Tuesday, January 20, 2015

खतरनाक है शुगर की मिठास

खतरनाक है शुगर की मिठास


डायबिटीज एक गंभीर बीमारी है जिसे धीमी मौत (साइलेंट किलर ) भी कहा जाता है। संसार भर में डायबिटीज के रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है विशेष रूप से भारत में, लेकिन इसके बावजूद अब भी इसके ज्यादातर मरीजों को ठंड में डायबिटीज के कारण होने वाली परेशानियों से बचने के तरीके नहीं पता। यही कारण है कि सर्दियों में मरीजों के लिए अपने शुगर लेवल पर कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है और उनकी बीमारी बढ़ती चली जाती है। दरअसल, डायबिटीज के मरीजों के लिए सर्दियों में ग्लूकोज स्तर को नियंत्रित रखना अधिक जरूरी हो जाता है, क्योंकि सर्दियों में व्यायाम की कमी और मेटाबॉलिक प्रक्रिया बदलने की वजह से ग्लूकोज अनियंत्रित हो जाता है। डायबिटीज में ब्लड शुगर लेवल बढ़ने के कारण पूरे शरीर को नुकसान पहुंचता है। यही नहीं सर्दियों में डायबिटीज के मरीजों में हार्ट अटैक और दूसरी दिल की बीमारियां होने की संभावना चार गुणा तक बढ़ जाती है।  

डायबिटीज को पूरी तरह से खत्म तो नहीं किया जा सकता, लेकिन इसे कंट्रोल में रखा जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि मौसम बदलने से पहले डॉक्टर से सलाह लें और सर्दियों में डायबिटीज के किसी भी लक्षण को नजरअंदाज न करें। समय-समय पर शुगर लेवल का चेकअप करवाते रहें। नहीं तो यह जिंदगी से खिलवाड़ करने जैसा साबित हो सकता है। रक्त में ग्लूकोज की मात्रा सामान्य से ज्यादा तथा सामान्य से कम होना दोनों ही स्थितियां घातक सिद्ध होती हैं। सर्दियों में  थोड़ी सी सावधानी आपको डायबिटीज की पीड़ा से दूर रख सकती है।

कैसे करें बचाव: 


डायबिटीज के कारण पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है। पाचन तंत्र कमजोर होने से यह भोजन को भी नहीं पचा पाता है। पाचन शक्ति नहीं होने से रोगी को कब्ज, गैसइटिस और कमजोरी की समस्या हो जाती है। इस मौसम में खान-पान में जरा सी लापरवाही परेशानी का सबब बन सकती है। इसलिए खान-पान का तो बहुत ही ध्यान रखें। हरी सब्जियां, फाइबर और एंटी ऑक्सीडेंट का सेवन अधिक करें। तीन बार भारी भोजन करने की बजाय 4-5 बार हल्का खाना खाएं। कैलोरी पर ध्यान रखें। जंक फूड बिल्कुल न खाएं। सोने से करीब दो घंटे पहले कुछ न खाएं।

डायबिटीज रोगियों का इम्यून सिस्टम भी कमजोर होता है। मौसम बदलते ही बार-बार बीमार होना, चोट-घाव ठीक न होना जैसी समस्याएं भी होती हैं। इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए सर्दी के मौसम में आंवला, हल्दी, काली मिर्च, तुलसी जैसी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली वस्तुओं का उपयोग लाभकारी है।
  
ग्लूकोज से ही शरीर को ऊर्जा मिलती है. लेकिन डायबिटीज रोगियों के शरीर में ग्लूकोज का पाचन नहीं होता है, बल्कि इसकी जगह प्रोटीन का पाचन होने लगता है। इससे रोगी दुबला हो जाता है। इसी कारण डायबिटीज के रोगियों में प्रोटीन की जरूरत अधिक होती है। डायबिटीज के मरीज ठंड के मौसम में प्रोटीन की कमी को आसानी से पूरा कर सकते हैं। इस मौसम में प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थो के सेवन से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं। इसके लिए सभी प्रकार की दालें, सूखे मेवे जैसे- काजू, बादाम, अखरोट, मूंगफली, मौसमी फल और सब्जियां आदि कई पदार्थ हैं। इनके ठंड में उचित सेवन से शरीर को अनेक लाभ होते हैं।

डायबिटीज में नर्वस सिस्टम को भी नुकसान पहुंचता है। डायबिटीज में पैरों की नसों पर असर होता है, जिससे पैरों की संवेदना खत्म हो जाती है। इससे हाथ-पैर की उंगलियों में सूनेपन का आभास होता है। ऐसे में मरीज को दर्द, चुभन, सर्द - गर्म का पता नहीं लगता। यही कारण है कि जब भी कोई चोट लगती है, गर्म पानी की बोतल या आग से सेंकते हैं, तो फफोला हो जाता है, जो आगे चलकर गैंगरीन में बदल सकता है और कई मामलों में पैर काटने की नौबत आ सकती है। कई मरीजों के पैरों में सुन्नपन इस कदर होता है कि उन्हें चप्पल पैर से बाहर निकल जाने या चप्पल के साथ सो जाने का भी एहसास नहीं होता। ऐसे लोग अक्सर नहाने जाने पर गर्म पानी सीधे पैरों पर डाल लेते हैं या ब्लोअर के सामने सीधे पैर रख लेते हैं और जल जाते हैं। अत: हाथ पैर में डायरेक्ट वूलन न पहनें। डायरेक्ट हीटर के सामने न जाएं। गुनगुना पानी इस्तेमाल करें।  हाथों व पैरों की उंगलियों को हिलाने या उंगलियों का व्यायाम करने से नर्व्स में शक्ति आती है, इससे ब्लड सरकुलेशन भी सुधरता है।

ठंड में चिल ब्लेन की सबसे ज्यादा दिक्कत डायबिटीज के मरीजों को होती है। सर्दी में डायबिटीज मरीजों को एक बड़ी दिक्कत पैरों की सूजन की भी होती है। यदि खून में ग्लूकोज की मात्रा 250 एमजीडीएल से अधिक आ रही है तो पेशाब में कीटोन्स की जांच अवश्य कराएं, इस स्थिति में तेजी से पैरों में सूजन बढ़ती है। इसलिए पैरों का ज्यादा ध्यान रखना चाहिए। ऐसे में पैरों की सफाई रखें। पैर धोने के बाद उंगलियां अच्छी तरह सुखाएं,  रूखे पैरों पर मॉइश्चराइजर लगाएं। थोड़े लूज जूते व जुराबें पहनें। नंगे पैर न घूमें। पैरों की रेग्युलर एक्सरसाइज जरूर करें। कीटोन्स आने पर दवाओं के साथ ही डाइट पर भी ध्यान दें। हरी सब्जियां और रेशेदार फल फायदेमंद हो सकते हैं। पैरों का ध्यान रखें। 

डायबिटीज के मरीज कंधों के जोड़ों में जकड़न की वजह से  भी परेशान रहते हैं। ब्लड ग्लूकोज लेवल को सामान्य रखकर और रेग्युलर एक्सरसाइज से ठीक हो सकने वाली इस समस्या के लिए कई लोग स्टेरॉयड का इंजेक्शन भी लगवा लेते हैं , जो दिक्कतों और बढ़ा रहा है। जॉइंट के कोलेजन टिश्यू में प्रोटीन जमा होने से ऐसी दिक्कतें आती हैं, क्योंकि ठंड के कारण लोग एक्सरसाइज आदि बंद कर देते हैं। दर्द की वजह से बढ़े तनाव के कारण ब्लड शुगर लेवल भी गड़बड़ हो जाता है, जो दूसरी परेशानियां खड़ी कर सकता है। ऐसे में डायबिटीज के मरीज खान-पान का ध्यान रखें और रेग्युलर एक्सरसाइज करें। नियमित व्यायाम और टहलने से शरीर पुष्ट होता है और कमजोरी दूर होती है। सर्दियों में सैर पर अवश्य जाएं, लेकिन अत्यधिक ठंड में न जाएं और धुंध हटने के बाद ही घऱ से जाएं। 

डायबिटीज आंखों के लिए भी नुकसानदेह है। डायबिटिक रैटिनोपैथी के मरीजों में  आंख के पर्दे की रक्त कोशिकाओं पर भी असर पड़ता है। डायबिटीज से पर्दे में सूजन, रक्त का रिसाव, पर्दे पर खिंचाव आदि हो सकता है। आंखों का यह रोग होने की आशंका उस समय और भी बढ़ जाती है, जब रक्त में शुगर की मात्रा नियंत्रण में न रहे या उसे कम उम्र में शुरू होने वाला डायबिटीज (इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज) हो। हालांकि शुरूआत में पर्दे में सूजन, खिंचाव जैसे कारणों से आंखों की रोशनी पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता, लेकिन धीरे-धीरे डायबिटीज बढ़ने से रोशनी प्रभावित होने लगती है और आगे चलकर यह लाइलाज हो जाती है। इसके मरीज साल में दो बार पुतली फैलाने की दवा डालकर फंडोस्कोपी कराएं। खून की नसों में होने वाले परिवर्तनों का पता लगाने के लिए एंजियोग्राफी व ओसीटी कराएं। आंख में खून भरने या खिंचाव से पर्दा फटने पर सर्जरी ही एकमात्र उपाय है। इसके अलावा अपने ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखें। 

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