Monday, January 19, 2015

दिल पर भारी कड़ाके की ठंड

दिल पर भारी कड़ाके की ठंड


सर्दी का मौसम अपने साथ सेहत से जुड़ी कई समस्याएं भी साथ लेकर आता है। सर्दी के दिनों में शरीर के तापमान को सामान्य बनाने के लिए दिल को अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ती है। दरअसल, सर्दियों के मौसम में शरीर को गर्मी देने के लिए नसें सिकुड़ने लगती हैं, जिससे ब्लड सर्कुलेशन कम हो जाता है और पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाने के कारण हार्ट को आम दिनों की तुलना में कहीं ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। यही कारण है कि सर्दी में दिल की बीमारी के 40% मरीजों को दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। सर्दियों में दिल का दौरा पड़ने की प्रमुख वजह गर्मियों की अपेक्षा सर्दी में वसा का इस्तेमाल अधिक और व्यायाम की कमी को भी माना जाता है।

अगर आप डायबीटीज या हाई ब्लड प्रेशर के मरीज हैं, तब तो इस मौसम में आपको अपने दिल का और भी खास ध्यान रखना होगा। डायबिटीज के मरीजों के लिए सर्दियों में ग्लूकोज स्तर को नियंत्रित रखना अधिक जरूरी हो जाता है। गर्मी की अपेक्षा सर्दी में डायबीटीज मरीजों को आंख और पैरों का ज्यादा ध्यान रखना चाहिए। सर्दियों के दौरान डायबीटीज के मरीजों में दिल और मस्तिष्क आघात का खतरा बढ़ जाता है। डायबीटीज  के मरीज में घुटन और सीने में दर्द जैसे चेतावनी संकेतों को गंभीरता से लेना चाहिए, क्योंकि ये दिल के दौरे के लक्षण हो सकते हैं।

यह मौसम स्वस्थ लोगों के लिए भी चेतावनी लेकर आता है। हर किसी को दिल की बीमारी के लक्षणों के लिए चौकन्ना रहना चाहिए। सांस फूलना और सीने के बीच के हिस्से में दर्द - दिल की बीमारी के दो महत्वपूर्ण लक्षण होते हैं। लेकिन इन दोनों की सही पहचान करना ज़रूरी है।

सांस फूलना अक्सर अस्थमा या दमे की बीमारी का सूचक होता है। इसलिए ध्यान रखें अगर आपकी सांस तेज़ चलने और एक्सरसाइज़ करते समय फूलती है तो यह दिल की बीमारी की वजह से है। इसी तरह गैस होने की वजह से लोगों को पेट के ऊपरी हिस्से में अक्सर दर्द होता है और वो उसे एन्जाइना का दर्द समझ लेते हैं। या फिर एन्जाइना के दर्द को गैस की वजह से होने वाला दर्द समझ कर नज़रअंदाज़ कर देते हैं। इसलिए आपको सतर्क रहना चाहिए ताकि सीने के दर्द और पेट के दर्द की पहचान और उपचार में आप गलती ना कर दें। अगर ऐसा कोई भी दर्द आपको पहली बार हुआ हो तो फौरन डॉक्टरी जांच करवाएं।

इसलिए बढ़ता है दिल के दौरे का जोखिम

सर्दी में हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिये सबसे बड़ी परेशानी यह है कि ठंड की वजह से पसीना नहीं निकलता है और शरीर में नमक का स्तर बढ़ जाता है जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। सर्दियों में रक्तवाहिनी सिकुड़ जाती हैं इसलिए खून की सामान्य आपूर्ति बाधित होती है और ब्लड प्रेशर भी बढ़ जाता है। सर्दी में शारीरिक गतिविधियां कम होने के कारण अतिरिक्त कैलोरी बर्न नहीं हो पाती और कोलेस्ट्राल तेजी से धमनियों में जमने लगता है। इससे भी ब्लड प्रेशर बढ़ने की आशंका बढ़ जाती है और ब्लड प्रेशर बढ़ने से दिल के दौरे का जोखिम बढ़ जाता है। कड़ाके की ठंड दिल की सेहत के लिए भारी हो सकती है, ऐसे में दिल के मरीजों को अपने दिल को सेहतमंद बनाए रखने के लिए खास एहतियात बरतने की जरूरत होती है।

मिथ है यह

लोगों के मन में एक गलतफहमी है कि सर्दी के दिनों में गर्म चीजें जैसे गुड़ से बनी गजक, तिल के लडडू आदि खाने से या व्हिस्की या रम के दो पैग गुनगुने पानी से लेने से सर्दी भाग जाएगी, लेकिन दरअसल ऐसा नहीं है क्योंकि ऐसा करने से आपको फौरी तौर पर भले ही सर्दी से राहत मिले, लेकिन बाद में ब्लड प्रेशर और ब्लड शूगर बढ़ सकता है, जो नुकसानदेह साबित हो सकता है। शराब का सेवन करने के बाद ठंड में बाहर न निकलें। इससे आपकी रक्तवाहिनी सिकुड़ सकती हैं, जिससे फेफड़ों की समस्या हो सकती है।  दिल के मरीज़ों को सिगरेट से दूर रहना चाहिए।

ऎसा हो खानपान

खान पान पर भी ध्यान दें। पौष्टिक खाना खाकर रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएं।  खाने में फाइबर और एंटी ऑक्सीडेंट की मात्रा बढ़ाएं। खाने में ओमेगा थ्री की मात्रा बढ़ाएं। तेल और मक्खन से बने खाद्य पदार्थों से पूरी तरह बचें। सर्दी की शुरुआत से ही बाजरे का सेवन शुरू कर लें। बाजरा न केवल शरीर को ऊष्मा देता है बल्कि पौष्टिक आहार भी है। बाजरे की खिचड़ी, रोटी, उत्पम, ढोकला इत्यादि आप कई डिशिज़ बना सकते हैं। जौ में घुलनशील फाइबर काफी मात्रा में पाया जाता है। यह रक्त में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करता है। इसके अलावा यह रक्त में ग्लूकोज के स्तर को भी संतुलित रखता है। इसमें वसा की मात्रा न के बराबर होती है। जौ से बने बिस्किट और बेकरी की अन्य चीजों का प्रयोग करें। ज्वार में विटामिन बी और विटामिन ई, मैगनीशियम, फाइबर, आयरन काफी मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा इसमें कई प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट भी पाए जाते हैं। यह दिल की बीमारियों से भी बचाता है। ज्वार की रोटी सर्दी में फायदा देती है। डायबिटीज में मक्का भी फायदेमंद होता है। इसमें विटामिन ए, विटामिन बी व अन्य पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में होते हैं। मक्के की रोटी, ढोकला, सब्जी खा सकते हैं। स्वीट कॉर्न भी स्नैक्स के रूप में ले सकते हैं।

सर्दियों में अक्सर लोग कम पानी पीने लगते हैं, जिससे डिहाइड्रेशन की समस्या तो होती ही है, साथ ही त्वचा भी रूखी होने लगती है। रोजाना 8-10 गिलास पानी पीना चाहिए। चाय के स्थान पर लौंग, इलायची, अदरक, तुलसी, काली मिर्च का काढ़ा पीएं, चीनी के स्थान पर गुड़ लें।  विटामिन ‘सी’ युक्त फल सहित जूस, पानी, सूप का ज्यादा प्रयोग करें।


दिल की सेहत के लिए इन्हें आजमाएं  


  • सुबह के वक्त गर्म बिस्तर से उठकर एकदम खुली हवा में न जाएं, बल्कि थोड़ा इंतजार करें। सर्दी सबसे ज्यादा सिर, कान और पैरों के जरिए शरीर में प्रवेश करती है। इसलिए अपने शरीर के इन हिस्सों को ठंडी हवाओं से बचाकर रखें। 

  • खुद को ठंड के प्रकोप से बचाने के लिए पर्याप्त गर्म कपड़े जरूर पहनें। अगर शरीर का कोई हिस्सा सुन्न पड़ जाए, तो उसे कुछ देर तक गुनगुने पानी में रखने से आराम हो सकता है।

  • शरीर के रक्त संचार को सही स्तर पर रखने के लिए हर रोज व्यायाम करें। व्यायाम की गर्मी आपको सेहतमंद बनाए रखती है, लेकिन धुंध हटने के बाद। ठंड में हाई ब्लड प्रेशर और दिल के मरीज सुबह की सैर से बचें और हो सके तो शाम को टहल लें या व्यायाम कर लें जिन्हें करने पर शरीर से थोड़ा-बहुत पसीना जरूर निकले। इसके लिये खुले मैदान में जाना जरूरी नहीं, किसी हेल्थ क्लब या घर में ही व्यायाम कर अपने को चुस्त दुरूस्त रखा जा सकता है।

  • यदि हल्की सी भी धूप हो तो उसमें बैठना फायदेमंद हो सकता है। रोजाना कुछ देर धूप सेकने से दिल के रोगियों में हार्ट अटैक का खतरा कम होता है और ब्लड प्रेशर भी काबू में रहता है। मधुमेह रोगियों और हड्डी के लिए भी धूप से विटामिन डी की कमी पूरी होती है।

  • सफाई पर विशेष ध्यान दें, डिस्पोजल सामान का प्रयोग करें। गुनगुने पानी से ही नहाएं। ठंडे पानी से नहाने पर हार्ट अटैक का खतरा रहता है। 

  • सबसे ज़रूरी है तनाव कम करना क्योंकि तनाव दिल की बीमारी को खुला आमंत्रण है। हाई ब्लड प्रेशर और दिल के मरीज सात-आठ घंटे की नींद लें, ताकि तनाव से बचे रहें। 

  • ब्लड प्रेशर पर भी नज़र रखें। नियमित रूप से खून में कोलेस्ट्राल के स्तर की जांच कराएं और हार्ट के मरीज अपनी दवाएं नियमित लें। दिक्कत होने पर डॉक्टर के पास चेकअप को जाएं।

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