Thursday, March 7, 2013

अपने अधिकारों को पहचानें

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अपने अधिकारों को पहचानें

मनदीप कौर चढ्डा से बातचीत करती मीनाक्षी गांधी
सभी महिलाओं को निश्चित तौर पर कानूनों को अवश्य जानना चाहिए। कानून सामाजिक तौर पर महिलाओं को अधिकार देते हैं। भारतीय संविधान में महिलाओं को भी पुरुषों के बराबर के अधिकार दिए गए हैं और कुछ क्षेत्रों में तो उन्हें विशेषाधिकार भी हासिल हैं। महिलाओं के अधिकारों को सुनिश्चित करने हेतु हमारे संविधान में अलग से कानून बनाए गए हैं। समय-समय पर इनमें संशोधन भी किया गया है। लेकिन समस्या यह है कि अधिकतर महिलाएं अपने अधिकारों से अनजान हैं और उन्हें पता ही नहीं होता कि उनके साथ हो रही घटनाएं हिंसा हैं और इससे बचाव के लिए कोई कानून भी है। कई बार तो वे जानकारी होते हुए भी इन कानूनों का उपयोग नहीं कर पाती हैं। यही कारण है कि जब उनके साथ कुछ गलत होता है तो वे चुपचाप उसे सहती रहती हैं। हम महिलाओं से जुड़े अधिकारों की जानकारी दे रहे हैं ताकि अगर उन्हें कभी कोई समस्या हो,तो वे पूरी हिम्मत से उसका मुकाबला कर सकें।

घरेलू हिंसा अधिनियम
घरेलू हिंसा अधिनियम का निर्माण 2005 में किया गया और 26 अक्टूबर 2006 से इसे लागू किया गया। यह अधिनियम महिला बाल विकास द्वारा संचालित किया जाता है। शहर में महिला बाल विकास द्वारा संरक्षण अधिकारी नियुक्त किए जाते हैं जो घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं की शिकायत सुनते हैं और पूरी जांच पड़ताल करने के बाद प्रकरण को न्यायालय भेजा जाता है। घरेलू हिंसा अधिनियम ऐसी महिलाओं के लिए है जो परिवार के भीतर होने वाली किसी भी तरह की हिंसा से पीड़ित हैं। इसमें अपशब्द कहे जाना, किसी प्रकार की रोक-टोक करना, मारपीट करना आदि को भी प्रताडऩा की कैटेगरी में ही शामिल किया गया है। इस अधिनियम के तहत पीड़ित महिला किसी भी वयस्क पुरुष के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकती है।

  • अगर किसी महिला की मौत जलने से हुई हो या उसके शरीर पर कोई निशान हों या शादी के सात साल के भीतर असामान्य परिस्थितियों में मौत हुई हो तो भारतीय संविधान की धारा 304 ख के तहत दहेज हत्या की शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है, जिसके तहत आजीवन कारावास का प्रावधान है। 
  • किसी भी महिला को शिकायत दर्ज करवाने का अधिकार है यदि उसके साथ सार्वजनिक स्थानों जैसे बस, ट्रेन या सड़क पर छेड़छाड़ की जाती है या भद्दी टिप्पणी करके या अश्लील गीत गाकर उसे परेशान किया जाता है। भारतीय दंड संहिता की धारा 294 के तहत तीन माह कैद या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
  • यदि किसी महिला का अपहरण कर लिया जाता है या उसकी मर्जी के खिलाफ उसे किसी से शादी के लिए मजबूर किया जाता है या उसके साथ बलात्कार किया जाता है, तो वह भारतीय दंड संहिता की धारा 366 के तहत शिकायत कर सकती है, जिसमें 10 वर्ष की सज़ा का प्रावधान है।
  • भारतीय दंड संहिता की धारा 498 ए के तहत ससुराल पक्ष के लोगों द्वारा की गई शारीरिक व मानसिक क्रूरता (मारपीट करना, कैद में रखना, भोजन न देना, दहेज के लिए प्रताडि़त करना इत्यादि) के खिलाफ अपराधियों को तीन वर्ष तक की सजा दी जा सकती है।
  • महिला की सहमति के बगैर जर्बदस्ती उसका गर्भपात करवाने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 313 के तहत आजीवन कारावास या 10 वर्ष कैद/जुर्माना का प्रावधान है।
  • प्रत्येक महिला को किसी भी ऐसे व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार है जो जानबूझ कर इशारे करके या शारीरिक बल से उसका शील भंग करने की अश्लील हरकत करता है। भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के तहत दो वर्ष की सजा हो सकती है। 
  • पहली पत्नी के जीवित रहते यदि पति दूसरा विवाह कर लेता है तो भारतीय दंड संहिता की धारा 494 के तहत आप शिकायत दर्ज करवा सकत हैं। इसके तहत 7 वर्ष की सजा का प्रावधान है।
  • प्रत्येक महिला को पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवाने का अधिकार है, जिससे उसकी इच्छा के बगैर जर्बदस्ती बलात्कार किया जाता है। भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत आरोपी को 10 वर्ष तक की सजा या उम्रकैद का प्रावधान है।
  • मानसिक व शारीरिक अत्याचार करके किसी भी महिला पर अगर आत्महत्या के लिए दबाव बनाया जाता है तो वह भारतीय दंड संहिता की धारा 306 के तहत शिकायत दर्ज करवा सकती है, जिसके तहत 10 वर्ष की सजा का प्रावधान है।
  • महिला के साथ अश्लील हरकत करना या अपशब्द कहने पर वह भारतीय संविधान की धारा 509 के तहत शिकायत दर्ज करवा सकती है। इसके तहत आरोपी को एक वर्ष की सजा हो सकती है।
  • भारतीय दंड संहिता की धारा 125 के तहत विवाहित महिलाओं को भरण-पोषण का अधिकार मिलता है।
  • अगर कोई महिला गवाह है तो उसे सी.आर.पी.सी. की धारा 160 के तहत अपने ही घर पर अपने रिश्तेदारों की उपस्थिति में सवालों के जवाब देने का  अधिकार है।
  • किसी भी महिला को तब तक एफआईआर पर हस्ताक्षर नहीं करने चाहिए जब तक कि वह पूरी तरह से संतुष्ट न हो कि उसमें जो भी लिखा है वो बिलकुल ठीक है। (नैशनल कमीशन ऑफ वूमेन)
  • यदि संबंधित अधिकारी आपकी एफआईआर रजिस्टर करने से इनकार करता है, तो आपको शिकायत की एक कॉपी तुरंत एसपी को भेज देनी चाहिए। (नैशनल कमीशन ऑफ वूमेन)
  • अगर संबंधित प्रभारी अधिकारी आपकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं करता है तो किसी भी महिला को अदालत का दरवाजा खटखटाने का कानूनी अधिकार है। (नैशनल कमीशन ऑफ वूमेन)


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