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आज नारी हर क्षेत्र में अपनी कामयाबी का परचम लहरा रही है। उसने समाज के सामने अपनी एक खास पहचान पेश की है, जिसमें वह साहसी, परिपक्व, सहिष्णु और मजबूत इरादे वाली महिला के रूप में उभर कर सामने आई है। आज की नारी को अगर ‘सुपर वुमन’ भी कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी, क्योंकि आज समाज का कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं जिसमें उसका विशेष योगदान न हो या जिसमें वह सर्वोच्च पदों पर आसीन न हो। हर क्षेत्र पुरुषों से मिल रही प्रतिस्पर्धा के बावजूद नारी का दबदबा देखने लायक है। समाज के लगभग हर क्षेत्र में नारी पुरुषों से कहीं बढ़ कर चुनौतियां पेश कर रही है। शिक्षा के क्षेत्र में तो लड़कियां अपनी बौद्धिक योग्यता का लोहा मनवा ही चुकी हैं। आप किसी भी कक्षा का रिकाल्ट देख लें, लड़कियां टॉप कर रही हैं। इसी आत्मविश्वास और प्रतिभा के चलते परिवार और समाज उसके बेटी, बहन, बहू, पत्नी के रूप पर गर्व महसूस करता है।
अब वह मिथक भी टूट रहा है जिसमें महिलाओं का चौखट से पैर बाहर निकालना हेय समझा जाता था। आज कामकाजी महिला के रूप में भी नारी ने अपने करियर को एक नई दिशा दी है। 1987 में कामकाजी महिलाओं का प्रतिशत 13 था जो 2001 में बढ़ कर 25 फीसदी हो गया है। कामकाजी भारतीय महिलाओं का यह प्रतिशत बहुत से देशों में कामकाजी महिलाओं की तादाद से काफी ज्यादा है। दुनिया में कुल सी.ई.ओ. का 11 फीसदी भारतीय महिलाएं हैं। ये आंकड़े पश्चिमी दुनिया के लोगों को भी चौंकाते हैं।
बाहर एक नौकरीपेशा औरत के रूप में तथा घर में गृहिणी की भूमिका में आज की कामयाब नारी अपनी उत्कृष्टता व उत्तरदायित्व दोनों को बखूबी निभा रही है। पत्नी, बहू और मां की जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते हुए वह अपने पति के कंधे से कंधा मिला कर गृहस्थी की गाड़ी खींचने में भी मदद करती हैं। आई.सी.आई. सी.आई. बैंक की सी.ई.ओ. एवं एम.डी. चंदा कोचर, एक्सिस बैंक की सी.ई.ओ. एवं मैनेजिंग डायरैक्टर शिखा शर्मा, पेप्सीको की सी.ई.ओ. इंदिरा नूई, अपोलो हॉस्पिटल की मैनेजिंग डायरैक्टर प्रीथा रैड्डी तो मात्र कुछ उदाहरण हैं।
नौकरी के अलावा व्यावसायिक क्षेत्र में भी महिलाओं ने सफलता का परचम लहराया है तथा साथ ही कई लोगों को रोजी देने का भी काम किया है। आज कई बड़े बिजनैस घरानों में सर्वोच्च पदों पर महिलाएं आसीन हैं। बायोकॉन की संस्थापक किरण मजूमदार शॉ, ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज की प्रबंध निदेशक विनीता बाली, एच.टी. मीडिया की चेयरमैन एवं एडिटोरियल डायरैक्टर शोभना भरतिया, एजेडबी एंड पार्टनर्स की संस्थापक एवं सीनियर पार्टनर जिया मोदी, ट्रैक्टर्स एंड फार्म इक्विपमैंट की चेयरमैन मल्लिका श्रीनिवास सफल उद्योगपतियों की श्रेणी में हैं।
आज कई महिलाएं ऐसी भी हैं जिन्होंने अपनी मेहनत, लगन और दृढ़-निश्चय से पुरुष वर्चस्व वाले क्षेत्र में सफलता के नए मानक तय किए हैं। मिसाइल मैन डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की शिष्या रही डॉ. टेसी थॉमस उनमें से एक हैं। डॉ. टेसी थॉमस ने अपनी प्रतिभा व मेहनत के बूते वह मुकाम हासिल किया कि उन्हें मिसाइल-वूमन का खिताब दिया जाने लगा है। परमाणु अस्त्र ले जाने में सक्षम ‘अग्नि-4’ के सफल प्रक्षेपण के उपरांत तो उन्हें ‘अग्नि-पुत्री’ तक की संज्ञा दी जाने लगी है। उन्होंने एक हजार कि.ग्रा. भार के परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम अग्नि-शृंखला की चौथी मिसाइल के सफल प्रक्षेपण करने वाली टीम को कुशल नेतृत्व प्रदान किया और मर्दों के दबदबे वाले शोध क्षेत्र में महिलाओं के एक बड़े समूह को राष्ट्र की सुरक्षा से जुड़े अभियान में भागीदारी दिलाई। रक्षा अनुसंधान के इस अभियान में करीब दो सौ महिलाएं सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।
केवल नौकरीपेशा ही नहीं बल्कि हर वह गृहिणी भी एक सफल नारी के खिताब की हकदार है जो अपनी मिठास से रिश्तों को सहेजते हुए परायों को भी अपना बना रही है, अपने परिवार की बगिया को प्यार के फूल से महका रही है और अपनी आने वाली पौध को संस्कारों व मर्यादा की खाद से पोषित करती हुई जीने की राह दिखा रही है।
सफलता की नई इबारत लिखती महिलाएं
नारी की तुलना कच्ची मिट्टी से की जाती है, जो जिस सांचे में ढलती है वैसा ही रूप ले लेती है। ठीक वैसे ही नारी को परिवार और समाज में जैसा वातावरण मिलता है वह वैसी ही बन जाती है। सकारात्मक माहौल मिलने पर उसका हर रूप परिपक्व और पूर्णता लिए होता है। महिलाओं के लिए समाज के बदलते दृष्टिकोण के चलते आज की नारी ने संकीर्ण विचारधारा को त्याग कर अपने अंदर आत्मविश्वास पैदा कर लिया है और यही आत्मविश्वास उसकी सफलता की नित नई इबारतें लिख रहा है। प्रगति का ऐसा कोई ही शिखर बचा होगा, जहां आज की नारी न पहुंची हो। हर क्षेत्र में उसने बेहतरीन मुकाम हासिल किया है और समाज के सामने एक मिसाल कायम की है।आज नारी हर क्षेत्र में अपनी कामयाबी का परचम लहरा रही है। उसने समाज के सामने अपनी एक खास पहचान पेश की है, जिसमें वह साहसी, परिपक्व, सहिष्णु और मजबूत इरादे वाली महिला के रूप में उभर कर सामने आई है। आज की नारी को अगर ‘सुपर वुमन’ भी कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी, क्योंकि आज समाज का कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं जिसमें उसका विशेष योगदान न हो या जिसमें वह सर्वोच्च पदों पर आसीन न हो। हर क्षेत्र पुरुषों से मिल रही प्रतिस्पर्धा के बावजूद नारी का दबदबा देखने लायक है। समाज के लगभग हर क्षेत्र में नारी पुरुषों से कहीं बढ़ कर चुनौतियां पेश कर रही है। शिक्षा के क्षेत्र में तो लड़कियां अपनी बौद्धिक योग्यता का लोहा मनवा ही चुकी हैं। आप किसी भी कक्षा का रिकाल्ट देख लें, लड़कियां टॉप कर रही हैं। इसी आत्मविश्वास और प्रतिभा के चलते परिवार और समाज उसके बेटी, बहन, बहू, पत्नी के रूप पर गर्व महसूस करता है।
अब वह मिथक भी टूट रहा है जिसमें महिलाओं का चौखट से पैर बाहर निकालना हेय समझा जाता था। आज कामकाजी महिला के रूप में भी नारी ने अपने करियर को एक नई दिशा दी है। 1987 में कामकाजी महिलाओं का प्रतिशत 13 था जो 2001 में बढ़ कर 25 फीसदी हो गया है। कामकाजी भारतीय महिलाओं का यह प्रतिशत बहुत से देशों में कामकाजी महिलाओं की तादाद से काफी ज्यादा है। दुनिया में कुल सी.ई.ओ. का 11 फीसदी भारतीय महिलाएं हैं। ये आंकड़े पश्चिमी दुनिया के लोगों को भी चौंकाते हैं।
बाहर एक नौकरीपेशा औरत के रूप में तथा घर में गृहिणी की भूमिका में आज की कामयाब नारी अपनी उत्कृष्टता व उत्तरदायित्व दोनों को बखूबी निभा रही है। पत्नी, बहू और मां की जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते हुए वह अपने पति के कंधे से कंधा मिला कर गृहस्थी की गाड़ी खींचने में भी मदद करती हैं। आई.सी.आई. सी.आई. बैंक की सी.ई.ओ. एवं एम.डी. चंदा कोचर, एक्सिस बैंक की सी.ई.ओ. एवं मैनेजिंग डायरैक्टर शिखा शर्मा, पेप्सीको की सी.ई.ओ. इंदिरा नूई, अपोलो हॉस्पिटल की मैनेजिंग डायरैक्टर प्रीथा रैड्डी तो मात्र कुछ उदाहरण हैं।
नौकरी के अलावा व्यावसायिक क्षेत्र में भी महिलाओं ने सफलता का परचम लहराया है तथा साथ ही कई लोगों को रोजी देने का भी काम किया है। आज कई बड़े बिजनैस घरानों में सर्वोच्च पदों पर महिलाएं आसीन हैं। बायोकॉन की संस्थापक किरण मजूमदार शॉ, ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज की प्रबंध निदेशक विनीता बाली, एच.टी. मीडिया की चेयरमैन एवं एडिटोरियल डायरैक्टर शोभना भरतिया, एजेडबी एंड पार्टनर्स की संस्थापक एवं सीनियर पार्टनर जिया मोदी, ट्रैक्टर्स एंड फार्म इक्विपमैंट की चेयरमैन मल्लिका श्रीनिवास सफल उद्योगपतियों की श्रेणी में हैं।
आज कई महिलाएं ऐसी भी हैं जिन्होंने अपनी मेहनत, लगन और दृढ़-निश्चय से पुरुष वर्चस्व वाले क्षेत्र में सफलता के नए मानक तय किए हैं। मिसाइल मैन डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की शिष्या रही डॉ. टेसी थॉमस उनमें से एक हैं। डॉ. टेसी थॉमस ने अपनी प्रतिभा व मेहनत के बूते वह मुकाम हासिल किया कि उन्हें मिसाइल-वूमन का खिताब दिया जाने लगा है। परमाणु अस्त्र ले जाने में सक्षम ‘अग्नि-4’ के सफल प्रक्षेपण के उपरांत तो उन्हें ‘अग्नि-पुत्री’ तक की संज्ञा दी जाने लगी है। उन्होंने एक हजार कि.ग्रा. भार के परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम अग्नि-शृंखला की चौथी मिसाइल के सफल प्रक्षेपण करने वाली टीम को कुशल नेतृत्व प्रदान किया और मर्दों के दबदबे वाले शोध क्षेत्र में महिलाओं के एक बड़े समूह को राष्ट्र की सुरक्षा से जुड़े अभियान में भागीदारी दिलाई। रक्षा अनुसंधान के इस अभियान में करीब दो सौ महिलाएं सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।
केवल नौकरीपेशा ही नहीं बल्कि हर वह गृहिणी भी एक सफल नारी के खिताब की हकदार है जो अपनी मिठास से रिश्तों को सहेजते हुए परायों को भी अपना बना रही है, अपने परिवार की बगिया को प्यार के फूल से महका रही है और अपनी आने वाली पौध को संस्कारों व मर्यादा की खाद से पोषित करती हुई जीने की राह दिखा रही है।
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