Thursday, January 16, 2014

ऐसे पाएं धन के लिए लक्ष्मीजी की कृपा

ऐसे पाएं धन के लिए लक्ष्मीजी की कृपा ...


शुक्रवार मां लक्ष्मी का प्रिय दिन माना गया है। इस दिन धन, ऐश्वर्य, भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए मां की पूजा और उपाय दोहरा लाभ दिलाते हैं। देवी लक्ष्मी जी को धन-सम्पत्ति की अधिष्ठात्री देवी के रूप में पूजा जाता है। सुख, समृद्घि और शांति की मंगल कामना के लिए वैभव की देवी माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। मां लक्ष्मी जिस पर भी अपनी कृपा दृष्टि डालतीं हैं वह दरिद्र, दुर्बल, कृपण, के रूपों से मुक्त हो जाता है। आप भी मां लक्ष्मी की कृपा पा सकते हैं। मां को प्रसन्न करना बहुत आसान है, आपकी भावना सच्ची होनी चाहिए।

लक्ष्मी जी की पूजा घर-घर होती है लेकिन मां हर घर में विराजमान नहीं होतीं, इसका कारण यह भी है कि कई हम अज्ञानतावश उन्हें नाराज कर देते हैं, उनकी पूजा अर्चना  विधि-विधान से नहीं करते हैं। इसलिए यह सुनिश्चित करें कि इनकी पूजा में कोई गलती न करें। जिस कक्ष में पूजा स्थल बनाएं, वहां ताजा हवा व रोशनी का पर्याप्त प्रबंध होना चाहिए। पूजन कक्ष में चमडे़ का सामान, जूते-चप्पल आदि न ले जाएं। प्रतिदिन सच्चे ह्रदय से लक्ष्मी पूजा करने से कोई भी इन्हें अपने पास स्थायी रूप से रख सकता है। जिस घर में प्रतिदिन श्रीसूक्त का पाठ होता है, वहां लक्ष्मी अवश्य निवास करती हैं।

धन के लिए आप तमाम उपाय आजमाने पर भी यदि कोई फायदा ना हो रहा हो तो अपने घर के नलों व टूटियों की जांच कर लें। किसी भी नल से पानी बहना या टपकना नहीं चाहिए। इससे लक्ष्मी जी रूठ जाती हैं। अगर आप चाहते हैं कि आपके घर पर मां लक्ष्मी की दया हमेशा बनी रहे, तो तुरंत अपने घर के सभी नल ठीक करवा लें।

महाभारत में लिखित है कि आलस और परिश्रम न करने वाले से महालक्ष्मी रूष्ट हो जाती हैं। इसलिए आलस का त्याग करें और मेहनत से काम करें, लक्ष्मी मैय्या आप पर हमेशा प्रसन्न रहेंगी तथा धन की वृद्धि होगी।

जहां भी स्वच्छता एवं सुव्यवस्था के गुण होंगे, वहां दरिद्रता का कोई स्थान नहीं होता, लेकिन यदि आसपास का वातावरण साफ सुथरा नहीं हो तो लक्ष्मी मां अपने पीछे दरिद्रता छोड़ व्यक्ति के जीवन से सदैव के लिए विदा ले लेती हैं। इसलिए लक्ष्मी जी की असीम कृपा पाने के लिए साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें। घर से अवांछित सामान, पुराने कपड़े, जूते, डिब्बे आदि तुरंत हटा दें। ये सामान नकारात्मक ऊर्जा के स्त्रोत होते हैं।

जिस घर में स्नेह, वात्सल्य, आत्मीयता और शांति का वास होता है वहीं लक्ष्मी जी का वास होता है। इसलिए अपने परिवार के सदस्यों के साथ प्रेम पूर्वक संबंध बना कर रखें और उन्हें पूरा सम्मान दें। अगर आप लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो सबसे पहले घर की महिलाओं का आदर-मान करना सीखें।

जहां शंखध्वनि नहीं होती, तुलसी का निवास नहीं रहता, शंकरजी की पूजा नहीं होती, वहां लक्ष्मी नहीं रहतीं। जिस स्थान पर शंखध्वनि होती है, तुलसी का निवास रहता है व इनकी सेवा, वंदना होती है, वहां लक्ष्मी सदा विद्यमान रहती हैं। पूजन के दौरान शंख व घंटनाद न सिर्फ देवों को प्रिय है, इससे वातावरण भी शुद्घ होता है। यह वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित हो चुका है कि शंख की ध्वनि से बैक्टीरिया नष्ट होते हैं।

जो व्यक्ति भगवान विष्णु की उपासना नहीं करता तथा एकादशी और जन्माष्टमी के दिन अन्न खाता है, उसके घर से भी लक्ष्मी चली जाती हैं। जहां भगवान श्रीहरि के गुणों का कीर्तन होता है, वहीं पर सम्पूर्ण मंगलों को भी मंगल प्रदान करने वाली भगवती लक्ष्मी निवास करती है।

दीपावली के दिन पीपल का एक अखंडित पत्ता प्रार्थना करके वृक्ष से तोड़ लाएं और इसे पूजाघर में रख दें। फिर प्रत्येक शनिवार को नया पत्ता तोड़कर पूजाघर में रखें और पुराने पत्ते को पेड़ के नीचे रख आएं। इससे घर में लक्ष्मी का स्थायी वास होगा और मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी।

Tuesday, January 7, 2014

मोदक का भोग लगाने वाले की मनोकामना पूरी करते हैं भगवान गणपति

शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान गणेश को प्रसन्न करने का सबसे आसान तरीका है मोदक का भोग। चित्रों में उनके साथ उनका वाहन चूहा और उनका प्रिय भोजन मोदक जरूर होता है। हिन्दू धर्मशास्त्रों के मुताबिक कलियुग में भगवान गणेश के धूम्रकेतु रूप की पूजा की जाती है। जिनकी दो भुजाएं हैं। किंतु मनोकामना सिद्धि के लिये बड़ी आस्था से भगवान गणेश का चार भुजाधारी स्वरूप पूजनीय है, जिनमें से एक हाथ में अंकुश, दूसरे हाथ में पाश, तीसरे हाथ में मोदक व चौथे में आशीर्वाद है।

पद्म पुराण के सृष्टि खंड में गणेश जी को मोदक प्रिय होने की जो कथा मिलती है उसके अनुसार मोदक का निर्माण अमृत से हुआ है। देवताओं ने एक दिव्य मोदक माता पार्वती को दिया। गणेश जी ने मोदक के गुणों का वर्णन माता पार्वती से सुना तो मोदक खाने की इच्छा बढ़ गयी।

अपनी चतुराई से गणेश जी ने माता से मोदक प्राप्त कर लिया। गणेश जी को मोदक इतना पसंद आया कि उस दिन से गणेश मोदक प्रिय बन गये। गणपत्यथर्वशीर्ष में लिखा है, "यो मोदकसहस्त्रेण यजति स वांछितफलमवाप्नोति।" इसका अर्थ है जो व्यक्ति गणेश जी को मोदक अर्पित करके प्रसन्न करता है उसे गणपति मनोवांछित फल प्रदान करते हैं।

गणेश जी का एक दांत परशुराम जी से युद्ध में टूट गया था। इससे अन्य चीजों को खाने में गणेश जी को तकलीफ होती है, क्योंकि उन्हें चबाना पड़ता है। मोदक काफी मुलायम होता है जिससे इसे चबाना नहीं पड़ता है। यह मुंह में जाते ही घुल जाता है और इसका मीठा स्वाद मन को आनंदित कर देता है। गणपति अथर्वशीर्ष में लिखा है कि जो व्यक्ति गणेश जी को मोदक का भोग लगाता है गणपति उनका मंगल करते हैं। मोदक का भोग लगाने वाले की मनोकामना पूरी होती है।

भगवान गणेश को मोदक इसलिए भी पसंद हो सकता है कि मोदक प्रसन्नता प्रदान करने वाला मिष्टान है। मोदक के शब्दों पर गौर करें तो 'मोद' का अर्थ होता है हर्ष यानी खुशी। भगवान गणेश को शास्त्रों में मंगलकारी एवं सदैव प्रसन्न रहने वाला देवता कहा गया है। वह कभी किसी चिंता में नहीं पड़ते और भक्तों की सभी चिंताओं और बाधाओं को दूर करते हैं। इसका कारण संभवतः मोदक है क्योंकि यह गणेश जी को हमेशा प्रसन्न रखता है। मोदक के इसी गुण के कारण गणेश जी सभी मिष्टानों में मोदक को अधिक पसंद करते हैं।

यजुर्वेद के अनुसार गणेश जी परब्रह्म स्वरूप हैं। मोदक को गौर से देखेंगे तो उसका आकार ब्रह्मांड के समान है। गणेश जी के हाथों में मोदक का होना यह भी दर्शाता है कि गणेश जी ने ब्रह्मांड को धारण कर रखा है। सृष्टि के समय गणेश जी ब्रह्मांड को प्रलय रूपी मुख में रखा लेते हैं और सृष्टि के आरंभ में इसकी रचना करते हैं।

इन उपायों से करें विघ्नहर्ता गणेश जी को प्रसन्न

इन उपायों से करें विघ्नहर्ता गणेश जी को प्रसन्न



“वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटी समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।”

अर्थात हे भव्य शरीर, वक्र सूंड, दश लक्ष सूर्यों की चमक वाले गणेशजी, मेरे सारे कर्मों को विघ्नों से हमेशा मुक्त करते रहना।

गणेश जी विघ्नहर्ता हैं। कहा जाता है कि जिस पर गणेश जी की कृपा हो जाए उसके जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। गणेश जी अपने भक्तों की श्रद्धा और भक्ति देखते हैं। जो भक्त इनके प्रति जितनी श्रद्धा रखता है गणेश जी उस पर उतने ही कृपालु बने रहते हैं। गणेशजी की साधना शीघ्र फलदायी है। गणेश जी जितनी जल्दी अपने भक्तों से गुस्सा होते हैं उतनी ही जल्दी मान भी जाते हैं। शास्त्रों में कुछ आसान उपाय बताए गए हैं जिनसे आप गणेश जी को जल्दी खुश कर सकते हैं।

  दूर्वा अर्पित करें

गणेश जी को खुश करने का सबसे सस्ता और आसान उपाय है दूर्वा से गणेश जी की पूजा करना। उनको प्रिय दूर्वा के चढ़ाने की पूजा शीघ्र फलदायी और सरलतम है। हर दिन सुबह स्नान पूजा करके गणेश जी को पांच दूर्वा यानी हरी घास अर्पित करें।  दुर्वा गणेश जी के मस्तक पर रखना चाहिए। चरणों में दुर्वा नहीं रखें।दुर्वा अर्पित करते हुए मंत्र बोलें 'इदं दुर्वादलं ऊं गं गणपतये नमः'। दूर्वा गणेश जी को इसलिए प्रिय है क्योंकि दूर्वा में अमृत मौजूद होता है। गणपति अथर्वशीर्ष में कहा गया गया है कि जो व्यक्ति गणेश जी की पूजा दुर्वांकुर से करता है वह कुबेर के समान हो जाता है। दुर्वा अर्पण करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है, आर्थिक उन्नति होती है और संतान का सुख मिलता है।

  मोदक का भोग लगाएं

शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए दूसरा सबसे आसान तरीका है मोदक का भोग। पद्म पुराण में गणेश जी को मोदक प्रिय होने की जो कथा मिलती है उसके अनुसार  देवताओं ने एक दिव्य मोदक माता पार्वती को दिया। गणेश जी ने मोदक के गुणों का वर्णन माता पार्वती से सुना तो मोदक खाने की इच्छा बढ़ गयी। अपनी चतुराई से गणेश जी ने माता से मोदक प्राप्त कर लिया। गणेश जी को मोदक इतना पसंद आया कि उस दिन से गणेश मोदक प्रिय बन गये। गणपत्यथर्वशीर्ष में लिखा है, "यो मोदकसहस्त्रेण यजति स वांछितफलमवाप्नोति।" इसका अर्थ है जो व्यक्ति गणेश जी को मोदक अर्पित करके प्रसन्न करता है उसे गणपति मनोवांछित फल प्रदान करते हैं।

  सिंदूर चढ़ाएं

सिंदूर की लाली गणेश जी को बहुत पसंद है। गणेश जी की प्रसन्नता के लिए लाल सिंदूर का तिलक लगाएं। गणेश जी को तिलक लगाने के बाद अपने माथे पर सिंदूर का तिलक लगाएं। इससे गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है। सिंदूर अर्पण करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।इससे आर्थिक क्षेत्र में आने वाली परेशानी और विघ्न से गणेश जी रक्षा करते हैं। गणेश जी को सिंदूर चढ़ाते समय मंत्र बोलें, 'सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्। शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम्॥ ओम गं गणपतये नमः'।

  घी से पूजा करें

पंचामृत में एक अमृत घी होता है। घी को पुष्टिवर्धक और रोगनाशक कहा जाता है। भगवान गणेश को घी काफी पसंद है। गणपति अथर्वशीर्ष में घी से गणेश की पूजा का बड़ा महात्म्य बताया गया है। जो व्यक्ति गणेश जी की पूजा घी से करता है उसकी बुद्धि प्रखर होती है। घी से गणेश की पूजा करने वाला व्यक्ति अपनी योग्यता और ज्ञान से संसार में सब कुछ हासिल कर लेता है। 

  शमी के पत्ते अर्पित करें

शमी का पौधा गणेश जी को अत्यंत प्रिय है। शमी के कुछ पत्ते नियमित गणेश जी को अर्पित करें तो घर में धन एवं सुख की वृद्घि होती है। माना जाता है कि भगवान श्री राम ने भी रावण पर विजय पाने के लिए शमी की पूजा की थी।

  पवित्र चावल का भोग लगाएं

भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए पवित्र चावल अर्पित करें। पवित्र चावल उसे कहा जाता है जो टूटा हुआ नहीं हो। पूजा में उबले हुए धान से तैयार चावल का प्रयोग नहीं करें। सूखा चावल गणेश जी को नहीं चढ़ाएं। चावल को गीला करें फिर, 'इदं अक्षतम् ऊं गं गणपतये नमः' मंत्र बोलते हुए तीन बार गणेश जी को चावल चढ़ाएं।

Monday, January 6, 2014

मंगलवार को करें ये काम, हनुमान जी चमका देंगे आपकी किस्मत

मंगलवार को करें ये काम, हनुमान जी चमका देंगे आपकी किस्मत

हनुमान जी को भगवान शिव का ग्यारहवां अवतार माना जाता है। इस अवतार में वे मां अंजनी के गर्भ से वायु देव के पुत्र के रूप में अवतरित हुए। हनुमान जी चारों युग में अजर अमर रहने वाले देवता हैं। हनुमान जी को कलयुग का जीवंत देवता माना गया है। धर्म ग्रंथों के अनुसार हनुमान जी एकमात्र ऐसे देवता हैं जो सशरीर इस पृथ्वी पर विचरण करते हैं और अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं। हनुमान जी को संकट मोचन कहा गया है। हनुमान जी का नाम स्मरण करने मात्र से ही भक्तो के सारे संकट दूर हो जाते हैं।

ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी का जन्म मंगलवार को हुआ। अत: मंगलवार के दिन उनकी पूजा का विशेष महत्व है। इसके अतिरिक्त शनिवार को भी हनुमान पूजा का विधान है। हनुमान जी को प्रसन्न करना बहुत सरल है। राह चलते उनका नाम स्मरण करने मात्र से ही सारे संकट दूर हो जाते हैं। मानव जीवन का सबसे बड़ा दुख ''भय'' है और जो साधक श्री हनुमान जी का नाम स्मरण कर लेता है वह भय से मुक्ति प्राप्त कर लेता है। हनुमान जी की उपासना से बुद्धि, यश, शौर्य, साहस और आरोग्यता में वृद्धि होती है।

हनुमान जी की कृपा पाने और सभी परेशानियों से छुटकारा पाने का एक अचूक उपाय है हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ। प्रतिदिन हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करने वाले भक्तों को सभी सुख मिलते हैं और धन की प्राप्ति होती है। ऐसे लोगों को किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होती और उनकी किस्मत का सितारा चमक जाता है।

अगर शांति चाहिए तो सुंदरकांड पढ़िए। सुंदरकांड श्रीरामचरितमानस का चौथा अध्याय है। यह श्रीरामचरितमानस का सबसे अधिक पढ़ा जाने वाला भाग है क्योंकि इसमें हनुमान जी के बल, बुद्धि, पराक्रम व शौर्य का वर्णन किया गया है। सुंदरकांड के पढऩे व सुनने से मन में एक अद्भुत ऊर्जा का संचार होता है। सुंदरकांड के हर दोहा, चौपाई व शब्द में गहन अध्यात्म छुपा है, जिससे मनुष्य जीवन की हर समस्या का सामना कर सकता है। सुंदरकांड के पाठ से बहुत ही जल्द हनुमान जी प्रसन्न हो जाएंगे और आपको मालामाल कर देंगे।

जिस प्रकार विवाहित स्त्रियां अपने पति या स्वामी की लंबी उम्र के लिए मांग में सिंदूर लगाती हैं, ठीक उसी प्रकार हनुमानजी भी अपने स्वामी श्रीराम के लिए पूरे शरीर पर सिंदूर लगाते हैं। इसलिए मंगलवार को हनुमान जी के मंदिर में जाकर उन्हें सिंदूर व चमेली का तेल अर्पित करें और अपनी मनोकामना कहें।  जो भी व्यक्ति हनुमानजी को सिंदूर अर्पित करता है उससे हनुमान जी प्रसन्न होते हैं और भक्त की सभी इच्छाएं पूरी करते हैं।

अपनी श्रद्धा के अनुसार हनुमान मंदिर में बजरंग बली की प्रतिमा पर चोला चढ़वाएं। ऐसा करने पर हनुमान जी अति प्रसन्न होते हैं और साधक की हर मनोकामना पूरी करते हैं।

राम  हनुमान जी के आदर्श देवता हैं। हनुमानजी जहां राम के अनन्यभक्त हैं, वहां रामभक्तों की सेवा में भी सदैव तत्पर रहते हैं। जहां-जहां श्रीराम का नाम पूरी श्रद्धा से लिया जाता है हनुमान जी वहां किसी ना किसी रूप में अवश्य प्रकट होते हैं। ऐसी कई कथाएं हैं जहां हनुमान जी ने श्रीराम के भक्तों का पूर्ण कल्याण किया है।

Wednesday, January 1, 2014

समृद्धि और सौभाग्य के लिए गुरुवार को इस मंत्र से करें गुरु पूजा

देवगुरु बृहस्पति की उपासना ज्ञान, बुद्धि, सौभाग्य, दाम्पत्य सुख देने वाली ही मानी गई है। गुरु बृहस्पति की उपासना के लिए गुरुवार का दिन बहुत ही शुभ होता है। ज्योतिष शास्त्रों के मुताबिक भी गुरु ग्रह शुभ ग्रह होता है। इसके अच्छे प्रभाव से व्यक्ति वैवाहिक सुख, धनलाभ और संतान सुख पाता है। देवगुरु बृहस्पति के ‍तंत्रोक्त मंत्र ना सिर्फ धन और वैभव की दृष्टि से चमत्कारी है बल्कि तुरंत असर करने वाले हैं। आप किसी भी एक गुरु मंत्र का गुरुवार के दिन जप कर सकते हैं। इन चमत्कारी पांचों मंत्रों की जप संख्या 19 हजार है।

ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:।
 
ॐ ऐं श्रीं बृहस्पतये नम:।

ॐ गुं गुरवे नम:।

ॐ बृं बृहस्पतये नम:।

ॐ क्लीं बृहस्पतये नम:।


गुरु मंत्र का यथाशक्ति स्मरण करें -
पीताम्बर: पीतवपु: किरीटी चतुर्भुजो देवगुरु प्रशान्त:।
यथाक्षसूत्रं च कमण्डलुञ्च दण्ड च विभ्रद्वरदोस्तु।।


गुरू, पुरोहित और शिक्षक में बृहस्पति जी का प्रतिरूप होता है। सच्चे मन से इनकी  सेवा करने से बृहस्पति के अशुभ प्रभावों में कमी आती है। पिता, दादा और गुरु का आदर करने से गुरु अपना शुभ प्रभाव स्वयं ही देने लगते हैं। जिन व्यक्तियों पर बृहस्पतिदेव की कृपा एवं प्रभाव होता है, वे  धार्मिक, आस्थावान, दर्शनिक, विज्ञान में रूचि रखने वाले, सत्यनिष्ठ, परोपकारी, कर्तव्यपरायण, संतुष्ट एवं कानून का पालन करने वाले होते हैं। अगर आप भी समृद्धि और सौभाग्य की कामना करते हैं तो इस प्रकार गुरु उपासना करें -
  • सुबह नहाकर नवग्रह मंदिर में गुरु बृहस्पति की प्रतिमा को यथासंभव केसर के दूध या गंगाजल से स्नान कराएं।
  • देवगुरु की केसरिया गंध, अक्षत, पीली पूजा सामग्री, जिनमें पीले फूल, पीला वस्त्र, नैवेद्य में पीले पकवान शामिल हों, अर्पित करें।
  • पूजा व मंत्र जप के बाद पीली वस्तुओं जैसे चने की दाल का दान करें। सक्षम होने पर सोने की वस्तु का भी दान कर सकते हैं।
  • केला और पीले रंग की मिठाईयां गरीबों, पक्षियों विशेषकर कौओं को खिलाएं।
  • केले के पौधे पर गौघृत का दीपक जलाएं।
  • धूप व घी के दीप से गुरु बृहस्पति की आरती कर मनोवांछित इच्छाओं को पूरा करने की कामना करें।
  • सफेद चन्दन और केसर मिलाकर मस्तक पर टीका लगाएं।
  •  बृहस्पतिवार को व्रत रखने से बृहस्पति देव की अनुकम्पा बनी रहती है।