिए आप ज्वेलरी पर हॉलमार्क की स्टैंप जरूर चेक करें। गोल्ड की प्राइसिंग और क्वालिटी में यूनिफॉर्मिटी बनाए रखने के लिए गोल्ड ट्रेडिंग में हॉलमार्क सिस्टम लागू किया गया। अलग-अलग कैरट के लिए हॉलमार्क के अलग-अलग कोड हैं। हॉलमार्क का मतलब है कि हम गोल्ड खरीदने के लिए सही राशि खर्च कर रहे हैं। जब आप हॉलमार्क वाली गोल्ड ज्वेलरी खरीदने जाती हैं, तो सबसे पहले आपको ज्वेलरी में लगे हुए हॉलमार्क्स का स्टाम्प देखना होगा। इसे आप मैगनिफाइंग ग्लास के जरिए आसानी से देख सकती हैं।

गोल्ड रेट जरूर चेक करें
जब आप गोल्ड की शॉपिंग करने जाएं, तो गोल्ड रेट जरूर चेक कर लें। जिस वक्त आप पेमेंट करें, ज्वेलर से सोने-चांदी का रेट जरूर पूछ लें, क्योंकि सोने-चांदी का रेट हर पल बदलता रहता है। इसलिए पेमेंट बाजार के ‘हाजिर भाव’ के हिसाब से ही करें, वरना ज्वेलर आपसे ज्यादा रेट पर ज्वेलरी बेचकर आपकी मेहनत की कमाई पर अपना हाथ साफ कर सकता है।

रिटन में लें सारे फैक्ट्स
अगर आप अपनी पसंद का कोई गोल्ड सेट या बैंगल्स बनवा रही हैं, तो गोल्ड का रेट और डिलिवरी की डेट रिटन में ले लें, नहीं तो बाद में परेशानी हो सकती है।

रिटर्न पॉलिसी जान लें
ज्वेलरी खरीदते समय ज्वेलर या सेल्सपर्सन से रिटर्न पॉलिसी और प्रमाणिकता के सर्टिफिकेट के बारे में जानकारी जरूर ले लें। हो सकता है कल को आपका अपनी ज्वेलरी बेचने या उसकी जगह कोई और डिजाइन लेने का मन बन जाए, तब यह सर्टिफिकेट आपके काम आएगा। दूसरे, इस सर्टिफिकेट से यह विश्वसनीय बन जाएगा कि आपने सॉलिड गोल्ड ज्वेलरी ही खरीदी है। याद रखें प्योर गोल्ड-रिटर्न के दौरान लेबर चार्जिस के अलावा कुछ और नहीं काटा जाता।

...तभी ज्लेवरी की चमक बनी रहेगी

अब जब आप इतनी कीमती गोल्ड ज्वेलरी खरीद रही हैं तो इसकी देखभाल भी उतनी ही जरूरी हो जाती है। गोल्ड की चमक सालों तक यूं ही बनी रहे इसके लिए आपको कुछ सावधानियां तो बरतनी ही होंगी। 
  • जब आप हेयर कलर या डाई लगाएं, तो सारी ज्वेलरी उतार दें।
  • साबुन या तेल के इस्तेमाल से ज्वेलरी की चमक फीकी पड़ जाती है। इसलिए नहाते समय ज्वेलरी निकाल दें।
  • इस्तेमाल के बाद ज्वेलरी को जब रखें, तो उसे मलमल या कॉटन में लपेट कर रखें। इससे इसकी चमक फीकी नहीं पड़ती।
  • ज्वेलरी को अगर पोंछना हो तो भी सिर्फ सॉफ्ट कपड़े का ही इस्तेमाल करना चाहिए और हल्के हाथ से ही साफ करना चाहिए। रगड़-रगड़कर साफ करने से वह टूट सकती है।

डायमंड

हीरे को महिलाओं का बेस्ट फ्रेंड कहा जाता है। डायमंड ज्वेलरी इन्वेस्टमेंट के साथ-साथ स्टाइल स्टेटमेंट भी है। डायमंड्स पहनते ही युवतियों का हुस्न दमक उठता है। हीरे की परख उसकी चमक पर निर्भर होती है। डायमंड क्लैरिटी इसमें मौजूद इम्प्योरिटीज की टर्म्स पर आंकी जाती है। इसमें वीवीएस (वेरी वेरी स्लाइटली इम्परफेक्ट), वीएस (वेरी स्लाइटली इम्परफेक्ट), एसआई (स्लाइटली इम्परफेक्ट), आईएफ (इंटरनली फ्लालेस) और एफ (फ्लालेस)। इसी तरह डायमंड के कलर्स भी डी से जेड के बीच में लेबल किए जाते हैं। डायमंड का आईजीआई सर्टिफिकेट भी देखें, क्योंकि देखने में आया है कि अपने यहां अक्सर लोग इस पर समझौता कर जाते हैं। दुनिया में हीरे की ज्यूलरी की शुद्धता के दो ही प्रमाण पत्र सर्वमान्य हैं। ये जैमोलॉजिकल इंस्टीच्यूट ऑफ अमेरिका (जी.आई.ए.) और इंटरनेशनल जैमोलॉजिकल इंस्टीच्यूट (आई.जी.आई.) द्वारा जारी होते हैं।

दिवाली पर दिखें सबसे खास

दिवाली पर दिखें सबसे खास

दिवाली पर आपका लुक कुछ खास हो और आप सबसे खास दिखें ऐसी चाहत हर महिला की होती है। इस मौके को और खास बनाने के लिए महिलाएं जितने चाव से अपने घर को सजाती-संवारती हैं उतने ही चाव से वे अपने सजने-संवरने पर भी ध्यान देती हैं। यकीनन इस दीवाली पर आप की भी इच्छा नए और स्टाइलिश कपड़े पहनने की होगी। दिवाली के अवसर पर पार्टी या गेट-टुगेदर के दौरान महिलाओं में सजने-संवरने और खूबसूरत दिखने की होड़ सी रहती है।

यह सोच गलत है कि महंगी पोशाकों से ही लुक आता है। आप किसी भी पोशाक में खूबसूरत दिख सकती हैं। आपको जो सूट करता है, वहीं पहनें।यह भी जरूरी नहीं कि दिवाली पर आप कोई नई ड्रेस या नई ज्वेलरी ही पहनें, आप अपनी पुरानी कलेक्शन को भी समझदारी से मिक्स एंड मैच कर सकती हैं।  याद रखें आप चाहे जो भी पहनें, अगर आईने ने आपको पास कर दिया, तो सब ठीक है। दूसरों के कहे पर कतई ना जाएं। लेकिन रोशनी के इस त्योहार पर आप जो भी पहनें, इतना ध्यान जरूर रखें कि उनसे आपकी सुरक्षा खतरे में न पड़े यानी पहने जाने वाले कपड़ों का चयन सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए करें।

 

ऐसे करें कपड़ों का चुनाव

आप कितने भी खुले माहौल में पली-बढ़ी हों, लेकिन कपड़े और मेकअप अवसर के अनुकूल ही होने चाहिए। इससे खूबसूरती में तो निखार आता ही है, एक खास किस्म की गरिमा भी मिलती है। अगर आप ऑफिस की दिवाली पार्टी में जा रही हैं तो आपका लुक कुछ अलग होना चाहिए जबकि कि थीम पार्टी या घर पर गैदरिंग के समय आप खुद को अलग तरह से कैरी करेंगी। लेटेस्ट ट्रेंड की जानकारी रखें जिससे आप त्योहार के खास मौके पर अलग-थलग न महसूस करें।

घर में दिवाली की पूजा है, तो आप एथनिक पोशाक में अच्छी लगेंगी। ऐसे में कॉटन का शॉर्ट कुर्ता और पटियाला सलवार सबसे बढ़िया बढ़िया च्वाइस रहेगी। इससे आपका लुक बहुत ही शानदार और लुभावना दिखता है। आप परंपरानुसार चूड़ीदार पर फैशनेबल कुर्त्ता भी पहन सकती हैं। प्लीटेड पैंट के साथ कढ़ाई वाली चोली या स्मार्ट टीशर्ट भी स्टाइलिश विकल्प हैं। भारतीय महिलाओं का त्योहारों पर साड़ी पहनना तय है, उनके लिए प्री-प्लेटेड साड़ी अच्छा विकल्प है।

दीवाली पर ढीलेढाले और लहराने वाले कपड़ों से एकदम दूर रहें। चुस्त और आरामदायक कपड़ों का चयन करें। रेशम, सॉटन और पॉलिएस्टर जैसे फैब्रिक से बने कपड़े यानी जल्दी आग पकड़ने वाले कपड़ेन ही पहनें। ये आग बहुत जल्दी पकड़ लेते हैं। जॉर्जट और सूती कपड़े सबसे बेहतरीन रहेंगे। अगर आप दीवाली की रात अनारकली सूट या लॉन्ग स्कर्ट पहनने का प्लान कर रही हैं, तो याद रखें ये आपको मुश्किल में डाल सकते हैं। पटाखे चलाते समय लंबीं पोशाकें जल्दी आग पकड़ लेती हैं। 

चटक रंग दिवाली को रंगीन बना देंगे

दिवाली के दिनों में चटक रंग यानी ब्राइट कलर्स अच्छे लगते हैं। जगमगाते ‍दीयों में ब्राइट कलर की ड्रेस और मेकअप से आपके आसपास का माहौल खूबसूर‍‍त हो जाएगा। ड्रेस का कलर हमेशा अपने बॉडी टाइप और कलर टोन के अनुसार ही तय करें। लेकिन ध्यान रखें डार्क कलर की ड्रेस के साथ लाइट कलर्स को भी शामिल कर लिया जाए, तो आप बेहद आकर्षक दिखेंगी। लाइट और डार्क कलर कॉम्बीनेशन से बनी आपकी ड्रेस आपकी लुक को चार चांद लगा देगी। पीच कलर के साथ रॉयल ब्ल्यू, रेड के साथ वाइन, पीच के साथ नियोन आरेंज कलर इंडियन ड्रेसेज के लिए एकदम परफेक्ट हैं। अगर आप ब्राइट कलर की ड्रेस पहन रही हैं तो ध्यान रखें उसमें कढ़ाई कम होनी चाहिए। और अगर आप लाइट कलर चुन रही हैं तो एम्ब्रॉयड्री हैवी होनी चाहिए।

एक्सेसरीज और ज्वेलरी से बनेगी बात

  • ड्रेस की खूबसूरती तब तक अधूरी रहती है जब तक कि इसके साथ मैचिंग ज्वेलरी का कॉम्बीनेशन न हो। लेकिन यह सोच भी गलत है कि बहुत सारे एक्सेसरीज पहनने पर आपकी ड्रेस की लुक खिल उठेगी या आप अच्छी लगेगी। एक्सेसरी अपनी ड्रेस के मुताबिक चुनें।
  • एथनिक परिधानों के साथ ओल्ड स्टाइल की ज्वेलरी ज्यादा फबती है। कानों में एक कुंडल या हैवी लुक वाले ईयरिंग सुंदर दिखते हैं। अगर आपने गले में कुछ भारी सा पहना है, तो कान के टॉप्स छोटे रखिए। हाथों में हल्की सी चूड़ियां ही काफी हैं।
  • अगर आप वेस्टर्न पोशाक पहन रही हैं, तो कानों में हल्की एक्सेसरीज काफी हैं। हाथों में ब्रेसलेट पहन सकती हैं और गले में चेन लॉकेट ही पर्याप्त है।

मेकअप और हेयर स्टाइल हो ज़रा हटके

  • दीवाली रात का फेस्टिवल है, इसलिए मेकअप भी आप थोड़ा डार्क ही करें। लेकिन याद रखें बहुत हेवी मेकअप का मतलब खूबसूरती नहीं है। आपकी स्किन और पहनावे के अनुसार मेकअप ट्राइ करें। आंखों को हाईलाइट करने के लिए उन्हें आकर्षक मेक-अप से सजाएं। ब्राइट कलर की लिपस्टिक लगाएं और एथनिक ड्रेस के साथ बिंदी लगाना न भूलें।
  • बालों को जूड़ा तब तक ना बनाएं, जब तक कि आप पर फबे नहीं। बालों का आगे पफ बना कर बाल खुले छोड़ सकती हैं। इससे आपको पटाखे चलाने में परेशानी भी नहीं होगी और आप कम्फर्टेबल भी रहेंगी।

फुटवियर भी हो खास

अब बात आती है जूतों की, तो दीवाली पर वेस्टर्न ड्रेस के साथ फॉर्मल जूते और सैंडल अच्छा विकल्प हैं। हर तरह के परिधान के साथ हाई हील्स खूब सूट करती हैं। इनमें अगर ऐनिमल और फ्लोरल प्रिंट्स के फुटवेयर्स हों तो वे आपकी ड्रेस को और भी खूबसूरत बना देंगे। आप प्लैटफॉर्म के साथ टी स्ट्रैप में सैंडल ट्राई कर सकती हैं। क्रॉस स्टैप और मल्टी स्टैप का ऑप्शन भी बढि़या हो सकता है। एथनिक ड्रेस पहन रही हों तो पंजाबी जुती आप पर ज्यादा फबेगी।

Thursday, October 10, 2013

सातवें नवरात्र में सरस्वती पूजन


सातवें नवरात्र में सरस्वती पूजन

नवरात्रि के 9 दिनों में दुर्गा के 9 रूपों की पूजा की जाती है, जिन्हें शास्त्रों में नवदुर्गा कहा गया है। नवरात्रि के पहले तीन दिन शक्ति की देवी मां पार्वती की पूजा होती है जिसके जरिए हमारे सारे कष्टों और पापों का नाश होता है। अगले दिन दिन धन की देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है और धन-धान्य की कृपा अपने पर बनाए रखने के लिए देवी का आशीर्वाद मांगा जाता है। नवरात्रि के आखिरी तीन दिन विद्या, ज्ञान और बुद्धि की देवी मां सरस्वती के तीन रूपों की पूजा की जाती है। इस तरह नवरात्रि के 9 दिनों की पूजा सम्पन्न होती है।
नवरात्रों का सातवां दिन वीणावादिनी, शुभ्रवसना, मंद-मंद मुस्कुराती हंस पर विराजमान मां सरस्वती के आह्वान का होता है। सरस्वती का जन्म ब्रह्मा जी के मुंह से हुआ था। मां सरस्वती विद्या, बुद्धि, ज्ञान व विवेक की अधिष्ठात्री देवी हैं। इस अंधकारमय जीवन से इंसान को सही राह पर ले जाने का सारा बीड़ा वीणा वादिनी सरस्वती मां के कंधों पर ही है। यह देवी मनुष्य समाज को महानतम सम्पत्ति-ज्ञानसम्पदा प्रदान करती है।  
वेदों में सरस्वती का वर्णन श्वेत वस्त्रा के रूप में किया गया है। यानी वह श्वेत वस्त्र धारण किए हुए हैं जो हमें प्रेरणा देते हैं कि हम अपने भीतर सत्य अहिंसा, क्षमा, सहनशीलता, करुणा, प्रेम व परोपकार आदि सद्गुणों को बढाएं और काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, अहंकार आदि दुर्गुणों से स्वयं को बचाएं। श्वेत पुष्प व मोती इनके आभूषण हैं। उनके चार हाथ हैं, जिनमें वीणा, पुस्तक और अक्षरमाला है। उनका वाहन हंस है तथा श्वेत कमल गुच्छ पर यह विराजमान हैं। वेद इन्हें जलदेवी के रूप में महत्ता देते हैं, एक नदी का नाम भी सरस्वती है।
पुराणों में मां सरस्वती को कमल पर बैठा दिखाया जाता है। कीचड़ में खिलने वाले कमल को कीचड़ स्पर्श नहीं कर पाता। इसीलिए कमल पर विराजमान मां सरस्वती हमें यह संदेश देना चाहती हैं कि हमें चाहे कितने ही दूषित वातावरण में रहना पड़े, परंतु हमें खुद को इस तरह बनाकर रखना चाहिए कि बुराई हम पर प्रभाव न डाल सके। मां सरस्वती की पूजा-अर्चना इस बात की द्योतक है कि उल्लास में बुद्धि व विवेक का संबल बना रहे।
मां सरस्वती के पूजन से मानव जीवन का अज्ञान रूप दूर होकर ज्ञान का प्रकाश प्राप्त होता है। मां सरस्वती की कृपा मनुष्य में कला, विद्या, ज्ञान तथा प्रतिभा का प्रकाश करती है। इनकी उपासना करने से मूर्ख भी विद्वान् बन सकता है। सत्वगुण से उत्पन्न होने के कारण इनकी पूजा में प्रयुक्त होने वाली सामग्रियों में अधिकांश श्वेत वर्ण की होती हैं। जैसे- श्वेत चंदन, पुष्प, परिधान, दही-मक्खन, धान का लावा, सफेद तिल का लड्डू, अदरक, श्वेत धान, अक्षत, शुक्ल मोदक, घृत, नारियल और इसका जल, श्रीफल, बदरीफल आदि। सभी सामाजिक कार्यक्रमों का आरंभ भी इसीलिए सरस्वती वंदना से होती है ताकि कार्य सर्वोत्तम तरीके से पूर्ण हो।

सरस्वती शुक्ल वर्णासस्मितांसुमनोहराम। 
कोटिचन्द्रप्रभामुष्टश्री युक्त विग्रहाम।
वह्निशुद्धांशुकाधानांवीणा पुस्तक धारिणीम्।
रत्नसारेन्द्रनिर्माण नव भूषण भूषिताम।
सुपूजितांसुरगणैब्रह्म विष्णु शिवादिभि:।
वन्दे भक्त्यावन्दितांचमुनीन्द्रमनुमानवै:।


मां सरस्वती का मूल मंत्र

'शारदा शारदाभौम्वदना। वदनाम्बुजे।
सर्वदा सर्वदास्माकमं सन्निधिमं सन्निधिमं क्रिया तू।'

मां सरस्वती का श्र्लोक

ॐ श्री सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्।।
कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्।
वह्निशुद्धां शुकाधानां वीणापुस्तकमधारिणीम्।।
रत्नसारेन्द्रनिर्माणनवभूषणभूषिताम्।
सुपूजितां सुरगणैब्रह्मविष्णुशिवादिभि:।।
वन्दे भक्तया वन्दिता च मुनीन्द्रमनुमानवै:।

मां सरस्वती की आरती

कज्जल पुरित लोचन भारे, स्तन युग शोभित मुक्त हारे |
वीणा पुस्तक रंजित हस्ते, भगवती भारती देवी नमस्ते ॥

जय सरस्वती माता जय जय हे सरस्वती माता |

सदगुण वैभव शालिनी त्रिभुवन विख्याता ॥ जय.....

चंद्रवदनि पदमासिनी घुति मंगलकारी |
सोहें शुभ हंस सवारी अतुल तेजधारी ॥ जय.....

बायेँ कर में वीणा दायें कर में माला |
 शीश मुकुट मणी सोहें गल मोतियन माला ॥ जय.....

देवी शरण जो आयें उनका उद्धार किया |
पैठी मंथरा दासी रावण संहार किया ॥ जय.....

विद्या ज्ञान प्रदायिनी ज्ञान प्रकाश भरो |
 मोह और अज्ञान तिमिर का जग से नाश करो ॥ जय.....

धुप दिप फल मेवा माँ स्वीकार करो |

ज्ञानचक्षु दे माता भव से उद्धार करो ॥ जय.....
 

माँ सरस्वती जी की आरती जो कोई नर गावें |
हितकारी सुखकारी ग्यान भक्ती पावें ॥ जय.....

जय सरस्वती माता जय जय हे सरस्वती माता |
सदगुण वैभव शालिनी त्रिभुवन विख्याता ॥ जय.....