Monday, August 12, 2013

‘भाग मिल्खा भाग’ की सफलता का मार्कीटिंग मंत्र

‘भाग मिल्खा भाग’ एक ऐसे नायक की कहानी है जिसे हम भुला चुके थे। इस फिल्म की स्टार कास्ट भी बहुत बड़ी या प्रसिद्ध नहीं है, जिसे सफलता की गारंटी माना जाता हो। राकेश ओम प्रकाश मेहरा के अनुसार इसे कई डिस्ट्रीब्यूटर्स ने अस्वीकार कर दिया था। इसके बाद वायाकॉम इस वेंचर का हिस्सा बना और इसे स्पोर्ट किया।वायाकॉम के मार्किटिंग हैड रुद्ररूप दत्त से जब पूछा गया कि उन्होंने क्या सोचकर

इस प्रोजैक्ट को स्वीकार किया, तो उन्होंने कहा, ‘हम एक ऐसा स्टूडियो हैं जो लकीर से हटकर काम करना पसंद करता है। हम जानते थे कि ‘भाग मिल्खा भाग’ एक बड़ा बदलाव साबित होगी। इसकी स्क्रिप्ट और कंसैप्ट बहुत बढिय़ा थे। इतनी बढिय़ा स्क्रिप्ट लिखने के लिए राकेश और प्रसून्न दोनों बधाई के पात्र हैं। हालांकि यह एक सच्चाई है कि यह कहानी भारत-पाक विभाजन के दौर की है, पर आज की पीढि़ में भी यह पूरी तरह प्रासंगिक है। इन सब बातों ने हमें यह कहानी लेने और इस पर फिल्म बनाने के लिए प्रेरित किया।’

जैसा कि रुद्ररूप दत्ता ने बताया कि ‘भाग मिल्खा भाग’ वाकई एक बड़ी गेम चेंजर साबित हुई है। आलोचकों ने भी इस फिल्म की काफी प्रशंसा की है और साथ ही दर्शकों को भी फरहान अख्तर की शानदार परर्फोमेंस बेहद पसंद आई है। यह फिल्म न सिर्फ एक बहुत बड़ी ब्लॉकबस्टर साबित हुई है, बल्कि देश के कई राज्यों में इसे मनोरंजन कर से मुक्त भी कर दिया गया।

एक एथलीट के कथानक पर आधारित इस बायोपिक में ऐसा क्या खास था कि यह साल की सबसे बेहतरीन फिल्म साबित हुई, इस बारे में पूछने पर स्पाइस पीआर के प्रभात चौधरी बताते हैं, ‘नि:संदेह फिल्म में कुछ बेहद आकर्षक कंटेंट है, कलाकारों की बढिय़ा परर्फोमेंस और पिचिंग तकनीक ने ‘भाग मिल्खा भाग’ की सफलता में बड़ा योगदान डाला है। हमने बॉलीवुड हंगामा में फिल्म की मार्किटिंग प्लानिंग का विश्लेषण किया, जिसके चलते दर्शकों और आलोचकों ने इसे भरपूर समर्थन दिया। हमारी मार्किटिंग टीम के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी एक ऐसे नायक को रिवाइव करना जो पिछले कई दशकों से मीडिया के सामने नहीं आया था। मिल्खा सिंह मार्किटिंग के  मकैनिज़्म और पीआर के महत्व को समझते थे, इसलिए ज्यादा परेशानी नहीं हुई। उन्होंने हर कदम पर  हमारा साथ दिया।

एक ऐसे दौर में जहां फिल्म के फर्स्ट लुक के लॉन्च के कुछ ही महीनों के भीतर फिल्म रिलीज़ कर दी जाती है, इस फिल्म ने अलग रणनीति अपनाई। इसकी रिलीज़ के तीन साल पहले इसकी घोषणा कर दी गई। सितंबर 2010 में जब चंडीगढ़ में फिल्म की घोषणा हुई, इसकी कोई स्टार कास्ट नहीं थी, न स्टूडियो था और न ही बजट। रुद्ररूप दत्ता कहते हैं, ‘हमने नंवबर 2012 में फिल्म का पहला टीज़र जारी किया। तभी से हमने लोगों के दिमाग में इस फिल्म के लिए उत्सुकता पैदा करनी शुरू कर दी। और जब हम फिल्म को रिलीज़ करने वाले थे, तब हमने मीडिया में एक बहुत बड़ी मुहिम चलाई। जिस तरह गाने बनाए गए, फिल्म के प्रोमोस और पारम्परिक मार्किटिंग में कमर्शियलाइज़ेशन के एलिमेंट्स थे उन्हें आज की जनरेशन बहुत पसंद करती है।’

रणनीति के बारे में बात को आगे बढ़ाते हुए प्रभात कहते हैं, ‘मिल्खा के बारे में सब कुछ बहुत विश्वसनीय था। दर्शकों का विश्वास जीतना बहुत महत्वपूर्ण होता है। बहुत बार देखा गया है कि जब एक फिल्म को प्रोमोट किया जाता है तो दर्शक उसके कंटेट को अस्वीकार कर देते हैं क्योंकि उसमें बहुत कुछ ‘नौटंकी’ होता है और लोग फिल्म पर विश्वास नहीं कर पाते। लेकिन जब मिल्खा की बात हुई तो लोगों ने इसकी विश्वसनीयता के चलते इसे खूब पसंद किया और इसे इतनी बड़ी हिट भी बनाया।’

रुद्ररूप दत्ता कहते हैं, ‘हमने फिल्म के लिए किसी खबर को सनसनीखेज नहीं बनाया और न ही पब्लिसिटी के सस्ते हथकंडे ही अपनाए। लोगों में उत्सुकता बनाए रखने के लिए हम लगातार खबरें बनाते रहे। फिर बात चाहे मिल्खा जी के जूतों की नीलामी की हो। इसके चलते फिल्म लोगों के बीच काफी चर्चित हो गई। पब्लिसिटी को वास्तविक रखने की अनेक कोशिशों के बावजूद ‘भाग मिल्खा भाग’ पाकिस्तान में प्रतिबंध लगने की अफवाह का शिकार हो गई। यह हमारे लिए काफी चिंताजनक था क्योंकि वास्तविकता यह थी कि फिल्म में किसी धर्म या समुदाय का अपमान नहीं किया गया था।  रेबेका ब्रीड्स के साथ फरहान के रोमांटिक सींस पर भी कुछ लोगों की भवें तान गईं। हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण था मिल्खा सिंह की मंजूरी।

लगभग सभी बायोपिक विवादों में घिर जाती हैं, लेकिन यहां मिल्खा जी ने फिल्म को विश्वसनीय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके परिवार ने भी इस काम में काफी मदद की। 'बैंडिड क्वीन' भी एक बायोपिक ही थी जो तब बनी जब फूलन देवी जिंदा थी। पर उन्होंने फिल्म को प्रोमोट नहीं किया, बल्कि फिल्ममेकर के साथ उनके मतभेद हो गए। लेकिन मिल्खा सिंह ने खुद सरकारी तौर पर अपनी बोयोपिक की पुष्टि कर दी और उनके बारे में गलत जानकारी देने के लिए दूसरों की तरह हमें अदालत में नहीं घसीटा। इसके चलते वह फिल्म के असली मार्किटिंग हीरो बन गए।

बायोपिक्स को समानांतर सिनेमा की श्रेणी में रखा जाता है, खासकर तब जब इसमें ग्लैमर न हो। इसका एक उदाहरण है ‘पान सिंह तोमर’ जो एक एथलीट बनाम डाकू की जिंदगी पर आधारित फिल्म है। फिर ‘भाग मिल्खा भाग’ को कमर्शियल सक्सैस कैसे मिल गई, इस बाबत पूछने पर  दत्ता बताते हैं, ‘इसका मुख्य कारण था दर्शकों को फिल्म पेश करने का तरीका। बायोपिक को समकालीन समाज के अनुरूप बनाना एक बड़ी चुनौती थी। हमारा आइडिया था इसे एक मनोरंजक फिल्म बनाना नाकि एक ऐतिहासिक फिल्म। दृश्यों और संगीत ने भी अपना रोल बखूबी निभाया। सब कुछ समकालीन था, कुछ भी सामयिक नहीं था। यह एक प्रेरणात्मक फिल्म थी नाकि एक स्पोर्ट्स फिल्म। हमारा फोकस इस तथ्य पर ज्यादा था कि सभी मुश्किलों के बावजूद एक आदमी कैसे इतनी सफलता हासिल करता है नाकि एक सफल एथलीट की कहानी को प्रोमोट करना।

हालांकि फिल्म को सभी तरह की कठिनाईयां जैसे, एक भूले हुए लीजेंड को रिवाइव करना, निर्देशक द्वारा फिल्म को बेचने में परेशानियां, लेकिन इन सबके बावजूद यह इस साल की सबसे बड़ी  फिल्मों में से एक बन गई है और सौ करोड़ के क्लब में शामिल हो गई है। इसकी अपार सफलता के पीछे जो सबसे बड़ा कारण है वह है इसकी योजनाबद्ध मार्किटिंग रणनीति। फिल्म ने साबित कर दिया कि सच्ची और ईमानदार मार्किटिंग तकनीक बॉलीवुड में सफलता का सबसे बड़ा मंत्र हैं।


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Friday, August 9, 2013

टूटने न दें रिश्तों की डोर

टूटने न दें रिश्तों की डोर

कोई भी रिश्ता परफैक्ट नहीं होता, उसे परफैक्ट बनाने के लिए कोशिश करनी पड़ती है। उतार-चढ़ाव हर रिश्ते में आते हैं। पर इससे परेशान होकर कोई ऐसा निर्णय लेना, जिसका असर ताउम्र आप पर पड़े, ठीक नहीं है। छोटी परेशानियों को बड़ा बनाने की जगह उनका हल निकालें, ताकि आपका रिश्ता हमेशा सलामत रहे...

हर रिश्ता उतार-चढ़ाव के दौर से गुजरता है। जब ज़िंदगी में खुशियां रहती हैं तब तो सबकुछ ठीक रहता है लेकिन जब जीवन में मुश्किलों भरे पल आते हैं तो कई बार रिश्ते बिखर भी सकते हैं। कभी आप उनके बहुत करीब हो जाती हैं और कभी बहुत दूर। जब सब कुछ सही चल रहा होता है तब उनको देखते ही आपके चेहरे पर इतनी प्यारी सी स्माइल आ जाती है कि आपका प्यार आपकी आंखों में झलकने लगता है। लेकिन जब दिल में कोई गुस्सा-गिला होता है तो उनको एक पल प्यार से देखना भी गवारा नहीं होता।
प्यार भरे किसी भी रिश्ते में अलगाव का कोई एक कारण नहीं होता। छोटी-छोटी बहस या तकरार का रोज का किस्सा बन जाना, एक-दूसरे की पसंद-नापसंद का एकदम भिन्न होना, धैर्य खो देना, शक करना और प्यार की कमी महसूस करना...ऐसे कई कारण हैं, जिनके चलते आपसी संबंधों में कड़वाहट और दरारें पनपने लगती हैं। एक सफल रिश्ते के लिए आपसी समझदारी, ईमानदारी और विश्वास बेहद जरूरी है, तभी हम तनाव और दुख के समय में भी आपस में अच्छे संबंध कायम रख सकते हैं।

रिश्तों को समय दें

एक-दूसरे को समझने का वक्त निकालना सबसे महत्वपूर्ण है। कई बार रिश्तों को पर्याप्त समय न दे पाना भी इनमें दूरियां ले आता है। आपस में बैठकर बातचीत करने और अपने लगाव या प्रेम को सहज भाव से प्रदर्शित करने के मौके निकालने से भी रिश्तों में दूरियों को बढऩे से रोका जा सकता है।

खुद तक रखें बातें

यूं तो रिश्तों का आधार ही ईमानदारी है। किसी भी रिश्ते को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए रिश्तों में राज नहीं होने रखने चाहिए लेकिन यह फॉर्मूला हर बार सही नहीं होता। ऐसी बातें जिनसे आपके पार्टनर की टैंशन और स्ट्रैस बढ़े और जो बहुत अहम न हों, उन्हें खुद तक ही रखना बेहतर है।

कंट्रोल बनाए रखें

जब आप स्ट्रैस महसूस कर रहे हों तो खुद पर कंट्रोल मत खोइए। गुस्से में मुंह से निकला कड़वा शब्द आपके पार्टनर के दुख को बढ़ा देता है। जब भी कभी आप गुस्से या तनाव में हों तो  उन पलों को याद करिए जो आपने एक साथ बिताए हैं और वे आप दोनों के लिए बेहद अहम हैं।

स्पेस दें

तनाव में व्यक्ति कई बार कुछ समय अकेला रहना चाहता है। हर किसी को एक पर्सनल स्पेस की जरूरत होती है। जब आपका पार्टनर स्ट्रैस्ड हो तो उन्हें थोड़ा ‘मी’ टाइम जरूर दें। तनाव में व्यक्ति कई बार कुछ समय अकेला रहना चाहता है। समय सबसे अच्छा डॉक्टर है, वक्त हर गम, हर तनाव भुला देता है। जर्बदस्ती उनके साथ रहने की कोशिश न करें लेकिन जब आपकी जरूरत हो तब आप उनका साथ दें।

रोती न रहें

मुश्किल में दुखी होना तो इंसानी फितरत है लेकिन इस पर काबू रखना भी जरूरी है। हर वक्त आप अपनी परेशानियों का रोना अपने पार्टनर के सामने न रोती रहें, इससे आप उनकी परेशानी को बढ़ाएंगी ही। अगर आपका पार्टनर कभी उदास दिखाई दे तो अपनी परेशानी का जिक्र न करके उनका मूड ठीक करने की जुगत लगाएं। उनकी खुशी का ध्यान रखें और उन्हें स्पैशल फील करवाएं। यह खास होने का अहसास उनसे आपको भी वैसे ही मिलेगा।

अडिय़ल रवैया न रखें

कुछ महिलाओं की आदत होती है कि वह अपने पार्टनर से हमेशा अपनी बात ही मनवाना चाहती हैं। लेकिन ध्यान रखें, उनकी भी अपनी पसंद-नापसंद होती है। इसलिए उन पर हमेशा अपनी मर्जी थोपने की कोशिश न करें। उनकी भावनाओं को भी समझें और उनकी बातें मानें भी। उनकी हर बात ध्यान से सुनें और उस पर विचार भी करें। याद रखें, लचीलापन और आपसी समझ आपके रिश्ते को दूर तक ले जाते हैं।

देखें मगर प्यार से

आपकी लुक्स से ही वो आपके दिल की बात जाने लेते हैं। अगर आप कुछ सेकंड्स के लिए भी उनकी आंखों में आंखें डालकर देखती हैं तो आपकी फीलिंग्स उनकी आंखों से होती हुई उनके दिल तक पहुंचने में देर नहीं लगातीं। इसलिए जब भी उनसे मुखातिब हों, हमेशा प्यार से मुस्कुराती रहें।

सलाह लें

हर रिश्ता समय के साथ बदलता है। आपकी जिंदगी में भी कभी मुश्किल दौर आ सकता है, ऐसे में किसी ऐसे शख्स से सलाह लें जो आपसे पहले उस दौर से गुजर चुका हो। उसके अनुभव का फायदा उठाएं। उसकी सलाह जरूर लें, पर याद रखें कि फैसला आपको खुद ही लेना है।

आज में जिएं

अगर कभी आप दोनों में कोई समस्या रही हो या पहले की कोई कड़वी याद हो तो उन बातों की चिंता छोड़ दें। बुरी यादें हमारा आज खराब कर देती हैं। वर्तमान सबसे अहम होता है। आज का एक-एक पल खास है और उसे एंजॉय करना सीखें। लेकिन इसका मतलब लापरवाही नहीं है। आज को एंजॉय करते समय आपको आने वाले कल का भी ध्यान रखना होगा। फ्यूचर की प्लानिंग करें लेकिन उससे आज को बर्बाद न होने दें।

अनारकली कुर्ते से रॉयल व स्टाइलिश लुक

अनारकली कुर्ते से रॉयल व स्टाइलिश लुक

अनारकली कुर्ते लंबे समय से फैशन में हैं। यही वजह है कि बॉलीवुड की हीरोइंस से लेकर एक आम लड़की तक सभी को स्टाइलिश और फ्लेयर वाले अनारकली बहुत पसंद आ रहे हैं। यह आपको एक रॉयल लुक भी देता है। पार्टियों और विवाह समारोहों में आप युवा लड़कियां और महिलाएं अनारकली सूट्स में ही दिखाई दे रही हैं। सभी आयुवर्ग और पर्सनैलिटी की महिलाओं पर यह जंचता भी खूब है...
अगर आप भारतीय परिधानों में स्मार्ट लुक पाना चाहती हैं तो आपके लिए अनारकली सूट सबसे बेहतरीन ऑप्शन रहेगा। इनमें महिलाओं का व्यक्तित्व बेहद खूबसूरती से उभर कर आता है, आप इसे ट्रैडिशनल और ट्रैंडी का मिक्स एंड मैच भी कह सकती हैं। अगर आपको ऑफिशियल पार्टी में जाना हो या फिर कोई पारिवारिक आयोजन हो, यकीन मानिए अनारकली सूट में सजी-धजी पहुंचेंगी तो सबकी निगाहें आपकी ही तरफ उठेंगी।

डिज़ाइनर्स की पसंद

इसका स्टाइल ही कुछ ऐसा है कि अधिकतर भारतीय फैशन डिजाइनर इसे अपने फैशन शो का हिस्सा भी बना रहे हैं। कॉटन से लेकर जॉर्जेट और शिफॉन-नेट से लेकर सिल्क तक, हर तरह के ड्रैस मैटेरियल में अनारकली सूट उपलब्ध हैं। अनारकली कुर्ते की लंबाई ज़यादा होती है। इन दिनों ऐसे अनारकली कुर्ते अधिक पसंद किए जा रहे हैं, जिनकी लंबाई इतनी अधिक होती है कि चूड़ीदार भी नज़र नहीं आती। साथ ही इन कुर्तों का घेरा भी अधिक होता है। इसमें अस्सी कली के लहंगे जितना घेर भी हो सकता है और यदि बहुत घेर नहीं चाहिए तो फ्रॉक स्टाइल में सिंपल ए लाइन कुर्ता भी पहना जा सकता है। अनारकली कर्ता ऊपरी तरफ से यह फिटिंग का होता है और नीचे आते-आते चौड़ा होता जाता है।  इससे यह ग्लैमरस दिखता है। गोटा, ज़रदोज़ी, सेमी प्रिशियस स्टोंस, ज़री, पाईपिन वर्क और धागे से की गई कढ़ाई के साथ इसे क्लासी लुक दिया जा रहा है।

लेटेस्ट ट्रैंड

पिछले काफी अर्से से अनारकली सूट्स फैशन के बाज़ार में छाए हुए हैं। इस समय अनारकली सूट्स में दर्जनभर से अधिक स्टाइल व डिजाइन हैं, लेकिन इनमें नित नए ट्रैंड्स शामिल हो रहे हैं। केवल सूट की लेंथ में बदलाव करने से ही लुक में काफी बदलाव आया है। फ्लोर लेंथ अनारकली सूट पॉपुलर हो रहा है। यह लंबी लड़कियों पर खूब फबता है, हालांकि फैशन डिज़ाइनर कम हाइट की लड़कियों को फ्लोर लेंथ अनारकली सूट सजेस्ट नहीं करते। वैसे इन दिनों अंगरखा स्टाइल के अनारकली कुर्ते की भी काफी डिमांड है, लेकिन चौड़े फ्रेम के शरीर वालों को इसे बनवाते समय फिटिंग का थोड़ा ध्यान रखना पड़ता है। आजकल अनारकली पर पैच वर्क भी काफी पसंद किया जा रहा है। पार्टी वेयर ड्रैस चाहिए तो भारी जरी के बार्डर वाला अनारकली कुर्ता चुन सकती हैं।
सबसे ज्यादा चलन में माना जाता है अम्ब्रेला पैटर्न, जिसमें लोअर पार्ट काफी घेरदार होता है। नए डिजाइंस में इस घेर की गुंजाइश और भी बढ़ गई है जैसे कि ऐड़ी तक आने वाली लंबी-घेरदार स्कट्र्स, जिनके भारीपन से लोअर डिज़ाइन में आने वाली प्लीट्स व चुन्नटों की संख्या काफी बढ़ जाती है। आजकल हैवी वर्क से बने चोली पैटन वाले कुर्ते काफी फैशन में हैं जो मुख्यत: शिफॉन, जॉर्जेट, चाइना सिल्क जैसे प्योर मटीरियल में मिलते हैं। इन्हें दिलकश बनाने के लिए भारी एम्ब्रॉयडरी वर्क से संवारा जा सकता है। लोअर पार्ट को ज़्यादा रिच बनाने के लिए ज़री व ज़रदोजी वर्क के साथ भारी किया जा सकता है। इसके लिए मिरर, आरी, सीक्वेन व कुंदन का काम होता है। स्लीव्ज़ में फुल और क्वाटर्र स्लीव्ज़ का ट्रैंड है, लेकिन स्टाइल को ध्यान में रखते हुए आप हाफ /क्वाटर्र या फुल स्लीव का चुनाव खुद कर सकती हैं। 

दुप्ट्टे के साथ भी और इसके बगैर भी

अनारकली सूट को आप दुपट्टे के साथ भी पहन सकती हैं और इसके बिना भी। कुछ अनारकली सूट बिना दुपट्टे के भी अच्छे लगते हैं। यह इसके डिज़ाइन और लुक पर निर्भर करता है। आप अपनी पसंद और टेस्ट के हिसाब से यह तय कर सकती हैं कि आपको यह सूट दुपट्टे के साथ कैरी करना है या इसके बगैर। अनारकली सूट्स के साथ दुपट्टा कैरी करने का ढंग अन्य सूट्स के मुकाबले काफी अलग होता है। अगर आप किसी फंक्शन पर जा रही हैं और अनारकली सूट के साथ दुपट्टा कैरी कर रही हैं तो इसे गले में डालने की बजाय पीछे से लेकर हाथों पर संभालें। लेकिन अगर गला ज़्यादा डीप हो तो दुपट्टा गले में भी ले सकती हैं। अनारकली कुर्ते के साथ आप हैवी लैस या बॉर्डर पर वर्क से सजा दुपट्टा ले सकती हैं। आजकल स्टोल्स भी फैशन में हैं। ये भी अनारकली कुर्ते पर खूब फबते हैं।

हर तरह की पर्सनैलिटी के लिए परफैक्ट

अगर आप दुबली-पतली हैं तो हर तरह की अनारकली ड्रैस आप पर फबेगी और परफैक्ट लुक आएगा। आप सारे स्टाइल के अनारकली ट्राई कर सकती हैं।  आपको कमर से चोली पैटर्न की अच्छी फिटिंग लिए कुर्ते सिलवाने चाहिए। क्रश कॉटन, नैट, जामा जैसे मटीरियल आप अपना सकती है। इसके साथ ही आपको कलर्स के बारे में भी ज़्यादा सोचने की ज़रूरत नहीं है।
अगर आप सोचती हैं कि अनारकली सूट्स सिर्फ दुबली-पतली लड़कियों पर ही जंचते हैं, तो यकीनन आप गलत हैं। ये पतली ही नहीं बल्कि भरी-भरी महिलाओं पर भी फबते हैं। दरअसल, मोटी लड़कियों को अनारकली कुर्ते का चुनाव थोड़ा सोच-समझ कर करना चाहिए है। आप जब अनारकली कैरी करती हैं, तो ऐसा नहीं लगना चाहिए कि आपने ढीला-ढाला टैंटनुमा कोई ड्रैस पहन लिया है। अनारकली सिंगल कलर में चुनें और फ्लेयर भी बिल्कुल सिंपल डिजाइन करवाएं। भारी शरीर वालों पर ए लाइन कुर्ते भी अच्छे लगेंगे। उनके लिए थोड़े कम घेर के, शॉर्ट या लॉन्ग तथा बिना चोली पैटर्न के कुर्ते अच्छे लगते हैं। ध्यान रखें कि आपके कुर्ते पर कमर तक चोली पैटर्न में फिटिंग न दी गई हो। आप जब अनारकली डिजाइन करवाएं तो उसमें बहुत ज्यादा कली ना बनवाएं। सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है कुर्ते का मटीरियल। चौड़ी फ्रेम या भारी शरीर वालों को हमेशा कॉटन या नेट के बजाय शिफॉन, जॉर्जेट, सिल्क या अन्य पतले मटेरियल का चयन करना चाहिए। ये सभी मटीरियल शरीर से चिपके रहते हैं तथा शरीर को नज़ाकत भरा बनाते हैं।
फैशन डिजाइनर्स के मुताबिक अनारकली लंबी लड़कियों पर खूब फबता है। अनारकली में लंबाई बढ़ी हुई नज़र आती है लेकिन अगर लंबी लड़कियां अपनी हाइट छिपाना चाहती हैं तो कंट्रास्ट कलर यूज़ कर सकती हैं। इससे उन पर अनारकली अच्छा भी लगेगा और उनकी हाइट भी कम लगेगी। इसमें एंपायर लाइन या वेस्ट लाइन वाला अनारकली अच्छा ऑप्शन है।
अगर आपकी हाइट कम है, तो आपको अनारकली सूट चुनते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। छोटी हाइट की लड़कियां अनारकली सूट में ज्यादा फ्लेयर ना लें। दरअसल, छोटी हाइट की लड़कियों को मॉडरेट फ्लेयर्स लेनी चाहिए। इसमें लाइट फैब्रिक चुनें। कुर्ते की हाइट घुटनों तक ही लें। इससे आपकी हाइट थोड़ी ज़्यादा लगेगी और आप गॉर्जियस दिखेंगी। अगर आपकी हाइट कम है और आप मोटी भी हैं तो आप अनारकली को स्टाइलिश कली के साथ डिज़ाइन करवा सकती हैं। कलियां बॉडी के अपर पार्ट से शुरू हो जानी चाहिएं नाकि कमर से। इससे दो फायदे होते हैं, पहला तो यह कि इससे आपके लंबे होने का अहसास होगा और दूसरा मोटापा भी छिप जाएगा।

एक्सैसरीज़ पर दें ध्यान

अनारकली सूट के साथ सही एक्सैसरीज का चुनाव कीजिए और हो जाइए तैयार पार्टी में गज़ब ढाने के लिए। इसके साथ ज्यादा ज्यूलरी पहनना फूहड़ता लगता है। इसलिए इसके साथ आप गले में कोई हल्का-सा नेक पीस डाल सकती हैं या फिर बेहतर रहेगा कि आप गले में कुछ भी न पहनें। लेकिन हां, आपके इयररिंग्स बढिय़ा होने चाहिए। अनारकली सूट्स के साथ बड़े-बड़े झुमके या विंटेज, डैंगल इयररिंग्स बेहद आकर्षक दिखते हैं।

फुटवियर्स भी हों मैचिंग

अनारकली सूट के साथ आप पंजाबी जूती या हाई हील सैंडल्स में से कुछ भी पहन सकती हैं। जूती या हील जो भी चुनें सूट के साथ मैच होनी चाहिए। अगर आपकी हाइट अच्छी है तो पंजाबी जूती ज़्यादा अच्छी लगेगी। इसमें आपका लुक एकदम पारंपरिक होकर उभरेगा। कम हाइट वाली महिलाओं को हाई हील्स सैंडल्स के साथ ही इसे कैरी करना चाहिए। हाइट आपकी बहुत कम है और आप हेल्दी भी हैं, तो स्टाइलिश-सी हील्स जरूर कैरी करें। इससे आपके अनारकली का लुक बेहद ही खूबसूरत आएगा। आप चाहें तो सूट पर कढ़ाई के अनुसार कॉपर ब्राउन, गोल्डन या सिल्वर रंग की जूती या सैंडल पहन सकती हैं।

अपनाएं ये अच्छी आदतें

और हेयर प्रॉब्लम भूल जाएं

ऑयल मसाज

गर्मी का मौसम है इसलिए तेल क्यों लगाना, ऐसा न सोचें। हफ्ते में 1-2 बार बालों में तेल मालिश जरूर करें। हेयर ऑयल से सिर की मालिश जादुई असर दिखाती है। इसके लिए बालों में बहुत अधिक तेल लगाने की जरूरत नहीं है। मसाज ऐसी होनी चाहिए जिससे आपके सिर में रक्त संचार ठीक तरीके से हो। उंगलियों के पोरों से सिर की मालिश करने से रक्त संचार बढ़ता है, जिससे बालों को जरूरी पोषण मिलता है। बालों की मसाज के बाद अपने सिर पर गर्म तौलिया लपेट लें।

माइल्ड शैंपू

स्वस्थ बालों के लिए बालों की सफाई जरूरी है। गर्मियों के दौरान सिर पर बहुत अधिक पसीना आता है, जिससे रूसी पैदा हो सकती है। इससे सिर गंदा लगता है और बालों को हर दिन धोने की इच्छा होती है, लेकिन यह सही नही है। रोज बाल धोने से बालों से कुदरती तेल खत्म हो जाता है। इसलिए हेयर एक्सपट्र्स बालों को वैकल्पिक दिनों में यानी हफ्ते में तीन बार बाल धोने की सलाह देते हैं। शैंपू हमेशा माइल्ड और भरोसेमंद ब्रांड का चुनें ताकि बालों पर कैमिकल्स का असर कम से कम हो। वैसे भारतीय प्राकृतिक रीठा, शिकाकाई तथा काली मिट्टी भी अच्छे विकल्प हैं। बालों को ज्यादा तेज गरम पानी से नहीं धोना चाहिए।

कंडीशनिंग

हर बार शैंपू के साथ कंडीशनिंग करना बालों के लिए इस मौसम में अच्छा रहता है। शैंपू के द्वारा हुई किसी भी क्षति को कम करने के लिए प्रोटीन आधारित कंडीशनर चुनें। लेकिन बालों के लिए माश्चराइजर प्राकृतिक हाइड्रेट वाला होना चाहिए, क्योंकि बहुत ज्यादा प्रोटीन वाला कंडीशनर बालों को ब्रिटल बना देता हैं। अगर आपके बाल घुंघराले हैं तो आपका शैंपू और कंडीशनर सल्फेट और सिलिकॉन रहित होना चाहिए। सल्फेट घुंघराले बालों को और अधिक ड्राई और सिलिकॉन घुंघराले बालों का और अधिक निर्माण कर सकता है। सल्फेट मुक्त किट बालों की देखभाल के लिए बहुत जरूरी होता है। अपने बालों में सप्ताह में एक बार डीप कंडीशन करें।

ब्लो ड्राई

बालों को ब्लो ड्राई का फाइनल टच देते समय हेयर ब्रश के दांतो पर हेयर स्प्रे करें। फिर बालों की जड़ों पर एक मिनट के लिए ब्रश करें। इससे बालों पर हेयर स्पे्र की मोटी परत नहीं चढ़ेगी, लेकिन बालों का वॉल्यूम और चमक देखते ही बनेगी।

हेयर कलर

हेयर स्टाइल को और ज्यादा आकर्षक और स्टाइलिश बनाने के लिए बालों में हेयर कलर करने का ट्रैंड बहुत बढ़ गया है। अगर आप भी हेयर डाई करती हों, तो ध्यान रखें कि अपने बालों के रंग से बहुत ज्यादा हल्के रंग का इस्तेमाल न करें, क्योंकि इससे आपके बालों पर रसायनों का अत्याधिक प्रभाव पड़ेगा और बालों को नुकसान पहुंचेगा। कलर के बाद बार-बार शैंपू करने से भी बचें। डाई में मौजूद अमोनिया बालों को रूखा बनाता है और हेयर क्यूटिकल्स को हानि पहुंचाता है। डाई के बाद बार-बार शैंपू करने से बालों की जड़ों का रहा-सहा नेचुरल ऑयल भी खत्म हो जाता है। हफ्ते में एक बार कंडीशनर युक्त शेपू का प्रयोग जरूर करें।

ट्रिमिंग

बालों की देखभाल न की जाए तो बाल रूखे, बेजान और दोमुंहे हो जाते हैं। बालों की देखभाल के लिए उनकी ट्रिमिंग करवाना एक अच्छा उपाय है। हर दो-तीन महीने बाद बालों को कटवाएं। इससे आपके बाल हैल्दी दिखेंगे। बाल आकर्षक लगें इसके लिए जरूरी है कि दो-तीन महीने में एक बार बालों को नीचे से थोड़ा-थोड़ा ट्रिम करवाती रहें। बाल कटवाने से बालों की ग्रोथ होती है। ऐसा हेयरकट अपनाएं जो आपके चेहरे पर सुहाए।

हेयर केयर टिप्स

  • प्रदूषण, धूल मिट्टी और हवा से बाल रुखे और बेजान हो जाते हैं। इसलिए घर से बाहर निकलते समय बालों को अच्छे से कवर करें और सीधी धूप और धूल से बचाएं।
  • किसी अच्छे पार्लर में जाकर हेयर स्पा लें। इससे बालों की ग्रोथ भी अच्छी होगी और वे मजबूत भी बनेंगे।
  • यदि बालों में किसी तरह का इन्फेक्शन, खुजली या फोड़े-फुंसी आदि जैसी तकलीफ हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

पाएं लंबे, घने और काले बाल

पाएं लंबे, घने और काले बाल

गर्मियों में लंबे बालों की संभाल बेहद मुश्किल हो जाती है। ऐसे में कई बार मन करता है कि बालों को कटवा दिया जाए, लेकिन यह समस्या की सही हल नहीं है। आप बालों की सुरक्षा के लिए उचित उपाय आजमा सकती हैं। बालों की उचित देखभाल से बाल प्राकृतिक रूप से चमकदार और हैल्दी बने रहते हैं...

तेज धूप, धूल और पसीना बालों के सबसे बड़े दुश्मन हैं। गर्मियों में पसीना आने से न केवल चिपचिपाहट के कारण बालों को नुकसान पहुंचता है बल्कि रोमछिद्रों के खुल जाने से बालों की जड़ें कमजोर हो जाती हैं तथा बालों के झडऩे का खतरा भी बढ़ जाता है। इसके अलावा बाल बेजान भी हो जाते हैं तथा डैंड्रफ, खुश्की, खुजली, इनफैक्शन तथा दो मुंहे बाल आदि जैसी परेशानियां भी हो सकती हैं। ऐसे में जरूरी है कि बालों की सेहत पूरा ध्यान रखा जाए। बालों की केयर के लिए हम बेहतरीन उत्पादों और ब्यूटीशियन द्वारा दी गई सलाह पर तो भरोसा करते हैं लेकिन अपनी उन बुरी आदतों को दरकिनार कर देते हैं जिनके कारण बालों को नुकसान पहुंच रहा होता है।

जानें, क्या हैं बुरी आदतें?

1. बहुत से लोग बालों में शैंपू करते समय सिर की त्वचा और बालों को तेजी से रगड़ते हैं। ऐसा करने से न सिर्फ बालों को नुकसान पहुंचता है बल्कि सिर में मौजूद सिबैसियस ग्लैंड (जो बालों के लिए नैचुरल ऑयल बनाता है) भी उत्तेजित हो जाती है। इससे सिबैसियस ग्लैंड से ऑयल का अधिक मात्रा में स्त्राव होने लगता है। जिस कारण बाल चिपचिपे और गंदे दिखने लगते और इन्हें फिर जल्द ही धोना पड़ जाता है। बालों को बार-बार कम अंतराल पर धोने से ये ड्राई और बेजान बन जाते हैं और इनकी अपनी कुदरती चमक भी खो जाती है।

क्या करें:

बारिश के मौसम एक बात ध्यान रखने वाली है कि इस दौरान बालों को कम से कम धोना चाहिए। बालों को डैमेज होने से बचाने के लिए माइल्ड शैंपू और कंडिशनर का इस्तेमाल करें। बालों को सॉफ्ट व सिल्की बनाने के लिए सीरम भी लगाया जा सकता है।

2. बालों में बार-बार हाथ फेरना भी बुरी आदतों में से एक है। दिन भर में हम न जाने कितनी धूल भरी और कीटाणुओं से युक्त चीजों को हाथ लगाते हैं और फिर वही हाथ चेहरे और बालों में लगा लेते हैं। यही कीटाणु और धूल बालों में डैंड्रफ का कारण और उनके टूटने की वजह बन जाते हैं।

क्या करें:  

दिन में कई बार कंघी करें ताकि बाल सुलझे रहें। बालों में हाथ फेरने की आदत से दूर रहें। तो अब जब भी बालों में हाथ फेरते वक्त हाथ में बाल चिपक जाए, तो याद करें अपनी इस गलत आदत को और इसे सुधारने की कोशिश करें।

3. बहुत से लोग बाल धोने के बाद उन्हें जल्दी सुखाने के लिए तौलिए से झटकते है, लेकिन ऐसा करना बालों की सेहत को नुकसान पहुंचाना है। ऐसा करने से बाल कमजोर हो जाते हैं और जल्द ही टूटने लगते हैं।

क्या करें:

गीले बालों को तौलिए से रगड़कर न पोंछें। इन्हें धीरे-धीरे सूखने दें। बालों को सुखाने के लिए खुरदरा नहीं बल्कि नरम रोएंदार तौलिया इस्तेमाल करना चाहिए। सिर पर तौलिये को लपेट कर थपथपा कर सिर का पानी सुखाना चाहिए। हेयर ड्रायर का ज्यादा इस्तेमाल भी बरसात के मौसम में बालों को पर्मानेंट डैमेज कर सकता है।

4. लोग अक्सर समय की कमी के कारण गीले बालों पर ही कंघी फेर लेते हैं जो बालों के कमजोर होने और टूटने का एक प्रमुख कारण हैं।

क्या करें:

बालों को हमेशा सूखने के बाद ही सुलझाना चाहिए। सुलझाने के लिए हमेशा छोटी-छोटी लटें लेकर आराम से सुलझाएं। बालों को संवारने के लिए हमेशा चौड़े दांत वाले ब्रश का इस्तेमाल करना चाहिए। बालों में बहुत ज्यादा कंघी या ब्रश करना भी बालों के टूटने का कारण बन सकता है। गर्मी में बालों में बार-बार ब्रश करने से बालों की नमी कम हो जाती है। बालों को धोने के तुरंत बाद बालों को सुलझाने के लिए प्राकृतिक फाइबर वाले कंघे का प्रयोग करें। गीले बालों को टाइट नहीं बांधना चाहिए, वरना बाल टूटने लगते हैं और इनमें डैंड्रफ भी हो जाता है।

5. अनहैल्दी फूड बालों के लिए भी हानिकारक है। इससे बाल ड्राई और बेजान बन जाते हैं और बालों के दोमुंहे होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा बालों की वृद्धि बाधित हो जाती है।

क्या करें:

भोजन को संतुलित और पौष्टिक बनाए रखें।  स्वस्थ आहार बालों को बेहतर दिखने और बेहतर लगने में मदद करता है। बालों के लिए प्रोटीन और विटामिन बहुत जरूरी होते हैं। आप यह सुनिश्चित कर लें कि आपकी डाइट में ऐसे खाद्य पदार्थ शामिल करें जिनमें प्रोटीन, विटामिन सी, लोहा, जस्ता और ओमेगा-3 फैटी एसिड सही मात्रा में हो। इसके लिए दूध, हरी सब्जियां, फल और सभी प्रकार की दालों का सेवन करें। इसके अलावा विटामिन ई से भरपूर मूंगफली, बादाम, चिलगोजे और अखरोट का सेवन भी बालों को सुन्दर बनाता है। बालों की चमक, मजबूती तथा गुणवत्ता बनाये रखने के लिए स्ट्रॉबेरी, रास्पबेरी, काले अंगूर तथा अन्य बेरीज का इस्तेमाल भी फायदेमंद है। ये सूरज की किरणों से होने वाले नुकसान से बालों को बचाते हैं। साथ ही इनमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स बालों के लिए लाभदायी होता है।इससे बालों को अंदरूनी पोषण मिलेगा और वे हैल्दी बने रहेंगे। दही, छाछ, नींबू-पानी जैसे पेय रूटीन में शामिल करें। पानी भी उचित मात्रा में पीएं।

थायरॉइड दे सकता है बीमारियों को न्यौता


थायरॉइड दे सकता है बीमारियों को न्यौता

बदलती जीवनशैली के चलते अब कई लोगों की दिन की शुरुआत चाय की मीठी चुस्की की बजाय एक कड़वी गोली से होने लगी है। हर दसवें परिवार के किसी न किसी सदस्य को इस परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। रोज सुबह उठने ही एक गोली खाना अब उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन गया है। जिस दिन गोली में चूक हुई, उसी दिन से फिर तबीयत बिगडऩा शुरू हो जाती है...

अगर किसी का वज़न कुछ दिन में तेजी से बढ़ता या घटता जा रहा हो, कभी अचानक से ज्यादा ऊर्जा महसूस होती हो, तो कभी एकदम अवसाद का शिकार हो जाती हों, थकावट महसूस होती हो, काम करने में मन न लगता हो और वह उदास-सा रहता हो, ये सभी बातें बताती हैं कि आपका शरीर थायरॉइड असंतुलन का शिकार है। थायरॉइड को ‘खामोश मर्ज’ यानी साइलेंट डिसीज कहा जाता है क्योंकि इसके शुरुआती लक्षण इतने हल्के होते हैं कि मरीज को पता ही नहीं लगता कि कुछ गड़बड़ है।

क्या होता है थायरॉइड डिस्ऑर्डर

हमारी बॉडी में बहुत-से एंडोक्राइन ग्लैंड्स (अंत: स्रावी ग्रंथियां) होते हैं, जिनका काम हॉर्मोंस बनाना होता है। इनमें से थायरॉइड भी एक है, जोकि गले के बीच वाले हिस्से में स्थित एक छोटी सी ग्रंथि होती है। थायरॉइड से दो तरह के हॉर्मोंस निकलते हैं : टी 3 और टी 4, जो हमारी बॉडी के मेटाबॉलिज्म को रैग्युलेट करते हैं। टी3 10 से 30 माइक्रोग्राम और टी4 60 से 90 माइक्रोग्राम निकलता रहता है। एक तंदुरुस्त आदमी के शरीर में थायरॉइड इन दोनों हॉर्मोंस को सही मात्रा में बनाता है, जब इस ग्रंथि में कोई गड़बड़ी होती है तो इसमें से बहुत अधिक मात्रा में या कुछ कम मात्रा में हार्मोंस निकलने लगते हैं, जिसकी वजह से थायरॉइड की समस्या शुरू होती है। थायरॉइड डिस्ऑर्डर को दो भागों में बांटा जाता है:

1. हाइपोथायरॉइडिज्म: थायरॉइड में जब टी3 और टी4 हॉर्मोन लैवल कम हो जाए तो उसे हाइपोथायरॉइडिज्म कहते है। इसमें टीएसएच बढ़ जाता है।

2. हाइपरथायरॉइडिज्म: थायरॉइड में जब टी3 और टी4 हॉर्मोन लेवल अगर बढ़ जाए तो हाइपरथायरॉइडिज्म कहते है। इसमें टीएसएच घट जाता है।

आम तौर पर लोगों को हाइपोथायरॉइड की समस्या होती है। दवाओं से इसे नियंत्रित किया जा सकता है लेकिन इसका समय रहते पता चलना अत्यंत महत्वपूर्ण है। वरना यह बीमारी खतरनाक हो सकती है।

कैसे होता है थायरॉइड डिस्ऑर्डर

  • अधिकतर मामलों में यह खानदानी होता है।
  • खाने में आयोडीन के कम या ज्यादा होने से।
  • ज्यादा चिंता करने, अव्यवस्थित खानपान और देर रात तक जागने से।
  • गले की रेडिएशन थेरेपी से, जो कि ब्लड और गले का कैंसर होने पर दी जाती है।
  • अगर पैदाइशी रूप से थायरॉइड ग्लैंड में हॉर्मोन बनने में गड़बड़ी हो या फिर थायरॉइड ग्लैंड हो ही न।
  • अगर कोई पहले से ही थायरॉइड का ट्रीटमेंट ले रहा हो और उसे अचानक बंद कर दे।
  • टीएसएच की कमी से।
  • अगर किसी को हाइपोथैलमिक बीमारी हो। हाइपोथैलमस ब्रेन का ही एक पार्ट होता है, जिसमें किसी भी तरह की बीमारी जैसे ट्यूमर, रेडिएशन आदि होने से हाइपोथैलमिक बीमारी होती है, जिससे हाइपोथायरॉइडिज्म हो जाता है।
  • कुछ दवाइयों का साइड इफैक्ट भी थायरॉइड डिस्ऑर्डर का कारण बन सकता है। लंबे समय तक इन दवाइयों को लेने से हॉर्मोंस का लैवल कम-ज्यादा हो जाता है, जिससे थायरॉइड डिस्ऑर्डर हो जाता है।

थायरॉइड डिस्ऑर्डर के लक्षण

  • मरीज की कार्यक्षमता कम हो जाती है। हर काम में आलस जैसा लगने लगता है, थकावट जल्दी हो जाती है और कमजोरी आ जाती है।
  • रोगी को डिप्रैशन महसूस होता है। वह बात-बात में भावुक हो उठते हैं।
  • बालों का झडऩा और हल्का होना।
  • चेहरा सूजा हुआ लगना।
  • रूखी आवाज, बहुत धीरे-धीरे और वक्त लगाकर बात करना।
  • कब्ज की शिकायत, नींद अधिक आना, लो ब्लड प्रैशर होना भी इसके कारण हैं।
  • सांस लेने में तकलीफ, दिल की धड़कन कम होना, हाथों में कंपन।
  • महिलाओं के पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं। कुछ मामलों में पहले पीरियड्स कम होते हैं, फिर धीरे-धीरे बंद हो जाते हैं। मासिक धर्म के दौरान अधिक खून जाता है। खून के थक्के अधिक आते हैं।
  • प्रजनन क्षमता पर फर्क पड़ता है।
  • कुछ लोगों में सुनने की शक्ति भी कम हो जाती है।

थायरॉइड डिस्ऑर्डर का निदान

किसी को थायरॉइड डिस्ऑर्डर है या नहीं, इसके लिए यह चैक किया जाता है कि बॉडी में टी3, टी4 और टीएसएच लैवल नॉर्मल है या नहीं। पहले लक्षणों और फिर जांच (थायरॉइड प्रोफाइल टैस्ट) से इसका पता चलता है।

खतरनाक हो सकता है

आम तौर पर लोग थायरॉइड की समस्या को गंभीरता से नहीं लेते, लेकिन इसके कारण शरीर में कोलेस्ट्रॉल और लिपोप्रोटीन का स्तर अनियमित हो जाता है जिससे दिल की बीमारियां, हृदयाघात, अवसाद और आर्थरोस्क्लेरोसिस का खतरा बढ़ जाता है। जिन बच्चों को हाइपोथायरॉइड की समस्या होती है उनका मानसिक विकास बाधित होने की आशंका अधिक होती है क्योंकि थायरॉक्सिन हार्मोन दिमाग के विकास के लिए बहुत जरूरी है।

क्या अपनाएं परहेज

हाइपोथायरॉइड में हारमोन का बहुत कम स्रव होता है जिसकी वजह से रोगी को कमजोरी, सुस्ती,  मोटापा, कब्ज, थकावट, भूख न लगना आदि की शिकायत शुरू हो जाती है पर कुछ बातों का ध्यान रखकर आप इस बीमारी से निजात पा सकती हैं।
  • मिर्च-मसालेदार, तली-भुनी, डिब्बाबंद चीज, मैदे की बनी चीजें, फास्ट फूड इत्यादि से दूर रहें।
  • थायरॉइड के इलाज के लिए दवाएं ले रहे हैं, तो सोयाबीन, शलजम, पत्तागोभी आदि के सेवन से बचना चाहिए। इनमें थायरॉइड हार्मोन के उत्पादन में अवरोध पैदा करने वाले तत्व होते हैं।
  • दवा को कभी सॉफ्ट ड्रिंक, चाय, कॉफी या फलों के रस के साथ न लें। दवा सादे पानी से ही लेनी चाहिए।
  • मद्यपान, धूम्रपान, गुटका, तंबाकू, चाय, कॉफी, चॉकलेट आदि चीजों को छोड़कर ही इस रोग से स्थाई छुटकारा मिल सकता है।
  • गेहूं, चना, सोयाबीन तथा जौ की मिश्रित आटे की रोटी का सेवन करें। इस रोग में बहुत ज्यादा प्रोटीनयुक्त आहार न लें। छिलके वाली दालों का सेवन भी बहुत लाभकारी रहेगा।
  • सभी फल (केला छोड़कर), हरी सब्जी और थोड़ी मात्रा में ड्राई फ्रूट को अपने भोजन में शामिल करें। अनाजों का सेवन कम करें।
  • अंकुरित अनाज, छाछ, सलाद रोजाना लें। दिन भर कुछ न कुछ खाते रहने की आदत से बचें।
  • निठल्ले बैठने रहने की आदत को छोड़ कर काम में व्यस्त रहने की आदत बनाएं।
  • इस रोग में तनाव, कंठा व क्रोध को अपने सिर पर लादे नहीं बल्कि इनका सूझबूझ तथा सामान्य बुद्धि से हल निकालें।
  • अपनी दिनचर्या में योग को शामिल करें। इस रोग में भस्त्रिका, कपालभाति एवं अग्निसार प्राणायाम काफी कारगर है। इनसे चयापचय गति बढ़ती है तथा सुस्ती, आलस्य तथा थकावट को दूर करने में उपयोगी सिद्ध होता है।
  • चिंता, तनाव, भय, असुरक्षा, संवेदनशीलता तथा निराशा आदि जैसे कारण जो इस रोग के लिए प्रमुख उत्तरदायी है, को ध्यान, योगनिद्रा एवं शिथिलीकरण से स्थायी रूप से दूर किया जा सकता है।

ऐसा कर लें

इस साइलेंट डिसीज को छुप-छुप कर शरीर में घर बनाने से रोकने का सबसे बढिय़ा और कारगर उपाय यह है कि जब भी ऐसे लक्षण महसूस हों तो तुरंत डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए और रोग की पुष्टि होने पर हार्मोन संतुलन के यथासंभव उपाय अपनाएं, समयानुसार व्यायाम और परहेज जरूर करें।
गौरतलब है कि मोटापे से पीड़ित अधिकतर रोगियों को मालूम नहीं होता कि बहुत हद तक उनके मोटापे का जिम्मेदार थाइरॉइड हार्मोन डिस्ऑर्डर है। वक्त पर इसका इलाज करा लिया जाए तो मोटापे और कोलेस्ट्रॉल पर नियंत्रण किया जा सकता है और शरीर को बाकी दुष्प्रभावों से भी बचाया जा सकता है।

फ्लैट टमी पाने के आसान टिप्स

फ्लैट टमी पाने के आसान टिप्स

फ्लैट टमी की चाहत हर किसी को होती है और फैट कम करने के लिए वे अपना बेस्ट करते हैं, फिर भी नतीजा इसलिए नहीं निकल पाता क्योंकि सही मायने में उन्हें पता ही नहीं होता कि वे क्या कर रहे हैं। इसके लिए एक्सरसाइज और डाइटिंग के ख्याल से ही वे घबरा जाते हैं। लेकिन फ्लैट टमी पाना इतना भी मुश्किल नहीं है। हम आपको बता रहे हैं कि कैसे आप आसानी से फ्लैट टमी पा सकेंगी...

हमारा लाइफस्टाइल कुछ ऐसा हो चुका है कि हम ना चाह कर भी अपने शरीर का वजन बढ़ाते चले जा रहे हैं। कुछ लड़कियों का पूरा शरीर देखने में पतला लगता है पर पेट काफी ज्यादा निकला होता है। वैसे ज्यादातर महिलाएं अपने शरीर के किसी न किसी हिस्से को लेकर असंतुष्ट होती हैं। किसी को फ्लैट टमी चाहिए होती है तो किसी को स्लिम वेस्ट। वे उस दिन का बेसब्री से इंतजार करती हैं जब उनकी ये कमियां दूर हो जाएंगी। इसके लिए वे कोशिशें भी करती हैं, लेकिन जब ऐसा नहीं हो पाता, तो वे अपनी बॉडी के साथ कंफर्टेबल नहीं महसूस करतीं। दरअसल, वे कुछ भ्रांतियां पाले रखती हैं जिनके चलते वे सही तरीके से अपना लक्ष्य हासिल नहीं कर पाती हैं। पेट की चर्बी घटाना और फ्लैट टमी पाना कोई मुश्किल काम नहीं है बशर्ते आपको सही खान-पान और रैगुलर एक्सरसाइज पर ध्यान देना होगा। आइए जानते हैं कि फ्लैट बेली पाना कितना आसान है।

पॉश्चर रखें सही

जो लोग सारा दिन कंप्यूटर के सामने बैठकर काम करते हैं, उनका पेट निकलने की संभावना अधिक रहती है। टमी कम करने का सबसे पहला टिप यह है कि आप अपना पॉश्चर हमेशा सही रखें। कभी भी झुककर या कंधे झुकाकर न बैठें। जब भी बैठें अपनी बैक को स्ट्रेट रखें। साथ ही कंफर्टेबल पोजिशन में बैठें। चलते वक्त चिन ऊपर रखें और बैक सीधी। ऐसे में आपका पेट भी फ्लैट रहता है और आप ज्यादा स्मार्ट दिखती हैं।

ऑफिस में स्ट्रेचिंग

 अगर आपका सारा दिन ऑफिस में ही काम करते बीत जाता है तो कुर्सी पर बैठे हुए कुछ देर के लिए पेट को अंदर खींचकर रखें। सांस को थोड़ी देर रोकें और फिर छोड़ें। कुर्सी पर बैठे-बैठे शरीर को दोनों ओर घुमाएं। कुर्सी पर बैठकर पैरों को स्ट्रेट करें और उन्हें मूवमेंट दें। साथ ही लगातार ज्यादा देर तक कुर्सी पर न बैठे रहें। हर घंटे कुछ मिनट के लिए थोड़ा टहल लें या बीच-बीच में इधर-उधर काम के लिए खुद जाती रहें।

एक्सरसाइज पर करें फोकस

 पेट की फैट बॉडी फैट का ही पार्ट है। हालांकि यह दिखाई ज्यादा देता है और आपकी पर्सनैलिटी को भी डाउन करता है। खुद को फिट रखने के लिए एक्सरसाइज तो जरूरी है ही, यह बात टमी को भी फ्लैट करने पर लागू होती है। इस फैट से छुटकारा पाने के लिए एब्डोमिनल एक्सरसाइज पर फोकस करना होगा। अगर चाहें तो योग का भी सहारा ले सकती हैं, वरना किसी विशेषज्ञ की निगरानी में जिम में पसीना बहाएं। अपनी कार्डियो रूटीन में बॉक्सिंग को जरूर शामिल करें। इसको लगातार करने से आपके पेट पर बहुत फर्क पड़ेगा क्योंकि इससे कैलोरी बर्न होती है। हफ्ते में केवल तीन दिन और 15 मिनट बॉक्सिंग कीजिए और आप देखते ही देखते चार हफ्तों में दो इंच कमर कम कर लेंगी। इसके साथ ही यदि आपका ऑफिस घर से ज्यादा दूर नहीं हो तो पैदल ही ऑफिस जाएं। अगर संभव हो तो साइकिलिंग करें। यह भी आपके पेट को फ्लैट रखने में काफी मददगार साबित होगी। लिफ्ट की बजाय सीढिय़ों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें।

लो फैट डाइट एक बड़ी गलती

विशेषज्ञों का कहना है कि टमी या वजन को कम करने के लिए लो फैट डाइट लेना एक बड़ी गलती हो सकती है। लो फैट डाइट्स बहुत देर तक काम नहीं कर पातीं। आप जिंदगी भर ही लो फैट डाइट के भरोसे नहीं रह सकते। विशेषज्ञों के अनुसार अगर आप सचमुच टोंड एब्स चाहते हैं, तो आपको बैलेंस्ड डाइट भी बहुत फायदा करेगी। लो फैट डाइट की जगह फिश, चिकन, मीट, वैजिटेबल और नट्स वगैरह ले सकती हैं। यह भी देख लें कि आपको फाइबर की मात्रा पूरी मिले। जरूरी यह है कि आप वह डाइट लें जो एंटी-ऑक्सीडैंट्स से भरपूर हो। साथ ही ऐसी जिससे बॉडी का मैटाबॉलिज्म रेट बढ़े। शरीर का मेटाबॉलिज्म बढऩे के साथ ही आप पतली भी लगेंगी। कम से कम 2 लीटर पानी हर रोज पिएं।
भोजन को ज्यादा पकाकर न खाएं, इससे उसमें मौजूद पोषक तत्व खत्म या कम हो जाते हैं। इस बात को यकीनी बनाएं कि आपकी प्लेट में कम से कम आधा रॉ फूड हो। रॉ वैजिटेबल से आपका पेट सही रहेगा। यह सलाद भी हो सकता है। बहुत ज्यादा फैट वाला नॉनवेज न ही लें तो बेहतर होगा। ऐसे खाने से परहेज करें, जिससे आपकी एब्डॉमिनल वॉल कमजोर होने लगे। खास मौकों पर आप पेस्ट्री और केक जैसी चीजों का भी मजा ले सकती हैं। इससे आपके फैट बर्निंग प्रोसैस को भी मदद मिलेगी।