Tuesday, January 7, 2014

इन उपायों से करें विघ्नहर्ता गणेश जी को प्रसन्न

इन उपायों से करें विघ्नहर्ता गणेश जी को प्रसन्न



“वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटी समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।”

अर्थात हे भव्य शरीर, वक्र सूंड, दश लक्ष सूर्यों की चमक वाले गणेशजी, मेरे सारे कर्मों को विघ्नों से हमेशा मुक्त करते रहना।

गणेश जी विघ्नहर्ता हैं। कहा जाता है कि जिस पर गणेश जी की कृपा हो जाए उसके जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। गणेश जी अपने भक्तों की श्रद्धा और भक्ति देखते हैं। जो भक्त इनके प्रति जितनी श्रद्धा रखता है गणेश जी उस पर उतने ही कृपालु बने रहते हैं। गणेशजी की साधना शीघ्र फलदायी है। गणेश जी जितनी जल्दी अपने भक्तों से गुस्सा होते हैं उतनी ही जल्दी मान भी जाते हैं। शास्त्रों में कुछ आसान उपाय बताए गए हैं जिनसे आप गणेश जी को जल्दी खुश कर सकते हैं।

  दूर्वा अर्पित करें

गणेश जी को खुश करने का सबसे सस्ता और आसान उपाय है दूर्वा से गणेश जी की पूजा करना। उनको प्रिय दूर्वा के चढ़ाने की पूजा शीघ्र फलदायी और सरलतम है। हर दिन सुबह स्नान पूजा करके गणेश जी को पांच दूर्वा यानी हरी घास अर्पित करें।  दुर्वा गणेश जी के मस्तक पर रखना चाहिए। चरणों में दुर्वा नहीं रखें।दुर्वा अर्पित करते हुए मंत्र बोलें 'इदं दुर्वादलं ऊं गं गणपतये नमः'। दूर्वा गणेश जी को इसलिए प्रिय है क्योंकि दूर्वा में अमृत मौजूद होता है। गणपति अथर्वशीर्ष में कहा गया गया है कि जो व्यक्ति गणेश जी की पूजा दुर्वांकुर से करता है वह कुबेर के समान हो जाता है। दुर्वा अर्पण करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है, आर्थिक उन्नति होती है और संतान का सुख मिलता है।

  मोदक का भोग लगाएं

शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए दूसरा सबसे आसान तरीका है मोदक का भोग। पद्म पुराण में गणेश जी को मोदक प्रिय होने की जो कथा मिलती है उसके अनुसार  देवताओं ने एक दिव्य मोदक माता पार्वती को दिया। गणेश जी ने मोदक के गुणों का वर्णन माता पार्वती से सुना तो मोदक खाने की इच्छा बढ़ गयी। अपनी चतुराई से गणेश जी ने माता से मोदक प्राप्त कर लिया। गणेश जी को मोदक इतना पसंद आया कि उस दिन से गणेश मोदक प्रिय बन गये। गणपत्यथर्वशीर्ष में लिखा है, "यो मोदकसहस्त्रेण यजति स वांछितफलमवाप्नोति।" इसका अर्थ है जो व्यक्ति गणेश जी को मोदक अर्पित करके प्रसन्न करता है उसे गणपति मनोवांछित फल प्रदान करते हैं।

  सिंदूर चढ़ाएं

सिंदूर की लाली गणेश जी को बहुत पसंद है। गणेश जी की प्रसन्नता के लिए लाल सिंदूर का तिलक लगाएं। गणेश जी को तिलक लगाने के बाद अपने माथे पर सिंदूर का तिलक लगाएं। इससे गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है। सिंदूर अर्पण करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।इससे आर्थिक क्षेत्र में आने वाली परेशानी और विघ्न से गणेश जी रक्षा करते हैं। गणेश जी को सिंदूर चढ़ाते समय मंत्र बोलें, 'सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्। शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम्॥ ओम गं गणपतये नमः'।

  घी से पूजा करें

पंचामृत में एक अमृत घी होता है। घी को पुष्टिवर्धक और रोगनाशक कहा जाता है। भगवान गणेश को घी काफी पसंद है। गणपति अथर्वशीर्ष में घी से गणेश की पूजा का बड़ा महात्म्य बताया गया है। जो व्यक्ति गणेश जी की पूजा घी से करता है उसकी बुद्धि प्रखर होती है। घी से गणेश की पूजा करने वाला व्यक्ति अपनी योग्यता और ज्ञान से संसार में सब कुछ हासिल कर लेता है। 

  शमी के पत्ते अर्पित करें

शमी का पौधा गणेश जी को अत्यंत प्रिय है। शमी के कुछ पत्ते नियमित गणेश जी को अर्पित करें तो घर में धन एवं सुख की वृद्घि होती है। माना जाता है कि भगवान श्री राम ने भी रावण पर विजय पाने के लिए शमी की पूजा की थी।

  पवित्र चावल का भोग लगाएं

भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए पवित्र चावल अर्पित करें। पवित्र चावल उसे कहा जाता है जो टूटा हुआ नहीं हो। पूजा में उबले हुए धान से तैयार चावल का प्रयोग नहीं करें। सूखा चावल गणेश जी को नहीं चढ़ाएं। चावल को गीला करें फिर, 'इदं अक्षतम् ऊं गं गणपतये नमः' मंत्र बोलते हुए तीन बार गणेश जी को चावल चढ़ाएं।

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