हैल्दी लाइफस्टाइल से जुड़ा है नवरात्र का त्योहार
भारतीय मनीषियों ने वर्ष में दो बार विशेष रूप से नवरात्रियों का पर्व मनाने का विधान बताया है। सर्वप्रथम विक्रम संवत के प्रारंभ के दिन से अर्थात चैत्र मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा (पहली तिथि) से नौ दिन पर्यन्त अर्थात नवमी तक नवरात्र निश्चित किए गए हैं। इसी प्रकार ठीक छह मास बाद शारदीय नवरात्र आश्विन मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से महानवमी अर्थात विजयदशमी से एक दिन पूर्व तक नवरात्रियों का पर्व माना गया है। परन्तु शारदीय नवरात्र ही सभी दृष्टियों से सबसे महत्वपूर्ण नवरात्रियां मानी गई हैं।इन नवरात्रों में विशेष आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति संचय करने के लिए सभी प्रकार के उपासक ध्यान, व्रत, संयम, नियम, यज्ञ, भजन, पूजन, योग साधना आदि करते हैं। विशेष साधक इन रात्रियों में पद्मासन या सिद्धासन में बैठकर आन्तरिक त्राटक या विशेष योगसाधना या विशेष बीजमंत्रों का निरन्तर जाप करके सिद्धियां प्राप्त करने का प्रयत्न करते हैं।
नवरात्र अध्यात्म से जुड़ा होता है जिससे शरीर में अतिरिक्त ऊर्जा का एहसास होता है। नवरात्रों के दौरान घर पर किया जाने वाला विधिवत हवन भी स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है। हवन से आत्मिक शांति मिलती है, वातावरण की शुद्धि होती है और साथ ही नकारात्मक शक्तियों का नाश होकर सकारात्मक शक्तियों का प्रवेश होता है।
नवरात्र में व्रत रखने की परंपरा भी बहुत पुरानी है। इस समय शक्ति के नव रूपों की उपासना की जाती है। नवरात्र व्रत का वैज्ञानिक महत्व भी है जो स्वास्थ्य की दृष्टि से काफी लाभदायक है। जब हम हैल्थ की बात करते हैं तो हमारा मतलब हैल्दी लाइफस्टाइल से होता है। नवरात्र का त्योहार इसी हैल्दी लाइफस्टाइल से जुड़ा हुआ है। बदलते मौसम में शरीर को कैसे स्वस्थ रखना है, नवरात्र में वही तरीका अपनाया जाता है।
पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा काल में एक साल की चार संधियां हैं जिनमें से मार्च व सितंबर माह में पड़ने वाली गोल संधियों में साल के दो मुख्य नवरात्र पड़ते हैं। इस समय रोगाणु आक्रमण की सर्वाधिक संभावना होती है। ऋतु संधियों में अक्सर शारीरिक बीमारियां बढ़ती हैं। अत: उस समय स्वस्थ रहने के लिए तथा शरीर को शुद्ध रखने के लिए और तन-मन को निर्मल और पूर्णत: स्वस्थ रखने के लिए की जाने वाली प्रक्रिया का नाम 'नवरात्र' है। दरअसल, शरीर को सुचारू रखने के लिए विरेचन, सफाई तो हम प्रतिदिन करते ही हैं किन्तु अंग-प्रत्यंगों की पूरी तरह से भीतरी सफाई करने के लिए हर छ: माह के अंतर से सफाई अभियान चलाया जाता है और यह काम करता है नवरात्र के व्रत। उपवास शरीर को ऊर्जावान बनाता है, इससे शरीर में चुस्ती-फुर्ती बनी रहती है और पाचन तंत्र को भी व्रत के दिन आराम मिलता है।
नवरात्रों पर महिलाएं अपने परिवार की मंगल कामना के लिए पूरे नौ दिन न केवल पूरे भक्ति-भाव से देवी की पूजा करती हैं बल्कि उपवास भी रखती हैं। नवरात्र के व्रत के समय मांस, शराब, अनाज, गेहूं और प्याज नहीं खाते। नवरात्र और मौसमी परिवर्तन के समय के दौरान अनाज का आमतौर पर परहेज किया जाता है क्योंकि मान्यता है कि अनाज नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है। सात्विक आहार के व्रत का पालन करने से शरीर की शुध्दि, साफ सुथरे शरीर में शुध्द बुद्धि, उत्तम विचारों से ही उत्तम कर्म, कर्मों से सच्चरित्रता और क्रमश: मन शुध्द होता है। स्वच्छ मन मंदिर में ही तो ईश्वर की शक्ति का स्थायी निवास होता है।
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