Wednesday, July 31, 2013

आंखों को यूं बचाएं संक्रमण से

आंखों को यूं बचाएं संक्रमण से

मॉनसून के आते ही आंखों में कई तरह की परेशानियों का खतरा बढ़ जाता है। बरसात के दौरान आंखें वायरल संक्रमण का आसान शिकार बन सकती हैं। कंजक्टिवाइटिस मानसून के दिनों में महामारी की तरह फैलता है। वायरस, बैक्टीरिया और फंगस के संक्रमण की वजह से कंजक्टिवाइटिस होता है। कंजक्टिवाइटिस वैसे तो ज्यादा खतरनाक बीमारी नहीं है, लेकिन आंखों में होने के कारण यह कष्टदायक होता है।


कंजक्टिवाइटिस एक संक्रामक रोग है, जो एक व्यक्ति से दूसरे में बहुत तेजी से फैलता है। बच्चे इस रोग के शिकार सबसे ज्यादा होते हैं और उन्हें यह संक्रमण स्कूल, खेल के मैदान में दूसरे संक्रमित बच्चों के संपर्क में आने से होता है। इस संक्रमण में आंखों में जलन होती है, आंखें लाल हो जाती हैं और आंखों से पानी आने लगता है। पलकों पर पीला और चिपचिपा तरल जमा होने लगता है। आंखों में चुभन और खुजली होती है, सूजन आ जाती है और तेज दर्द होता है। कई बार इस संक्रमण के कारण बुखार भी हो जाता है। आमतौर पर इस संक्रमण की शुरुआत एक आंख से ही होती है, लेकिन जल्द ही दूसरी आंख भी इसकी चपेट में आ जाती है। आपकी आंखें हैल्दी रहें इसके लिए कुछ सावधानियां बरतनी जरूरी हैं।
  • आंखों की साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें।  आंखों को दिन में दो-तीन बार साफ और ठंडे पानी से धोएं।  
  • किसी भी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें। संक्रमित व्यक्ति से हाथ न मिलाएं और उनकी चीजें जैसे चश्मा, तौलिया, तकिया आदि न छुएं।
  • ऑफिस में बहुत से लोग एक ही कम्प्यूटर का इस्तेमाल करते हों तो की-बोर्ड और माऊस को संक्रमण रहित करके ही काम करें।
  • किसी दूसरे व्यक्ति का रूमाल या तौलिया इस्तेमाल ना करें। संक्रमण आमतौर पर तौलिए या हाथ पोंछने के अन्य सामान आदि से एक-दूसरे तक फैलता है।
  • अपना आई-मेकअप का सामान किसी के साथ शेयर न करें।
  • नाखून न बढ़ाएं क्योंकि उनमें गंदगी जमा हो सकती है।
  • आंखों में अगर लाली हो या आंखों से पानी निकल रहा हो तो कांटैक्ट लैंस न लगाएं।
  • जब भी घर से बाहर जाएं, धूप का चश्मा जरूर पहनें। यह न सिर्फ धूप से आंखों की सुरक्षा करता है बल्कि धुएं और धूल-मिट्टी से होने वाली एलर्जी से भी बचाव करता है।
  • आंखों को बार-बार हाथ से न छुएं।
  • अगर आंख में कुछ गिर जाए, तो उसे मलें नहीं, बल्कि साफ पानी से धो लें। आराम न मिले तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा आंखों में न डालें।
  • गंदगी और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने सें बचें।

किडनी के दोस्त हैं ये आहार

आज कल लोग अपनी सेहत को लेकर बहुत जागरूक हो गए हैं, चाहे बात हो हैल्दी हार्ट की या फिर किडनी को साफ रखने की। यह बहुत जरूरी है कि हम अपनी किडनियों को साफ सुथरा रखें जिससे उनमें स्टोन न जम पाएं। हर साल लाखों लोगों को किडनी में स्टोन यानी पथरी की समस्या आती है। कई लोगों को पथरी वशांनुगत होती है तो कई लोगों को खाद्य पदार्थों के सेवन से हो जाती है। सही प्रकार के आहार खाने से हम किडनी में बनने वाली पथरी को रोक सकते हैं। प्रतिदिन 2-3 लीटर पानी पीने से किडनी की पथरी से बचा जा सकता है। चलिये जानते हैं कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ जो हमारी किडनियों को हमेशा साफ रखेंगे और  किडनी स्टोन का संकट हम पर नहीं आने देगें।

पत्ता गोभी

ब्रोकली, फूलगोभी और गांठ गोभी, ये सभी पत्तागोभी के परिवार के ही सदस्य हैं। पत्ता गोभी अनेक पौष्टिक खनिज लवणों और विटामिंस का स्रोत है। यह हरी सब्जी किडनी के लिए बहुत अच्छी होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें पोटैशियम की मात्रा कम होती है और विटामिन के की मात्रा अधिक होती है। पत्ता गोभी में मोटापा, कैंसर और अल्सर से लडऩे के प्राकृतिक तत्व भी पाए जाते हैं। बारिश के समय पत्तागोभी पर कीड़े भी हो सकते हैं इसलिए पत्तागोभी को अच्छी प्रकार से धोकर, साफ करके ही काम में लें।

लाल अंगूर

क्या कभी दवा भी मीठी और स्वादिष्ट हो सकती है? अगर आप इस सवाल का जवाब ‘ना’ में देंगे तो आप गलत हैं। मीठे और रसीले लाल अंगूर कई बीमारियों की स्वादिष्ट दवा जैसे ही हंै। अंगूर स्वादिष्ट होने के साथ ही पौष्टिक और सुपाच्य होने के कारण आरोग्यकारी फल है। लाल अंगूर हृदय और किडनी के लिए अच्छे माने जाते हैं। लाल अंगूर किडनी और लीवर से पानी और सारे विषैले तत्व बाहर  निकाल देता है और किडनी को हैल्दी रखता है। इससे कब्ज की शिकायत भी दूर हो सकती है और पेट व आंत की बीमारियों में भी सुधार आ सकता है।

स्ट्रॉबेरी

 अगर आप स्ट्रॉबेरी नहीं खाते, तो अब खाना शुरू कर दीजिए। स्ट्रॉबेरी ना केवल स्वाद में ही लाजवाब होती है मगर इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं। इसमेंफ्लेवोनॉइड, फोलेट, केंफेरॉल, विटामिन सी, पोटैशियम, मैग्नीशियम, एंटीऑक्सीडेंट, फाइटोकैमिकल और फाइबर पाया जाता है। इसमें मौजूद फिनॉल्स की पर्याप्त मात्रा इसे एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइन्फ्लामेट्री गुणों से भरपूर बनाती है। इन्हीं गुणों के कारण यह किडनी और हृदय के लिए अच्छी मानी जाती है। साथ ही इस फल में फोलेट होता है जोकि लाल रक्त कोशिकाओं का निमार्ण करता है।

धनिया

हमारे बड़े-बुजुर्ग धनिया के औषधीय गुणों से भली-भांति परिचित थे इसीलिए प्राचीन समय से ही धनिया का उपयोग भारतीय भोजन का स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता रहा है। यह पूरी सेहत को सही करता है। एंटी ऑक्सीडेंट, विटामिन ए, सी और कई मिनरलों से भरपूर धनिया के सेवन से किडनी स्टोन की समस्या दूर होती है और किडनी भी साफ होती है।

सेब

सेब पौष्टिक तत्वो का घर है।  सेब में चूंकि साइडर सिरका अच्छी मात्रा में होता है, इसलिए यह गुर्दे की पथरी को बनने से रोकने में मदद करता है। यह पाचन तंत्र सही करता है और जल्द हजम भी हो जाता है। सेब का छिलका शरीर से विषाक्त पदार्थों को हटाने में मदद करता है। इसलिए यह सलाह दी जाती है कि सेब का छिलका उतारे बिना उसे खाना चाहिए वरना सेब से फाइबर का लाभ नहीं मिल सकेगा। फाइबर पूरे स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है।

जामुन

प्रकृति की ओर से जामुन एक अनमोल तोहफा है। जामुन स्वाद में खट्टा-मीठा होने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है। अम्लीय प्रकृति के कारण सामान्यत: इसे नमक के साथ खाया जता है। इसमें ग्लूकोज और फ्रक्टोज दो मुख्य स्रोत होते हैं। फल में खनिजों की संख्या अधिक होती है। जामुन में  काबरेहाइड्रेट, प्रोटीन और कैल्शियम की अधिकता होती है। यह आयरन का बड़ा स्रोत है। इसमें विटामिन बी, कैरोटिन, मैग्नीशियम और फाइबर होते हैं। इसमें एंटीऑक्सीडेंट होता है जो कि किडनी की सफाई करके उसे स्वस्थ बनाता है। इतना ध्यान रहे कि इसे कभी खाली पेट नहीं खाना चाहिए और न ही इसके खाने के बाद दूध पीना चाहिए।

अदरक

विशिष्ट गुणों से भरपूर अदरक का इस्तेमाल कई बड़ी-छोटी बीमारियों में भी किया जाता है। ताजा अदरक में 81 फीसदी पानी, 2.5 फीसदी प्रोटीन, 1 फीसदी वसा, 2.5 फीसदी रेशे और 13 फीसदी कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है। इसके अलावा अदरक में आयरन, कैल्शियम, आयोडीन, क्लोरीन व विटामिन सहित शरीर के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व मौजूद होते हैं। यह अपने सफाई के गुणों की वजह से जाना जाता है। यह शरीर में खून की सफाई और किडनी से विषैले तत्वों को बाहर निकालता है। अदरक की तासीर गर्म होती है। जिन व्यक्तियों को गर्मी के मौसम में गर्म प्रकृति का भोजन न पचता हो, उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए और यदि आवश्यकता हो तो कम से कम मात्रा में प्रयोग करना चाहिए।

करौंदा

 करौंदे के फल में आयरन और विटामिन सी प्रचुरता से पाए जाते हैं। इनमें बहुत सारा एंटी ऑक्सीडेंट पाया जाता है। यह किडनी से यूरिक एसिड को बाहर निकालता है, जिसमें से करौंदा सबसे बैस्ट माना जाता है। इसमें यूरिक एसिड और यूरिया को निकालने की क्षमता होती है।  करौंदे में कुछ शक्कर और फ्लेवेनॉयड यौगिक पाए जाते हैं जो बैक्टीरिया को कोशिकाओं की परत और मूत्राशय में चिपकने से रोकते हैं। यूरीनरी ट्रैक के लिए करौंदा बहुत फायदेमंद है। इसका सेवन यूरिन के संक्रमण से दूर रखता है और प्रोस्टेट कैंसर से बचने में मदद करता है।

लाल शिमला मिर्च

लाल शिमला मिर्च में विटामिन ए, सी, ई, बी6, फोलिक एसिड, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन और फाइबर प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इसमें मौजूद विटामिन और खनिज पदार्थों का संगम घरेलू दा के रूप में काम करता है। कटी हुई लाल शिमला मिर्च का एक कप हमें 190 मिलीग्राम विटामिन सी उपलब्ध करवाता है। यह हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रणाली की रक्षा करने वाले प्राकृतिक किलर सेल्स के स्टार को ऊंचा उठती है। लाल शिमला मिर्च में कैरोटेनॉयड्स होते हैं। इसके अलावा इसमें पोटैशियम की मात्रा भी कम होती है। बवासीर और गैस्ट्रिक अल्सर के रोगियों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए।

दही

 भारतीय संस्कृति में चिरकाल से दही की महत्ता को स्वीकार किया गया है। आज भी शुभ कार्य के लिए जाते समय घर के बुजुर्ग दही खाकर जाने को कहते हैं। दही को सेहत के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। दूध की अपेक्षा दही में कैल्शियम 18 गुना अधिक होता है। दूध के अंदर जो जीवित कीटाणु होते हैं, वे दही के साथ जम जाने पर दूध से कई गुना अधिक लाभप्रद हो जाते हैं। उनमें पाचन की बड़ी विलक्षण शक्ति आ जाती है और भूख खुलकर लगती है। दही में किडनी की बीमारियों को रोकने की अद्भुत क्षमता है। इसमें प्रोबायोटिक बैक्टीरिया होता है जो किडनियों की सफाई करता है। सायंकालीन भोजन व रात्रि में दही का सेवन नहीं करें। खट्टा दही सेवन न करें। ताजे दही का प्रयोग करें। सर्दी, खांसी, अस्थमा के रोगियों को भी दही से परहेज करना चाहिए।

ऑलिव ऑयल

ऑलिव ऑयल में बहुत सारे स्वास्थ्यवर्धक गुण होते हैं, क्योंकि इसमें मोनोसेचुरेटडि फैट्स होते हैं जो हमारे कोलेस्ट्रॉल लैवल को कम करते हैं, विशेषकर एलडीएल को। इसलिए यह हमारी किडनियों के लिए भी अच्छा होता है। अगर आप सलाद पर म्योनीज या अन्य किसी ड्रेंसिग का प्रयोग करते हैं तो उसे बन्द कर सलाद पर हल्का-सा ऑलिव ऑयल का छिड़काव करें। खाना बनाने के लिए भी ऑलिव ऑयल सबसे बढिय़ा ऑप्शन है। फर्क आप स्वयं महसूस करेंगे।

बरसात में लुक पर सुहावनी फुहार


भीगे-भीगे मौसम में रूप की बहार

आसमान में उमड़ती काली घटाएं एवं रिमझिम वर्षा की फुहारें मौसम को बेहद सुहावना और खुशनुमा बना देती हैं। लेकिन एक तरफ जहां यह मौसम प्रकृति को खूबसूरत बनाता है, वहीं दूसरी तरफ यह हमारी खूबसूरती चुरा लेता है। बरसात के मौसम में अपने सौंदर्य को बरकरार रखना काफी मुश्किल होता है। फुहारों का आनंद लेने पर भी आपका मेकअप हर पल वैसा ही बना रहे, इसके लिए कुछ सावधानियां बरतनी जरूरी हैं। कुछ उपयोगी टिप्स अपनाकर आप बारिश में भी अपने सौंदर्य में चार चांद लगा सकती हैं।
बढ़ती उमस के कारण चिपचिपी स्किन पर मेकअप करने का मन नहीं करता, पसीने से भीगे उलझे बाल आपको फ्रैश लुक नहीं देते, ऐसे में कैसे पाएं खिला-खिला सौंदर्य और दिखें फ्रैश एंड कूल, यह सवाल बरसात के दिनों में अक्सर सुनने को मिल जाता है। लेकिन हर समस्या का हल होता है और हर सवाल का जवाब भी होता है। मॉनसून में भी आपकी खूबसूरती बरकरार रहे और भीगने पर भी मेकअप खराब न हो, इसके लिए अपनाएं कुछ घरेलू नुस्खे और मेकअप ट्रिक्स।

स्किन केयर

स्किन को टोन अप करने के लिए टोनर लगाएं। उसके बाद मॉइश्चराइजर लगाएं, ताकि स्किन की कुदरती नमी बरकरार रहे। नियमित क्लीनिंग, टोनिंग और मॉइश्चराइजिंग से स्किन किसी भी प्रकार की समस्या से दूर रहती है और लंबे समय तक स्वस्थ रहती है। इसे अपना रुटीन बना लें ताकि स्किन ताउम्र जवां और स्वस्थ बनी रहे।
क्लीनिंग: बरसात के मौसम में स्किन को ऑयल फ्री रखना जरूरी होता है। इसलिए दिन में दो बार माइल्ड क्लींजर से चेहरा अवश्य धोएं। अगर आप वर्किंग हैं तो अपने हैंड बैग में एस्ट्रीजेंट जरूर रखें और दिन में 4-5 बार रुई के फाहे में लगाकर उससे चेहरा साफ करें। इससे त्वचा ऑयल फ्री रहेगी और फ्रैशनेस का एहसास भी होगा।
टोनिंग: बारिश के मौसम में हवा और पानी में बैक्टीरिया बहुत तेजी से पनपते हैं। इस कारण खुजली और स्किन पर रैशेज होना आम बात है। अच्छे एंटी-बैक्टीरियल टोनर का प्रयोग करके आप इन सबसे बच सकती हैं। यदि आपकी स्किन ड्राई है तो माइल्ड टोनर का प्रयोग करें। ऑयली स्किन को टोन करने के लिए लैवेंडर ऑयल की कुछ बूंदें थोड़े पानी में मिलाकर टोनर की तरह प्रयोग कर सकती हैं। नॉर्मल स्किन के लिए गुलाबजल से भी चेहरा साफ कर सकती हैं। यह बढिय़ा टोनर का काम करेगा।
मॉइश्चराइजिंग: बारिश के मौसम में भी स्किन को मॉइश्चराइज करने की उतनी ही जरूरत है जितनी कि अन्य मौसम में। अगर आप बारिश में भीग गई हों तो घर आते ही सबसे पहले चेहरा धोकर हल्का-सा थपथपाकर पोंछ लें। इसके बाद हल्का वॉटर-बेस्ड मॉइश्चराइजर पूरे चेहरे, गर्दन एवं हाथों पर अच्छी तरह लगा लें। इससे आपकी स्किन हैल्दी और सुंदर बनी रहेगी।

मेकअप टिप्स

बरसात के मौसम में चेहरे पर बारिश की फुहारें गिरते ही मेकअप घुलने लगता है, जिससे चेहरा बदरंग दिखाई देने लगता है। बरसात के भीगे-भीगे और चिपचिपाहट भरे मौसम में मेकअप करते समय अगर आप निम्न टिप्स पर ध्यान रखेंगे तो आपके चेहरे का जादू बरकरार रहेगा।
  • बरसात के मौसम में वॉटरप्रूफ, लाइट और मैट फिनिश वाला मेकअप ही करना चाहिए। इससे फेस पर ताजगी बनी रहती है और भीगने पर भी यह मेकअप चेहरे को बदरंग नहीं बनाता। ग्लॉसी मेकअप भूलकर भी न करें, यह पसीने, उमस और बारिश की बूंदों के साथ चेहरे पर घुलने लगता है, जिससे चेहरा भद्दा दिखाई देता है।
  • मेकअप करने से पहले अपने हाथों को जरूर साफ करें, ताकि संक्रमण का खतरा न रहे।
  • जहां तक संभव हो, फाउंडेशन और फेस पाऊडर का इस्तेमाल न करें। यदि जरूरी हो तो केक बेस्ड फाउंडेशन लगाएं, जिससे पसीना आए भी तो लकीर न बन पाए।
  • फाउंडेशन की पतली परत लगाने के बाद पफ से पाऊडर लगाएं। अगर ज्यादा पाऊडर लग जाए तो पाऊडर ब्रश से हटा दें।
  • ब्लशर और आईशैडो क्रीम के रूप में न लगाएं क्योंकि ये फेस पर चिकना प्रभाव छोड़ते हैं, जिस कारण चेहरा भद्दा दिखाई देने लगता है। हल्के रंग का पाऊडर ब्लशर और पाऊडर आईशैडो का ही प्रयोग करें।
  • आंखों का मेकअप जल्दी खराब होता है इसलिए काजल के स्थान पर वाटर प्रूफ आई लाइनर या पेंसिल का प्रयोग करें, ताकि भीगने पर यह बहे नहीं और आपका सौंदर्य भी खिला-खिला रहे।
  • लिपग्लास का प्रयोग बिल्कुल ना करें। लाइट शेड की लिपस्टिक का इस्तेमाल करें। लिपस्टिक लगाने से पहले होठों की बाहरी रेखा लिप पेंसिल से लगाएं, ऐसा करने से लिपस्टिक नहीं फैलेगी।
  • बरसात में लिक्विड बिंदी न लगाएं, क्योंकि गीली बिंदी भीगने पर बहने लगेगी जिससे आपका चेहरा रंग-बिरंगा हो जाएगा। आप वाटरप्रूफ लिक्विड बिंदी लगा सकती हैं अन्यथा स्टिकर वाली बिंदिया लगा सकती हैं।  यह पसीने व बरसात में टिकी रहती है और रंग भी नहीं छोड़ती। आप कुंदन या नग वाली बिंदी भी लगा सकती हैं।
  • सूखे सिंदूर की बजाय रैडीमेड स्टिक वाले सिंदूर का प्रयोग करें। यह गीला होने पर बहता नहीं है।
  • बालों को स्टाइल करने के लिए मूज या जैल का प्रयोग न करें, क्योंकि इनसे भी अपके बाल स्टिकी हो जाएंगे। बालों को खुला छोडऩे की बजाय गर्दन पर उठा हुआ जूड़ा बनाएं।

घरेलू नुस्खे 

स्किन को हैल्दी और खुद को खूबसूरत बनाए रखने के लिए आप घरेलू नुस्खों का सहारा ले सकती हैं, जो आसान भी हैं और सुरक्षित भी। 
  • 2 चम्मच गुलाबजल में कुछ बूंदें बेबी ऑयल और 3-4 बूंद नींबू का रस मिलाएं। इस मिश्रण को कॉटन बॉल में लगाकर चेहरा साफ करें। यह रोमछिद्र साफ करता है, मेकअप हटाता है और स्किन की धूल-मिट्टी भी साफ कर देता है।   
  • रात को त्वचा की टोनिंग जरूर करें। इसके लिए एक छोटे चम्ममच दूध में पांच बूंद चमेली का तेल मिलाएं। इस मिश्रण को चेहरे व गर्दन पर लगाएं।
  • चिपचिपी स्किन से छुटकारा पाने के लिए चंदन पाऊडर में गुलाब जल मिला कर चेहरे, गर्दन व बांहों पर लगाएं।
  • ताजे दूध में थोड़ा-सा नींबू का रस मिलाकर क्लींजर के रूप में प्रयोग करें। ऑयली स्किन के लिए  इसमें थोड़ा दही का पानी भी मिलाया जा सकता है।
  • स्किन में कुदरती निखार लाने के लिए शहद व दही को बराबर मात्रा में मिलाकर अच्छी तरह चेहरे व गर्दन पर लगाएं और 15 मिनट बाद चेहरा धो लें।
  • अगर आपकी स्किन ड्राई है तो आप एक बड़ें चम्मच दूध की क्रीम में गुलाब जल मिलाकर 15 मिनट तक चेहरे, गर्दन और बांहों पर लगाएं।

एक्सट्रा केयर

  • सोने से पहले मेकअप उतारना न भूलें। अगर मेकअप न हटाया जाए तो वह स्किन के पोर्स बंद कर देता है और मेकअप में मौजूद कैमिकल स्किन को नुकसान पहुंचाते हैं। 
  • बरसात में पसीना भी बहुत आता है, अत: डयोरेंड या परफ्यूम लगाना न भूलें।
  • बाल भी चिपचिपे हो जाते हैं, अत: शैंपू करने में एक दिन से ज्यादा का गैप न डालें। शैंपू के बाद क्रीमी कंडीशनर का इस्तेमाल करने की बजाय एक मग पानी में एक बड़ा चम्मच नींबू का रस या सिरका डालकर उससे लास्ट रिंस करें। इससे आपके बालों में चमक भी आएगी तथा बाल लहलहा उठेंगे।
  • सूरज की किरणों से आपकी स्किन को नुक्सान पहुंच सकता है इसलिए घर से बाहर निकलने के करीब आधा घंटा पहले सनस्क्रीन लगाना ना भूलें। यह एलर्जी और अल्ट्रावायलेट किरणों से आपकी सुरक्षा करेगा।
  • सिंथैटिक कपड़े न पहनें। कॉटन के थोड़े ढीले परिधान पहनें। इससे आपको गर्मी भी कम लगेगी और चूंकि कॉटन में पसीना सोखने की क्षमता होती है इसलिए आपको चिपचिपापन भी झेलना नहीं पड़ेगा।
  • अपनी ब्यूटी बनाए रखने के लिए खाने-पीने पर भी ध्यान दें। इस मौसम में पाचन शक्ति थोड़ा कमजोर हो जाती है, अत: ताजा, हल्का, पौष्टिक और घर का बना खाना ही खाएं। हरी सब्जी, सीजन का फल एवं दूध का सेवन जरूर करें।

Tuesday, July 30, 2013

...तो बच्चा आपकी हर बात मानेगा

...तो बच्चा आपकी हर बात मानेगा

बच्चों में अच्छे संस्कार विकसित करने में मां-बाप की भूमिका काफी अहम होती है। अगर माता-पिता संस्कारी होंगे, तभी तो बच्चे भी संस्कारी बनते हैं वर्ना संस्कारी होंगे ही नहीं। आजकल के माहौल में बच्चों को अच्छे संस्कार दे पाना माता-पिता के लिए मुश्किल होता जा रहा है। माता-पिता कितना भी समझा लें बच्चे वही करते हैं, जो उनका मन कहता है। लेकिन अगर शुरू से ही आप अपने बच्चों को समझें और उनका मार्गदर्शन करें, तो आपका बच्चा जरूर आपकी बात मानेगा। बच्चों को यदि बचपन से ही अच्छे संस्कार दिए जाएं, तो वे आगे चलकर संस्कारवान बनेंगे।

संस्कार की जड़ें बचपन से जुड़ीं

बच्चे जो भी व्यवहार करते हैं उसकी जड़ें बचपन से जुड़ी होती हैं। बच्चों का दिमाग वो कोरी स्लेट होता है जिस पर हम जो चाहें लिख सकते हैं। यह प्रक्रिया जन्म से लेकर चार-छह वर्षों तक चलती रहती है। इस उम्र में माता-पिता को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। अगर आपको उन्हें संस्कारी बनाना हो तो आपको अपने फर्ज़ से नहीं चूकना चाहिए। बच्चों को संस्कार उपदेश देकर नहीं सिखाए जा सकते। बच्चे वही सीखते हैं, जो माता-पिता को करते देखते हैं। उन्हें स्वयं के व्यवहार में वे बातें अपनानी होंगी जो बच्चों के हित में हों। जैसे आपके गुण होंगे, बच्चे वैसा ही सीखेंगे। जो आप करते होंगे वैसा ही वे करेंगे। वे सोचेंगे कि हम अपने पेरंट्स से भी बढ़कर करें।

हर बच्चा यूनीक होता है

हर किसी का पेरेंटिंग स्टाइल अलग होता है। इसे एक निश्चित फॉर्मूले में बांध कर नहीं रखा जा सकता। सभी बच्चे भी एक समान नहीं होते हैं। उनकी सारी आदतें एक-दूसरे से अलग होती हैं। कोई ज्यादा शरारती होता है, तो कोई थोड़ा कम। ऐसे में उन्हें अपने माहौल में ढालने के लिए थोड़ी मेहनत तो आपको करनी ही पड़ेगी। सबसे ज्यादा परेशानी उन महिलाओं के साथ है, जो वर्किंग हैं। प्रोफैशनल लाइफ के साथ-साथ उन्हें अपने बच्चों के लिए भी समय निकालना जरूरी होता है। आप क्वालिटी टाइम देकर उसे सही मार्गदर्शन दे सकती हैं।

व्यवहारिक बातें भी हैं जरूरी

बच्चे में अच्छे संस्कार विकसित करना चाहती हैं, तो व्यवहारिक बातें समझाना भी बेहद जरूरी है। उसे बचपन से ही सिखाएं कि बड़ों से कैसे बात की जाए। बड़ों का अभिवादन करना, थैंक्यू और सॉरी कहना जरूर सिखाएं। हाइजीन मेनटेन करना, पार्टी एटिकेट्स, रेस्टोंरेंट मैनर इन सब चीजों को आप तो फॉलो करें ही, बच्चों को भी सिखाएं। कुछ चीजें तो वह आपसे देखकर ही सीख सकता है। इसलिए आप भी अपने व्यवहार में थोड़ा बदलाव लाएं और उनकी रोल मॉडल बनें।

बातचीत से जीतें विश्वास

बच्चों के नजदीक रहने और उनके मन की बात को जानने का सबसे सरल तरीका है उनसे बातचीत करना। आप बच्चों से बात करके उनका विश्वास जीत सकती हैं। बातचीत के जरिए ही आप बच्चे से सबकुछ शेयर कर सकती हैं। इस तरह वे अपने मन की बात आपसे कहने से नहीं डरेंगे। वे अपनी हर बात आपसे शेयर करेंगे। बच्चों पर जरूरत से ज्यादा नियंत्रण भी न रखें। उन्हें भी थोड़ा स्पेस दें और उन्हें कभी-कभी अपने मन की करने दें। कई बार पेरेंट्स बच्चों के साथ जरूरत से ज्यादा सख्ती बरतते हैं। ऐसे में बच्चे डर के चलते झूठ का सहारा लेने लगते हैं। इसलिए ऐसा माहौल कभी न बनाएं।

पढ़ाई को हौव्वा न बनाएं

अकसर देखने में आता है कि पेरेंट्स बच्चों पर पढ़ाई को लेकर बहुत दबाव बनाते हैं, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। हर दिन थोड़ा-थोड़ा अच्छी तरह से पढ़ाएं और समय-समय पर खुद रिवीजन करवाएं, तो बच्चों पर दबाव नहीं बनेगा। जिस सब्जैक्ट में वह कमज़ोर है वहां आप उसके साथ एक्सट्रा मेहनत करें। अगर ट्यूटर की जरूरत है, तो उसका भी अरेंजमेंट करें। मगर सब कुछ उसी के ऊपर न छोड़ें। खुद भी वीकेंड में उसकी पढ़ाई में मदद करें।

डाइट भी हो राइट

ग्रोइंग बच्चों को न्यूट्रिशंस से भरपूर डाइट की जरूरत होती है। जो भी उसे खाने के लिए दें, उसकी न्यूट्रिशनल वैल्यू जरूर देखें। मिल्क या प्रोटीन से भरपूर सोया प्रोडक्ट डाइट में जरूर शामिल करें। जंक या फास्ट फूड कभी-कभार तो ठीक है, पर हमेशा नहीं। घर पर ही बदल-बदल कर उसे कुछ-न-कुछ खाने के लिए दें, वह बाहर खाने की जिद्द नहीं करेगा। अगर हो सके तो उसे अपने साथ किचन में ले जाएं और उसके साथ बातें करते-करते उसकी मनपसंद डिश बनाएं। इस दौरान उसे भी कुकिंग में शामिल कर लें।

स्टाइल स्टेटमेंट बनते बोल्ड लुक वाले चश्मे

स्टाइल स्टेटमेंट बनते
बोल्ड लुक वाले चश्मे

पहले कहा जाता था कि आंखों पर चश्मा चढ़ गया तो लुक्स की तो बैंड बज गई, लेकिन अब सोच बदल चुकी है। अब तो वे लोग भी चश्मा लगाते नज़र आते हैं जिनकी आई साइट बिलकुल सही होती है। इसका कारण है कि अब लोग चश्मे को भी स्टाइल स्टेटमेंट की तरह लेने लगे हैं...

एक ज़माना था जब चश्मे को खूबसूरती पर ग्रहण माना जाता था। लोग सोचते थे कि चश्मा लगाने से चेहरा सुंदर नहीं दिखता। लड़कियां तो चश्मा लगाने के नाम से ही घबरा जाती थीं। जब कोई आदमी भी चश्मा लगाता था तो आस पड़ोस या घर-दफ्तर में इस पर दुख जताया जाता था कि अच्छे-भले आदमी की नज़र कमज़ोर हो गई है। बेचारे को चश्मा पहनना पड़ रहा है। चश्मा पहनने वाले औरों से अलग दिखते थे और इस बात का उन्हें अहसास भी होता था। लेकिन वक्त के साथ लोगों के एटीट्यूड में भी बदलाव आया है।
पहले चश्मा लगाना बेशक मजबूरी रही हो, पर अब यह खास तौर से युवाओं में फैशन का हिस्सा बनते जा रहे हैं। अब खुद को स्टाइलिश दिखाने की चाहत में युवा चश्मा पहनने लगे हैं। कोई आंखों की कमजोरी के कारण चश्मा पहनता है तो कोई यूं ही स्टाइल स्टेटमेंट के लिए। अब कारण चाहे जो भी हो यूथ में चश्मों को लेकर भी काफी क्रेज़ है। ज्यादातर युवा स्टाइलिश फ्रेम वाले चश्मे पहने दिखते हैं।
लेकिन कुछ लोग आज भी यही सोच रखते हैं कि  चश्मा पहनना बहुत बोरिंग है। अगर आप भी ऐसा ही सोचती हैं तो इस गफलत से बाहर निकलें। हकीकत में ऐसा नहीं है। अगर आप थोड़ी सूझबूझ के साथ अपने रंग-रूप, चेहरे के आकार आदि को ध्यान में रखकर अपने लिए चश्मे का फ्रेम चुनेंगी तो आपकी खूबसूरती और भी निखर कर सामने आएगी। आपको न सिर्फ पूरा कंफर्ट मिलेगा बल्कि आप और भी अधिक स्टाइलिश और स्मार्ट लगेंगी। आपके चश्मे का खूबसूरत आपके लुक्स को और भी बेहतर बना देगा। कई किस्म के स्टाइलिश पॉवर स्पेक्ट्स मार्किट में उपलब्ध हैं जिन्हें लगाने से आपकी खूबसूरत आंखों की सुरक्षा तो होती ही है साथ ही आपका व्यक्तित्व भी आकर्षक लगता है। यही कारण है कि जिन्हें चश्मे की जरूरत नहीं होती, वे भी नए स्टाइल के चश्मे देख कर उसे खरीदने को मचल उठते है।
पहले जो चश्मे मार्किट में अवेलेबल होते थे उन्हें देखकर निराशा होती थी। वे ठीक वैसे ही थे कि उन्हें पहनने के बाद खुद की लुक्स के लिए नैगेटिव सोच आ जाती थी, पर अब ऐसा नहीं है। चश्मे के प्रति लोगों के ेबढ़ते क्रेका के चलते कई देसी विदेशी ब्रांड के चश्मे बनाने वाली कई कंपनियां बाजार में उतर आई हैं। लोगों के सामने ढेरों विकल्प हैं।
अब बोल्ड लुक वाले और रंगीन फ्रेम के चश्मे भी लोकप्रिय हो रहे हैं। सेलिब्रिटीज में तो ये आम हैं। मोटे फ्रेम वाले चश्मे जिन्हें लोग पसंद नहीं करते थे, वे अब फिर से लोकप्रिय होने लगे हैं। अब तो लोग अलग-अलग रंगों के कई-कई जोड़ी चश्मे भी रखने लगे हैं। ताकि कपड़ों के रंग के हिसाब से मैच करते फ्रेम वाले चश्मे पहने जा सके।

फ्रेम चुनते वक्त

जब कोई आपको देखता है, तो सबसे पहले उसकी नज़र चश्मे पर ही जाती है। ज़ाहिर सी बात है कि यह आपके मेकअप, ज्यूलरी और यहां तक कि कपड़ों से भी कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। आप बेशक साधारण कपड़े पहनें, ज्यूलरी न पहनें या मेकअप न करें मगर आपके चश्मे का फ्रेम शानदार होना चाहिए। तभी तो आपका चेहरा ही नहीं व्यक्तित्व भी सुंदर लगेगा।
चश्मे का फ्रेम पसंद करते समय सबसे पहले देखिए कि आपको कैसा फ्रेम चाहिए। याद रखें, चश्मा आपके व्यक्तित्व का हिस्सा भी है। जो भी फ्रेम खरीदें, वह आपके चेहरे पर फिट होने के साथ व्यक्तित्व के अनुरूप हो।
फ्रेम पसंद करते समय अपनी जरूरत पर भी ध्यान दें। आपने इसे लगातार पहनना है या पढ़ते समय या आफिस के काम के लिए चाहिए, या फिर फैशन के लिए है।
अगर आप पहले से चश्मा पहन रही हैं तो इस बार कुछ अलग स्टाइल का फ्रेम चुनें और फिर देखिए आपका व्यक्तित्व कितना बदलता है।
चश्मे के फ्रेम की फिटिंग आपकी नाक के मध्य में ठीक होनी चाहिए। यदि आपकी नाक मोटी है तो यह फ्रेम हल्के रंग का होना चाहिए और यदि आपकी नाक लंबी है तो इसे नाक के मध्य में सैट करके पहनें। यदि आपकी दोनों आंखें बहुत पास-पास हैं तो ट्रांसपेरेंट फ्रेम बढिय़ा दिखेगा।
फ्रेम का साइज़: फ्रेम चुनते वक्त कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। फ्रेम इतना बड़ा न हो कि आपकी भौंहों के समानांतर हो। बहुत बड़े फ्रेम के चश्मों से बचें। चश्मे के फ्रेम का साइज आपके चेहरे के अनुसार ही होना चाहिए।
फ्रेम का कलर: चश्मे के फ्रेम का रंग अगर आपकी आंखों की पुतली के रंग को कॉम्प्लीमेंट करता है तो आप यकीनन स्टाइलिश लगेंगी। यदि आप अपनी आंखों की पुतली के रंग से मिलता फ्रेम चुनती हैं तो यह आप पर और भी ज्यादा जंचेगा। बालों का रंग भी महत्वपूर्ण बन जाता है जब बात होती है आपके फ्रेम के कलर के चुनाव की। अगर आपके बाल काले या गहरे भूरे हैं तो आप डार्क शेड्स, बोल्ड कलर्स और एक से अधिक शेड्स के कॉम्बीनेशन वाले फ्रेम ट्राई कर सकती हैं। अगर आपके बालों का रंग लाइट ब्राउन है तो मैटल या पेस्टल शेड्स के लाइट फ्रेम आप पर अधिक फबेंगे।
फ्रेम की शेप: चेहरे की बनावट के अनुसार ही चश्मे का फ्रेम चुना जाना चाहिए, तभी यह आप पर फबता है, अन्यथा खूबसूरती पर भारी पड़ जाता है। फ्रेम की शेप चेहरे की शेप के कंट्रास्ट में होनी चाहिए। ओवल शेप फेस पर  हर तरह के चश्मे सूट करते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि यह बहुत पतला भी न हो और बहुत मोटा भी नहीं। आयताकार चेहरे पर थोड़े वर्क डिजाइन और कंट्रास्ट वाले चश्मे अच्छे लगते हैं। कोशिश करें कि चश्मे का ब्रिज अधिक लंबा न हो। तिकोनाकार चेहरे पर ऐसे चश्मे फबते हैं जिनका निचला हिस्सा चौड़ा हो। ऐसे चेहरे पर रिमलैस चश्मे भी अच्छे लगेंगे। चौकोर चेहरे के लिए ओवल और गोल फ्रेम के चश्मे बढिय़ा च्वाइस हैं। आप अपने लिए कार्नर से मोटी स्टिक वाला फ्रेम चुनें। संकरे फ्रेम आमतौर पर छोटे चेहरे पर अच्छे लगते हैं, जबकि लंबे चेहरे पर गहरे फ्रेम अच्छे लगते हैं।

ग्लासिस का सलैक्शन

जब बात आंखों की हो, तो ग्लास सबसे बढिय़ा खरीदें। ये हल्का होने के साथ टिकाऊ भी होने चाहिए। ग्लास भी कई क्वालिटी के आते हैं, यह जितना बेहतर होगा, उतना ही मंहगा होता जाएगा। बिलकुल सही नंबर वाले बढिय़ा ग्लास का चयन करें ताकि आपकी आंखों को भी राहत मिले। शेड वाले ग्लास भी आप यूका कर सकत हैं, जो धूप के कान्टैक्ट में आते ही डार्क हो जाते हैं। इसमें भी अलग-अलग क्वालिटी के ग्लास उपलब्ध है। लैंस वाले प्लास्टिक के शीशे भी उपलब्ध हैं जो आसानी से नहीं टूटते। इससे चश्मा भी भारी नहीं लगता। जो लोग लगातार चश्मा पहने रहते हैं उन्हें लैंस वाले हल्के शीशे ही खरीदने चाहिए।

गुलाब सा खिला चेहरा

गुलाब सा खिला चेहरा

गुलाब को फूलों का फूल कहा जाता है। रंग और खूबसूरती के साथ-साथ खुशबू का मेल उसे बेजोड़ बना देता है। दिखने में बेहद खूबसूरत गुलाब के फूल की हर पंखुड़ी में अनगिनत गुण समाए हुए हैं। त्वचा को सुंदर बनाने से लेकर शरीर को चुस्त-दुरुस्त और तंदुरुस्त रखने में गुलाब बहुत उपयोगी है।

गुलाब की पत्तियों में विटामिन ई और के होता है, जो स्किन और हैल्थ के लिए बेहद मुफीद है। यानी गुलाब स्वास्थ्य और सौंदर्य दोनों के लिए अच्छा टॉनिक है। गर्मियों में त्वचा डल और बेजान हो जाती है। ऐसे में गुलाब जल लगातार लगाने से कई त्वचा संबंधी तरह की समस्याएं खत्म हो जाती हैं और आपका चेहरा गुलाब-सा खिल उठता है। पुरुष इसे आफ्टर शेव के रूप में भी प्रयोग कर सकते हैं।

गुलाब से बन जाएं गुलाबी-गुलाबी

सौन्दर्य निखारने के लिए सदियों से गुलाब का इस्तेमाल हो रहा है। गुलाब की पंखुडिय़ों का इस्तेमाल लोशन, क्रीम और फेसपैक बनाने के लिए किया जाता है, जो स्किन को सेहतमंद बनाए रखने में मदद करते हैं। गुलाब के फूलों की पत्तियां त्वचा को पोषण प्रदान करती हैं, त्वचा के रोम-रोम को सुगंधित बनाती हैं, ठंडक प्रदान करती हैं जिससे स्किन हरदम फ्रैश बनी रहती है।
  • गर्मियों में गुलाब के फूलों का रस चेहरे पर मलने से चेहरे पर ठंडी-ठंडी ताजगी बनी रहती है।
  • अगर आपकी त्वचा शुष्क है, तो अपनी त्वचा पर चंदन पाउडर में गुलाब जल मिला कर लगाएं। त्वचा मुलायम होगी और पिंपल्स से भी निजात मिलेगी। मुहांसों के पुराने दागों पर नियमित गुलाब जल में शहद मिला कर लगाएं। दाग दूर हो जाएंगे।
  • होंठों के सौंदर्य और कोमलता बरकरार रखने के लिए गुलाब की हरी पत्तियों में थोड़ा दूध मिलाकर अच्छी तरह से बारीक पीस लें। इस पेस्ट को होंठों पर और चेहरे पर भी लगाएं। इससे होंठों पर निखार आ जाएगा और चेहरे की रंगत भी काबिले तारीफ हो जाएगी। गुलाब की पत्तियों को पीसकर, उसके रस को ग्लिसरीन में मिला कर, ड्राई व कटे-फटे होठों पर लगाने से होंठ गुलाबी और चमकदार हो जाते हैं।
  • गुलाब जल एक सर्वश्रेष्ठ टोनर भी है। यह एक प्राकृतिक अस्ट्रिंजंट है इसलिए यह टोनर के रूप में प्रयोग किया जाता है। रोजाना रात को गुलाब जल को रूई के फाहे में लेकर चेहरे पर लगाएं और देखें कि आपकी त्वचा कुछ ही दिनों में टाइट हो जाएगी और झुर्रियां चली जाएंगी।
  • कहा जाता है कि यदि आप कहीं तेज़ धूप में निकल रही हों तो त्वचा पर गुलाब जल छिड़कने से धूप का असर नहीं पड़ता। गुलाब जल एक कीटाणुनाशक भी है। इसके प्रयोग से छोटे-छोटे कीटाणुओं का नाश हो जाता है। इसको लगाने से धूप की वजह से होने वाले नुक्सानों से बचा जा सकता है। लंबे समय तक तेज धूप में रहने की वजह से त्वचा में कालापन आने लगता है। रोज सुबह चेहरा धोने के बाद एक चम्मच गुलाब जल में नींबू की कुछ बूंदें मिला कर हल्के हाथों से लगाएं और फिर चेहरा धो लें। इससे त्वचा का कालापन कम हो जाएगा।
  • गुलाब जल में ऐसे तत्व पाए जाते हैं जिसकी वजह से आपके चेहरे के बंद पोर्स साफ हो जाएंगे। इन पोर्स में तेल और गंदगी छुपी रहती है जिसकी वजह से चेहरे पर कील और मुंहासे हो जाते हैं। गुलाब जल लगाने से चेहरा की त्वचा स्वस्थ और चमकदार बन जाती है।
  • एक शीशी में ग्लिसरीन, नींबू का रस और गुलाब जल को बराबर मात्रा में मिला लें। दो बूंद चेहरे पर मलें। स्किन में नमी और चमक बनी रहेगी और स्किन मखमली-मुलायम बन जाएगी।
  • गुलाब की पंखुडिय़ां खुरदुरी, रूखी त्वचा को मुलायम बनाती हैं और खुले हुए रोमछिद्रों को बंद करती हैं।
  • गुलाब के दो फूलों को पीसकर, आधा प्याले कच्चे दूध में 30 मिनट तक भिगोएं, फिर इस लेप को आहिस्ता-आहिस्ता त्वचा पर मलें, सूखने पर ठंडे पानी से स्नान कर लें। त्वचा नर्म, मुलायम और गुलाबी आभायुक्त दिखाई देगी।
  • हाथों-पैरों या शरीर में जलन होने पर चंदन के पाउडर में गुलाब जल मिलाकर जलन वाले स्थान पर लेप करें। थोड़ी देर में जलन शांत हो जाएगी।

सेहत का खजाना गुलाब

गुलाब औषधीय गुणों की खान है। गुलाब में विटामिन ए, बी 3, सी, डी और ई प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा इसमें कैल्शियम, जिंक और आयरन की भी मात्रा काफी होती है। गुलाब का इस्तेमाल कई बीमारियों को ठीक करने के लिए प्रयोग होता है।
  • सुबह-सबेरे अगर खाली पेट गुलाबी गुलाब की दो कच्ची पंखुडिय़ां खा ली जाएं, तो दिन भर ताजगी बनी रहती है। वह इसलिए क्योंकि गुलाब बेहद अच्छा ब्लड प्यूरिफायर है।
  • अस्थमा, हाई ब्लड प्रेशर, ब्रोंकाइटिस, डायरिया, कफ, फीवर, हाजमे की गड़बड़ी में गुलाब का सेवन बेहद उपयोगी होता है।
  • पेट दर्द, यूरीन से जुड़ी दिक्कतों में भी गुलाब की पंखुडिय़ों का पानी कारगर साबित होता है।
  • गुलाब की पंखुडिय़ों का इस्तेमाल चाय बनाने में भी होता है। इससे शरीर में जमा अतिरिक्त टॉक्सिन निकल जाता है।
  • पंखुडिय़ों को उबाल कर इसका पानी ठंडा कर पीने पर तनाव से राहत मिलती है और मांसपेशियों की अकडऩ दूर होती है।
  • गुलकंद का हररोज सेवन करने से जोड़ों व हड्डियों में शक्ति और लचक बनी रहती है।
  • गुलाब के फूल का प्रतिदिन सेवन करने से क्षय रोग जैसे टीबी से रोगी शीघ्रता से आराम पाता है।
  • गुलाब के फूल की पंखुडिय़ों से मसूढ़े तथा दांत मजबूत होते हैं। दोंतों की बदबू दूर होती है तथा पायरिया रोग से भी निजात पाई जा सकती है।
  • गुलाब आमाशय, आंत और यकृत की कमजोरी दूर करके इनमें शक्ति का संचार करने में सक्षम है।
  • गर्मी के दिनों में घबराहट, बेचैनी के साथ जब दिल की धड़कनें तेज हो जाती हैं, तब गुलाब को प्रात: चबाकर खाने से आराम मिलता है।
  • आंखों में गर्मी के कारण जलन हो या धूल मिट्टी से आंखों में तकलीफ हो तो गुलाबजल से आंखें धोने से आराम मिलता है। रतौंधी नामक नेत्र रोग में भी गुलाब जल फायदेमंद है।
  • चेचक के रोगी के बिस्तर पर गुलाब की पंखुडियों का सूखा चूर्ण डालने से जख्मों को ठंडक मिलती है और वे सूख जाते हैं।
  • सिरदर्द से परेशान लोग जो रोजाना पेनकिलर लेकर काम चलाते हैं वे फ्रिज में रखे एकदम ठंडे गुलाबजल में भीगे कपड़े या रूई को 40-45 मिनट तक सिर पर रखें। काफी आराम मिलेगा। गर्मी के दिनों में गुलाब को पीस कर लेप बना कर माथे पर लगाने से सिर दर्द से राहत मिल जाती है।
  • गर्मियों में भोजन के बाद पान में गुलकंद डलवाकर खाने से खाना हजम हो जाता है।

गुलकंद की मिठास

गुलकंद को नियमित खाने पर पित्त के दोष दूर होते हैं तथा इससे कफ में भी राहत मिलती है। गुलकंद हाजमा दुरुस्त रखता है, आलस्य दूर करता है, शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है और कब्ज को भी दूर करता है। सुबह-शाम एक-एक चम्मच गुलकंद खाने पर मसूढ़ों में सूजन या खून आने की समस्या दूर हो जाती है। पीरियड के दौरान गुलकंद खाने से पेट दर्द में आराम मिलता है। मुंह का अल्सर दूर करने के लिए भी गुलकंद खाना फायदेमंद होता है।
इस तरह बनाएं गुलकंद : ताजे गुलाब की पंखुडिय़ों को अच्छी तरह से धोकर पानी निथार लें। जितनी मात्र में पंखुडिय़ां हैं, उतनी मात्र में मिश्री या मोटी चीनी लें। अच्छी तरह मिला कर एक शीशे के जार में रखें। दस दिन तक लगातार धूप दिखाएं। गुलकंद तैयार है।

स्वाद भी, सेहत भी

स्वाद भी, सेहत भी

चॉकलेट का नाम सुनते ही किसके मुंह में पानी नहीं आ जाता है। क्या बच्चे और क्या बड़े, सभी चॉकलेट के दीवाने होते हैं। हर दिल अजीका इन चॉकलेट्स का रिश्ता सिर्फ जुबां से ही नहीं है, बल्कि आपके दिल से भी है। स्टडीका बताती हैं कि डार्क चॉकलेट्स से कई हैल्थ बैनिफिट्स हैं।

व्हाइट और डार्क

डार्क चॉकलेट का मेजर इंग्रीडिएंट कोको होता है। कोको गहरे रंग का और कड़वा होता है। कम दूध और चीनी वाली चॉकलेट डार्क चॉकलेट कहलाती है। व्हाइट चॉकलेट में कोको पाउडर का इस्तेमाल ही नहीं होता। दरअसल यह केवल कोको बटर होता है जिसमें चीनी मिला दी जाती है।

पसंदीदा चॉकलेट

हालांकि डार्क चॉकलेट सेहत के लिहाज से बहुत बेहतर है लेकिन चॉकलेटों के बाजार में सबसे ज्यादा मिल्क चॉकलेट को ही पसंद किया जाता है। डार्क चॉकलेट को दूसरे नंबर पर पसंद किया जाता है। उसके बाद लोग नट्स वाली चॉकलेट पसंद करते हैं। फिर आती हैं फलों वाली चॉकलेट्स।

सबसे मशहूर

आयरलैंड में प्रति व्यक्ति 11.9 किलो चॉकलेट सालाना खाई जाती है। दूसरे नंबर पर 10.8 किलो के साथ स्विट्जरलैंड है। इसके बाद ब्रिटेन, बैल्जियम और नॉर्वे का नंबर आता हैं। दुनिया भर में बैल्जियम की चॉकलेट मशहूर हैं। ये काफी महंगी भी होती हैं। एक किलो की कीमत 4,500 रुपये तक होती है।

हैल्थ बैनिफिट्स

  • कोको में एपिकाटेसीन मौजूद होता है, जो रक्त वाहिनियों को फैलाकर ब्लड फ्लो को सुचारू बनाता है और हार्ट को हैल्दी रखता है।
  • कोको डिमेंशिया और अल्कााइमर्स जैसे मानसिक रोगों में भी फायदेमंद हो सकता है।
  • डार्क चॉकलेट्स में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो शरीर को कोशिकाओं की रक्षा करते हैं और लंबे समय तक जवां दिखने में मददगार होते हैं।
  • कुछ स्टडीज़ बताती हैं कि डार्क चॉकलेट्स में मौजूद फ्लेवेनॉल्स हार्ट अटैक के रिस्क को 50 फीसदी कम कर सकते हैं। ये अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में मदद करती हैं और बुरे कोलेस्ट्रॉल को कम करती हैं। वहीं इनसे कोरोनरी डिजीज को 10 फीसदी और प्रिमैच्योर डैथ को 8 फीसदी तक कम किया जा सकता है।
  • एक रिसर्च यह भी बताती है कि डार्क चॉकलेट खाने के दो-तीन घंटे बाद ब्रेन का ब्लड सर्कुलेशन बढ़ जाता है।
  • बॉडी मेटाबॉलिक शुगर की हैल्प करके ये डिवेल्पिंग डायबिटीज के रिस्क को भी कम कर देती हैं।
  • लगातार थकान महसूस करने वालों को डार्क चॉकलेट फायदा पहुंचाती है। स्टडीका में पाया गया है कि यह न्यूरोट्रांसमीटर्स को रैगुलेट करती है और इससे नींद और मूड अच्छा रहता है।
  • डार्क चॉकलेट्स में मौजूद एपीकेटचिन नामक मिश्रण मांसपेशियों को उसी तरह से मजबूत बनाता है जैसे जॉगिंग या एक्सरसाइज करने से मांसपेशियां मजबूत होती हैं। इस मिश्रण के कारण शरीर को ताकत देने वाले माइटोकोंड्रिया की मात्रा बढ़ जाती है। इससे मांसपेशियों में ऑक्सीजन प्रवाहित करने वाली कोशिकाओं की संख्या बढ़ती है।

इन बातों का रखें ध्यान

  • कई चॉकलेट उत्पादक फ्लेवेनॉल्स को पहले ही चॉकलेट्स से रिमूव कर देते हैं, क्योंकि इसका टेस्ट कड़वा होता है और इस बारे में प्रॉडक्ट पर भी कोई रिटन इंफर्मेशन नहीं होती।
  • डार्क कलर होने भर से डार्क चॉकलेट नहीं बनती। यह कलर तो कोको सॉलिड्स की वजह से आता है, जबकि चॉकलेट में कोको की उतनी क्वॉन्टिटी नहीं होती।
  • चॉकलेट्स में खूब फैट होती है। चॉकलेट से मिलने वाली एनर्जी में 50 फीसदी फैट की वजह से होती है।
  • किसी भी चीज़ को एक सीमा में लिया जाए तो ही यह फायदेमंद होती है। अति हर चीज़ की बुरी होती है, फिर चाहे वो चॉकलेट ही क्यों न हो।

तो कैसी खाएं चॉकलेट

मिल्क चॉकलेट की बजाय डार्क चॉकलेट लेना फायदेमंद होता है। डार्क चॉकलेट का चयन करते वक्त उसके कोको कंटेंट पर ध्यान देना भी जरूरी है। हमेशा ज़्यादा कोको कंटेंट वाली चॉकलेट ही चुनें। एक्सपट्र्स की मानें तो, डार्क चॉकलेट भी वही आपको हैल्थ बैनिफिट्स देगी जिसमें कोको की मात्रा कम से कम 60 फीसदी हो। यही नहीं, जब इसमें 75-85 फीसदी कोको मौजूद होगा, तब यह ज्यादा इफैक्टिव होगी। खास बात यह है कि यदि चॉकलेट में कोको इस लैवल में मौजूद होगा, तो यह टेस्टी नहीं लगेगी।

मम्मी मेकओवर सर्जरी से परफैक्ट लुक

मम्मी मेकओवर सर्जरी से परफैक्ट लुक

इसमे कोई दो राय नहीं है कि सुंदर दिखने की चाह हर किसी के मन में होती है। लेकिन समय के साथ खूबसूरती की अवधारणा में बदलाव आ रहा है। प्रतिस्पर्धा कड़ी हो रही है। प्रतिस्पर्धा ने खूबसूरती और स्मार्टनेस को सीधे-सीधे कॅरियर से जोड़ दिया है। युवाओं को लगता है कि स्मार्ट दिखना उनके कॅरियर का सकारात्मक पक्ष है। इसलिए वे खुद को ज्यादा जवान और युवा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। जिन लोगों को अपने चेहरे और शरीर में कोई भी खामी महसूस होती है वे इसे दूर करने के लिए प्लास्टिक सर्जरी की मदद लेने से संकोच नहीं करते। एक खास बात यह भी है कि परफैक्ट लुक आत्मविश्वास जगाता है जो कि सफलता के लिए बहुत जरूरी है।
मां बनने के बाद और उम्र बढऩे से भी कुछ शारीरिक बदलाव आ जाते हैं जिनके कारण महिलाएं हीन भावना का शिकार हो जाती हैं और अपनी पहली-सी त्वचा और काया पाने को तत्पर रहती हैं। प्लास्टिक सर्जरी में अब एक नया कॉन्सैप्ट आया है जिसे मम्मी मेकओवर कहते हैं। बच्चे पैदा करने के उपरांत आई समस्याओं का समाधान इस सर्जरी से किया जा सकता है। पहले प्लास्टिक सर्जरी का चलन इतना नहीं था जितना आज है। ‘परफैक्ट लुक’ आज समय की मांग बन गया है। जानिए क्या हैं ये बदलाव और कैसे इन्हें ठीक किया जा सकता है:

1. ब्रैस्ट: 

ब्रैस्ट एक मॉडिफाइड स्वेट ग्लैंड है। प्रेग्नेंसी के साथ इनका विकास होता है और आकार में वृद्धि होती है। ब्रैस्ट में मैमरी टिश्यूज़ के अलावा काफी चर्बी भी होती है। जब वज़न बढ़ता है तो ब्रैस्ट में चर्बी भी बढ़ जाती है। आकार में वृद्धि हो जाने की वजह से ब्रैस्ट ढीली पड़ सकती है जिस वजह से ब्रैस्ट ड्रूप कर सकती है और ढीलापन आ जाता है।

ट्रीटमेंट: ढीले पड़े ब्रैस्ट्स की सर्जरी को मैमोपैक्सी कहते हैं। इस द्वारा निप्पल को ऊपर शिफ्ट किया जाता है और ब्रैस्ट्स को दोबारा शेप दी जाती है। इस सर्जरी को कई महिलाओं ने अपनाया और वे इसके रिजल्ट्स से संतुष्ट भी हैं। छोटी ब्रैस्ट्स को सिलिकॉन इम्लांट्स द्वारा बड़ा किया जाता है। यह सेफ और लॉन्ग लास्टिंग है। इसमें ब्रैस्ट को छेड़ा नहीं जाता बल्कि इसके पीछे स्पेस क्रिएट करके इम्पलांट डाला जाता है। इस सर्जरी के एक दिन बाद महिला घर जा सकती है।

2. पेट:

पेट की त्वचा ढीली हो सकती है और स्ट्रैच मार्क्स बन सकते हैं। चर्बी भी जम सकती है।
ट्रीटमेंट: पेट पर जमी चर्बी जो एक्सरसाइज़ और खाने-पीने में बदलाव के बावजूद ठीक नहीं हो पाती है, उसे लिपोसक्शन से ठीक किया जा सकता है। यह की-होल सर्जरी है और अगले ही दिन मरीज घर जा सकता है। इसमें एक बहुत ही महीन कन्नूला के द्वारा चर्बी को निकाल दिया जाता है। अगर महिला अपना वज़न नियंत्रित रखे तो यह एक स्थाई इलाज है। लटके हुए और ढीले पेट के लिए एब्डोमिनोप्लास्टी की जाती है। इस द्वारा पेट खोले बिना, पेट की दीवार से फ्लैप उठा कर अतिरिक्त त्वचा और चर्बी को निकाल दिया जाता है और नाभि को ठीक जगह स्थानांतरित कर दिया जाता है। साथ ही पेट की दीवार मजबूत बनाई जाती है। इस दौरान मरीज को 3-4 दिन अस्पताल में रहना पड़ता है। वे महिलाएं जो वैस्टर्न ड्रैसिज पहनना पसंद करती हैं, पर नाभि के नीचे बढ़े हुए पेट के कारण कांशस रहती हैं, उनके लिए यह सर्जरी एक बेहतरीन ऑप्शन है।

3. कूल्हे, जांघें और बाजू: 

कूल्हे, जांघों और बाजुओं पर फैट सबसे ज्यादा इक्ट्ठा हो जाती है।
ट्रीटमेंट: कूल्हों, जांघों और बाजुओं पर जमी फैट को लिपोसक्शन द्वारा कम किया जा सकता है।

4. चेहरा: 

चेहरे की स्किन पर पिग्मेंटेशन हो सकती है और फैट भी जम सकती है। अधिक उम्र में प्रेग्नेंसी के उपरांत चेहरे पर झुर्रियां भी पड़ सकती हैं और डबल चिन की प्रॉब्लम भी हो सकती है।
ट्रीटमेंट: चेहरे पर पिग्मेंटेशन को लेज़र द्वारा ठीक किया जा सकता है। उम्र बढऩे पर त्वचा में महीन लकीरों को भी लेज़र फोटोरिजुविनेशन द्वारा हटाया जा सकता है। त्वचा पर पड़ी गहरी लाइंस को नॉन सर्जिकल टैक्नीक जैसे कि फिल्लर्स से ठीक किया जा सकता है। बोटॉक्स चेहरे के नीचे मसल्स को सुन्न कर त्वचा पर लकीरों या झुर्रियों को रोकने में सहायता करता है। फेसलिफ्ट सर्जरी द्वारा उम्र में 10-15 साल कम किए जा सकते हैं। आजकल मिनी फेसलिफ्ट किया जाता है जिसमें समय कम लगता है और इसका असर लंबे समय तक रहता है।
ब्रोलिफ्ट:  सर्जरी से माथे की लकीरें और ढीली पड़ीं भवें ठीक की जा सकती हैं। पलकों में ढीलापन और झुर्रियों को बलेफरोप्लास्टी से ठीक किया जा सकता है। यह एक ओपीडी प्रक्रिया है जिसमें मरीज कुछ ही घंटों में घर वापस जा सकता है। जीनीयोप्लास्टी द्वारा छोटी या बड़ी ठोढ़ी को सही किया जा सकता है। चीलोप्लास्टी द्वारा पतले या मोटे होंठों को ठीक किया जा सकता है। रईनोप्लास्टी से मोटी या टेढ़ी या चील की चोंच जैसी या धसी हुई नाक को ठीक किया जा सकता है। फूले हुए नथुनों को भी ठीक किया जा सकता है। डबलचिन करैक्शन लिपोसक्शन द्वारा ठीक की जा सकती है।

5. जैनिटल पैसेजिस:  

जैनिटल पैसेजिस में ढीलापन आ जाता है।
ट्रीटमेंट: नॉर्मल डिलीरी के बाद और उम्र के साथ योनि में आया ढीलापन या झुर्रियां भी प्लास्टिक सर्जरी से ठीक की जा सकती हैं। जैनिटल पैसेजिस की करैक्टिव सर्जरी हो जाती है और इसमें सिर्फ एक ही दिन अस्पताल में रहना पड़ता है।

जब आंखों से रूठ जाए नींद

जब आंखों से रूठ जाए नींद

आजकल की आपाधापी के बीच अनिद्रा के रोगियों की संख्या भी बढ़ रही है। यही वजह है कि कुछ लोग पर्याप्त नींद लेने के लिएं नींद की गोलियों की शरण में चले जाते हैं लेकिन इन गोलियों का शरीर पर नकारात्मक प्रभाव भी देखने में आता है, इसलिए जरूरी हैं कुछ उपाय जिन्हें अपना कर आप स्लीपिंग डिसऑर्डर को दूर कर सकते हैं...

भाग-दौड़ से भरी जिंदगी में आराम के कुछ पल बड़ी मुश्किल से ही मिलते हैं, लेकिन अगर आराम के उन पलों में भी नींद आंखों से कोसों दूर रहे तो धीरे-धीरे सेहत खराब होने लगती है और कई तरह की बीमारियां दस्तक देने लग जाती हैं। स्लीपिंग डिसऑर्डर कामकाजी युवाओं और बुजुर्गों की एक बड़ी समस्या बन चुका है। इस समस्या से निपटना जरूरी है, ताकि ताजगी भरी हो नए दिन की शुरूआत।
दिन भर काम और तनाव के बाद यदि रात को चैन की नींद आ जाए तो थकावट और तनाव दूर हो जाते हैं और सुबह ताजगी भरी होती है लेकिन ऐसी नींद सब को नहीं आती। अनियमित दिनचर्या, एल्कोहल, सिगरेट और गलत आहार के कारण बहुत से लोग चैन की नींद की तलाश में हैं। अनिद्रा की एक वजह मस्तिष्क की एकाग्रता की कमी भी हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि नींद न आने का हल नींद की दवाओं में नहीं है।

नींद क्यों आती नहीं

एक स्वस्थ व्यक्ति को लेटने के बाद 10 से 15 मिनट के अंदर नींद आ जाती है। इसके लिए उसे प्रयास नहीं करना पड़ता। कई लोग रात भर करवट बदलते रहते हैं, जिसे एक तरह का साइकिएट्रिक डिसआर्डर माना जाता है। इन्सोम्निया और ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया दो बीमारियां हैं, जिनमें नींद हमसे कोसों दूर हो जाती है। दोनों ही स्थितियों का इलाज जल्द न होने पर परेशानियां हो सकती हैं।
इन्सोम्निया:  
नींद न आना, जबरदस्ती नींद का प्रयास करना, करवटें बदलते रहना या फिर घूम-घूम कर रात बिताने की मजबूरी इन्सोम्निया कहलाती है। विशेषज्ञ कहते हैं कि इन्सोम्निया कई कारण और परेशानियों की वजह होती है। शारीरिक श्रम की अपेक्षा मानसिक श्रम अधिक करने की स्थिति में भी नींद गायब हो जाती है, जबकि इन्सोम्निया के बाद काम में एकाग्रता की कमी, चिड़चिड़ापन, शरीर में ऊर्जा की कमी, थकान, आलस्य जैसी परेशानियां हो सकती हैं।
ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एप्निया:  
इस स्थिति में असामान्य दिनचर्या या काम के तनाव की वजह से नहीं, बल्कि सांस लेने में रुकावट की वजह से नींद बाधित होती है। कई बार स्लीप एप्निया के शिकार लोग खर्राटे लेकर भी सो जाते हैं, लेकिन इसे बेहतर नींद नहीं कहते। गले के टांसिल बढऩे, श्वास की नलियां संकुचित होने या साइनस में स्लीप एप्निया की शिकायत हो सकती है।

न लें नींद की गोली का सहारा

कुछ  लोग पर्याप्त नींद लेने के चक्कर में नींद की गोलियों की शरण में चले जाते हैं, लेकिन हैल्थ एक्सपटर््स बताते हैं कि इसके लिए स्लीपिंग पिल्स का सहारा लेना ठीक नहीं है। यह आदत हैल्दी नहीं है। इन गोलियों का सेवन आपकी सेहत बिगाड़ सकता है। स्लीपिंग पिल्स के सेवन से कुछ समय के लिए तो आराम मिलता है, लेकिन धीरे-धीरे लोगों की इस पर निर्भरता बढऩे लगती है। अगर आपको नींद नहीं आती है, तो स्लीपिंग पिल्स लगातार लेने से उनकी लत लग जाती है और साथ ही कई तरह के नकारात्मक प्रभाव भी पड़ते हैं। नींद की गोलियां थोड़े समय के लिए आराम पहुंचाती हैं लेकिन जब इसे लेना बंद कर देते हैं, तो लोगों को ऐसा लगने लगता है कि बिना दवाई के उन्हें नींद नहीं आएगी।
यह विचार लोगों को नींद आने पर भी सोने नहीं देता। नींद की गोलियों का मस्तिष्क पर नकारात्मक असर पड़ता है, जिसके चलते इसे नारकोटिक्स दवाओं की श्रेणी में रखा जाता है। नियमानुसार स्लीपिंग पिल्स ओ.टी.सी. (ओवर द काऊंटर) या सीधे दवा विक्रेता से नहीं मिलतीं। नींद की दवाएं मस्तिष्क के न्यूरोन्स को निष्क्रिय कर, सुस्त कर देती हैं। लंबे समय तक स्लीपिंग पिल्स का प्रयोग मस्तिष्क की क्रियाशीलता को कम करके, याद्दाशत कमजोर कर सकता है। दवाओं के नकारात्मक असर के कारण मुंह सूखना और भूख कम लगना आदि समस्याएं होती हैं। अस्थमा, दिल के मरीज या फिर दर्द के कारण अनिद्रा से जूझ रहे व्यक्ति को ये दवाएं डॉक्टर के परामर्श से ही दी जाती हैं। टॉक्सिक होने के कारण इसका इस्तेमाल रक्तचाप को भी अनियंत्रित करता है।

अपनाएं ये उपाय

यदि आपको भी नींद नहीं आती, तो नींद की गोली लेने से बेहतर है कि आप अपनी दिनचर्या की कुछ बातों पर ध्यान देकर इस समस्या को कुदरती तरीके से दूर करने की कोशिश करें।
नियमित हो दिनचर्या: 
नियमित दिनचर्या रखें। सोने और जागने का समय निर्धारित करें। उसी समय पर जागें और सोएं। प्रतिदिन व्यायाम करें, इससे आपको अच्छी नींद आएगी। डिनर के बाद थोड़ा टहलें।
ढीले-ढाले हों कपड़े:
सोते समय सूती, ढीले-ढाले आरामदेह कपड़े पहनें। पसंदीदा गाने सुनें या आपको पढऩा अच्छा लगता है, तो कोई मैगजीन पढ़ें।
नहा कर सोएं: नहा कर सोएं, इससे अच्छी नींद आती है। सोने से पहले गुनगुने पानी में पैरों की सिंकाई करने से बेहतर नींद आ सकती है।
आरामदेह हो बिस्तर: 
 इस बात का भी ध्यान रखें कि जहां आप सो रहे हों, वह कमरा शांत, शोरगुल से दूर हो।  बिस्तर को सिर्फ सोने के लिए इस्तेमाल करें। उस पर अन्य सामान बिखरा कर न रखें। न ही बिस्तर पर बैठ कर खाना खाएं। बिस्तर पर हल्के रंग की चादरों का इस्तेमाल करें और साफ-सफाई का ध्यान रखें।
रोशनी रखें कम:
शाम के समय तेज रोशनी में रहने से भी नींद दूर भागती है। दरअसल, कम रोशनी में मेलाटोनिन नामक हार्मोन का स्राव होता है, जो नींद लाने के लिए जिम्मेदार है। इसलिए रात को ज्यादा देर तक टी.वी. न देखें। कमरे की लाइट बंद कर दें, इससे भी आपको गहरी नींद आएगी।
चुनें सही तकिया:
अच्छी नींद और उपयुक्त तकिए के संबंध को नकारा नहीं जा सकता। अगर आप पेट के बल सोते हैं, तो नर्म-मुलायम तकिए का इस्तेमाल करें। एक तरफ करवट के बल सोते हैं, तो मीडियम-सॉफ्ट तकिया चुनें। अगर आप पीठ के बल सोते हैं, तो तकिया थोड़ा कड़ा होना चाहिए।
सही खान-पान अपनाएं :
सोने से पहले ज्यादा भारी भोजन न खाएं। ज्यादा खाने से शरीर का तापमान बढ़ता है, जिससे नींद दूर रहती है। कुछ लोग खाने के बाद कॉफी या चाय पीना पसंद करते हैं। इस आदत से बचें, क्योंकि कॉफी और चाय में मौजूद कैफीन नींद को भगा देती है। सोने से पहले एक गिलास गुनगुने दूध में शहद डाल कर पीएं। मेथी का पाऊडर गर्म पानी में डाल कर पीएं या इसे लस्सी या छाछ में भी मिला सकते हैं।
सप्लीमैंट्स लें:
कैल्शियम और मैग्नीशियम का उचित मात्रा में सेवन नींद की समस्या को दूर करता है। मैग्नीशियम को नींद लाने वाला कुदरती मिनरल माना जाता है। यह मांसपेशियों और दिमाग के तनाव को कम करता है। कैल्शियम की कमी से भी नींद की समस्या उपजती है। इसलिए डाइट में ऐसे खाद्य पदार्थ शामिल करें जिनमें कैल्शियम और मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में हों। मसलन दूध, ओट्स और अंजीर इत्यादि का सेवन अच्छा रहेगा।
मंत्रोच्चारण करें:
सोते समय दिमाग न भटके इसके लिए मंत्रोच्चारण कर सकते हैं। बिस्तर पर जाने के 15 मिनट तक नींद न आए तो तुरंत बिस्तर छोड़ दें और खुद को कुछ देर के लिए अन्य कामों में व्यस्त रखें। जबरन सोने की कोशिश न करें।

तेरी मेरी दोस्ती प्यार में बदल गई!

तेरी मेरी दोस्ती प्यार में बदल गई!

कौन जानता है कि दोस्ती कब प्यार में बदल जाए? दोस्ती प्यार में बदल सकती है मगर प्यार कभी दोस्ती में नहीं बदल सकता। अगर आपको अपने दोस्त के साथ ही प्यार हो गया है तो बिना हिचकिचाहट उसका इज़हार कर दें...

दोस्ती में प्यार तलाशना एक बड़ी चुनौती है। जिन लोगों की दोस्ती प्यार में बदली है, उनके रिलेशन ज्यादा मजबूत होते हैं, लेकिन जब दोनों में से एक शख्स को यह लगने लगे कि उनकी दोस्ती प्यार में नहीं बदल सकती तब मामला गड़बड़ हो सकता है, उलझनभरी स्थिति बन जाती है। ऐसे में न प्रेम जीवित रह पाता है न दोस्ती। दोस्ती और प्यार के बीच मामूली सा ही फर्क होता है, जिसके चलते कई बार लोग इस फर्क को जान नहीं पाते और दोस्ती को प्यार या प्यार को दोस्ती ही समझते रहते हैं। अगर आपको भी किसी के प्रति अपनी फीलिंग्स को लेकर कोई डाउट है, तो हम आपको बता रहे हैं आसान-सा तरीका। तरीका, यह समझने का कि यह सिर्फ दोस्ती है या फिर प्यार का अहसास।

फिज़िकल डिजायर
क्या आपके मन में उसके प्रति फिकिाकल डिजायर्स पैदा होती हैं? सीधे शब्दों में कहें तो क्या आपका मन उसके साथ फिकिाकल रिलेशंस बनाने का करता है? अगर इसका जवाब हां है, तो समझ जाइए आपका रिश्ता दोस्ती से बढ़कर है और अगर उसके साथ सोने के ख्याल भर से ही आपको अजीब-सा महसूस होने लगता है, तो यह दोस्ती से कयादा कुछ नहीं है।

फ्यूचर प्लानिंग
क्या आपने कभी ख्यालों में उसके साथ किांदगी बिताने के बारे में सोचा है? क्या कभी आपको लगा है आपको दोस्ती से एक कदम आगे बढऩा चाहिए? अगर आपका जवाब हां है तो समझ लीजिए आपको प्यार हो चुका है, लेकिन अगर आपको यह लगता है कि वह शख्स किसी खास क्वालिटी के कारण आपको इतना प्रिय है तो समझ लीजिए यह दोस्ती ही है।

हर बात पर सलाह
बात चाहे कितनी ही छोटी क्यों ना हो, अगर आप उसकी हमेशा सलाह लेती हैं और उसकी हर बात, हर सलाह आपको अच्छी भी लगने लगती है। यहां तक कि आप अपनी हेयर और ड्रैसिंग स्टाइल बदलने के लिए भी अपने उस दोस्त से सलाह लेती हैं, तो यह प्यार के रोमानी अहसास के लक्षण ही हैं।
 
जलन और ईर्ष्या
जिस महिला से वह डेट करता है या उसके प्रति आकर्षण महसूस करता है, क्या उससे आपको जलन और ईष्र्या होती है? अगर जवाब हां है तो यह प्यार है और अगर ऐसा नहीं होता और उल्टा आप चाहती हैं कि वह किसी और लड़की को डेट करे तो यह दोस्ती है। अगर आप उसे अपनी सिंगल फ्रैंड्स से मिलवाती हैं और उसके लिए डेट प्लान कर रही हैं, तो यह दोस्ती से ज्यादा कुछ नहीं। जब आपकी कोई महिला दोस्त आपसे पूछती है कि क्या वह सिंगल है और आप झूठ बोल देती हैं, तो जान लीजिए आपको उनसे प्यार है।
 
नज़दीकियों की चाहत
क्या आप उसे देखने, उससे मिलने, बात करने, कॉल करने या नज़दीक रहने के बहाने ढूंढने लगी हैं? क्या अब आपको सिर्फ उसका साथ ही अच्छा लगता है? जब भी वह आपके आस-पास मौजूद होता है तब आपको उसके अलावा और कोई नहीं दिखाई देता, आप उसकी बातों में खो जाती हैं और जिंदगी बेहद खूबसूरत लगने लगती है। क्या हमेशा यही इंतजार रहता है कि किसी भी तरह उस से मिलना हो जाए? अगर आपका दोस्त कुछ दिनों के लिए शहर से बाहर गया हो, तो क्या आपको बेचैनी होती है और आप उसके वापस लौटने का इंतजार करती हैं? अगर इन सभी सवालों का जवाब हां में है तो आपको प्यार हो चुका है।
 
हक जताना
अगर वह आपके सवालों का सीधा-सीधा जवाब नहीं देता और इसके बावजूद आप उस पर गुस्सा नहीं कर पाती हैं, उसकी लेट लतीफी पर मुंह नहीं बनाती हैं और अगर वह आपका जन्मदिन भूल जाएं, तो भी उसे माफ कर देती हैं, तो यकीन मानिए यह दोस्ती से ज्यादा कुछ नहीं है क्योंकि प्यार आपको हक का अनुभव करवाता है। आप सामने वाले पर पूरा हक जमाने लगती हैं और अपनी हर बात का जवाब उससे उसी हक से मांगती हैं।
 
लुक्स की चिंता
जब भी आपको उससे मिलना होता है तो क्या आप अपनी लुक्स और मेकअप के लिए ज्यादा परेशान रहती हैं? ऐसा इसलिए, क्योंकि आप अपनी इमेज को लेकर कॉन्शस रहते हैं। ऐसा तो इंसान प्यार में ही करता है, दोस्ती में नहीं।

जानने की इच्छा
जब आप उसके साथ नहीं होती हैं तो भी आप उसी के बारे में सोचती रहती हैं? उसके बारे में चिंता रहती है? आंखें बंद करते ही वो सामने आ जाता है? दोस्तों के बीच भी आप केवल उसी के बारे में सोचती हैं? हां का मतलब है कि आपकी दोस्ती प्यार में बदल रही है और नहीं का मतलब है आप अब भी दोस्ती के बंधन में ही हैं।

दूसरों की आलोचना
उसके सामने उसकी महिला दोस्तों की आलोचना करने का कोई मौका नहीं खोती हैं? अगर जवाब हां है, तो जान लो आपको प्यार है। ऐसा इसलिए क्योंकि आप चाहती हैं कि वह किसी और के बारे में न सोचे, उसके पास न जाए। यह इंसान की नेचर है। इंसान चाहता है कि वह खुद के लिए चुनौती बनने वाली सारी संभावनाओं को ही खत्म कर दे।

हर बात अच्छी लगती है
उसके घिसे-पिटे जोक्स पर भी आपको खूब हंसी आती है। उसकी हर बेवकूफी और गलती अब आपको अच्छी लगने लगती है। उसकी बेतुकी, बचकानी बातें आपको गुस्सा नहीं दिलातीं और उन पर भी आपको प्यार आने लगता है। अगर यह सब सच है तो आप प्यार में पड़ चुकी हैं।

Friday, July 19, 2013

फुकरे: सपने बड़े-बड़े पर जेब है खाली

फिल्म की प्रमोशन के लिए ‘फुकरे’ पहुंचे पंजाब केसरी के कार्यालय


फिल्म: ‘फुकरे’
टैग लाइन : ‘गोइंग चीप’
प्रोड्यूसर: फरहान अख्तर, रितेश सिधवानी:
स्टोरी, डायलग्स, स्क्रीनप्ले: विपुल विग
सह-निर्माण : एक्सेल एंटरटेनमेंट
डायरैक्टर : मृगदीप सिंह लांबा
संगीतकार : राम सम्पत


यंगस्टर्स को टार्गेट करके बनाई गई फिल्म ‘फुकरे’ नए कलाकारों से सजी है। इसमें  पुल्कित सम्राट, मनजोत सिंह, अली फैजल, रिचा चड्ढा, वरुण शर्मा, प्रिया आंनद और विशाखा सिंह ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं। फिल्म दिल्ली में रहने वाले चार ‘फुकरों’ की कहानी है जो लोगों में बसे ‘फुकरेपन’ को सलाम करती है। इनकी जिंदगी उन्हें एक-दूसरे से मिलाती है और एक दूसरे के साथ कुछ इस कदर बांध देती है कि ये चारों अच्छे दोस्त बन जाते हैं। दरअसल, ये चारों फुकरे कॉलेज में प्रवेश लेने और गर्लफ्रैंड बनाने के लिए पूरी तरह से जद्दोजहद कर रहे हैं।
दिल्ली की ठेठ भाषा में ‘फुकरे’ शब्द का अर्थ ‘किसी काम के लायक ना होना’ होता है, जबकि रिचा चड्ढा इसे फकिराना तरबीयत के साथ जोड़ती हैं। उनका कहना है कि इन लोगों के सपने तो बहुत बड़े-बड़े हैं लेकिन इनकी जेब में पैसे नहीं हैं। इसलिए ये फुकरे हैं। ‘फुकरे’ 14 जून को रिलीज की जाएगी।
मूवी ‘बिट्टू बॉस’ में काम कर चुके पुलकित सम्राट दिल्ली में जन्मे एक एक्टर मॉडल हैं जो ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ फेम लक्ष्य विरानी के नाम से ज्यादा जाने जाते हैं। 2012 में पुलकित की पहली हिंदी फिल्म थी ‘बिट्टू बॉस’, जिसमें इन्होंने अमिता पाठक के साथ काम किया था। पुलकित की यह दूसरी फिल्म है। ‘फुकरे’ में यह हनी का किरदार निभा रहे हैं जो चूचा (वरुण शमाई) का जिगरी दोस्त है। ये दोनों मिलकर पैसों का खूब जुगाड़ लगाते हैं। फिल्म में होता कुछ ऐसा है कि चूचा को रात में सोते समय कुछ अजीबो-गरीब सपने दिखते हैं, जिनसे हनी एक नंबर बनाता है और फिर उस नंबर से वे लॉटरी का टिकट खरीदते हैं। और इस तरह जुगाड़ होता है इनके रोजाना के खर्चों का।
चूचा का रोल निभाया है वरुण शर्मा ने जो जालंधर से हैं। एपीजे स्कूल से पासआउट होने के बाद चंडीगढ़ में पढ़ाई के साथ इन्होंने थिएटर और ड्रामा भी खूब किया। इसी दौरान जब इन्टर्नशिप के लिए मुंबई गए तो वहां इन्हें यह दमदार रोल मिल गया। खुद को बेहद सौभाग्यशाली मानने वाले वरुण कहते हैं कि अगर आप मेहनती हैं तो छोटे शहर से हों या बड़े शहर से, कोई फर्क नहीं पड़ता। सफलता आपके कदम चूमती है।
इन फुकरों के रोजाना के खर्चे तो पूरे हो जाते हैं पर सपने तो अक्सर बड़े होते हैं और इन सपनों को पूरा करने के लिए पैसे भी ज्यादा होते हैं। पैसों के लिए ये रिचा चड्ढा के पास जाते हैं जो भोली पंजाबन का रोल कर रही हैं। पर वो भोली तो कतई नहीं हैं। अपने दिए पैसे वसूलना वो बखूबी जानती हैं। रिचा ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में नगमा के दमदार रोल से फेम में आई थीं। ‘ओए लक्की लक्की ओए’ से अपने करियर की शुरुआत करने वाली रिचा ने इस फिल्म में बहुत कड़क मिजाज लड़की का रोल निभाया है।
संगीत दर्शकों को फिल्मों की ओर खींचता है और ‘फुकरे’ में छह गीत हैं जो सभी धमाल मचा रहे हैं। ये गीत हैं ‘फुक फुक फकरे’, ‘बेड़ा पार’, ‘लग गई लॉटरी’, ‘जुगाड़ कर ले’, ‘रब्बा’ और ‘अम्बरसरिया’। इनमें ‘अम्बरसरिया’ पंजाब में संगीत प्रेमियों को खूब लुभा रहा है। यह एक रोमांटिक गीत है जिसे सोना मोहापात्रा ने गाया है। यह गीत रिचा का भी बेहद पसंदीदा है और वह अक्सर इसे गुनगुनाती भी हैं।
इस फिल्म में अपनी भूमिका के बारे में रिचा कहती हैं कि जितना मजा फुकरे में काम करके आया वैसा ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में नहीं आया क्योंकि उस फिल्म में उन्हें अपने से दोगुनी उम्र के कलाकारों के साथ काम करना पड़ा था जबकि फुकरे पूरी तरह से मस्ती भरी फिल्म है और इसकी स्टार कास्ट भी बहुत यंग है।
अली फैजल इस फिल्म में संगीतकार का रोल निभा रहे हैं। पैसों की तंगी तो उन्हें भी खूब रहती है। इसी पैसों के चक्कर में वह चूचा और हनी के संपर्क में आते हैं और फिर ये सब मिलकर कैसे पैसों का जुगाड़ करते हैं यह देखने लायक हैं। लोगों को बेवकूफ बनाना तो इनके बस बाएं हाथ का कमाल होता है। फिर चाहे किसी की कार के पहिए बेचने की हिमाकत करें या किसी के स्कूटर पर बिक्री का बोर्ड लगाकर उसे ही बेच दें।
फुकरे का सबसे क्यूट किरदार निभाया है मनजोत ने। यह ‘ओए लक्की लक्की ओए’ से फिल्मी दुनिया में अपनी पहचान बनाने वाले मनजोत का किरदार फुकरे में बहुत हटकर है। यह  भगवान को मानने वाले या यूं कहें कि हर काम के लिए भगवान से मदद मांगने वाले हैं। अगर इन्हें अपनी गर्लफ्रैंड के लिए कॉलेज में एडमिशन लेनी होती है तो भी यह भगवान जी का ही दरवाजा खटखटाते हैं और अगर अपने पापा से कुछ मनवाना होता है तो भी इन्हें भगवान ही याद आते हैं। पर यह क्यूट सा करैक्टर इन पर सूट भी खूब करता है।
14 जून को रिलीज होने वाली फिल्म ‘फुकरे’ से इन सभी कलाकारों को काफी उम्मीदें हैं। सभी ने इसमें खूब मस्ती की है और दर्शकों को हंसाने की कोशिश भी। अब इस कोशिश में यह कितना कामयाब होते हैं, फिल्म बॉक्स आफिस पर कितना धमाल कर पाती है इसका पता तो 14 जून को ही चलेगा।
-मीनाक्षी गांधी

Thursday, July 18, 2013

फैशन की दुनिया में कार्टून्स का जादू

फैशन की दुनिया में कार्टून्स का जादू

फैशन का कोई निश्चित पैमाना नहीं होता। जो ट्रैंड में आता है, वही फैशन बन जाता है। इन दिनों कार्टून कैरेक्टर्स युवाओं को खूब आकॢषत कर रहे हैं। कॉमिक्स, कार्टून्स और एनिमेशन कैरेक्टर्स अब फैशन वल्र्ड में छा गए हैं। ये एक ओर तो आपको फंकी लुक देते हैं वहीं दूसरी ओर आपमें आपका बचपन सहेजे रखते हैं।

फैशन जगत पर इन दिनों कार्टून कैरेक्टर्स का जादू चल रहा है। काटून कैरेक्टर्स से जुड़े प्रॉडक्ट्स को अक्सर बच्चों से जोड़कर देखा जाता रहा है, लेकिन अब ये केवल बच्चों के फैशन तक ही सीमित नहीं रह गए हैं, अपितु बड़े इन दिनों ऐसी चीकों बड़े ज्यादा खरीद रहे हैं। खासतौर पर 14-35 साल तक की उम्र के पुरुष और महिलाओं को फैशन का यह अंदाज अधिक लुभाने लगा है।
कॉलेज गोइंग युवा हों या फिर किसी कॉर्पोरेट ऑफिस में काम करने वाले ऑफिसर इनका जादू सभी के सिर चढ़कर बोल रहा है। कॉलेज, ऑफिस, ईवङ्क्षनग पार्टी, डिस्कोथेक या मार्किट आप कहीं भी जाएं, कार्टून्स वाली ड्रैसेस, टी-शट्र्स, लॉकेट या फिर हैंडबैग से सजे लोग आपको आसानी से नजर आ जाएंगे। युवाओं का कहना है कि कार्टून और कॉमिक्स कैरेक्टर्स से इंस्पायर्ड प्रॉडक्ट्स का इस्तेमाल करके वे खुद को बच्चों की तरह महसूस करते हैं। कुछ लोगों को तो इन कार्टून और कॉमिक कैरेक्टर्स से इतना प्यार होता है कि वे ताउम्र अपने बचपन के कॉमिक्स अपने पास संभाल कर रखते हैं।
कपड़ों से लेकर बैग, फुटवियर, घड़ी और नेकलेस जैसी एक्सेसरीज पर भी अब प्रसिद्ध कॉमिक्स और एनिमेशन सीरिका के कैरेक्टर्स युवा जगत का क्रेका बन चुके हैं। डिकनी और मार्वल कैरेक्टर्स की पापुलैरिटी और लोगों के टेस्ट के चलते मिकी और अन्य कैरेक्टर्स वाले फर्नीचर, रग्स, टेबलवेयर, किचनवेयर, पंखे, लाइट्स, कॉस्मैटिक्स, पैंट्स, स्लिपर्स, अंब्रेलास, स्विमिंग पूल और मोबाइल कवर्स इत्यादि मार्किट में धूम मचा रहे हैं।
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि सबसे ज्यादा सेल कार्टून कैरेक्टर मिकी माऊस वाली प्रीमियम टी-शट्र्स की होती है। जापान में डिकनी प्रॉडक्ट्स के 60 फीसदी तक कंज्यूमर्स एडल्ट हैं। इसी ट्रैंड के चलते कई बड़ी कंपनियां मिकी, मिनी और दूसरे फेमस कार्टून कैरेक्टर्स वाले हाई-फैशन ब्रांडेड अपैरल बड़े लोगों के लिए ला रही हैं। लैक्मे फैशन वीक के समर-रिसॉर्ट 2012 एडिशन में शिल्पा चव्हान और नितिन ल च्वहान द्वारा मिकी और मिनी माऊस से इंस्पायर्ड अपैरेल और एक्सेसरीज की खूबसूरत रेंज पेश की गई थी।

टी शट्र्स

कार्टून कैरेक्टर वाली टी-शर्ट यदि आप किसी युवा को पहने देखें तो बिल्कुल हैरान न हों। टी-शट्र्स में कार्टून प्रिंट टी-शट्र्स युवाओं द्वारा भी बेहद पसंद की जा रही हैं। आप चाहें तो अपनी पसंद का कार्टून कैरेक्टर अपनी मनपसंद टी-शर्ट पर प्रिंट भी करवा सकती हैं। वैसे युवाओं के लिए पोपाय, जू-जू, पिंकी, मिक्की माऊस, मिनी माऊस, डोनल्ड डक और मार्वल सुपरहीरोका जैसे आयरन मैन, स्पाइडर मैन, द अवेंजर्स व हल्क जैसे कैरेक्टर्स से प्रेरित और बार्बी कार्टून क्रिएशन वाली टी-शट्र्स की बढिय़ा व खूबसूरत कलैक्शन मार्किट में उपलब्ध है। ये लूका टी-शट्र्स दिखने में बड़े ही आकर्षक हैं। यही कारण है कि पार्टी से लेकर कॉलेज में इन्हें पहने हुए युवा आसानी से नजर आ जाते हैं। चूंकि ऐसी टी-शट्र्स का फैशन हमेशा बरकरार रहता है। इसलिए युवा ये टी-शट्र्स काफी तादाद में खरीद लेते हैं। लड़कियों में सफेद, पिंक, रेड, ब्लैक आदि कई रंगों में मिकी-डॉनल्ड, पॉपई, डोरीमॉन आदि की टी-शर्ट का क्रेका रहता है जबकि लड़कों में सफेद, ब्लैक, ग्रीन, ब्लू आदि रंगों की टी शट्र्स ज्यादा पसंद की जाती हैं।

पैंट्स

कार्टून कैरेक्टर्स अब सिर्फ मनोरंजन का ही कारिया नहीं रह गए हैं। ये आपको सजाने का काम भी बखूबी कर रहे हैं। डिजाइनर्स ने भी इस ट्रैंड को अपने क्रिएशंस में बखूबी इस्तेमाल किया है। कार्टून्स से सजी पैंट्स और कैप्रीका को युवा कूल मानते हैं। उनका कहना है कि रोकााना एक ही तरह की या यूं कह लीजिए प्लेन पैंट या जींस पहनकर बोर हो जाते हैं। ऐसे में अनेक रंगों अपने पसंदीदा कार्टून्स के डिजाइन वाली पैंट्स, पाजामे और कैप्रीका नया लुक देती हैं और मूड को खुशनुमा बनाए रखती हैं।

स्कार्फ

आप अपने लुक में इंस्टैंट बदलाव चाहती हैं, तो स्कार्फ अपने वॉर्डरोब में जरूर शामिल करें। ड्रैस को परफैक्ट लुक देने में स्कार्फ खूब काम आता है। मार्किट में विभिन्न डिजाइन, पैटर्न और कलर्स के स्टाइलिश और फैंसी स्कार्फ डिमांड में हैं। इन दिनों कॉटन फैब्रिक में कार्टून प्रिंट के स्कार्फ ट्रैंड में हैं, जो आपको अट्रैक्टिव लुक देंगे। खासतौर पर गल्र्स तो इसकी दीवानी हैं, क्योंकि बिना किसी खास एफर्ट के इससे आसानी से स्टाइलिश लुक पाया जा सकता है। इन दिनों कई सैलिब्रिटीज को खास मौकों पर स्कार्फ पहने देखा जा सकता है। स्कार्फ का यह कलैक्शन बॉयका को भी आकर्षित कर रही है। खास बात यह है कि इन्हें कैजुअल के साथ पार्टी में भी पहना जा सकता है।

कॉस्मैटिक्स

कॉस्मैटिक्स प्रॉडक्ट्स भी कॉमिक कनैक्शन को स्पोर्ट करते नकार आ रहे हैं। कुछ वल्र्ड फेमस ब्रांड्स ने तो इन कार्टून्स कैरेक्टर्स से इंस्पायर होकर अपने प्रॉडक्ट्स के नाम भी इन पर ही रख दिए हैं। एम.ए.सी आर्चीका गल्र्स कलैक्शन की नई कलर कलैक्शन का थीम बैट्टी और वेरोनिका के इर्द-गिर्द ही रखा है। बैट्टी सेगमेंट में सॉफ्ट और इनोसेंट कलर शेड्स और वेरोनिका सेगमेंट में गहरे और आकर्षक कलर टोंस हैं।

एक्सेसरीज

फैशन एक्सेसरीज का टेस्ट भी काफी हद तक चेंज हो गया है। एक्सेसरीका में भी कार्टून कैरेक्टर्स का प्रयोग नई ताकागी देता है। डिकनी कैरेक्टर्स वाली ज्यूलरी युवाओं को बेदह भा रही है। डोनल्ड डक, मिकी माऊस, टॉम एंड जैरी और ऐसे ही कई कार्टून करैक्टर्स के ईयररिंग्स, पैंडेंट और ब्रेसलेट युवाओं को आकॢषत कर रहे हैं। यही नहीं टैटू द्वारा इन कार्टून्स को आप अपने शरीर पर भी सजा सकते हैं। कार्टून्स से सजे बड़े बैग्स तो लड़कियों द्वारा सबसे ज्यादा पसंद किए जा रहे हैं। आपको लगभग हर एक लड़की के पास ऐसा एक बैग तो मिलेगा ही।

फुटवियर

समर फुटवियर्स में कार्टून कैरेक्टर थीम सबसे पॉपुलर हो रही है। कार्टून कैरेक्ट्र्स से सजे कई तरह के फुटवियर्स मार्किट में उपलब्ध हैं। नन्हे-मुन्नों के कार्टून कैरेक्टर के डिजाइन वाले फुटवियर देखने में बेहद सुंदर हैं। खासियत है इनके डिजाइन जो बच्चों को अपनी ओर खींचते हैं। फिर ये रंग-बिरंगे हैं जिन्हें पहन बच्चे बेहद खुश होते हैं। ब्राइट कलर के फुटवियर्स में बेनटेन, पोकीमॉन, शिनचैन, स्पाइडरमैन और पॉवर रेंजर सबसे ज्यादा पसंद किए जा रहे हैं। इसके अलावा बच्चों में डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के कलाकारों के प्रिंट्स भी प्रिफर किए जा रहे हैं। फुटवियर डिकााइनर क्रिश्चियन लॉबोटिन द्वारा सिंड्रेला से प्रेरित डिकााइन किए गए स्लीपर्स ने तो बाजार में धूम ही मचा दी है। सभी आयु वर्ग की लड़कियां इन्हें बड़े शौक से पहन रही हैं।

फर्निशिंग

दिन भर के कामकाज के बाद साफ-सुथरा और करीने से सजा बैडरूम आपकी थकान को पलभर में दूर कर देता है। और अगर इस कमरे को कॉमिक्स, कार्टून और एनिमेशन कैरेक्टर्स से इंस्पायर्ड होकर डैकोरेट किया जाए तब तो आप अपने बचपन की मस्ती और शोखियों को और भी ज्यादा इंजॉय कर सकती हैं। कॉर्टून से सजे फर्नीचर की काफी वैराइटी मार्किट में भरी पड़ी है। आपके पसंदीदा कार्टून कैरेक्टर्स, टैडी बियर, अलादीन, बार्बी डॉल इत्यादि से सजी चादरों और तकिओं की एक बड़ी रेंज बाजार में आपको मिल जाएगी। इन्हीं कार्टून कैरेक्टर्स से सजे पर्दे भी कमरे की खूबसूरती को बढ़ाने का काम करते हैं। इसके साथ ही आप चाहें तो कार्टून और एनिमेशन कैरेक्टर की शेप की लाइट्स लगाकर अपने रूम को रोशन भी कर सकती हैं।

अंब्रेला

सावन के महीने में कभी तेज धूप अटैक करती है, तो कभी हमारा सामना बारिश से होता है। ऐसे मौसम के अप्रत्याशित वारों यानी धूप और बारिश से बचने के लिए जरूरी है कि आपके पास एक बढिय़ा ट्रैंडी छाता हो।  इन दिनों कार्टून करैक्टर्स और एनिमल प्रिंट्स वाले अंब्रेला ट्रैंड में हैं। इसके अलावा पोलका डॉट्स, फ्रिल, डिजिटल प्रिंट्स, चेक्स, ट्राइबल प्रिंट्स वगैरह वाले छाते भी सावन को और कलरफुल बना देंगे।
-मीनाक्षी गांधी

फैशन स्टेटमेंट क्रिएट करते ट्रैवल बैग्स

फैशन स्टेटमेंट क्रिएट करते ट्रैवल बैग्स

समर वैकेशन में आपने भी घूमने जाने का प्रोग्राम बना लिया होगा और इसके लिए यकीनन आपने खरीददारी भी शुरू कर दी होगी। गर्मी में घूमने जाना सुखद और मौज-मस्ती वाला हो सकता है, अगर आपका ट्रैवल बैग बढिय़ा हो। एक बढिय़ा ट्रैवल बैग आपकी यात्रा सुगम बना देगा...

आप चाहे एक हफ्ते के लिए बाहर जा रहे हैं या फिर प्लैनिंग लम्बे टूर पर निकलने की हो, अगर आप ट्रैवलिंग को पूरी तरह एंजॉय करना चाहती हैं, तो कई छोटी-मोटी बातों का ध्यान रखना भी जरूरी है। अगर आप सही तरीके से प्लान करें तो काफी सारी परेशानियों से आप बच सकती हैं।

कई बार हम ‘इतनी दूर जाना है और इतने दिनों तक रहना है’ जैसी बातें सोचकर अपने साथ इतना सामन रख लेते हैं कि उस लगेज को संभालने में ही थक जाते हैं। सामान ज्यादा हो तो पैकिंग के दौरान भी कई तरह की समस्याएं आती हैं। साथ ही इतने सामान को मैनेज करना भी काफी मुश्किल होता है। ऐसे में होता यह है कि आप अपने पति और बच्चों के साथ जब घूमने निकलती हैं, तो अचानक रास्ते में आपको याद आता है कि कुछ बेहद जरूरी सामान आप घर में ही भूल आई हैं। ऐसे में आपको पति की झल्लाहट झेलनी पड़ती है और जो टाइम वेस्ट होता है वो अलग।

तब आप सोचती है कि काश थोड़ी-सी स्मार्ट पैकिंग की होती तो शायद इन परेशानियों से बच सकती थीं। इसलिए ट्रैवल बैग्स की शॉपिंग बहुत केयरफुली करनी चाहिए। ट्रैवल बैग्स का गलत चुनाव आपकी छुट्टियों का मजा किरकिरा कर देता है। कई बार बाहर जाते समय हम ऐसे बैग का चुनाव कर लेते हैं जिसमें सामान तो कम आता है लेकिन वो भारी ज्यादा होते हैं जिससे सामान का वजन भी बढ़ जाता है और सारा समान भी सही से पैक नहीं हो पाता। इसलिए अगर आपको अपने पुराने बैग में सामान रखने में परेशानी आ रही है तो आप उस को छोड़ दें और कुछ स्टाइलिश और फैशनेबल ट्राई करें, जो आपकी जरूरत के अनुरूप हो।

ज्यादा स्पेस वाले हल्के और मजबूत बैग्स आमतौर पर प्रैफर किए जाते हैं। इनमें आपका सारा सामान आ जाएगा और इन्हें कैरी करना भी आसान होता है। आपका ट्रैवल बैग बड़ा हो तो अच्छा रहेगा। चाहे ट्रेन से ट्रैवल करें या प्लेन से, आपको ऐसे बैग की जरूरत होती है, जिसमें आपके ट्रेवल पेपर्स, पढऩे के लिए किताबें और कपड़े इत्यादि सभी फिट हो सकें। एक छोटा बैग भी साथ जरूर रख लें। इसमें अपनी जरूरत का हर छोटा बड़ा सामान जैसे -टूथब्रश, हैंड टॉवेल, हैंड सैनिटाइकार, टिश्यु पेपर और फेशवॉश, शैंपू, क्रीम, फाउंडेशन, सनस्क्रीन इत्यादि के सैशे रख लें। 

ट्रैंड के बढऩे के साथ ही फैशन डिजाइनरों ने ट्रैवल बैग्स में कई बदलाव किए हैं। ये कई रंगों और साइज में उपलब्ध हैं। ट्रैंडी ट्रैवल बैग्स खरीदते समय इस बात का ध्यान रखें इन्हें हमेशा क्लासिक रंगों और डिजाइन में खरीदना चाहिए ताकि आप इन्हें बाद में भी आसानी से इस्तेमाल में ला सकें। इस लिहाज से ब्ल्यू कलर कभी पुराना नहीं पड़ता तो आप ब्लैक, ग्रे, मैरून, रैड, ब्ल्यू जैसे रंगों वाला बैग ही खरीदें। आज चलो बाजार में हम ट्रैवल बैग की खरीददारी के संबंध में बता रहे हैं जो कम्फर्ट के साथ-साथ आपके फैशन स्टेटमेंट को भी बढ़ा देंगे।

ट्रैवल बैग

ट्रैवल बैग्स हर मामले में बैस्ट रहते हैं। दरअसल, एक तो यह उठाने में आसान हैं और दूसरा इन बैग्स में काफी सामान आ सकता है। इसके अलावा, इन बैग्स को मजबूती और स्टाइल का परफैक्ट कॉम्बीनेशन भी माना जाता है। इसकी क्लासिक और स्टेटमेंट लुक होने की वजह से आप जब इसे कैरी करेंगी तो यह आपका स्टाइल स्टेटमेंट बन जाएगा।

टूरिस्ट कैमरा बैग

अगर आप किसी छोटे ट्रिप पर या साइट सीन पर जा रहे हैं तो कैमरा साथ ले जाना मत भूल जाइएगा, क्योंकि आप जहां घूमने जा रहे हैं वहां की तस्वीरें अपने दोस्तों को भी तो दिखानी हैं। इसके लिए आप फैशनेबल टूरिस्ट कैमरा बैग यूज करें। इस बैग में आप कैमरा और हल्का-फुल्का सामान जैसे चार्जर, बैटरी, एक्स्ट्रा मेमोरी कार्ड, चाबी या टिकट रखने के लिए यूज कर सकते हैं। इसके बाहरी एरिया में लगा लेदर जहां आपको एक अलग लुक देता है, वहीं इससे क्लासी फैशन स्टेटमेंट भी मिलती है।

डॉक्टर्स बैग

डॉक्टर्स बैग को किसी समय कुछ खास प्रोफैशन वाले लोग ही इस्तेमाल में लाते थे क्योंकि इसका बेस काफी बड़ा होता है और इसमें कई चीजें बड़ी आसानी से आ सकती हैं यानी जरूरत पडऩे पर यह ट्रैवल बैग का रूप लेने में सक्षम है। धीरे-धीरे इस आरामदायक बैग में बदलाव आता गया और आज यह उन लड़कियों का पसंदीदा बन गया है, जो अपनी दुनिया बैग में रखकर चलना चाहती हैं। यह खूबसूरत दिखने के साथ ट्रैंडी भी दिखता है ।

मल्टी पॉकेट बैग

इसे डफल बैग-सूटकेस का बदला रूप  कहा जाता है। इसमें कई पॉकेट्स होते हैं, जिसमें आप छोटी-छोटी चीजें बड़ी आसानी से रख सकते हैं। हर पॉकेट में अलग तरह की चीज रखना इसे कंफर्टेबल बनाता है। इसकी क्लासिक और स्टेटमेंट लुक होने की वजह से आप जब इसे कैरी करेंगी तो यह आपकी पर्सनैलिटी में भी इकााफा करेगा।

टिप्स

  • सबसे पहले यह देख लें कि आप कितने दिनों के लिए बाहर जा रहे हैं उतना ही समान रखें, इससे ज्यादा सामान का भार नहीं होगा। ज्यादा कपड़े रखने से कुछ कपड़े बिना इस्तेमाल हुए ही वापस आएंगे।
  • ज्यादा कपड़े, भारी गहने, कई जोड़े सैंडिल आदि न लेकर चलें, बल्कि अपने सामान में मिक्स एंड मैच कपड़े और ज्यूलरी पैक कर लें। इससे आपको ढेर सारे कपड़ों की मैचिंग ज्यूलरी पैक नहीं करनी पड़ेगी।
  • जिस टूरिस्ट प्लेस पर जा रहे हैं वहां के मौसम के अनुसार ही पैकिंग करें। जैसे अगर किसी हिल स्टेशन पर जा रही हैं तो कुछ गर्म कपड़े जरूर रख लें और कंफर्टेबल शूज या फ्लैट चप्पल पैक करें। अगर समुद्र किनारे जा रहे हैं तो बीचवियर साथ रख लें। 
  • अपने बैग को हमेशा थोड़ा खाली रखें। जहां आप घूमने जाएंगे हो सकता है कि वहां आपको कुछ चीजें पसंद आ जाएं और उन्हें खरीदने का मन बने। ऐसे में आप उन्हें उसी बैग में एडजेस्ट कर सकते हैं।
  • अगर आप विदेश जा रहे हैं या साउथ इंडिया घूमने जा रहे हैं तो स्थानीय भाषा के कुछ शब्द जरूर सीख लें। जैसे अभिवादन, धन्यवाद, फिर मिलेंगे, आपका शुभ नाम, इसका मूल्य क्या है, इत्यादि।
  • मोबाइल और लैपटॉप का चार्जर साथ रखना न भूलें। आप कुछ इलेक्ट्रॉनिक्स का सामान भी साथ ले जा सकते हैं जिससे आपको सहूलियत हो जैसे इलैक्ट्रिक कैटल, टॉर्च।
  • अगर आप या परिवार के किसी सदस्य को कोई दवा रैगुलर लेनी पड़ती है तो उसे साथ रखना न भूलें। अगर ऐसा न हो तब भी उल्टी, दस्त, बुखार, कोल्ड, सिरदर्द की कुछ जरूरी दवाएं और बैंडेज रख लें ताकि आपको या किसी अन्य को समस्या हो जाने पर तुरंत उपचार किया जा सके। 
  • अपना पैनकार्ड या वोटर आईडी कार्ड रखना न भूलें। जहां तक संभव हो इसे अपने हैंड पर्स में ही रखें। देश से बाहर जा रहे हैं तो अपने पासपोर्ट के साथ भी ये जरूर रखें।

इमोशंस की भी मजबूत परत है "तलाश": रितेश सिधवानी

इमोशंस की भी मजबूत परत है "तलाश": रितेश सिधवानी


रितेश सिधवानी ने 2001 में अपने मित्र फरहान अख्तर के साथ "दिल चाहता है" से फिल्म व्यवसाय में शुरूआत की थी। इस फिल्म के लिए सिधवानी को उनका पहला राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था।  इस फिल्म में आमिर खान, सैफ अली खान और अक्षय खन्ना ने अभिनय किया था जबकि फरहान अख्तर ने इसका निर्देशन किया था। उन्हें "रॉक वन!" के लिए दूसरा राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। बाद में उन्होंने "डॉन-द चेज बिगिंस", "हनीमून ट्रेवल्स प्राइवेट लिमिटेड", "लक्ष्य" और "जिंदगी ना मिलेगी दोबारा" जैसी सफल फिल्मों का निर्माण किया है। "ज़िंदगी न मिलेगी दोबारा" को सर्वाधिक १३ नामांकन प्राप्त हुए और इसने सात श्रेणियों में बाज़ी मारी और सर्वाधिक पुरस्कार जितने वाली २०११ की फ़िल्म बन गई। 

30 नवंबर को रिलीज हो रही फिल्म "तलाश" में मुख्य भूमिका निभाने के अलावा आमिर इसके सह निर्माता भी हैं। फिल्म को आमिर खान प्रोडक्शंस और रितेश सिधवानी, फरहान अख्तर का प्रोडक्शन हाउस एक्सेल एंटरटेनमेंट मिलकर बना रहे हैं। 10 साल बाद आमिर के साथ दोबारा सिधवानी ने  "तलाश" में काम किया है। सिधवानी ने बताया कि जब उन्हें  "तलाश" की कहानी सुनाई गई थी, तब उनके दिमाग में एक ही नाम था आमिर खान। आमिर को फिल्म में लेने के लिए उन्होंने दो साल तक इंतजार भी किया है। आमिर फिल्म 'तलाश' में एक पुलिस ऑफिसर का किरदार निभा रहे हैं।

बतौर सिधवानी "तलाश" एक मिस्ट्री फिल्म जरूर है लेकिन इसमें भावनाओं की भी एक मजबूत परत है। किसी अपने से बिछुड़ने का दर्द आप इस फिल्म में बखूबी महसूस कर सकते हैं। इसमें आमिर खान, रानी मुखर्जी और करीना कपूर मुख्य भूमिकाओं में है। फ़िल्म का संगीत राम संपथ द्वारा किया गया है और जावेद अख्तर ने गानों को लिखा है।

फिल्म की प्रोमोशन के लिए सिधवानी, अभिनेता आमिर खान और निर्देशक रीमा काग्टी के साथ जालंधर आए हुए थे। इस दौरान उन्होंने पंजाब केसरी वेबसाइट के पाठकों के लिए एक विशेष इंटरव्यू दिया और उसमें पंजाब के साथ अपने लगाव और फिल्म निर्माण से जुड़ी कई बातों को सांझा किया।

फिल्म निर्माण की दुनिया में कदम रखने के बाद से रितेश ने कई नए निर्देशकों को प्रस्तुत किया है। वह कहते हैं, "नई प्रतिभाओं के साथ काम करना हमेशा फायदेमंद रहता है क्योंकि उनसे आपको बहुत कुछ सीखने को मिलता है। तलाश की  लेखक और निर्देशक रीमा काग्टी के काम से वह बहुत प्रभावित हैं और राइटर डायरेक्टर कॉम्बीनेशन उन्हें ज्यादा कारगर लगता है। उनके अनुसार जब फिल्म का राइटर ही फिल्म को डायरेक्ट कर रहा होता है, तो वह बेहतर तरीके से जानता है कि उसे किसी सीन को किस तरीके से फिल्माना है। उन्होंने कहा, "मैं अपने निर्देशकों को पूरी स्वतंत्रता देता हूं अच्छी टीम हो तो सही प्रतिभा हमेशा कामयाब होती है।"

सिधवानी का ससुराल कपूरथला में है और जालंधर में भी उनके कई रिश्तेदार रहते हैं, इसलिए वो पंजाब के साथ वह भावनात्मक तौर पर जुड़े हुए हैं। डॉन और जिंदगी न मिलेगी दोबारा की शूटिंग उन्होंने चंडीगढ़ में भी की। जालंधर और पंजाब के दूसरे जिलों में भी वह शूटिंग करने की उनकी बड़ी इच्छा है। उन्होंने बताया कि जब भी उन्हें कोई ऐसी स्क्रिप्ट मिलती है जिसमें पंजाब से जुड़ी कोई कहानी हो, तो वह यहां आकर शूटिंग करेंगे।

जिस मुकाम को पाने के लिए लोगों की पूरी जिंदगी लग जाती है, वह सिधवानी को बहुत यंग एज में ही पा लिया है। इस बारे में सिधवानी बताते हैं कि जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं तो खुद पर बहुत गर्व होता है। लेकिन जब आपकी पहचान बन जाती है तो लोगों की आपसे उम्मीदें भी बढ़ जाती हैं। इसलिए फिल्म बनाते समय हमेशा जिम्मेदार बने रहना पड़ता है।

सिधवानी ने इंडस्ट्री के लगभग सभी टॉप हीरोज के साथ काम किया है, उनके फेवरिट हीरो के बारे में पूछने पर पहले तो सिधवानी सोच में पड़ गए, फिर उन्होंने इतना ही कहा कि सब हीरोज के साथ काम करने का अलग ही मजा है। सबके साथ काम करके अच्छा लगा, शाहरुख, आमिर और ऋतिक के साथ तो वो दो-दो फिल्में कर चुके हैं।

- मीनाक्षी गांधी

सफलता का पर्याय हैं रीमा कागती

सफलता का पर्याय  हैं रीमा कागती 

 

शौक बन गया पैशन

1972 में असाम के एक छोटे से गांव में जन्मी रीमा कागती बॉलीवुड में सफलता का पर्याय बन चुकी हैं। वह लगभग अपने हर वेंचर में बेहद सफल रही हैं। कई सुपरहिट फिल्मों की पटकथा और स्क्रीनप्ले लिख चुकी हैं और कई सुपर स्टार्स क निर्देशन कर चुकी हैं। हिन्दी फिल्मों और विश्व सिनेमा से प्रभावित रीमा बचपन से ही दी फिल्मों की बेहद शौकीन रही हैं। दिल्ली में आरके पुरम के डीपीएस  स्कूल में पढ़ते हुए देखी दो हिंदी फिल्मों ने रीमा के इस शौक को उसका पैशन बना दिया। ये दो फिल्में थीं- मीरा नायर की फिल्म सलाम बॉम्बे और आमिर खान की कयामत से कयामत तक। यह काम के प्रति रीमा का पैशन ही था कि वो तीन फिल्मों में आमिर को डायरैक्ट कर चुकी हैं और मीरा नायर के साथ भी काम करने का सपना पूरा कर चुकी हैं।


8 साल की उम्र में ही बन गई लेखिका
रीमा बताती हैं कि लिखने का शौक उन्हें बचपन से ही था। कॉमिक्स पढ़ने की शौकीन रीमा ने आठ साल की उम्र में टिंकल कॉमिक्स के लिए पहली बार लिखा, जिसके एवज में उन्हें बतौर मेहनताना 15 रुपए मिले। रीमा बताती हैं, अपनी मेहनत और शौक के बदले 15 रुपेए मेरे लिए किसी खजाने से कम नहीं थे। इसके  बाद मैंने लिखना जारी रखा, मैं नाटक लिखती, जिसमें आस-पड़ोस के बच्चों को कास्ट करती और फिर उनकी टिकटें भी बेचती।

मेहनत को मिली परवाज़
रीमा के परिवार का संबंध फिल्म इंडस्ट्री से नहीं है। किसी समय उनके दादा ने एक फिल्म का कुछ भाग प्रॉड्यूस किया था, लेकिन रीमा के जन्म से पहले ही उनका देहांत हो चुका था, इसलिए वो कभी उन्हें मिल नहीं पाईं। शायद यही कारण था जब रीमा ने अपने पिता को बताया कि वो फिल्में बनाना चाहती हैं, तो वे गुस्सा हो गए। मेरे पिता खेती का काम करते थे। मेरा फिल्मों में काम करने का फैसला उन्हें पसंद नहीं आया, पर मेरा दृढ़ फैसला देखकर उन्होंने मुझे मुंबई जाने दिया। रीमा को इस बात पर गर्व है कि उनके पिता को कभी इस बात का अफसोस नहीं हुआ कि उन्होंने रीमा को मुंबई में अकेले संघर्ष करने जाने देने की परमिशन दी।  

ऐसे मिला पहला ब्रेक
रीमा ने सोशल कम्युनीकेशन मीडिया ज्वाइन किया। फिल्मों में काम करने का उनका फैसला इतना पक्का था कि उन्होंने टेलिविजन प्रॉडक्शन हाउस की बजाय फिल्ममेकर के पास इंटर्नशिप करने का फैसला किया। अपने किसी परिचित के माध्यम से वह रजत कपूर से मिलीं। वह रीमा को लेने के लिए सहमत तो हो गए, पर उन्होंने एक शर्त भी रख दी। वो शर्त यह थी कि रीमा एक महीने के लिए नहीं बल्कि एक पूरी फिल्म में उनके साथ काम करेंगी। इस तरह रीमा को फिल्म में पहला ब्रेक मिला। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। आशुतोष गोवारीकर की लगान ने इनकी जिंदगी का रुख मोड़ दिया।

रीमा-जोया बनाम सलीम-जावेद
रीमा और ज़ोया अख्तर दोनों में खूब दोस्ती है। दोनों ने मिलकर कई सफल फिल्मों की कहानी व स्क्रीनप्ले लिखा है और डॉक्यूमेट्री फिल्में भी बनाई हैं। ज़ोया और फरहान अख्तर के हर वेंचर में रीमा ने काम किया है। फिल्म की स्क्रिप्ट रीमा ने अपनी दोस्त जोया अख्तर के साथ मिल कर लिखी है। वे कहती हैं, 'हमने काम के लिए सिर नहीं खपाया हम अच्छे दोस्त हैं और हमने साथ काम करते हुए मजे किए। हम दो और कहानियों पर काम कर रहे हैं, अगले कुछ महीनों में उम्मीद है इसका कुछ नतीजा होगा।' ज़ोया और रीमा की सफल राइटर्स जोड़ी की तुलना लोग सलीम-जावेद से करते हैं, लेकिन अपार सफलता हासिल करने के बावजूद भी बेहद डाउन टू अर्थ रीमा ऐसा नहीं मानती, बतौर रीमा अभी तो कुछ ही सफल फिल्में हमने एकसाथ की हैं, 25 हिट फिल्में देने के बाद भी सलीम-जावेद जी से तुलना नहीं कर सकती। वे बहुत महान लेखक हैं।
सफलता की उड़ान
रीमा. हनी ईरानी (अरमान), फरहान अख्तर (दिल चाहता है, लक्ष्य), मीरा नायर (वैनेटी फेयर) और आशुतोष गोवारीकर (लगान) जैसे निर्देशकों को असिस्ट भी कर चुकी हैं। ‘तलाश’ से पहले रीमा ‘हनीमून ट्रैवल्स प्रा. लिमिटेड’ (2007) फिल्म का भी निर्देशन कर चुकी है। इसके अलावा तलाश, जिंदगी न मिलेगी दोबारा और हनीमूड ट्रैवल्स प्रा. लिमिटेड फिल्मों की वह लेखिका भी हैं। रॉक ऑन में उन्होंने अभिनय भी किया है।

तलाश से है उम्मीदें
30 नवंबर को थ्रिलर फ़िल्म  ‘तलाश’ रिलीज होने जा रही है, जिसे रीमा कागती द्वारा लिखा व निर्देशित किया गया है। इसमें मुख्य भूमिका आमिर खान, करिश्मा कपूर और रानी मुखर्जी निभा रही है।  आमिर की फिल्म 'लगान' और 'दिल चाहता है' में सहायक निर्देशक के रूप में काम कर चुकी रीमा के लिए आमिर के साथ काम करना मजेदार रहा। उन्होंने कहा, 'वे कठोर नहीं हैं। पहले भी दो फिल्मों में उनके साथ काम करते हुए मैं उनको देख चुकी हूं। ईमानदारी से कहूं तो मैं बिल्कुल भी चिंतित नहीं थी। उन्होंने हमेशा मेरे दृष्टिकोण को समझने की कोशिश की और मेरी मद्द की।' 


यह है दिली ख्वाहिश
रीमा की दिली ख्वाहिश है कि वह एक दिन मेगा स्टार अमिताभ बच्चन को डायरेक्ट करें। कागती ने बताया, 'जब मैं बच्ची थी तब मैं अमिताभ बच्चन को बेहद पंसद करती थी और उनके जैसा बनना चाहती थीं। मैं उनकी नकल किया करती। मैं उनकी तरह बीच से बाल बनाती थी और उनके फिल्मों के डायलॉग बोलने का प्रयास करती थी।' जब उन्हें असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर अमिताभ बच्चन के साथ काम करने का मौका मिला, उस समय वह काफी खुश थीं। रीमा ने बताया कि जब वह 'लक्ष्य' और 'अरमान' फिल्म में असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर काम कर रही थीं, तब उन्होंने उनके साथ काम किया था। लेकिन रीमा को उनसे बात करने का और उन्हें यह बताने का कभी समय नहीं मिला कि वह उनकी बहुत बड़ी फैन हैं।

पैसा कमाना नहीं है लक्ष्य
रीमा कहती हैं कि बॉक्स ऑफिस पर पैसे कमाना किसी फिल्म की सफलता का सही पैमाना नहीं है। सही पैमाना यह है कि कितने लोगों ने फिल्म को पसंद किया। निजी जीवन में भी उन्हें पैसे से ज्यादा खुशी काम करने से मिलती है। रीमा कहती हैं कि वह पैसा कमाने के लिए नहीं, बल्कि अपने पैशन के लिए काम करती हैं।

परिवार से जुड़ाव
रीमा की दो बहनें हैं। बड़ी बहन बंग्लौर में है जो टैक्सटाइल डिजाइनर है। दूसरी बहन जर्नलिस्ट है जो रीमा के ही साथ मुंबई में रहती है। पिता के देहांत के बाद ज्यादा वक्त इनकी मां मुंबई में अपनी बेटियों के साथ ही व्यतीत करती हैं। खाने और पकाने की शौकीन रीमा को पंजाबी खाना बहुत पसंद है। उन्हें फुर्सत के पलों में खेलना और पढ़ना अच्छा लगता है। गोवा रीमा का फेवरिट डेस्केटिनेशन है। यहां के खूबसूरत बीच पर समय बिताना रीमा को खुशी देता है।

भावुक मन उदास हो जाता है
उत्तर पूर्व के राज्यों के साथ हो रहे भेदभाव पर रीमा कागती भावुक हो जाती हैं। वहां आए दिन हो रही हिंसक घटनाओं, आगजनी और आतंकवाद से वह बेहद दुखी हैं और कहीं न कहीं सरकार को इसके लिए दोषी भी मानती हैं। आंखों में ढेरों सवाल लिए वह कहती है, युवाओं के हाथ में रोजगार नहीं है, लड़कियां भी हाथों में राइफल थामे हुए हैं। प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर इन राज्यों में क्या कभी सबकुछ ठीक हो पाएगा।
- मीनाक्षी गांधी