Thursday, May 2, 2013

प्रैग्नैंसी में भी खूबसूरती रहे बरकरार

 प्रैग्नैंसी में भी खूबसूरती रहे बरकरार

एक महिला के जीवन में प्रेग्नेंसी से खूबसूरत अहसास और कोई नहीं होता। यह आपकी जिंदगी का सबसे खूबसूरत  दौर है। इसलिए आप इसे इंजॉय जरूर करें और इसलिए हमेशा खुश रहने की कोशिश भी करें और साथ ही अपनी खूबसूरती की भी हिफाजत करें...

प्रैग्नैंसी  के नौ महीने एक ऐसा मुश्किल दौर होता है जब हर महिला के मन में यह दुविधा बनी रहती है कि वह इस दौरान ब्यूटी ट्रीटमैंट लें या नहीं। उन्हें हरदम यही डर सताता रहता है कि कहीं अपनी खूबसूरती बनाए रखने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सौंदर्य प्रसाधनों से उनके होने वाले शिशु को कोई नुक्सान तो नहीं पहुंचेगा।  प्रैग्नैंसी और ब्यूटी से जुड़े कई मिथक हैं, जिन्हें दूर करना बहुत जरूरी है।

फेशियल
कुछ महिलाओं का मानना है कि प्रैग्नैंसी  में स्किन बेहद सैंसिटिव हो जाती है, इसलिए इस दौरान फेशियल नहीं करवाना चाहिए लेकिन प्रैग्नैंसी के दौरान भी चेहरे के रंग-रूप को निखारने के लिए फेशियल कराने में कोई नुक्सान नहीं है। महीने में एक बार फेशियल करवाएं। इससे स्किन क्लीन दिखेगी और ग्लो करेगी लेकिन अगर आप चाहती हैं कि आपकी स्किन को सभी न्यूट्रिशंस मिलें, तो बेहतर होगा कि फेशियल में इस्तेमाल होने वाली क्रीम अच्छी कंपनी की होनी चाहिए। आपके नॉर्मल प्रोडक्ट्स जरूरी नहीं कि प्रैग्नैंसी के दौरान भी आपको सूट करें। इसलिए प्रैग्नैंसी में अपनी स्किन को सूट करने वाले प्रोडक्ट्स फाइंड करें।

हेयर कलर

आपने कई बुजुर्गों को कहते सुना होगा कि अगर प्रैग्नैंट हैं, तो हेयर कलर इस्तेमाल न करें। अगर आप बालों को कलर करवाती हैं, तो प्रैग्नैंसी  में भी आप हेयर कलर इस्तेमाल कर सकती हैं और इसका असर बच्चे की ग्रोथ पर नहीं पड़ता लेकिन प्रैग्नैंसी  में हेयर कलर कराने में विशेष सावधानी बरतें। यदि आपको इससे एलर्जी की शिकायत हो तो इस दौरान हेयर कलर न कराएं। वैसे बेहतर तो यही रहेगा यदि आप इस दौरान कैमिकल रहित हेयर कलर का इस्तेमाल करें। हेयर कलर इस्तेमाल करने से पहले अपने फिजिशियन की राय जरूर ले लें। दरअसल, वह आपको सही हेयर कलर के बारे में गाइड कर देंगी।

अरोमा थैरेपी
मिथक है कि प्रैग्नैंसी में मसाज करवाने से दर्द बढ़ सकता है लेकिन यह सही नहीं है। मसाज से थकान और बॉडी पेन दोनों से राहत मिलती है।  प्रैग्नैंसी  के दौरान स्किन पर काफी प्रैशर होता है खासकर पेट और उसके आसपास का हिस्सा। किसी जैल या सॉफ्ट क्रीम से नाभि के आसपास मसाज करें। इससे स्किन से प्रैशर रिलीज होगा और स्ट्रैच माक्र्स से भी बचाव होगा। प्रैग्नैंसी  के दौरान अरोमा थैरेपी लेने से कोई नुक्सान नहीं है। प्रैग्नैंसी  के दौरान भी मसाज करवाई जा सकती है। आप केरला आयुर्वेदिक मसाज भी करवा सकती हैं, लेकिन मसाज करवाते समय इस बात का विशेष ख्याल रखें कि मसाज हेतु ताकत व दबाव का बहुत कम इस्तेमाल किया जाए अर्थात हल्के हाथों से मसाज की जाए। आप स्पा में जाकर अपनी पसंद का बॉडी रैप भी ले सकती हैं। इससे आप रिलैक्स हो जाएंगी। गर्मियों के लिए चॉकलेट या जिंजर रैप अच्छे माने जाते हैं।

मैनीक्योर-पैडीक्योर
प्रैग्नैंसी  में अमूमन पैरों में दर्द और सूजन हो जाती  है। इसलिए जब भी ज्यादा  थकान महसूस करें तब आप मैनीक्योर और पैडीक्योर करवा सकती हैं। इससे थकान और दर्द से राहत मिलेगी। आप चाहें तो स्पा मैनीक्योर-पैडीक्योर भी करवा सकती हैं। इसमें आम मैनीक्योर-पैडीक्योर की तरह फाइलिंग, स्क्रबिंग और डैड क्यूटिकल्स को हटाने के अलावा पैरों और हाथों के लिए मास्क स्क्रब और स्प्रे भी दिया जाता है।
 
स्ट्रैच मार्क्स से बचाव

प्रैग्नैंसी के बाद कमर और पेट पर स्ट्रैच मार्क्स पड़ जाते हैं। स्ट्रैच मार्क्स का कारण है उन टिश्यू का फट जाना जो त्वचा को  खिंचने में मदद करते हैं। कई बार हार्मोनल इंबैलेंस की वजह से भी स्ट्रैच मार्क्स होने लगते हैं। कई महिलाओं को वातावरण में आए बदलावों के चलते रिएक्शन के रूप में स्ट्रैच मार्क्स होते हैं। जिन महिलाओं की त्वचा रूखी व बेजान होती है, उन्हें स्ट्रैच मार्क्स होने के चांसेज ज्यादा होते हैं। इसलिए ऐसी डाइट का सेवन करें जिसमें विटामिन ई और विटामिन सी भरपूर मात्रा में हों क्योंकि ये कोशिका निर्माण की प्रक्रिया को तेज करते हैं। स्ट्रैच मार्क्स वाले हिस्से में हर रोज विटामिन ई युक्त तेल से अच्छी तरह मसाज करें। अगर इन सब उपायों और इलाज के बावजूद भी आपके स्ट्रैच मार्क्स ठीक नहीं हो रहे हों तो आप लेजर ट्रीटमैंट करवा सकती हैं, मगर इससे पहले डॉक्टर्र से कंसल्ट जरूर करें।

अपनाएं ये टिप्स
♦ प्रैग्नैंसी में स्किन सैल्स में बदलाव की वजह से जरूरी है कि स्किन को नॉर्मल से ज्यादा नरिश और मॉइश्चराइज करें। इससे स्किन को हैल्दी रखा जा सकता है। रैगुलर स्किन केयर रूटीन को फॉलो करें। रोजाना सुबह चेहरा धोने के बाद हल्का-सा मॉइश्चराजर लगाएं, फिर मेकअप करें। रात को सोने से पहले मेकअप साफ करना कभी न भूलें। जब भी चेहरा धोएं तो अच्छे मॉइश्चराइजिंग बॉडी लोशन का इस्तेमाल करें। इससे ड्राई इफैक्ट से बचाव होगा।
♦ स्किन के नैचुरल ऑयल को प्रोटैक्ट करने के लिए परफ्यूम्ड सोप का इस्तेमाल अवॉइड करें। साबुन स्किन से नैचुरल ऑयल चुरा लेता है। इसकी बजाय क्लींजर यूज करें, जो डीप क्लीजिंग करें। यह जरूरी ऑयल्स को मेंटेन रखता है, जिससे आपकी स्किन ग्लोइंग बनी रहती है।
♦  प्रैग्नैंसी के वक्त कई महिलाओं की स्किन काफी ऑयली हो जाती है। इसके लिए हाई क्वालिटी का फेशियल क्लींजर का इस्तेमाल करें।
♦  फेस की स्किन बहुत डैलीकेट होती है इसलिए इसे रगड़ कर कभी साफ न करें। रब करने से हाइपर-पिग्मैंटेशन हो सकता है। पोंछते समय भी हल्के हाथ से पोंछें।
♦  प्रैग्नैंसी के दौरान स्किन पिग्मैंटेशन में बदलाव हो जाता है जिसकी वजह से सनबर्न और टैनिंग आसानी से हो जाता है। यूवी (अल्ट्रा वॉयलैट) फिल्टर वाले प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें। अपने चेहरे, बांहों, हाथों और पैरों का खास ख्याल रखें।
♦  पानी के कॉन्टैक्ट में ज्यादा समय तक न रहें। पानी स्किन को डिहाइड्रेट कर देता है, जिससे स्किन डल लगने लगती है। इसलिए नहाने में ज्यादा वक्त न लगाएं।
♦  प्रैग्नैंसी के दौरान कई बार ज्यादा लंबे बालों की केयर करनी मुश्किल हो जाती है। लंबे बालों के खराब होने का चांस ज्यादा होता है, जैसे बालों का सफेद होना, झडऩा या फिर उनका दोमुंहा होना। इसलिए बालों की सही ग्रोथ के लिए इनकी ट्रिमिंग कराती रहें।
♦  अच्छा खान-पान भी आपकी लुक्स को प्रभावित करता है। चूंकि प्रैग्नैंसी  के शुरूआती दौर में नॉजिया की समस्या ज्यादा होती है। इसलिए जो पसंद हो वही खाएं। हर दो घंटे के अंतराल पर थोड़ा-थोड़ा खाएं। बाहर की चीजें खाने से बचें। प्रैग्नैंसी  के दूसरे चरण में अपने खान-पान में प्रोटीन युक्त चीजों जैसे दाल, पनीर, अंडा और हरी सब्जियों की मात्रा बढ़ा दें।
♦  डॉक्टर द्वारा बताई गई सभी दवाएं एक निश्चित स्थान पर रखें। सिर दर्द और जुकाम जैसी समस्याओं के लिए खुद ही कोई दवा न लें। कोई भी दवा लेने से पहले डॉक्टर से कंसल्ट जरूर करें।
♦  अगर आप जॉब करती हैं तो लगातार एक ही मुद्रा में न बैठें। दो-तीन घंटे के अंतराल पर अपनी सीट से उठ कर थोड़ी देर के लिए टहलें।
♦  हैल्थ और चाइल्ड केयर से जुड़ी अच्छी किताबें पढ़ें। मनपसंद म्यूजिक सुनें। इससे मन प्रसन्न रहता है और यही खुशी के भाव चेहरे पर झलकते हैं।

ये हैं फायदे
► प्रैग्नैंसी के दौरान स्त्री का एक्टिव  रहना न केवल मां और बच्चे दोनों की सेहत के लिए अच्छा होता है, बल्कि इससे डिलीवरी में भी आसानी होती है। 
► प्रैग्नैंसी  के दौरान अगर आप खुश और एक्टिव रहेंगी तो नॉजिया, थकान और पैरों के दर्द जैसी समस्याओं की ओर आपका ध्यान नहीं जाएगा। इससे आपको तनावमुक्त रहने में मदद मिलेगी।
- मीनाक्षी गांधी
http://epaper.punjabkesari.in/magazine/fullstory/30058930_327481

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