जादुई गोली की भयानक मार

दर्द से राहत पाने के लिए अक्सर हम पेनकिलर्स का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन दर्द में तुरंत राहत देने वाली इन जादुई गोलियों की मार बड़ी भयानक होती है। आप पेन किलर का मनमाना प्रयोग कर रहे हैं तो मानकर चलिए आप एक बड़े दर्द को न्यौता दे रहे हैं। इसलिए आइंदा इन्हें लेने से पहले इसके फायदे-नुकसान पर भी गौर कर लें...

दर्द होने पर हम बिना सोचे-समझे तुरंत पेनकिलर ले लेते हैं लेकिन यह नहीं सोचते कि इसके दुष्प्रभाव खतरनाक हो सकते हैं। दर्दनिवारक दवा के इस्तेमाल से दर्द में तात्कालिक लाभ तो मिल जाता है लेकिन इसका शरीर पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और मूल कारण उसी तरह से बरकरार रहता है।

रासायनिक बनावट के आधार पर कई तरह की पेनकिलर्स बाजार में उपलब्ध हैं। कुछ पेनकिलर्स नशीली नहीं होतीं, यानी उनको लेने से हम उनके आदी नहीं होते। लेकिन कुछ ऐसी पेनकिलर्स भी हैं, जिनका लगातार सेवन करने से दिमाग व शरीर इन पर निर्भर करने लगते हैं और हम उनके गुलाम बन जाते हैं। दोनों तरह की पेनकिलर्स खतरनाक हो सकती हैं, अगर इनका सेवन डक्टर की सलाह के बगैर किया जाए या डाक्टरी सलाह से कहीं अधिक समय के लिए किया जाए।

पेनकिलर्स के बार-बार सेवन करने से व्यक्ति इनका आदी हो जाता है। नतीजा यह होता है कि एक साधारण दर्द को ठीक करते-करते व्यक्ति इन गोलियों के एडिक्शन की खतरनाक बीमारी के चंगुल में फंस जाता है। कुछ समय तक लगातार पेनकिलर्स लेने के पश्चात अगर इन्हें एकदम बंद कर दिया जाए, तो भी सेहत संबंधी कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं, जैसे सारे शरीर में असहनीय दर्द, घबराहट, बेचैनी, गुस्सा, दस्त, लगातार छींकें आना, नींद न आना, आंखों और नाक से पानी निकलना इत्यादि।

क्या हैं इसके नुक्सान?

लोग तुरंत राहत के लिए घर में रखी पेनकिलर का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन यह तुरंत राहत के साथ अन्य कई बीमारियों को भी तेजी से बढ़ावा दे रही है। पेनकिलर्स का ज्यादा इस्तेमाल दर्द की दवा बनने के बजाय किसी बड़ी बीमारी का कारण बन सकता है। कुछ लोग जरूरत से अधिक मात्रा में दर्द निवारक दवाइयों का सेवन करने लगते हैं। ऐसे में स्थिति सुधरने की जगह और खराब होती जाती है। इसके साइड इफैक्ट इतने ज्यादा हैं कि लगातार इसका इस्तेमाल घातक साबित हो सकता है। हाई ब्लड प्रैशर- ब्लड प्रैशर बढऩे का खतरा रहता है, जो हृदयाघात तथा अन्य समस्याओं का कारण बनता है।

गैसट्राइटिस (पेट में सूजन)- पेन किलर यानी दर्द निवारक दवा पेट के अल्सर की बड़ी वजह बन रही है। पेट के अंदर जख्म बनना, उनसे खून का रिसाव, कयादा एसिड बनना, छाती में जलन जैसी परेशानियां हो जाती हैं। इनके चलते पेट में दर्द, खट्टे डकार, उल्टियां जैसे लक्षण पैदा हो जाते हैं।

जिगर की सूजन- जिगर (लिवर) के सैल्स का खत्म होना, इसके चलते भूख का कम होना, खाना हकाम न कर पाना जैसी परेशानियां।

किडनी प्रॉब्लम्स- पेनकिलर्स किडनी को बहुत नुक्सान पहुंचाती हैं। जिंदगी  में एक हजार से कयादा पेनकिलर्स खाने से किडनी खराब हो सकती है। किडनी के सैल्स को नुक्सान पहुंचता है, जिससे धीरे-धीरे किडनी का फंक्शन कमजोर होता जाता है। इसे एनलजैसिक नैफरोपैथी कहा जाता है।

ब्लड डिस्क्रेसिया- कुछ पेनकिलर्स से खून की रचना में बदलाव आने लगते हैं, जिसे ब्लड डिस्क्रेसिया कहा जाता है। यह जानलेवा भी साबित हो सकता है।

दमा पर असर- कुछ पेनकिलर्स दमा भी बढ़ा सकती हैं।

मानसिक रोग- मानसिक रोग हो जाते हैं, जैसे मन की उदासी, याददाशत  कमजोर  होना, वहम व शक की बीमारी। कई बार कन्फ्यूकान और भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है।

सिर दर्द और माइग्रेन- दर्दनिवारक गोलियां सिरदर्द और माइग्रेन की समस्या से निजात दिलाने की जगह चीजों को और खराब कर देती हैं।

क्या सावधानी बरतें?
जहां तक संभव हो, बिना डॉक्टर की सलाह के पेनकिलर्स न लें और न ही इनकी ओवरडोका ही लें। डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही किसी दवा का इस्तेमाल करना चाहिए। पेनकिलर्स तब ही लें, जब बेहद कारूरी हो। थोड़ा-सा दर्द होने पर मैडीसन लेने की आदत को छोड़ दें। पेनकिलर्स से बचने के लिए दर्द वाले हिस्से पर ठंडी या गर्म सिकाई की जा सकती है। पेनकिलर के स्प्रे या जैल से भी दर्द में राहत मिल जाती है। सिर दर्द में बाम लगाएं। दर्द अगर गैस की वजह से है, तो गैस का चूर्ण ले लें।
♦ ब्लड प्रैशर, डायबिटीका, किडनी और दिल के मरीजो को डॉक्टर की सलाह के बगैर कभी कोई भी पेनकिलर अपनी मर्जी से नहीं लेनी चाहिए।
♦  पेनकिलर्स खाली पेट बिलकुल न लें। नॉन नारकोटिक्स पेनकिलर्स खाली पेट लेने से किडनी, लिवर और पेट को नुक्सान पहुंच सकती हैं।
♦  पेनकिलर लेने के कारण अगर पेट दर्द होता है, तो सबसे पहले उस पेनकिलर का इस्तेमाल बंद कर दें और डॉक्टर से सलाह लें।
♦  पेनकिलर्स जब भी खानी हो, इसे हमेशा पानी से ही लें।

क्या है डॉक्टर की सलाह?
♦  अगर किसी व्यक्ति को पेनकिलर्स लेने की लत लग जाए, तो उसे मनोचिकित्सक के पास ले जाएं।
♦  मरीका को दवाओं के कोर्स के कारिए नशामुक्त किया जाता है। इस कोर्स को बिना अस्पताल में दाखिल हुए भी लिया जा सकता है।
♦  मरीका को दोबारा नशे का सेवन करने से हटाने के लिए कुछ दवाएं देनी पड़ती हैं और साथ ही काऊंसलिंग के लिए भी जाना पड़ता है।
♦  नशे के सेवन से हुए नुक्सानों को ठीक करने के लिए 4-6 महीने तक दवा लेनी पड़ती है।
♦  इसलिए अगली बार पेनकिलर खाने से पहले सोचें। साथ ही डॉक्टरी सलाह के बगैर भी पेनकिलर न खाएं।

- मीनाक्षी गांधी

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