जब आंखों से रूठ जाए नींद
आजकल की आपाधापी के बीच अनिद्रा के रोगियों की संख्या भी बढ़ रही है। यही वजह है कि कुछ लोग पर्याप्त नींद लेने के लिएं नींद की गोलियों की शरण में चले जाते हैं लेकिन इन गोलियों का शरीर पर नकारात्मक प्रभाव भी देखने में आता है, इसलिए जरूरी हैं कुछ उपाय जिन्हें अपना कर आप स्लीपिंग डिसऑर्डर को दूर कर सकते हैं...
भाग-दौड़ से भरी जिंदगी में आराम के कुछ पल बड़ी मुश्किल से ही मिलते हैं, लेकिन अगर आराम के उन पलों में भी नींद आंखों से कोसों दूर रहे तो धीरे-धीरे सेहत खराब होने लगती है और कई तरह की बीमारियां दस्तक देने लग जाती हैं। स्लीपिंग डिसऑर्डर कामकाजी युवाओं और बुजुर्गों की एक बड़ी समस्या बन चुका है। इस समस्या से निपटना जरूरी है, ताकि ताजगी भरी हो नए दिन की शुरूआत।
दिन भर काम और तनाव के बाद यदि रात को चैन की नींद आ जाए तो थकावट और तनाव दूर हो जाते हैं और सुबह ताजगी भरी होती है लेकिन ऐसी नींद सब को नहीं आती। अनियमित दिनचर्या, एल्कोहल, सिगरेट और गलत आहार के कारण बहुत से लोग चैन की नींद की तलाश में हैं। अनिद्रा की एक वजह मस्तिष्क की एकाग्रता की कमी भी हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि नींद न आने का हल नींद की दवाओं में नहीं है।
दिन भर काम और तनाव के बाद यदि रात को चैन की नींद आ जाए तो थकावट और तनाव दूर हो जाते हैं और सुबह ताजगी भरी होती है लेकिन ऐसी नींद सब को नहीं आती। अनियमित दिनचर्या, एल्कोहल, सिगरेट और गलत आहार के कारण बहुत से लोग चैन की नींद की तलाश में हैं। अनिद्रा की एक वजह मस्तिष्क की एकाग्रता की कमी भी हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि नींद न आने का हल नींद की दवाओं में नहीं है।
नींद क्यों आती नहीं
एक स्वस्थ व्यक्ति को लेटने के बाद 10 से 15 मिनट के अंदर नींद आ जाती है। इसके लिए उसे प्रयास नहीं करना पड़ता। कई लोग रात भर करवट बदलते रहते हैं, जिसे एक तरह का साइकिएट्रिक डिसआर्डर माना जाता है। इन्सोम्निया और ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया दो बीमारियां हैं, जिनमें नींद हमसे कोसों दूर हो जाती है। दोनों ही स्थितियों का इलाज जल्द न होने पर परेशानियां हो सकती हैं।
इन्सोम्निया:
इन्सोम्निया:
नींद न आना, जबरदस्ती नींद का प्रयास करना, करवटें बदलते रहना या फिर घूम-घूम कर रात बिताने की मजबूरी इन्सोम्निया कहलाती है। विशेषज्ञ कहते हैं कि इन्सोम्निया कई कारण और परेशानियों की वजह होती है। शारीरिक श्रम की अपेक्षा मानसिक श्रम अधिक करने की स्थिति में भी नींद गायब हो जाती है, जबकि इन्सोम्निया के बाद काम में एकाग्रता की कमी, चिड़चिड़ापन, शरीर में ऊर्जा की कमी, थकान, आलस्य जैसी परेशानियां हो सकती हैं।
ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एप्निया:
ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एप्निया:
इस स्थिति में असामान्य दिनचर्या या काम के तनाव की वजह से नहीं, बल्कि सांस लेने में रुकावट की वजह से नींद बाधित होती है। कई बार स्लीप एप्निया के शिकार लोग खर्राटे लेकर भी सो जाते हैं, लेकिन इसे बेहतर नींद नहीं कहते। गले के टांसिल बढऩे, श्वास की नलियां संकुचित होने या साइनस में स्लीप एप्निया की शिकायत हो सकती है।
न लें नींद की गोली का सहारा
कुछ लोग पर्याप्त नींद लेने के चक्कर में नींद की गोलियों की शरण में चले जाते हैं, लेकिन हैल्थ एक्सपटर््स बताते हैं कि इसके लिए स्लीपिंग पिल्स का सहारा लेना ठीक नहीं है। यह आदत हैल्दी नहीं है। इन गोलियों का सेवन आपकी सेहत बिगाड़ सकता है। स्लीपिंग पिल्स के सेवन से कुछ समय के लिए तो आराम मिलता है, लेकिन धीरे-धीरे लोगों की इस पर निर्भरता बढऩे लगती है। अगर आपको नींद नहीं आती है, तो स्लीपिंग पिल्स लगातार लेने से उनकी लत लग जाती है और साथ ही कई तरह के नकारात्मक प्रभाव भी पड़ते हैं। नींद की गोलियां थोड़े समय के लिए आराम पहुंचाती हैं लेकिन जब इसे लेना बंद कर देते हैं, तो लोगों को ऐसा लगने लगता है कि बिना दवाई के उन्हें नींद नहीं आएगी।
यह विचार लोगों को नींद आने पर भी सोने नहीं देता। नींद की गोलियों का मस्तिष्क पर नकारात्मक असर पड़ता है, जिसके चलते इसे नारकोटिक्स दवाओं की श्रेणी में रखा जाता है। नियमानुसार स्लीपिंग पिल्स ओ.टी.सी. (ओवर द काऊंटर) या सीधे दवा विक्रेता से नहीं मिलतीं। नींद की दवाएं मस्तिष्क के न्यूरोन्स को निष्क्रिय कर, सुस्त कर देती हैं। लंबे समय तक स्लीपिंग पिल्स का प्रयोग मस्तिष्क की क्रियाशीलता को कम करके, याद्दाशत कमजोर कर सकता है। दवाओं के नकारात्मक असर के कारण मुंह सूखना और भूख कम लगना आदि समस्याएं होती हैं। अस्थमा, दिल के मरीज या फिर दर्द के कारण अनिद्रा से जूझ रहे व्यक्ति को ये दवाएं डॉक्टर के परामर्श से ही दी जाती हैं। टॉक्सिक होने के कारण इसका इस्तेमाल रक्तचाप को भी अनियंत्रित करता है।
यह विचार लोगों को नींद आने पर भी सोने नहीं देता। नींद की गोलियों का मस्तिष्क पर नकारात्मक असर पड़ता है, जिसके चलते इसे नारकोटिक्स दवाओं की श्रेणी में रखा जाता है। नियमानुसार स्लीपिंग पिल्स ओ.टी.सी. (ओवर द काऊंटर) या सीधे दवा विक्रेता से नहीं मिलतीं। नींद की दवाएं मस्तिष्क के न्यूरोन्स को निष्क्रिय कर, सुस्त कर देती हैं। लंबे समय तक स्लीपिंग पिल्स का प्रयोग मस्तिष्क की क्रियाशीलता को कम करके, याद्दाशत कमजोर कर सकता है। दवाओं के नकारात्मक असर के कारण मुंह सूखना और भूख कम लगना आदि समस्याएं होती हैं। अस्थमा, दिल के मरीज या फिर दर्द के कारण अनिद्रा से जूझ रहे व्यक्ति को ये दवाएं डॉक्टर के परामर्श से ही दी जाती हैं। टॉक्सिक होने के कारण इसका इस्तेमाल रक्तचाप को भी अनियंत्रित करता है।
अपनाएं ये उपाय
यदि आपको भी नींद नहीं आती, तो नींद की गोली लेने से बेहतर है कि आप अपनी दिनचर्या की कुछ बातों पर ध्यान देकर इस समस्या को कुदरती तरीके से दूर करने की कोशिश करें।
नियमित हो दिनचर्या:
नियमित दिनचर्या रखें। सोने और जागने का समय निर्धारित करें। उसी समय पर जागें और सोएं। प्रतिदिन व्यायाम करें, इससे आपको अच्छी नींद आएगी। डिनर के बाद थोड़ा टहलें।नियमित हो दिनचर्या:
ढीले-ढाले हों कपड़े:
सोते समय सूती, ढीले-ढाले आरामदेह कपड़े पहनें। पसंदीदा गाने सुनें या आपको पढऩा अच्छा लगता है, तो कोई मैगजीन पढ़ें।
नहा कर सोएं: नहा कर सोएं, इससे अच्छी नींद आती है। सोने से पहले गुनगुने पानी में पैरों की सिंकाई करने से बेहतर नींद आ सकती है।
आरामदेह हो बिस्तर:
इस बात का भी ध्यान रखें कि जहां आप सो रहे हों, वह कमरा शांत, शोरगुल से दूर हो। बिस्तर को सिर्फ सोने के लिए इस्तेमाल करें। उस पर अन्य सामान बिखरा कर न रखें। न ही बिस्तर पर बैठ कर खाना खाएं। बिस्तर पर हल्के रंग की चादरों का इस्तेमाल करें और साफ-सफाई का ध्यान रखें।
रोशनी रखें कम:
शाम के समय तेज रोशनी में रहने से भी नींद दूर भागती है। दरअसल, कम रोशनी में मेलाटोनिन नामक हार्मोन का स्राव होता है, जो नींद लाने के लिए जिम्मेदार है। इसलिए रात को ज्यादा देर तक टी.वी. न देखें। कमरे की लाइट बंद कर दें, इससे भी आपको गहरी नींद आएगी।
चुनें सही तकिया:
अच्छी नींद और उपयुक्त तकिए के संबंध को नकारा नहीं जा सकता। अगर आप पेट के बल सोते हैं, तो नर्म-मुलायम तकिए का इस्तेमाल करें। एक तरफ करवट के बल सोते हैं, तो मीडियम-सॉफ्ट तकिया चुनें। अगर आप पीठ के बल सोते हैं, तो तकिया थोड़ा कड़ा होना चाहिए।
सही खान-पान अपनाएं :
सोने से पहले ज्यादा भारी भोजन न खाएं। ज्यादा खाने से शरीर का तापमान बढ़ता है, जिससे नींद दूर रहती है। कुछ लोग खाने के बाद कॉफी या चाय पीना पसंद करते हैं। इस आदत से बचें, क्योंकि कॉफी और चाय में मौजूद कैफीन नींद को भगा देती है। सोने से पहले एक गिलास गुनगुने दूध में शहद डाल कर पीएं। मेथी का पाऊडर गर्म पानी में डाल कर पीएं या इसे लस्सी या छाछ में भी मिला सकते हैं।
सप्लीमैंट्स लें:
कैल्शियम और मैग्नीशियम का उचित मात्रा में सेवन नींद की समस्या को दूर करता है। मैग्नीशियम को नींद लाने वाला कुदरती मिनरल माना जाता है। यह मांसपेशियों और दिमाग के तनाव को कम करता है। कैल्शियम की कमी से भी नींद की समस्या उपजती है। इसलिए डाइट में ऐसे खाद्य पदार्थ शामिल करें जिनमें कैल्शियम और मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में हों। मसलन दूध, ओट्स और अंजीर इत्यादि का सेवन अच्छा रहेगा।
मंत्रोच्चारण करें:
सोते समय दिमाग न भटके इसके लिए मंत्रोच्चारण कर सकते हैं। बिस्तर पर जाने के 15 मिनट तक नींद न आए तो तुरंत बिस्तर छोड़ दें और खुद को कुछ देर के लिए अन्य कामों में व्यस्त रखें। जबरन सोने की कोशिश न करें।
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